लखनऊ हाईकोर्ट ने मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव से जुड़ी याचिका पर 2 नवंबर के बाद सुनवाई करने का फैसला किया है। इसके बाद यह तय हो गया है कि मिल्कीपुर में अब 13 नवंबर को उपचुनाव नहीं होंगे। गुरुवार को सुनवाई के दौरान भाजपा नेता गोरखनाथ बाबा के वकील संदीप यादव ने कोर्ट में याचिका वापस लेने की अपील की। इसका सांसद अवधेश प्रसाद के वकील ने विरोध किया। उन्होंने सभी 6 उम्मीदवारों को नोटिस भेजने की मांग की। उन्होंने कहा कि मामले की सुनवाई सभी पक्षों को सुनने के बाद ही होनी चाहिए। हाईकोर्ट में जस्टिस पंकज भाटिया की बेंच ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अखबार में गजट प्रकाशित कराने और सभी पार्टियों को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए। बाबा गोरखनाथ ने दैनिक भास्कर को बताया- 2022 में निर्दलीय प्रत्याशी शिव मूरत ने भी याचिका दायर की थी। उन्हें भी याचिका वापस लेने के लिए हाईकोर्ट लाए हैं। बाबा गोरखनाथ ने आरोप लगाया, सपा नहीं चाहती कि मिल्कीपुर में उपचुनाव हो। इसलिए याचिका वापसी का विरोध किया जा रहा है। दरअसल, 15 अक्टूबर को चुनाव आयोग ने मिल्कीपुर सीट छोड़कर यूपी की 9 सीटों पर उपचुनाव का ऐलान किया था। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा था, लखनऊ हाईकोर्ट में दायर याचिका की वजह से अभी चुनाव नहीं होंगे। इसके बाद 15 अक्टूबर को ही देर शाम बाबा गोरखनाथ के वकील ने याचिका वापस लेने की बात कही थी। वहीं, गुरुवार सुबह बाबा गोरखनाथ ने कहा- याचिका वापस लेने के बाद वह चुनाव आयोग से आग्रह करेंगे की 9 सीटों के साथ ही मिल्कीपुर का चुनाव भी कराया जाए। उन्होंने कहा- मैं चाहता हूं कि मिल्कीपुर में जल्दी चुनाव हो। भाजपा निश्चित तौर पर यहां जीत हासिल करेगी। सूत्रों के मुताबिक, भाजपा ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी और चुनाव आयोग से भी संपर्क किया था। सांसद अवधेश बोले- भाजपा की जमानत नहीं बचेगी
उधर, सांसद अवधेश प्रसाद ने कहा- जिस रिट को वो कह रहे हैं कि हम वापस लेने जा रहे हैं। मैं 4 जून को सांसद बना, तो 12 जून को विधानसभा से इस्तीफा दे दिया। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना की ओर से इस्तीफा स्वीकार हो गया। तभी यह सीट खाली हो गई। इसका मतलब रिट खत्म हो गई। यह नैतिक जिम्मेदारी थी कि उन्हें रिट वापस ले लेनी चाहिए थी। 4 महीने बीत जाने के बाद भी कुछ नहीं किया। अब रिट वापस लेने जा रहे हैं। हमारे नेता ने तो कहा है- जंग टाली, जंग हारी। BJP ने जंग टाली है और वह हारेगी। यहां की जनता मेरे पर विश्वास करती है। सपा उम्मीदवार और मेरा बेटा हजारों वोट से जीतेगा। भाजपा की यहां जमानत नहीं बचेगी। 2027 तक बीजेपी का सफाया हो जाएगा। अखिलेश ने इशारों में सरकार पर साधा निशाना
मिल्कीपुर सीट पर चुनाव की घोषणा नहीं होने पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इशारों में भाजपा और योगी सरकार पर तंज कसा था। उन्होंने मंगलवार शाम को X पर पोस्ट लिखा था- जिसने जंग टाली है, समझो उसने जंग हारी है। उन्होंने इस पोस्ट में न तो मिल्कीपुर सीट का नाम लिया था और न ही भाजपा का। लोकसभा चुनाव में सपा ने अयोध्या में भाजपा को करारी मात दी थी। अवधेश प्रसाद ने 54 हजार वोटों से भाजपा उम्मीदवार और निवर्तमान सांसद लल्लू सिंह को हराया था। अयोध्या जैसी धार्मिक सीट पर हार से भाजपा को गहरा धक्का लगा था। क्योंकि लोकसभा चुनाव से पहले ही पीएम मोदी ने राम मंदिर का उद्घाटन किया था। पूर्व विधायक ने कहा- अवधेश प्रसाद ने दाखिल किया था गलत डॉक्यूमेंट
15 अक्टूबर को चुनाव आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद इस मामले को लेकर दैनिक भास्कर ने बाबा गोरखनाथ से बात की। उन्होंने बताया था- अवधेश प्रसाद ने नॉमिनेशन के समय जो हलफनामा (नोटरी) दाखिल किया था, उसकी डेट एक्सपायर थी। नियम है, नोटरी की डेट एक्सपायर है, तो नॉमिनेशन कैंसिल कर दिया जाता है। इसे लेकर कई प्रत्याशियों के पर्चे पहले भी रद्द हो चुके हैं। बाबा गोरखनाथ ने कहा था- मैंने MLC अनूप गुप्ता केस का आधार बनाते हुए यह रिट दाखिल की थी। पहले भी ऐसे गलत डॉक्यूमेंट दाखिल हुए और पर्चा रद्द हुआ है। यह 2022 के विधानसभा चुनाव में मिल्कीपुर के लिए दिए अवधेश प्रसाद के हलफनामे को लेकर थी। तब सपा के अवधेश प्रसाद ने इस सीट से जीत दर्ज की थी। दूसरे नंबर पर भाजपा के बाबा गोरखनाथ रहे थे। 2022 के विधानसभा चुनाव में मिल्कीपुर का रिजल्ट
मिल्कीपुर में 2022 के विधानसभा चुनाव में अवधेश प्रसाद को 1.03 लाख वोट मिले थे। उन्होंने भाजपा के बाबा गोरखनाथ को 13 हजार वोटों से हराया था। बाबा गोरखनाथ को 90 हजार 567 वोट मिले थे। इससे पहले 2017 के चुनाव में बाबा गोरखनाथ मिल्कीपुर से विधायक बने। मिल्कीपुर में पिछले तीन चुनाव के नतीजे मिल्कीपुर में पिछड़ी जातियां निर्णायक, अजीत प्रसाद के लिए अवधेश बना रहे रणनीति
UP के उपचुनाव में अयोध्या की मिल्कीपुर हॉट सीट है। सीट सुरक्षित है, यानी पिछड़ी जातियां निर्णायक हैं। ऐसे में सपा ने फैजाबाद सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद पर दांव खेला है। अजीत की सीधी टक्कर भाजपा से है। भाजपा ने अभी तक उम्मीदवार घोषित नहीं किया है। कई दावेदार लाइन में हैं। सीएम योगी अयोध्या के 4 दौरे करके चुनाव का माहौल बना चुके हैं। यही वजह है, उम्मीदवार की घोषणा को लेकर वह जल्दबाजी में नहीं हैं। 2012 और 2022 के विधानसभा चुनाव में इसी सीट से अवधेश प्रसाद 2 बार विधायक बन चुके हैं। 2024 में सांसद निर्वाचित होने के बाद उनको विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र देना पड़ा। सीट रिक्त होने से उपचुनाव होना है। जिला पंचायत सदस्य का चुनाव हार चुके हैं अजीत
अजीत राजनीतिक पारी शुरू करने के लिए सबसे पहले जिला पंचायत सदस्य पद के चुनाव में किस्मत आजमा चुके हैं, लेकिन हार गए थे। इसके बाद अजीत के लिए यह पहला विधानसभा चुनाव होगा। वैसे उपचुनाव में अजीत सिर्फ नाम के लिए मैदान में रहेंगे। चुनाव उनके पिता अवधेश प्रसाद लड़ रहे हैं। यह उनके लिए भी राजनीतिक कौशल की परीक्षा होगी। यूपी में 9 विधानसभा सीटों पर 13 नवंबर को वोटिंग;नतीजे 23 को आएंगे
उत्तर प्रदेश में विधानसभा की 10 में से 9 सीटों पर उप-चुनाव का ऐलान हो गया। 13 नवंबर को वोटिंग होगी। नतीजे 23 नवंबर को आएंगे। अब बात उन 9 सीटों की जहां चुनाव होंगे जिन 9 सीटों पर उपचुनाव, उनमें 4 पर सपा, 5 NDA ने जीती थी
जिन 9 सीटों पर उप चुनाव होने हैं, उनमें अंबेडकरनगर की कटेहरी, प्रयागराज की फूलपुर, अलीगढ़ की खैर, मिर्जापुर की मझवां, कानपुर की सीसामऊ, मैनपुरी की करहल, मुरादाबाद की कुंदरकी, गाजियाबाद और मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट है। इनमें से कटेहरी, कुंदरकी, करहल और सीसामऊ सपा के कब्जे में थी। खैर, फूलपुर और गाजियाबाद भाजपा के पास थी। जबकि मझवां भाजपा के सहयोगी दल निषाद और मीरापुर रालोद के पास थी। यानी 4 सीट पर सपा और 5 सीट पर एनडीए का कब्जा था। सपा ने 6, बसपा ने 5 प्रत्याशी को उतारा
सपा अब तक 6, जबकि बसपा 5 सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान कर चुकी है। इनमें मिल्कीपुर सीट भी शामिल है, जहां चुनाव घोषित नहीं किया गया है। भाजपा ने अभी तक प्रत्याशी घोषित नहीं किए। लेकिन, दो दिन पहले दिल्ली में हुई बैठक में सभी 10 सीटों पर प्रत्याशी उतारने का फैसला किया। मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट गठबंधन सहयोगी रालोद को देने का फैसला लिया गया। …………………………………….. यह भी पढ़ें:- अखिलेश बोले-मिल्कीपुर में अपने इंटरनल सर्वे में BJP हार रही:इसलिए चुनाव टला; उपचुनाव में सपा-कांग्रेस गठबंधन पर फैसला जल्द सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा-अयोध्या के मिल्कीपुर में भाजपा ने इंटरनल सर्वे कराया था। उसमें भाजपा हार रही है। सीएम कई बार मिल्कीपुर गए। प्रशासन के लोगों को बुलाकर पूछा। जब पता लग गया कि इतने खेल के बाद भी हार रहे हैं, तो चुनाव टालने का निर्णय लिया गया। यह खबर भी पढ़ें लखनऊ हाईकोर्ट ने मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव से जुड़ी याचिका पर 2 नवंबर के बाद सुनवाई करने का फैसला किया है। इसके बाद यह तय हो गया है कि मिल्कीपुर में अब 13 नवंबर को उपचुनाव नहीं होंगे। गुरुवार को सुनवाई के दौरान भाजपा नेता गोरखनाथ बाबा के वकील संदीप यादव ने कोर्ट में याचिका वापस लेने की अपील की। इसका सांसद अवधेश प्रसाद के वकील ने विरोध किया। उन्होंने सभी 6 उम्मीदवारों को नोटिस भेजने की मांग की। उन्होंने कहा कि मामले की सुनवाई सभी पक्षों को सुनने के बाद ही होनी चाहिए। हाईकोर्ट में जस्टिस पंकज भाटिया की बेंच ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अखबार में गजट प्रकाशित कराने और सभी पार्टियों को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए। बाबा गोरखनाथ ने दैनिक भास्कर को बताया- 2022 में निर्दलीय प्रत्याशी शिव मूरत ने भी याचिका दायर की थी। उन्हें भी याचिका वापस लेने के लिए हाईकोर्ट लाए हैं। बाबा गोरखनाथ ने आरोप लगाया, सपा नहीं चाहती कि मिल्कीपुर में उपचुनाव हो। इसलिए याचिका वापसी का विरोध किया जा रहा है। दरअसल, 15 अक्टूबर को चुनाव आयोग ने मिल्कीपुर सीट छोड़कर यूपी की 9 सीटों पर उपचुनाव का ऐलान किया था। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा था, लखनऊ हाईकोर्ट में दायर याचिका की वजह से अभी चुनाव नहीं होंगे। इसके बाद 15 अक्टूबर को ही देर शाम बाबा गोरखनाथ के वकील ने याचिका वापस लेने की बात कही थी। वहीं, गुरुवार सुबह बाबा गोरखनाथ ने कहा- याचिका वापस लेने के बाद वह चुनाव आयोग से आग्रह करेंगे की 9 सीटों के साथ ही मिल्कीपुर का चुनाव भी कराया जाए। उन्होंने कहा- मैं चाहता हूं कि मिल्कीपुर में जल्दी चुनाव हो। भाजपा निश्चित तौर पर यहां जीत हासिल करेगी। सूत्रों के मुताबिक, भाजपा ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी और चुनाव आयोग से भी संपर्क किया था। सांसद अवधेश बोले- भाजपा की जमानत नहीं बचेगी
उधर, सांसद अवधेश प्रसाद ने कहा- जिस रिट को वो कह रहे हैं कि हम वापस लेने जा रहे हैं। मैं 4 जून को सांसद बना, तो 12 जून को विधानसभा से इस्तीफा दे दिया। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना की ओर से इस्तीफा स्वीकार हो गया। तभी यह सीट खाली हो गई। इसका मतलब रिट खत्म हो गई। यह नैतिक जिम्मेदारी थी कि उन्हें रिट वापस ले लेनी चाहिए थी। 4 महीने बीत जाने के बाद भी कुछ नहीं किया। अब रिट वापस लेने जा रहे हैं। हमारे नेता ने तो कहा है- जंग टाली, जंग हारी। BJP ने जंग टाली है और वह हारेगी। यहां की जनता मेरे पर विश्वास करती है। सपा उम्मीदवार और मेरा बेटा हजारों वोट से जीतेगा। भाजपा की यहां जमानत नहीं बचेगी। 2027 तक बीजेपी का सफाया हो जाएगा। अखिलेश ने इशारों में सरकार पर साधा निशाना
मिल्कीपुर सीट पर चुनाव की घोषणा नहीं होने पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इशारों में भाजपा और योगी सरकार पर तंज कसा था। उन्होंने मंगलवार शाम को X पर पोस्ट लिखा था- जिसने जंग टाली है, समझो उसने जंग हारी है। उन्होंने इस पोस्ट में न तो मिल्कीपुर सीट का नाम लिया था और न ही भाजपा का। लोकसभा चुनाव में सपा ने अयोध्या में भाजपा को करारी मात दी थी। अवधेश प्रसाद ने 54 हजार वोटों से भाजपा उम्मीदवार और निवर्तमान सांसद लल्लू सिंह को हराया था। अयोध्या जैसी धार्मिक सीट पर हार से भाजपा को गहरा धक्का लगा था। क्योंकि लोकसभा चुनाव से पहले ही पीएम मोदी ने राम मंदिर का उद्घाटन किया था। पूर्व विधायक ने कहा- अवधेश प्रसाद ने दाखिल किया था गलत डॉक्यूमेंट
15 अक्टूबर को चुनाव आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद इस मामले को लेकर दैनिक भास्कर ने बाबा गोरखनाथ से बात की। उन्होंने बताया था- अवधेश प्रसाद ने नॉमिनेशन के समय जो हलफनामा (नोटरी) दाखिल किया था, उसकी डेट एक्सपायर थी। नियम है, नोटरी की डेट एक्सपायर है, तो नॉमिनेशन कैंसिल कर दिया जाता है। इसे लेकर कई प्रत्याशियों के पर्चे पहले भी रद्द हो चुके हैं। बाबा गोरखनाथ ने कहा था- मैंने MLC अनूप गुप्ता केस का आधार बनाते हुए यह रिट दाखिल की थी। पहले भी ऐसे गलत डॉक्यूमेंट दाखिल हुए और पर्चा रद्द हुआ है। यह 2022 के विधानसभा चुनाव में मिल्कीपुर के लिए दिए अवधेश प्रसाद के हलफनामे को लेकर थी। तब सपा के अवधेश प्रसाद ने इस सीट से जीत दर्ज की थी। दूसरे नंबर पर भाजपा के बाबा गोरखनाथ रहे थे। 2022 के विधानसभा चुनाव में मिल्कीपुर का रिजल्ट
मिल्कीपुर में 2022 के विधानसभा चुनाव में अवधेश प्रसाद को 1.03 लाख वोट मिले थे। उन्होंने भाजपा के बाबा गोरखनाथ को 13 हजार वोटों से हराया था। बाबा गोरखनाथ को 90 हजार 567 वोट मिले थे। इससे पहले 2017 के चुनाव में बाबा गोरखनाथ मिल्कीपुर से विधायक बने। मिल्कीपुर में पिछले तीन चुनाव के नतीजे मिल्कीपुर में पिछड़ी जातियां निर्णायक, अजीत प्रसाद के लिए अवधेश बना रहे रणनीति
UP के उपचुनाव में अयोध्या की मिल्कीपुर हॉट सीट है। सीट सुरक्षित है, यानी पिछड़ी जातियां निर्णायक हैं। ऐसे में सपा ने फैजाबाद सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद पर दांव खेला है। अजीत की सीधी टक्कर भाजपा से है। भाजपा ने अभी तक उम्मीदवार घोषित नहीं किया है। कई दावेदार लाइन में हैं। सीएम योगी अयोध्या के 4 दौरे करके चुनाव का माहौल बना चुके हैं। यही वजह है, उम्मीदवार की घोषणा को लेकर वह जल्दबाजी में नहीं हैं। 2012 और 2022 के विधानसभा चुनाव में इसी सीट से अवधेश प्रसाद 2 बार विधायक बन चुके हैं। 2024 में सांसद निर्वाचित होने के बाद उनको विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र देना पड़ा। सीट रिक्त होने से उपचुनाव होना है। जिला पंचायत सदस्य का चुनाव हार चुके हैं अजीत
अजीत राजनीतिक पारी शुरू करने के लिए सबसे पहले जिला पंचायत सदस्य पद के चुनाव में किस्मत आजमा चुके हैं, लेकिन हार गए थे। इसके बाद अजीत के लिए यह पहला विधानसभा चुनाव होगा। वैसे उपचुनाव में अजीत सिर्फ नाम के लिए मैदान में रहेंगे। चुनाव उनके पिता अवधेश प्रसाद लड़ रहे हैं। यह उनके लिए भी राजनीतिक कौशल की परीक्षा होगी। यूपी में 9 विधानसभा सीटों पर 13 नवंबर को वोटिंग;नतीजे 23 को आएंगे
उत्तर प्रदेश में विधानसभा की 10 में से 9 सीटों पर उप-चुनाव का ऐलान हो गया। 13 नवंबर को वोटिंग होगी। नतीजे 23 नवंबर को आएंगे। अब बात उन 9 सीटों की जहां चुनाव होंगे जिन 9 सीटों पर उपचुनाव, उनमें 4 पर सपा, 5 NDA ने जीती थी
जिन 9 सीटों पर उप चुनाव होने हैं, उनमें अंबेडकरनगर की कटेहरी, प्रयागराज की फूलपुर, अलीगढ़ की खैर, मिर्जापुर की मझवां, कानपुर की सीसामऊ, मैनपुरी की करहल, मुरादाबाद की कुंदरकी, गाजियाबाद और मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट है। इनमें से कटेहरी, कुंदरकी, करहल और सीसामऊ सपा के कब्जे में थी। खैर, फूलपुर और गाजियाबाद भाजपा के पास थी। जबकि मझवां भाजपा के सहयोगी दल निषाद और मीरापुर रालोद के पास थी। यानी 4 सीट पर सपा और 5 सीट पर एनडीए का कब्जा था। सपा ने 6, बसपा ने 5 प्रत्याशी को उतारा
सपा अब तक 6, जबकि बसपा 5 सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान कर चुकी है। इनमें मिल्कीपुर सीट भी शामिल है, जहां चुनाव घोषित नहीं किया गया है। भाजपा ने अभी तक प्रत्याशी घोषित नहीं किए। लेकिन, दो दिन पहले दिल्ली में हुई बैठक में सभी 10 सीटों पर प्रत्याशी उतारने का फैसला किया। मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट गठबंधन सहयोगी रालोद को देने का फैसला लिया गया। …………………………………….. यह भी पढ़ें:- अखिलेश बोले-मिल्कीपुर में अपने इंटरनल सर्वे में BJP हार रही:इसलिए चुनाव टला; उपचुनाव में सपा-कांग्रेस गठबंधन पर फैसला जल्द सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा-अयोध्या के मिल्कीपुर में भाजपा ने इंटरनल सर्वे कराया था। उसमें भाजपा हार रही है। सीएम कई बार मिल्कीपुर गए। प्रशासन के लोगों को बुलाकर पूछा। जब पता लग गया कि इतने खेल के बाद भी हार रहे हैं, तो चुनाव टालने का निर्णय लिया गया। यह खबर भी पढ़ें उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर