पंजाब के खडूर साहिब से सांसद व वारिस पंजाब दे मुखी अमृतपाल सिंह के करीबी सहयोगी दलजीत सिंह कलसी ने चुनाव लड़ने का फैसला टाल दिया है। दलजीत कलसी को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत हिरासत में लिया गया था। वह पहले पंजाब के डेरा बाबा नानक विधानसभा क्षेत्र से उप-चुनाव लड़ने की घोषणा की थी। कलसी की पत्नी ने मीडिया से बातचीत करते हुए ये जानकारी सांझा की और बताया कि उन्होंने कलसी से डिब्रूगढ़ जेल में मुलाकात की थी। हाल ही में, अमृतपाल सिंह के करीबी सहयोगी दलजीत सिंह कलसी ने पहले डेरा बाबा नानक विधानसभा क्षेत्र से उपचुनाव लड़ने की योजना बनाई थी, लेकिन अब उन्होंने चुनाव नहीं लड़ने का निर्णय लिया है। अमृतपाल के वित्तीय सलाहकार था कलसी दलजीत सिंह कलसी को अमृतपाल सिंह का सलाहकार और वित्तीय सहयोगी के रूप में जाना जाता है। वे न केवल अमृतपाल के साथ जुड़े हुआ है, बल्कि उसके राजनीतिक आंदोलन में भी सक्रिय भूमिका निभाता रहा था। चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद कलसी ने अपने परिवार और समर्थकों से चुनावी तैयारियों के लिए समर्थन मांगा था। कलसी के इस फैसले का पंजाब की राजनीति पर भी असर देखने को मिल सकता है। मौजूदा परिस्थितियों के बाद लिया फैसला कलसी ने चुनाव नहीं लड़ने का निर्णय क्यों लिया, इस पर अभी भी सवाल खड़े हैं। उनके इस निर्णय के पीछे कई संभावित कारण हो सकते हैं, जैसे: सहोगियों के चुनाव लड़ने पर असमंजस कलसी के चुनावी दौड़ से बाहर होने का असर पंजाब की राजनीति पर पड़ सकता है। पहले उनकी चुनाव लड़ने की घोषणा ने राजनीतिक हलकों में चर्चा को बढ़ावा दिया था। उनके साथी, जैसे कि कुलवंत सिंह और भगवंत सिंह, ने पहले ही चुनाव लड़ने की योजना बनाई थी, के चुनाव लड़ने पर अभी भी असमंजस बना हुआ है। कलसी के फैसले के बाद, यह देखना होगा कि अन्य सहयोगी अपने चुनावी मंसूबों को लेकर क्या निर्णय लेते हैं। पंजाब के खडूर साहिब से सांसद व वारिस पंजाब दे मुखी अमृतपाल सिंह के करीबी सहयोगी दलजीत सिंह कलसी ने चुनाव लड़ने का फैसला टाल दिया है। दलजीत कलसी को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत हिरासत में लिया गया था। वह पहले पंजाब के डेरा बाबा नानक विधानसभा क्षेत्र से उप-चुनाव लड़ने की घोषणा की थी। कलसी की पत्नी ने मीडिया से बातचीत करते हुए ये जानकारी सांझा की और बताया कि उन्होंने कलसी से डिब्रूगढ़ जेल में मुलाकात की थी। हाल ही में, अमृतपाल सिंह के करीबी सहयोगी दलजीत सिंह कलसी ने पहले डेरा बाबा नानक विधानसभा क्षेत्र से उपचुनाव लड़ने की योजना बनाई थी, लेकिन अब उन्होंने चुनाव नहीं लड़ने का निर्णय लिया है। अमृतपाल के वित्तीय सलाहकार था कलसी दलजीत सिंह कलसी को अमृतपाल सिंह का सलाहकार और वित्तीय सहयोगी के रूप में जाना जाता है। वे न केवल अमृतपाल के साथ जुड़े हुआ है, बल्कि उसके राजनीतिक आंदोलन में भी सक्रिय भूमिका निभाता रहा था। चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद कलसी ने अपने परिवार और समर्थकों से चुनावी तैयारियों के लिए समर्थन मांगा था। कलसी के इस फैसले का पंजाब की राजनीति पर भी असर देखने को मिल सकता है। मौजूदा परिस्थितियों के बाद लिया फैसला कलसी ने चुनाव नहीं लड़ने का निर्णय क्यों लिया, इस पर अभी भी सवाल खड़े हैं। उनके इस निर्णय के पीछे कई संभावित कारण हो सकते हैं, जैसे: सहोगियों के चुनाव लड़ने पर असमंजस कलसी के चुनावी दौड़ से बाहर होने का असर पंजाब की राजनीति पर पड़ सकता है। पहले उनकी चुनाव लड़ने की घोषणा ने राजनीतिक हलकों में चर्चा को बढ़ावा दिया था। उनके साथी, जैसे कि कुलवंत सिंह और भगवंत सिंह, ने पहले ही चुनाव लड़ने की योजना बनाई थी, के चुनाव लड़ने पर अभी भी असमंजस बना हुआ है। कलसी के फैसले के बाद, यह देखना होगा कि अन्य सहयोगी अपने चुनावी मंसूबों को लेकर क्या निर्णय लेते हैं। पंजाब | दैनिक भास्कर
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बांग्लादेश में हिंदुओं के हालात पर पंजाब में प्रदर्शन:केंद्र से हस्तक्षेप की मांग, अमृतसर-चंडीगढ़ में निकाला गया विशाल रोष मार्च बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमले के खिलाफ आज पंजाब के चंडीगढ़ और अमृतसर में रोष मार्च निकाला गया। चंडीगढ़ में यह मार्च सेक्टर 17 प्लाजा से शुरू हुआ और अमृतसर में यह मार्च श्री दुर्गियाना मंदिर से शुरू होकर जलियांवाला बाग तक चला। इस प्रदर्शन में चंडीगढ़ के हिंदू संगठनों, अमृतसर की दुर्गियाना कमेटी ने बांग्लादेश के खिलाफ नारेबाजी की। अमृतसर में सेक्टर 17 में उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए स्वामी श्यामानंद जी ने कहा कि अगर पूरी दुनिया में विश्वासघात का कोई उदाहरण देखना है तो वह बांग्लादेश है। जिस बांग्लादेश के लिए हजारों भारतीय सैनिकों ने अपने प्राणों की आहुति दी, बलिदान दिए, भारत के लोगों ने 1971 में हर घर से ₹1 एकत्र करके तन, मन और धन से मदद की, बांग्लादेश को थाली में परोस कर दिया, वह बांग्लादेश आज बांग्लादेशी हिंदुओं पर अत्याचार कर रहा है। हिंदू इस्कॉन के मंदिरों को तोड़ा और जलाया जा रहा है, हिंदुओं और गायों की हत्या की जा रही है। अब भारत की दया पर जी रहे बांग्लादेश से कोई याचना नहीं होनी चाहिए, केवल युद्ध होना चाहिए, उसे उसकी जगह दिखाने का समय आ गया है। सेक्टर 40 में हवन करवाया गया बांग्लादेश में अब तक सांप्रदायिक हिंसा में 100 से अधिक हिंदुओं की मौत हो चुकी है। उनकी आत्मा की शांति के लिए आज नारी जागृति मंच और पिंक ब्रिगेड द्वारा श्री हनुमान धाम, सेक्टर 40-बी में 108 गायत्री मंत्रों के जाप के साथ महायज्ञ करवाया गया और साथ ही हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों और हिंदू मंदिरों को तोड़े जाने के खिलाफ रोष व्यक्त करते हुए कड़ी निंदा की गई। इस अवसर पर प्रधान नीना तिवारी ने कहा कि यह बहुत दुख की बात है कि हमारे हिंदुओं पर अत्याचार किए जा रहे हैं और उन्हें बेरहमी से मारा जा रहा है। हमारे हिंदू संतों को बिना किसी कारण के जेल में डाल दिया गया है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रार्थना की कि वे इस समस्या का समाधान निकालें और जेल में बंद हिंदू संतों और महात्माओं को सम्मानपूर्वक रिहा करवाएं। बांग्लादेशियों को भारत से बाहर निकालने की मांग उठी इस अवसर पर दुर्गियाना मंदिर समिति की अध्यक्ष प्रोफेसर लक्ष्मी कांता चावला ने कहा कि बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों की कड़ी निंदा की जाती है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत में करीब दो करोड़ बांग्लादेशी अवैध रूप से रह रहे हैं, जो भारत का अन्न खा रहे हैं, लेकिन भारतीयों पर अत्याचार कर रहे हैं। अगर बांग्लादेश में अत्याचार बढ़ रहे हैं, तो उन्हें भी भारत से वापस भेजा जाना चाहिए। इस रोष मार्च में संत समाज, धार्मिक संस्थाओं, राजनीतिक दलों और विभिन्न हिंदू संगठनों के हजारों लोग शामिल हुए। सभी ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाई और “भारत माता की जय” के नारे लगाए। बांग्लादेश को सबक सिखाने का समय आ गया प्रोफेसर चावला और अन्य हिंदू संगठनों के नेताओं ने केंद्र सरकार से अपील की कि अब बांग्लादेश को कड़ा सबक सिखाने का समय आ गया है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर बांग्लादेश अपनी हरकतें बंद नहीं करता है तो भारत को उसे नक्शे से मिटाने में संकोच नहीं करना चाहिए।