<p style=”text-align: justify;”><strong>Maha Kumbh 2025:</strong> महाकुंभ में साधु संतों के अलग-अलग स्वरूप देखने को मिल रहे हैं. उसमें एक ऐसे सन्यासी भी हैं जिन्होंने अमेरिका में जन्म तो लिया पर आज से 25 साल पहले उनकी भारत की यात्रा ने उनको सनातन की तरफ ऐसा मोड़ा की 16 साल बाद 2016 में उन्होंने दीक्षा ले ली और अब संन्यासी बन गए है. अमेरिका में जब जन्मे तो उनका नाम माइकल था पर अब उनके गुरु ने उनका नाम मोक्षपुरी दिया है. आईए जानते हैं क्या है उनकी पूरी कहानी</p>
<p style=”text-align: justify;”>जूना अखाड़े से जुड़े हुए बाबा मोक्षापुरी बताते हैं कि 2016 में उज्जैन के महाकुंभ में उन्होंने संन्यास की दीक्षा ली. उन्होंने कहा कि वो इस रास्ते पर लंबे समय से चल रहे थे. पहले वो 2000 के महाकुंभ में आज से 25 साल पहले पहली बार पूरे परिवार के साथ कुंभ मेला में आये थे. उस कुंभ के बाद से ही उन्होंने सनातन और हिंदुत्व समेत तमाम चीजों के बारे में पढ़ाई की, योग के बारे में पढ़ा. साथ ही अपने गुरु को लंबे समय तक फॉलो किया. इसके बाद कुछ ऐसा हुआ कि उन्होंने सब छोड़कर संन्यास ले लिया.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>25 साल पहले पत्नी संग कुंभ आए थे<br /></strong>उन्होंने बताया कि 2000 में जब वो अपनी पत्नी के साथ कुंभ आए थे. तब उन्हें भारत से बहुत प्रेम हुआ और तब वह पत्नी समेत लंबे समय तक भारत में रहना चाहते थे. वो इसके बाद भारत में कुछ जगहों पर लगभग 6 साल तक रहे भी. उन्होंने अपने परिवार के बारे में बताया कि वह एक ऐसे परिवार से आते हैं जो मिलिट्री से जुड़ा हुआ है. उनके पिताजी भी फोर्स में थे उनके भाई, उनके अंकल सब फोर्स में रहे. अमेरिका में सब रिवॉल्यूशनरी वार का हिस्सा रह चुके हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने कहा मैं शांति प्रिय व्यक्ति हूं. मुझे शांति अच्छी लगती है इसलिए मैंने तय किया कि मैं मिलिट्री में नहीं रहूंगा और मैं शांति के मार्ग पर चलूंगा. उन्होंने बताया कि उनके पिता ने 20 साल मिलिट्री में बिताया है. उन्होंने बताया मैंने यूएस एयरफोर्स में 4 साल तक समय बिताया और 1986 में उन्होंने यरफोर्स की नौकरी छोड़ दी थी. इसके बाद उन्होंने अलग-अलग जगह पर काम किया पर उनको सब काम कर के यही लगा कि सारी चीज टेंपरेरी हैं. और एक ही चीज में आनंद आता है और वह है प्रभु की शक्ति में. मुझे यहां शांति मिलती है. भक्ति के साथ कुछ भी बेहतर नहीं है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>2 स्टेप बच्चों के पिता बाबा मोक्षपुरी<br /></strong>उन्होंने बताया कि वो आज 62 साल के हैं, उनके पेरेंट्स काफी बुजुर्ग हैं और वह मुझे हर एक चीज में सपोर्ट करते हैं. उनकी पत्नी की मृत्यु 2015 में हो गई और उनकी पत्नी से उनके दो स्टेप बच्चे थे. वह सब अपनी लाइफ में सेटल्ड है. उनकी पत्नी की पहली शादी हुई थी और उनकी पहली शादी से उनके दो बच्चे थे जिनको उनका बचपन से उन्होंने पाला है और अब वह अपने जीवन में खुश है वह हवाई में रहते हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने बताया कि वो यूएस में न्यू मेक्सिको में एक आश्रम का निर्माण कर रहे हैं अपने गुरु जी के लिए. जहां पर वो अपने गुरु से लोगों को जोड़ सकें और ढेर सारे लोगों को सनातन से जोड़ सकें. उन्होंने कहा कि वो वहां भी जाते हैं ओर यहां भी आते हैं और अपने गुरु की सेवा में रहते. उन्होंने कहा हम सब एक हैं, सबका ईश्वर एक है और सब ईश्वर के प्रेम में रम रहे हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”>यह भी पढ़ें-<strong><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/sambhal-news-akhilesh-yadav-questioned-bjp-on-the-allegation-of-death-in-police-custody-in-sambhal-2867341″>संभल में पुलिस कस्टडी में हुई मौत के आरोप पर अखिलेश यादव ने बीजेपी को घेरा, कहा- अब अंतिम दौर में…</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Maha Kumbh 2025:</strong> महाकुंभ में साधु संतों के अलग-अलग स्वरूप देखने को मिल रहे हैं. उसमें एक ऐसे सन्यासी भी हैं जिन्होंने अमेरिका में जन्म तो लिया पर आज से 25 साल पहले उनकी भारत की यात्रा ने उनको सनातन की तरफ ऐसा मोड़ा की 16 साल बाद 2016 में उन्होंने दीक्षा ले ली और अब संन्यासी बन गए है. अमेरिका में जब जन्मे तो उनका नाम माइकल था पर अब उनके गुरु ने उनका नाम मोक्षपुरी दिया है. आईए जानते हैं क्या है उनकी पूरी कहानी</p>
<p style=”text-align: justify;”>जूना अखाड़े से जुड़े हुए बाबा मोक्षापुरी बताते हैं कि 2016 में उज्जैन के महाकुंभ में उन्होंने संन्यास की दीक्षा ली. उन्होंने कहा कि वो इस रास्ते पर लंबे समय से चल रहे थे. पहले वो 2000 के महाकुंभ में आज से 25 साल पहले पहली बार पूरे परिवार के साथ कुंभ मेला में आये थे. उस कुंभ के बाद से ही उन्होंने सनातन और हिंदुत्व समेत तमाम चीजों के बारे में पढ़ाई की, योग के बारे में पढ़ा. साथ ही अपने गुरु को लंबे समय तक फॉलो किया. इसके बाद कुछ ऐसा हुआ कि उन्होंने सब छोड़कर संन्यास ले लिया.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>25 साल पहले पत्नी संग कुंभ आए थे<br /></strong>उन्होंने बताया कि 2000 में जब वो अपनी पत्नी के साथ कुंभ आए थे. तब उन्हें भारत से बहुत प्रेम हुआ और तब वह पत्नी समेत लंबे समय तक भारत में रहना चाहते थे. वो इसके बाद भारत में कुछ जगहों पर लगभग 6 साल तक रहे भी. उन्होंने अपने परिवार के बारे में बताया कि वह एक ऐसे परिवार से आते हैं जो मिलिट्री से जुड़ा हुआ है. उनके पिताजी भी फोर्स में थे उनके भाई, उनके अंकल सब फोर्स में रहे. अमेरिका में सब रिवॉल्यूशनरी वार का हिस्सा रह चुके हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने कहा मैं शांति प्रिय व्यक्ति हूं. मुझे शांति अच्छी लगती है इसलिए मैंने तय किया कि मैं मिलिट्री में नहीं रहूंगा और मैं शांति के मार्ग पर चलूंगा. उन्होंने बताया कि उनके पिता ने 20 साल मिलिट्री में बिताया है. उन्होंने बताया मैंने यूएस एयरफोर्स में 4 साल तक समय बिताया और 1986 में उन्होंने यरफोर्स की नौकरी छोड़ दी थी. इसके बाद उन्होंने अलग-अलग जगह पर काम किया पर उनको सब काम कर के यही लगा कि सारी चीज टेंपरेरी हैं. और एक ही चीज में आनंद आता है और वह है प्रभु की शक्ति में. मुझे यहां शांति मिलती है. भक्ति के साथ कुछ भी बेहतर नहीं है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>2 स्टेप बच्चों के पिता बाबा मोक्षपुरी<br /></strong>उन्होंने बताया कि वो आज 62 साल के हैं, उनके पेरेंट्स काफी बुजुर्ग हैं और वह मुझे हर एक चीज में सपोर्ट करते हैं. उनकी पत्नी की मृत्यु 2015 में हो गई और उनकी पत्नी से उनके दो स्टेप बच्चे थे. वह सब अपनी लाइफ में सेटल्ड है. उनकी पत्नी की पहली शादी हुई थी और उनकी पहली शादी से उनके दो बच्चे थे जिनको उनका बचपन से उन्होंने पाला है और अब वह अपने जीवन में खुश है वह हवाई में रहते हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने बताया कि वो यूएस में न्यू मेक्सिको में एक आश्रम का निर्माण कर रहे हैं अपने गुरु जी के लिए. जहां पर वो अपने गुरु से लोगों को जोड़ सकें और ढेर सारे लोगों को सनातन से जोड़ सकें. उन्होंने कहा कि वो वहां भी जाते हैं ओर यहां भी आते हैं और अपने गुरु की सेवा में रहते. उन्होंने कहा हम सब एक हैं, सबका ईश्वर एक है और सब ईश्वर के प्रेम में रम रहे हैं. </p>
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