अयोध्या की हार पर संत बोले-लल्लू को बदलते तो जीतते:जातियों में फंसकर लोग राम को भूले; INDI ने आरक्षण खत्म करने का भ्रम फैलाया

अयोध्या की हार पर संत बोले-लल्लू को बदलते तो जीतते:जातियों में फंसकर लोग राम को भूले; INDI ने आरक्षण खत्म करने का भ्रम फैलाया

भगवामय और राममय हुई अयोध्या में चौड़ी-खूबसूरत सड़कें शहर में आपका स्वागत करती हैं। भगवा रंग में रंगी इमारतें और दीवारों पर रामायण के दृश्य यहां की खूबसूरती में चार चांद लगते हैं। अयोध्या को देखते हुए मन में सवाल उठता है, क्या राम मंदिर के निर्माण का दावा करने वाली सत्ताधारी भाजपा यहां से भी हार सकती है? भाजपा के अयोध्या में हारने की चर्चा पूरे देश में हो रही है। सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग का दौर जारी है। निशाने पर अयोध्या के लोग हैं। हर कोई भाजपा को मिली हार की वजह पर बात कर रहा है। दैनिक भास्कर ने अयोध्या में भाजपा की हार को लेकर यहां के बड़े संतों बात की​​​​​​। उनका कहना था, ऐसा नहीं है कि पूरी अयोध्या में भाजपा को वोट नहीं मिले। यहां की शहर विधानसभा में भाजपा को ही वोट गए। मगर फैजाबाद सीट की 4 अन्य विधानसभा में लोगों ने INDI गठबंधन को वोट दिया। इसके लिए गुमराह करने वाले प्रचार भी जिम्मेदार हैं। आरक्षण खत्म करने का भ्रम फैलाया गया। फैजाबाद में भाजपा को जीतने के लिए कैंडिडेट बदलना चाहिए था। पढ़िए अयोध्या के किस संत ने क्या कहा… आरक्षण खत्म होने का भ्रम फैलाने से भाजपा को नुकसान
श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत कमल नयन दास शास्त्री ने कहा- हम तो राष्ट्र का चिंतन करने वाले हैं। हमें पूरा राष्ट्र दिखाई देता है, केवल अयोध्या नहीं। मुख्य बात है कि गरीबों को आरक्षण खत्म होने और योजनाओं की झूठी दिलासा देकर भड़काया गया। जातियों में फंसकर लोग राम को भूल गए
मंगल भवन के महंत राम भूषण दास कृपालु ने कहा- ये सही है कि चुनाव नतीजे अच्छे नहीं रहे, वजह चाहे भाजपा की हो या धर्म की। ये सब इनके आपसी टकराव की वजह से हुआ। निजी स्वार्थ और जातियों में फंसकर लोग राम को ही भूल गए। वही राम, जो जीवन के आधार हैं। ऐसा नहीं है कि हम लोगों ने प्रयास नहीं किए। भाजपा अयोध्या विधानसभा में नहीं हारी। कमी ये रही कि सांसद लल्लू सिंह और इनके नेता लोगों तक पहुंचे ही नहीं। जिले की बाकी विधानसभा में भाजपा को हार मिली। जिस भाजपा ने रामजी के लिए इतना किया। लोग अपने किए के लिए क्षमा मांगें, तब शायद लोगों को रामजी माफ कर दें। कई बार चुनाव जीतकर लोगों में उन्माद आ जाता है
जानकी घाट (बड़ा स्थान) के महंत जन्मेजय शरण ने कहा- लल्लू सिंह की जगह किसी और कैंडिडेट को टिकट मिलता, तो भाजपा नहीं हारती। कई बार चुनाव जीतकर लोगों में उन्माद आ जाता है। अयोध्या में प्रशासन संत-महंत, व्यापारी और लोगों को रोक देते हैं। इन सबकी समीक्षा कर करनी चाहिए, भूल-सुधार की कोशिश करनी चाहिए। सोशल मीडिया पर इस तरीके से पोस्ट करना ठीक नहीं। भाजपा के लल्लू सिंह को अपनी हार पर खुद ही विचार करना जरूरी है। अयोध्या विधानसभा से वह जीते, मगर फैजाबाद की अन्य विधानसभा से वह क्यों हारे, इसका मंथन जरूरी है। अयोध्या में उन्हें 4 लाख से ज्यादा वोट मिले हैं। VVIP व्यवस्था से लोकल लोगों की नाराजगी बढ़ती गई
बड़ा भक्तमाल मंदिर के महंत अवधेश कुमार दास का कहते हैं- यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है, कहीं न कहीं कमी रह गई। जिसकी वजह से अयोध्या के लोगों को ताने सुनने पड़ रहे हैं। ये तो सही है कि VVIP व्यवस्था से लोकल लोग परेशान थे। राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद हर दिन VVIP लोग आ रहे थे। उनके आने के बाद रास्ते बंद कर दिए जाते थे। रिजल्ट को लेकर आ रही प्रतिक्रियाएं निराधार
हनुमत निवास के महंत डॉ. मिथिलेश नंदिनी शरण ने कहा- अयोध्या के चुनाव रिजल्ट को लेकर तेजी से प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। इनमें ज्यादातर निराधार और कुंठा से भरी हुई हैं। निंदा हो या प्रशंसा, दोनों ही तरह से अयोध्या का तिरस्कार अविवेकपूर्ण है। ये अयोध्या के लोग ही हैं, जिन्होंने अपने राम के लिए दुख सहे, त्याग किए। अयोध्या किसी के हारने या जीतने से उसकी या पराई नहीं हो जाती। यह बस उनकी है, जो श्रीराम के हैं। अयोध्या ने सत्य की प्रतिष्ठा के लिए अपने राम को ही वन भेज दिया, क्योंकि इसका नाम ही सत्या है। 2019 और 2014 का चुनाव भाजपा ने जीता था भगवामय और राममय हुई अयोध्या में चौड़ी-खूबसूरत सड़कें शहर में आपका स्वागत करती हैं। भगवा रंग में रंगी इमारतें और दीवारों पर रामायण के दृश्य यहां की खूबसूरती में चार चांद लगते हैं। अयोध्या को देखते हुए मन में सवाल उठता है, क्या राम मंदिर के निर्माण का दावा करने वाली सत्ताधारी भाजपा यहां से भी हार सकती है? भाजपा के अयोध्या में हारने की चर्चा पूरे देश में हो रही है। सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग का दौर जारी है। निशाने पर अयोध्या के लोग हैं। हर कोई भाजपा को मिली हार की वजह पर बात कर रहा है। दैनिक भास्कर ने अयोध्या में भाजपा की हार को लेकर यहां के बड़े संतों बात की​​​​​​। उनका कहना था, ऐसा नहीं है कि पूरी अयोध्या में भाजपा को वोट नहीं मिले। यहां की शहर विधानसभा में भाजपा को ही वोट गए। मगर फैजाबाद सीट की 4 अन्य विधानसभा में लोगों ने INDI गठबंधन को वोट दिया। इसके लिए गुमराह करने वाले प्रचार भी जिम्मेदार हैं। आरक्षण खत्म करने का भ्रम फैलाया गया। फैजाबाद में भाजपा को जीतने के लिए कैंडिडेट बदलना चाहिए था। पढ़िए अयोध्या के किस संत ने क्या कहा… आरक्षण खत्म होने का भ्रम फैलाने से भाजपा को नुकसान
श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत कमल नयन दास शास्त्री ने कहा- हम तो राष्ट्र का चिंतन करने वाले हैं। हमें पूरा राष्ट्र दिखाई देता है, केवल अयोध्या नहीं। मुख्य बात है कि गरीबों को आरक्षण खत्म होने और योजनाओं की झूठी दिलासा देकर भड़काया गया। जातियों में फंसकर लोग राम को भूल गए
मंगल भवन के महंत राम भूषण दास कृपालु ने कहा- ये सही है कि चुनाव नतीजे अच्छे नहीं रहे, वजह चाहे भाजपा की हो या धर्म की। ये सब इनके आपसी टकराव की वजह से हुआ। निजी स्वार्थ और जातियों में फंसकर लोग राम को ही भूल गए। वही राम, जो जीवन के आधार हैं। ऐसा नहीं है कि हम लोगों ने प्रयास नहीं किए। भाजपा अयोध्या विधानसभा में नहीं हारी। कमी ये रही कि सांसद लल्लू सिंह और इनके नेता लोगों तक पहुंचे ही नहीं। जिले की बाकी विधानसभा में भाजपा को हार मिली। जिस भाजपा ने रामजी के लिए इतना किया। लोग अपने किए के लिए क्षमा मांगें, तब शायद लोगों को रामजी माफ कर दें। कई बार चुनाव जीतकर लोगों में उन्माद आ जाता है
जानकी घाट (बड़ा स्थान) के महंत जन्मेजय शरण ने कहा- लल्लू सिंह की जगह किसी और कैंडिडेट को टिकट मिलता, तो भाजपा नहीं हारती। कई बार चुनाव जीतकर लोगों में उन्माद आ जाता है। अयोध्या में प्रशासन संत-महंत, व्यापारी और लोगों को रोक देते हैं। इन सबकी समीक्षा कर करनी चाहिए, भूल-सुधार की कोशिश करनी चाहिए। सोशल मीडिया पर इस तरीके से पोस्ट करना ठीक नहीं। भाजपा के लल्लू सिंह को अपनी हार पर खुद ही विचार करना जरूरी है। अयोध्या विधानसभा से वह जीते, मगर फैजाबाद की अन्य विधानसभा से वह क्यों हारे, इसका मंथन जरूरी है। अयोध्या में उन्हें 4 लाख से ज्यादा वोट मिले हैं। VVIP व्यवस्था से लोकल लोगों की नाराजगी बढ़ती गई
बड़ा भक्तमाल मंदिर के महंत अवधेश कुमार दास का कहते हैं- यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है, कहीं न कहीं कमी रह गई। जिसकी वजह से अयोध्या के लोगों को ताने सुनने पड़ रहे हैं। ये तो सही है कि VVIP व्यवस्था से लोकल लोग परेशान थे। राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद हर दिन VVIP लोग आ रहे थे। उनके आने के बाद रास्ते बंद कर दिए जाते थे। रिजल्ट को लेकर आ रही प्रतिक्रियाएं निराधार
हनुमत निवास के महंत डॉ. मिथिलेश नंदिनी शरण ने कहा- अयोध्या के चुनाव रिजल्ट को लेकर तेजी से प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। इनमें ज्यादातर निराधार और कुंठा से भरी हुई हैं। निंदा हो या प्रशंसा, दोनों ही तरह से अयोध्या का तिरस्कार अविवेकपूर्ण है। ये अयोध्या के लोग ही हैं, जिन्होंने अपने राम के लिए दुख सहे, त्याग किए। अयोध्या किसी के हारने या जीतने से उसकी या पराई नहीं हो जाती। यह बस उनकी है, जो श्रीराम के हैं। अयोध्या ने सत्य की प्रतिष्ठा के लिए अपने राम को ही वन भेज दिया, क्योंकि इसका नाम ही सत्या है। 2019 और 2014 का चुनाव भाजपा ने जीता था   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर