यूपी में एंटी पेपर लीक कानून विधानसभा और विधान परिषद से हो गया है। योगी सरकार यूपी सार्वजनिक परीक्षा कानून (अनुचित साधनों का निवारण) नाम से अध्यादेश 15 जुलाई, 2024 को लेकर आई थी। नए कानून के तहत पेपर लीक से लेकर आंसर शीट के साथ छेड़छाड़ करने पर सजा होगी। सबसे कम सजा 2 साल की जेल और जुर्माना है, जबकि अधिकतम सजा आजीवन कारावास और एक करोड़ रुपए तक का जुर्माना है। सरकार संपत्ति कुर्क भी कर करवा सकती है। ये कानून पेपर लीक माफिया पर शिकंजा कसने में किस हद तक कामयाब होगा, क्या इससे पेपर लीक रुक जाएगा? ये जानने के लिए हमने एक्सपर्ट्स से बात की। भास्कर एक्सप्लेनर में इन 7 सवालों से जानिए सबकुछ…. सवाल-1: पहले पेपर लीक कराने या दूसरे की जगह परीक्षा देने जैसे मामलों में किन धाराओं में केस दर्ज होता था? इनमें कितनी सजा हो सकती थी? जवाब: नए कानून के पहले तक IPC की धारा 420, 468 और 120B के तहत पुलिस मामला दर्ज करती थी। 420 और 468 के तहत धोखाधड़ी और जालसाजी के अपराध आते हैं। 120B के तहत आपराधिक साजिश के मामले दर्ज होते हैं। इनमें 7 साल तक की अधिकतम सजा और जुर्माने का प्रावधान है। ये सभी अपराध गैर जमानती हैं। सवाल -2: नए कानून से क्या फायदा होगा? जवाब : नए कानून में अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा तय है। संगठित अपराध का भी जिक्र है। परीक्षा करने वाली संस्था, सर्विस प्रोवाइडर और नकल माफिया, सभी के लिए अलग-अलग तरह के अपराध और दंड का प्रावधान किया गया है। पहली बार पकड़े जाने पर 14 साल तक की सजा और 25 लाख तक का जुर्माना है। दोबारा पकड़े जाने पर आजीवन कारावास और एक करोड़ तक का जुर्माना है। परीक्षा कराने वाली संस्था के चेयरपर्सन, मेंबर और स्टाफ अगर गड़बड़ी में शामिल मिलता है तो उसके खिलाफ सजा का प्रावधान है। यूपी के पूर्व डिप्टी सीएम और शिक्षाविद् दिनेश शर्मा कहते हैं- कानून का बड़ा फायदा मिलेगा। सरकार ने नकल रोकने के लिए पहले से ही काफी उपाय किए हैं। सवाल-3: यूपी सार्वजनिक परीक्षा कानून 2024 के तहत सभी अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती होंगे। इसका क्या मतलब है? जवाब: नए कानून की धारा 9 के अनुसार, इसके तहत दर्ज सभी मामले संज्ञेय, गैर जमानती और नॉन कंपाउंडेबल रहेंगे। संज्ञेय अपराध का मतलब है- ऐसे मामलों में पुलिस अधिकारी बिना वारंट के गिरफ्तारी कर सकते हैं। संज्ञेय अपराधों में CrPC की धारा 154 के तहत मजिस्ट्रेट की अनुमति के बगैर पुलिस अधिकारी को FIR दर्ज करने और जांच शुरू करने का अधिकार है। जबकि असंज्ञेय अपराधों में अपराध की गंभीरता कम होती है, इसलिए FIR दर्ज करने के लिए मजिस्ट्रेट की अनुमति और आदेश जरूरी है। सीधे FIR दर्ज नहीं होती। सवाल -4: इस कानून से पेपर लीक माफिया पर शिकंजा कस पाएगा? जवाब: इन कानूनों का मकसद परीक्षा प्रणाली में पारदर्शिता और विश्वसनीयता बढ़ाना है। अभी तक राज्य में जो कार्रवाई होती है, उनमें नकल और चीटिंग जैसे छोटे अपराधों पर ज्यादा जोर है, जिसकी वजह से छात्रों को ही सजा देकर मामले को रफा-दफा कर दिया जाता है। लेकिन, नए कानून का उद्देश्य नौकरियों से जुड़ी परीक्षाओं की साख को बहाल करना है। नए कानून से पेपर लीक जैसी गड़बड़ी में हर स्टेप पर काम कर रहे अपराधियों पर कार्रवाई की जा सकेगी। कानून के तहत, अगर किसी गड़बड़ी में एग्जाम सेंटर की भूमिका पाई जाती है, तो उस सेंटर को हमेशा के लिए सस्पेंड किया जा सकता है। उससे परीक्षा की लागत भी वसूली जाएगी। यूपी के पूर्व डीजीपी ओमप्रकाश सिंह कहते हैं- नए कानून में सजा बेहद सख्त है। इससे नकल और पेपर लीक कराने वाले माफिया में खौफ पैदा होगा। अभी जो पेपर लीक हो रहे हैं, वो डिजिटली ज्यादा हो रहे हैं। अभी तक स्पष्ट कानून का प्रावधान नहीं होने के कारण कठोर कार्रवाई नहीं हो पाती थी, लेकिन अब कानून बन जाने से सजा दिलाने में आसानी हो जाएगी। सवाल-5: कौन-कौन सी परीक्षाएं कानून के दायरे में आएंगी? जवाब: इस कानून में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPSC), यूपी अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UPSSSC), पुलिस भर्ती की परीक्षाएं शामिल होंगी। राज्य के सभी मंत्रालयों, विभागों की भर्ती परीक्षाएं भी इस कानून के दायरे में आएंगी। इसके अलावा यूपी बोर्ड, यूनिवर्सिटी की परीक्षाएं भी शामिल हैं। यानी बोर्ड परीक्षा का पेपर लीक होने पर भी इसी कानून के तहत कार्रवाई होगी। सवाल- 6: देश के दूसरे राज्यों में क्या है कानून? जवाब: देश के 6 अन्य राज्यों में अभी यूपी की तरह ही कानून है। छत्तीसगढ़ में 2008 में, झारखंड में 2001 में, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में 1997 में, ओडिशा में 1998 में और महाराष्ट्र 1982 में लागू किए गए ऐसे ही पुराने नकल रोधी कानून हैं। एक साल पहले राजस्थान में सार्वजनिक परीक्षा संशोधन अधिनियम 2023 लागू किया गया था। इस नए कानून के तहत आरोपियों को उम्रकैद की सजा और 10 करोड़ रुपए जुर्माने का प्रावधान है। आरोपी की संपत्ति कुर्क करने का भी नियम बनाया गया है। पेपर लीक मामले में दोषियों को जल्दी सजा मिले, इसके लिए हर आरोपी का कोर्ट में अलग ट्रायल कराया जा रहा है। गुजरात और उत्तराखंड में भी कानून में संशोधन करके सख्त बनाया गया है। सवाल- 7: पेपर लीक रोकने के लिए केंद्र सरकार ने क्या कानून बनाया? जवाब: पब्लिक एग्जामिनेशन (प्रिवेंशन ऑफ अनफेयर मीन्स) एक्ट, इसी साल 6 फरवरी को लोकसभा और 9 फरवरी को राज्यसभा से पारित हुआ था। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 12 फरवरी को बिल को मंजूरी देकर इसे कानून में बदल दिया। इसमें 3 से 5 साल की सजा का प्रावधान है। यूपी में एंटी पेपर लीक कानून विधानसभा और विधान परिषद से हो गया है। योगी सरकार यूपी सार्वजनिक परीक्षा कानून (अनुचित साधनों का निवारण) नाम से अध्यादेश 15 जुलाई, 2024 को लेकर आई थी। नए कानून के तहत पेपर लीक से लेकर आंसर शीट के साथ छेड़छाड़ करने पर सजा होगी। सबसे कम सजा 2 साल की जेल और जुर्माना है, जबकि अधिकतम सजा आजीवन कारावास और एक करोड़ रुपए तक का जुर्माना है। सरकार संपत्ति कुर्क भी कर करवा सकती है। ये कानून पेपर लीक माफिया पर शिकंजा कसने में किस हद तक कामयाब होगा, क्या इससे पेपर लीक रुक जाएगा? ये जानने के लिए हमने एक्सपर्ट्स से बात की। भास्कर एक्सप्लेनर में इन 7 सवालों से जानिए सबकुछ…. सवाल-1: पहले पेपर लीक कराने या दूसरे की जगह परीक्षा देने जैसे मामलों में किन धाराओं में केस दर्ज होता था? इनमें कितनी सजा हो सकती थी? जवाब: नए कानून के पहले तक IPC की धारा 420, 468 और 120B के तहत पुलिस मामला दर्ज करती थी। 420 और 468 के तहत धोखाधड़ी और जालसाजी के अपराध आते हैं। 120B के तहत आपराधिक साजिश के मामले दर्ज होते हैं। इनमें 7 साल तक की अधिकतम सजा और जुर्माने का प्रावधान है। ये सभी अपराध गैर जमानती हैं। सवाल -2: नए कानून से क्या फायदा होगा? जवाब : नए कानून में अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा तय है। संगठित अपराध का भी जिक्र है। परीक्षा करने वाली संस्था, सर्विस प्रोवाइडर और नकल माफिया, सभी के लिए अलग-अलग तरह के अपराध और दंड का प्रावधान किया गया है। पहली बार पकड़े जाने पर 14 साल तक की सजा और 25 लाख तक का जुर्माना है। दोबारा पकड़े जाने पर आजीवन कारावास और एक करोड़ तक का जुर्माना है। परीक्षा कराने वाली संस्था के चेयरपर्सन, मेंबर और स्टाफ अगर गड़बड़ी में शामिल मिलता है तो उसके खिलाफ सजा का प्रावधान है। यूपी के पूर्व डिप्टी सीएम और शिक्षाविद् दिनेश शर्मा कहते हैं- कानून का बड़ा फायदा मिलेगा। सरकार ने नकल रोकने के लिए पहले से ही काफी उपाय किए हैं। सवाल-3: यूपी सार्वजनिक परीक्षा कानून 2024 के तहत सभी अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती होंगे। इसका क्या मतलब है? जवाब: नए कानून की धारा 9 के अनुसार, इसके तहत दर्ज सभी मामले संज्ञेय, गैर जमानती और नॉन कंपाउंडेबल रहेंगे। संज्ञेय अपराध का मतलब है- ऐसे मामलों में पुलिस अधिकारी बिना वारंट के गिरफ्तारी कर सकते हैं। संज्ञेय अपराधों में CrPC की धारा 154 के तहत मजिस्ट्रेट की अनुमति के बगैर पुलिस अधिकारी को FIR दर्ज करने और जांच शुरू करने का अधिकार है। जबकि असंज्ञेय अपराधों में अपराध की गंभीरता कम होती है, इसलिए FIR दर्ज करने के लिए मजिस्ट्रेट की अनुमति और आदेश जरूरी है। सीधे FIR दर्ज नहीं होती। सवाल -4: इस कानून से पेपर लीक माफिया पर शिकंजा कस पाएगा? जवाब: इन कानूनों का मकसद परीक्षा प्रणाली में पारदर्शिता और विश्वसनीयता बढ़ाना है। अभी तक राज्य में जो कार्रवाई होती है, उनमें नकल और चीटिंग जैसे छोटे अपराधों पर ज्यादा जोर है, जिसकी वजह से छात्रों को ही सजा देकर मामले को रफा-दफा कर दिया जाता है। लेकिन, नए कानून का उद्देश्य नौकरियों से जुड़ी परीक्षाओं की साख को बहाल करना है। नए कानून से पेपर लीक जैसी गड़बड़ी में हर स्टेप पर काम कर रहे अपराधियों पर कार्रवाई की जा सकेगी। कानून के तहत, अगर किसी गड़बड़ी में एग्जाम सेंटर की भूमिका पाई जाती है, तो उस सेंटर को हमेशा के लिए सस्पेंड किया जा सकता है। उससे परीक्षा की लागत भी वसूली जाएगी। यूपी के पूर्व डीजीपी ओमप्रकाश सिंह कहते हैं- नए कानून में सजा बेहद सख्त है। इससे नकल और पेपर लीक कराने वाले माफिया में खौफ पैदा होगा। अभी जो पेपर लीक हो रहे हैं, वो डिजिटली ज्यादा हो रहे हैं। अभी तक स्पष्ट कानून का प्रावधान नहीं होने के कारण कठोर कार्रवाई नहीं हो पाती थी, लेकिन अब कानून बन जाने से सजा दिलाने में आसानी हो जाएगी। सवाल-5: कौन-कौन सी परीक्षाएं कानून के दायरे में आएंगी? जवाब: इस कानून में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPSC), यूपी अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UPSSSC), पुलिस भर्ती की परीक्षाएं शामिल होंगी। राज्य के सभी मंत्रालयों, विभागों की भर्ती परीक्षाएं भी इस कानून के दायरे में आएंगी। इसके अलावा यूपी बोर्ड, यूनिवर्सिटी की परीक्षाएं भी शामिल हैं। यानी बोर्ड परीक्षा का पेपर लीक होने पर भी इसी कानून के तहत कार्रवाई होगी। सवाल- 6: देश के दूसरे राज्यों में क्या है कानून? जवाब: देश के 6 अन्य राज्यों में अभी यूपी की तरह ही कानून है। छत्तीसगढ़ में 2008 में, झारखंड में 2001 में, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में 1997 में, ओडिशा में 1998 में और महाराष्ट्र 1982 में लागू किए गए ऐसे ही पुराने नकल रोधी कानून हैं। एक साल पहले राजस्थान में सार्वजनिक परीक्षा संशोधन अधिनियम 2023 लागू किया गया था। इस नए कानून के तहत आरोपियों को उम्रकैद की सजा और 10 करोड़ रुपए जुर्माने का प्रावधान है। आरोपी की संपत्ति कुर्क करने का भी नियम बनाया गया है। पेपर लीक मामले में दोषियों को जल्दी सजा मिले, इसके लिए हर आरोपी का कोर्ट में अलग ट्रायल कराया जा रहा है। गुजरात और उत्तराखंड में भी कानून में संशोधन करके सख्त बनाया गया है। सवाल- 7: पेपर लीक रोकने के लिए केंद्र सरकार ने क्या कानून बनाया? जवाब: पब्लिक एग्जामिनेशन (प्रिवेंशन ऑफ अनफेयर मीन्स) एक्ट, इसी साल 6 फरवरी को लोकसभा और 9 फरवरी को राज्यसभा से पारित हुआ था। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 12 फरवरी को बिल को मंजूरी देकर इसे कानून में बदल दिया। इसमें 3 से 5 साल की सजा का प्रावधान है। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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यूपी में 69000 शिक्षक भर्ती की मेरिट लिस्ट रद्द होने पर अखिलेश यादव का BJP पर तंज, जानें क्या कहा
यूपी में 69000 शिक्षक भर्ती की मेरिट लिस्ट रद्द होने पर अखिलेश यादव का BJP पर तंज, जानें क्या कहा <p style=”text-align: justify;”><strong>Akhilesh Yadav On UP Teacher Bharti:</strong> इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने शुक्रवार (16 अगस्त) को 69 हजार शिक्षक भर्ती मामले में मेरिट लिस्ट को रद्द कर दिया है. इसको लेकर अब राजनेताओं की प्रतिक्रिया सामने आने लगी है. यूपी शिक्षक भर्ती मामले को लेकर सपा चीफ अखिलेश यादव ने बीजेपी पर तंज कसा है. उन्होंने कहा कि ये अभ्यर्थियों की संयुक्त शक्ति की जीत है. तो वहीं स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी प्रतिक्रिया दी है. </p>
<p style=”text-align: justify;”><span class=”Apple-converted-space”>सपा चीफ और कन्नौज से सांसद अखिलेश यादव ने एक्स पर लिखा,”</span>69000 शिक्षक भर्ती भी आख़िरकार भाजपाई घपले, घोटाले और भ्रष्टाचार की शिकार साबित हुई. यही हमारी मांग है कि नये सिरे से न्यायपूर्ण नयी सूची बने, जिससे पारदर्शी और निष्पक्ष नियुक्तियां संभव हो सकें और प्रदेश में भाजपा काल मे बाधित हुई शिक्षा-व्यवस्था पुनः पटरी पर आ सके. हम नयी सूची पर लगातार निगाह रखेंगे और किसी भी अभ्यर्थी के साथ कोई हकमारी या नाइंसाफी न हो, ये सुनिश्चित करवाने में कंधे-से-कंधा मिलाकर अभ्यर्थियों का साथ निभाएंगे. ये अभ्यर्थियों की संयुक्त शक्ति की जीत है. सभी को इस संघर्ष में मिली जीत की बधाई और नव नियुक्तियों की शुभकामनाए.” [tw]</p>
<blockquote class=”twitter-tweet”>
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— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) <a href=”https://twitter.com/yadavakhilesh/status/1824487958000332993?ref_src=twsrc%5Etfw”>August 16, 2024</a></blockquote>
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<script src=”https://platform.twitter.com/widgets.js” async=”” charset=”utf-8″></script>
[/tw]</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>अखिलेश यादव ने बीजेपी पर कसा तंज</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>69000 शिक्षक भर्ती मामले में सपा चीफ अखिलेश यादव ने बीजेपी पर निशाना साधा है. उन्होंने शिक्षक भर्ती को लेकर कहा कि ये भर्ती भी बीजेपी के घपले, घोटाले और भ्रष्टाचार की शिकार साबित हुई है. इसके साथ ही उन्होंने आगे कहा कि हम नई मिरिट लिस्ट पर लागातर निगाह रखेंगे. क्योंकि मेरिट लिस्ट रद्द करने के बाद कोर्ट ने तीन महीने के अंदर नई मेरिट लिस्ट जारी करने का आदेश जारी किया है. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>स्वामी प्रसाद मौर्य ने कोर्ट के निर्णय का किया स्वागत </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>वहीं पूर्व मंत्री और राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी के प्रमुख स्वामी प्रसाद मौर्य ने एक्स पर लिखा, ”माo उच्च न्यायालय ने 69000 शिक्षक भर्ती में उo प्रo भा.ज.पा. सरकार द्वारा आरक्षित पदों पर सामान्य वर्ग के लोगों के भर्ती<span class=”Apple-converted-space”> </span>घोटाले का संज्ञान लेते हुए 3 महीने के अन्दर आरक्षण नियमावली का पालन करते हुए नई मेरिट लिस्ट बनाने का आदेश दिया.<span class=”Apple-converted-space”> </span>हम पहले से ही 18000 पिछड़े वर्ग व अनु. जाति के आरक्षित पदों पर किए गये घोटाले का मुद्दा उठाते रहे हैं. इसीलिए माo उच्च न्यायालय के इस निर्णय का हम स्वागत करते हैं. विश्वास है कि आरक्षित वर्ग के पीड़ित अभ्यर्थियों को अब न्याय अवश्य मिलेगा.” [tw]</p>
<blockquote class=”twitter-tweet”>
<p dir=”ltr” lang=”hi”>माo उच्च न्यायालय ने 69000 शिक्षक भर्ती में उo प्रo भा.ज.पा. सरकार द्वारा आरक्षित पदों पर सामान्य वर्ग के लोगों के भर्ती घोटाले का संज्ञान लेते हुए 3 महीने के अन्दर आरक्षण नियमावली का पालन करते हुए नई मेरिट लिस्ट बनाने का आदेश दिया। हम पहले से ही 18000 पिछड़े वर्ग व अनु. जाति…</p>
— Swami Prasad Maurya (@SwamiPMaurya) <a href=”https://twitter.com/SwamiPMaurya/status/1824491089476088125?ref_src=twsrc%5Etfw”>August 16, 2024</a></blockquote>
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<script src=”https://platform.twitter.com/widgets.js” async=”” charset=”utf-8″></script>
[/tw]</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>तीन महीने के अंदर नई लिस्ट जारी करने का आदेश</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>बता दें कि इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने 69000 शिक्षक भर्ती मामले में फैसला सुनाते हुए शिक्षक भर्ती परीक्षा का परिणाम नए सिरे से जारी करने का आदेश दिया है. बेसिक शिक्षा विभाग को तीन महीने के अंदर नई चयन सूची जारी करनी होगी. हालांकि अब देखना ये है कि यूपी सरकार नई मेरिट लिस्ट जारी करती है या फिर सुप्रीम कोर्ट में हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें: <a title=”उपचुनाव से पहले कुंदरकी से हटाए यादव-मुस्लिम BLO? सपा ने लिस्ट जारी कर लगाया आरोप” href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/samajwadi-party-demand-investigation-over-muslims-yadav-blo-removed-before-kundarki-by-election-ann-2762777″ target=”_self”>उपचुनाव से पहले कुंदरकी से हटाए यादव-मुस्लिम BLO? सपा ने लिस्ट जारी कर लगाया आरोप</a></strong></p>
गाजियाबाद में AC का आउटडोर चुराया, VIDEO:डॉक्टर के यहां गए थे बैंक मैनेजर, पीछे से छत पर चढ़े चोर और पैनल ले गए
गाजियाबाद में AC का आउटडोर चुराया, VIDEO:डॉक्टर के यहां गए थे बैंक मैनेजर, पीछे से छत पर चढ़े चोर और पैनल ले गए गाजियाबाद में चोरों ने बैंक मैनेजर के घर की छत से AC का आउटडोर चुरा लिया। चोर अपने साथ एक ईरिक्शा वाले को लेकर आए थे। माना जा रहा है कि वो भी इस घटना में संलिप्त था। पूरी घटना CCTV कैमरे में कैद हो गई। पीड़ित ने थाना शालीमार गार्डन में इसकी ऑनलाइन FIR कराई है। सबसे पहले इस घटनाक्रम से जुड़ी तीन तस्वीरों में तीनों आरोपी देखिए… आरोपी नंबर-1 आरोपी नंबर-2 आरोपी नंबर-3 अपने साथ लेकर आए थे ईरिक्शा
शालीमार गार्डन थाना क्षेत्र के केशव प्लाजा अपार्टमेंट में देवेंद्र सिंह रावत परिवार सहित रहते हैं। वो कोटक महिंद्रा बैंक की दिल्ली ब्रांच में मैनेजर हैं। देवेंद्र ने बताया, ये मामला 8 जून का है। मेरे पैर में फ्रैक्चर आ गया था। इसलिए मैं डॉक्टर के पास गया हुआ था। घर पर मां और बहन मौजूद थीं। दोपहर 1 बजकर 46 मिनट पर एक चोर अपार्टमेंट में घुसा। सीढ़ियों पर चढ़कर उसने इशारा किया और ईरिक्शा वाले को भी वहीं बुलाकर खड़ा कर लिया। ईरिक्शा वाले के साथ एक और लड़का मौजूद था, वो भी अंदर चला गया। इसके बाद दो युवक अपार्टमेंट की छत पर पहुंच गए, जहां पर AC का आउटडोर लगा हुआ था। इन दोनों के पास पैनल खोलने के सारे औजार मौजूद थे। कुछ ही मिनटों में वे आउटडोर खोलकर नीचे ले आए और ईरिक्शे में रखकर बड़े आराम से ले गए। बैंक मैनेजर देवेंद्र रावत जब घर आए और AC चलाने का प्रयास किया, तब पूरा मामला समझ आया। इसके बाद उन्होंने अपार्टमेंट के बाहर लगे CCTV कैमरे की फुटेज देखी तो तीन चोर AC का आउटडोर उतारकर ले जाते नजर आए। पुलिस ने कब्जे में ली फुटेज
देवेंद्र रावत ने बताया, 8 जून को ही उन्होंने शालीमार गार्डन थाने में इसकी शिकायत की, लेकिन पुलिस ने अनसुना कर दिया। जिसके बाद अब उन्होंने मामले में ऑनलाइन एफआईआर कराई है। पुलिस ने CCTV कैमरे की फुटेज कब्जे में लेकर जांच शुरू कर दी है।
कोटक महिंद्रा बैंक के ब्रांच मैनेजर देवेंद्र रावत ने अपार्टमेंट के ठीक सामने ही बैकरी है। अक्सर बैकरी के कर्मचारी अपार्टमेंट में ऊपर की तरफ जाते रहते हैं। इसलिए फैमिली ने ध्यान नहीं दिया कि कौन ऊपर जा रहा है या किसलिए जा रहा है।
बागी विधायकों और नेताओं पर फूटा दुष्यंत का गुस्सा:भाजपा पर निशाना, बोले- 400 पार कहने वाले जेजेपी से नेता ले रहे उधार
बागी विधायकों और नेताओं पर फूटा दुष्यंत का गुस्सा:भाजपा पर निशाना, बोले- 400 पार कहने वाले जेजेपी से नेता ले रहे उधार जननायक जनता पार्टी (JJP) से बागी हुए विधायकों और नेताओं पर पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला का गुस्सा फुटा हैं। दुष्यंत चौटाला ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट X पर एक पोस्ट सांझा की। जिसमें उन्होंने बागी नेताओं की फोटो भी सांझा की। साथ ही भाजपा को भी निशाने पर लिया। पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट डालते हुए लिखा कि “अब तक तो कहते थे वो 400 पार, नेता लेने पड़ रहे हैं जेजेपी से उधार, दिल्ली में बैठे कर रहे है इंतजार, हो नहीं रहे इनके पूरे 90 उम्मीदवार, विधानसभा ढूंढ रहे हैं इनके सरदार, ना करनाल में जीत, लाडवा में भी हार, बस आने दो 5 अक्तूबर इस बार, उसके बाद ये हमेशा के लिए बाहर।” साढ़े चार साल भाजपा के साथ चलाई सरकार
2019 विधानसभा चुनाव में जेजेपी के 10 विधायक जीतकर आए थे। जिसके बाद जेजेपी ने भाजपा के साथ गठबंधन करके हरियाणा में सरकार बनाई। वहीं करीब साढ़े 4 साल सरकार चलाई। 2024 में लोकसभा चुनाव से पहले सीटों के बंटवारे को लेकर दोनों पार्टियों का गठबंधन टूट गया। इसके बाद प्रदेश अध्यक्ष निशान सिंह भी इस्तीफा देकर कांग्रेस में शामिल हो गए। JJP विधायक रामनिवास सुरजाखेड़ा और विधायक जोगीराम सिहाग भी भाजपा के कार्यक्रमों में नजर आए। वहीं गठबंधन टूटने के बाद कई बड़े नेताओं ने पार्टी छोड़ी। 7 विधायकों ने छोड़ी जेजेपी
विधानसभा चुनाव 2024 की घोषणा के बाद जेजेपी के विधायकों ने भी पार्टी को छोड़ना आरंभ कर दिया। जेजेपी के 10 विधायकों में से 7 विधायक पार्टी छोड़कर जा चुके हैं। जिनमें अनूप धानक, जोगीराम सिहाग, ईश्वर सिंह, रामकरण काला, देवेंद्र बबली, रामनिवास सूरजाखेड़ा, रामकुमार गौतम शामिल रहे। फिलहाल जेजेपी के पास तीन विधायक हैं। जिनमें खुद दुष्यंत चौटाला, उनकी मां नैना चौटाला व अमरजीत ढांडा शामिल हैं। लोकसभा चुनाव में JJP को 0.87 प्रतिशत वोट मिले
लोकसभा चुनाव में JJP को 0.87 प्रतिशत ही वोट मिल पाए हैं। सबसे खराब स्थित अंबाला, रोहतक, कुरुक्षेत्र और सोनीपत की रही। यहां JJP प्रत्याशी 10 हजार से ऊपर वोट नहीं ले पाए। सबसे कम फरीदाबाद में नलिन हुड्डा को 5361 वोट मिले। वहीं सबसे अधिक वोट हिसार में दुष्यंत चौटाला की मां नैना चौटाला को मिले। नैना चौटाला को 22032 वोट मिले। इसके अलावा पार्टी तीसरे से लेकर पांचवें स्थान पर रही। वहीं बसपा और इनेलो का प्रदर्शन जजपा से बेहतर रहा। हालांकि बसपा और इनेलो की भी चुनाव में जमानत जब्त हुई।