जहां रामलला विराजमान हैं, वहां पहली बारिश में पानी चूने लगा। अंदर पानी भर गया। जो निर्माण हुए, उन्हें देखना चाहिए। पानी निकलने की कोई जगह नहीं है।
– आचार्य सत्येंद्र दास, मुख्य पुजारी, राम मंदिर गर्भगृह में एक बूंद पानी नहीं पहुंचा, न ही कहीं से आया है। गूढ़ मंडप की छत पर ढंक कर दर्शन कराए जा रहे। जानकारी के अभाव में मन विचलित हो रहा।
-चंपत राय, महामंत्री, राम मंदिर ट्रस्ट पहली बारिश में रामलला मंदिर के गर्भगृह में पानी टपकने पर ये दो बयान आए। ये इशारा कर रहे हैं कि अयोध्या के राम मंदिर के पुजारियों और ट्रस्ट के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा। यह खींचतान पहली बार सामने नहीं आई। रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद से ही ट्रस्ट और पुजारियों में विवाद सामने आने लगे थे। जिस ट्रस्ट को सीधे PMO देखता है, संकेत है कि जल्द ट्रस्ट और गर्भगृह की पूजा संभालने वाले पुजारियों में बदलाव किया जा सकता है। कुछ पुराने चेहरे हट सकते हैं, नए लोगों को जिम्मेदारी मिल सकती है। पहले जानिए वो तीन मसले, जिनसे विवाद बढ़ना शुरू हुआ… 1. मंदिर में दान पर विवाद
राम मंदिर बनने के बाद पूजा के लिए 1 मुख्य पुजारी के साथ 4 सहायक पुजारी हैं। यहां आने वाले श्रद्धालु कैश, चेक और जेवरात के माध्यम से दान देते हैं। पहले श्रद्धालु सीधे पुजारियों को दान देते थे। पुजारी ही इस राशि और सामान को आगे ट्रस्ट तक पहुंचा रहे थे। ट्रस्ट ने इसमें बदलाव किया। नियम लागू किए कि पुजारी सीधे दान नहीं लेंगे, श्रद्धालु सीधे दानपात्र में ही दान देंगे। 2. पुजारियों के प्रसाद देने, फिर टीका लगाने पर रोक
प्राण-प्रतिष्ठा के बाद मंदिर के अंदर आने वाले श्रद्धालुओं को पुजारी प्रसाद देते थे। टीका भी लगाते थे। मगर, ट्रस्ट ने एक वीडियो जारी करके इस व्यवस्था में बदलाव किया। श्रद्धालुओं को प्रसाद देने पर रोक लगाई। फिर आदेश जारी हुआ कि मंदिर में पुजारी श्रद्धालुओं को टीका नहीं लगाएंगे। अब मंदिर आने वाले लोगों को गर्भगृह के बाहर ही प्रसाद दिया जाता है। इस व्यवस्था का पुजारियों ने विरोध किया। मगर, कोई बहुत मुखर नहीं हुआ। ट्रस्ट का कहना था कि भीड़ अधिक है, गर्भगृह में जल्दी-जल्दी दर्शन कराने के लिए यह बदलाव किया गया है। तकरार की चर्चाओं के बीच ट्रस्ट की तरफ से पुजारियों के लिए कई सुविधाएं बेहतर की गईं। पूजा-अर्चना, भोग और अन्य सुविधाएं बढ़ाई गई हैं। पुजारियों का वेतन बढ़ाया, पीएफ, आवास के साथ अन्य सुविधाएं दी जा रही हैं। 3. ट्रस्ट पर लगे जमीन घोटाले के आरोप
राम मंदिर ट्रस्ट की ओर से 2 साल पहले 2 करोड़ की जमीन 18 करोड़ में लेने का मामला सामने आया। इसमें ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय और सदस्य डॉ. अनिल मिश्र पर आरोप लगे। मामला केंद्र सरकार तक पहुंचा। किरकिरी के बाद राम मंदिर ट्रस्ट ने 4 महीने तक जमीन नहीं खरीदी। फिर धीरे-धीरे खरीदनी शुरू की गई। इस मामले के बाद संघ के राजेंद्र सिंह उर्फ रज्जू भैया को राम मंदिर का प्रभारी बना दिया। संघ के प्रचारक गोपालजी की देख-रेख में ट्रस्ट ने जमीनें खरीदीं। अब जानिए टकराव की मुख्य वजह
पुराने पुजारी को हटाने की तैयारी है। इंटरव्यू के माध्यम से 22 नए पुजारियों की भर्ती हो गई है। इनकी ट्रेनिंग चल रही है। आने वाले समय में इन्हें गर्भगृह में पूजा-अर्चना की जिम्मेदारी सौंप दी जाएगी। ये पुजारी ट्रस्ट के अधीन होंगे और उसके अनुसार ही काम करेंगे। इन नए पुजारियों में पुराने पुजारियों के परिवार वालों को जगह नहीं दी गई है। ऐसे में पुराने पुजारियों को लगता है कि उनका एकाधिकार टूट रहा है। इधर, ट्रस्ट अपने को और मजबूत करना चाहता है। वह पुजारियों का हस्तक्षेप नहीं चाहता। टकराव का असर क्या …
पहला- रामलला मंदिर हिंदुओं की श्रद्धा का सबसे बड़ा केंद्र है। मंदिर को सीधे मोदी और योगी सरकार से भी जोड़ा जाता है। पुजारियों और ट्रस्ट के बीच खड़े हो रहे विवाद की वजह से छवि खराब हो रही है।
दूसरा- पूजा और दर्शन की व्यवस्थाओं पर असर पड़ेगा। लोकसभा चुनाव में अयोध्या सीट हारने के बाद से इन विवादों को और तूल मिलने लगा है, जिससे सरकार की भी किरकिरी हो रही है। अब आगे क्या हो सकता है? ट्रस्ट में: राम मंदिर ट्रस्ट के कुछ सदस्यों को बदला जा सकता है। अभी 15 सदस्य हैं। इनमें 9 स्थायी सदस्य हैं। बाकी 6 सदस्यों में से महंत नृत्य गोपाल दास (अध्यक्ष), चंपत राय (महामंत्री), नृपेंद्र मिश्रा (निर्माण समिति के अध्यक्ष ) को ट्रस्ट के स्थायी सदस्यों ने चयनित किया है। तीन सदस्य केंद्र और राज्य सरकार के गृह सचिव और अयोध्या के डीएम हैं। ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास की उम्र 86 साल है। सबसे ज्यादा एक्टिव महामंत्री चंपत राय हैं। उनकी ही देखरेख में ट्रस्ट काम कर रहा है। ज्यादातर फैसलों में इनकी भूमिका अहम होती है। इसके अलावा सदस्य के. परासरन 97 साल और शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती की उम्र 82 साल की हो गई है। दोनों सदस्य मीटिंग में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से ही जुड़ते हैं। पुजारियों में: 22 नए पुजारियों की ट्रेनिंग करवाई जा रही है। ये सभी पुराने पुजारियों की जगह लेंगे। क्या कहते हैं रामलला के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास राम मंदिर ट्रस्ट कितना पावरफुल?
राम मंदिर से संबंधित जितने फैसले होते हैं, सभी ट्रस्ट ही लेता है। इसके लिए मीटिंग होती है। ट्रस्ट के पास लगभग साढ़े तीन हजार करोड़ का फंड है। राज्य और केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त दो अधिकारी, अयोध्या के जिला कलेक्टर और निर्मोही अखाड़े के प्रतिनिधि को ट्रस्ट की कार्यवाही में कोई वोटिंग का अधिकार नहीं है। वे सिर्फ सलाह दे सकते हैं। राममंदिर ट्रस्ट का काम क्या है? जहां रामलला विराजमान हैं, वहां पहली बारिश में पानी चूने लगा। अंदर पानी भर गया। जो निर्माण हुए, उन्हें देखना चाहिए। पानी निकलने की कोई जगह नहीं है।
– आचार्य सत्येंद्र दास, मुख्य पुजारी, राम मंदिर गर्भगृह में एक बूंद पानी नहीं पहुंचा, न ही कहीं से आया है। गूढ़ मंडप की छत पर ढंक कर दर्शन कराए जा रहे। जानकारी के अभाव में मन विचलित हो रहा।
-चंपत राय, महामंत्री, राम मंदिर ट्रस्ट पहली बारिश में रामलला मंदिर के गर्भगृह में पानी टपकने पर ये दो बयान आए। ये इशारा कर रहे हैं कि अयोध्या के राम मंदिर के पुजारियों और ट्रस्ट के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा। यह खींचतान पहली बार सामने नहीं आई। रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद से ही ट्रस्ट और पुजारियों में विवाद सामने आने लगे थे। जिस ट्रस्ट को सीधे PMO देखता है, संकेत है कि जल्द ट्रस्ट और गर्भगृह की पूजा संभालने वाले पुजारियों में बदलाव किया जा सकता है। कुछ पुराने चेहरे हट सकते हैं, नए लोगों को जिम्मेदारी मिल सकती है। पहले जानिए वो तीन मसले, जिनसे विवाद बढ़ना शुरू हुआ… 1. मंदिर में दान पर विवाद
राम मंदिर बनने के बाद पूजा के लिए 1 मुख्य पुजारी के साथ 4 सहायक पुजारी हैं। यहां आने वाले श्रद्धालु कैश, चेक और जेवरात के माध्यम से दान देते हैं। पहले श्रद्धालु सीधे पुजारियों को दान देते थे। पुजारी ही इस राशि और सामान को आगे ट्रस्ट तक पहुंचा रहे थे। ट्रस्ट ने इसमें बदलाव किया। नियम लागू किए कि पुजारी सीधे दान नहीं लेंगे, श्रद्धालु सीधे दानपात्र में ही दान देंगे। 2. पुजारियों के प्रसाद देने, फिर टीका लगाने पर रोक
प्राण-प्रतिष्ठा के बाद मंदिर के अंदर आने वाले श्रद्धालुओं को पुजारी प्रसाद देते थे। टीका भी लगाते थे। मगर, ट्रस्ट ने एक वीडियो जारी करके इस व्यवस्था में बदलाव किया। श्रद्धालुओं को प्रसाद देने पर रोक लगाई। फिर आदेश जारी हुआ कि मंदिर में पुजारी श्रद्धालुओं को टीका नहीं लगाएंगे। अब मंदिर आने वाले लोगों को गर्भगृह के बाहर ही प्रसाद दिया जाता है। इस व्यवस्था का पुजारियों ने विरोध किया। मगर, कोई बहुत मुखर नहीं हुआ। ट्रस्ट का कहना था कि भीड़ अधिक है, गर्भगृह में जल्दी-जल्दी दर्शन कराने के लिए यह बदलाव किया गया है। तकरार की चर्चाओं के बीच ट्रस्ट की तरफ से पुजारियों के लिए कई सुविधाएं बेहतर की गईं। पूजा-अर्चना, भोग और अन्य सुविधाएं बढ़ाई गई हैं। पुजारियों का वेतन बढ़ाया, पीएफ, आवास के साथ अन्य सुविधाएं दी जा रही हैं। 3. ट्रस्ट पर लगे जमीन घोटाले के आरोप
राम मंदिर ट्रस्ट की ओर से 2 साल पहले 2 करोड़ की जमीन 18 करोड़ में लेने का मामला सामने आया। इसमें ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय और सदस्य डॉ. अनिल मिश्र पर आरोप लगे। मामला केंद्र सरकार तक पहुंचा। किरकिरी के बाद राम मंदिर ट्रस्ट ने 4 महीने तक जमीन नहीं खरीदी। फिर धीरे-धीरे खरीदनी शुरू की गई। इस मामले के बाद संघ के राजेंद्र सिंह उर्फ रज्जू भैया को राम मंदिर का प्रभारी बना दिया। संघ के प्रचारक गोपालजी की देख-रेख में ट्रस्ट ने जमीनें खरीदीं। अब जानिए टकराव की मुख्य वजह
पुराने पुजारी को हटाने की तैयारी है। इंटरव्यू के माध्यम से 22 नए पुजारियों की भर्ती हो गई है। इनकी ट्रेनिंग चल रही है। आने वाले समय में इन्हें गर्भगृह में पूजा-अर्चना की जिम्मेदारी सौंप दी जाएगी। ये पुजारी ट्रस्ट के अधीन होंगे और उसके अनुसार ही काम करेंगे। इन नए पुजारियों में पुराने पुजारियों के परिवार वालों को जगह नहीं दी गई है। ऐसे में पुराने पुजारियों को लगता है कि उनका एकाधिकार टूट रहा है। इधर, ट्रस्ट अपने को और मजबूत करना चाहता है। वह पुजारियों का हस्तक्षेप नहीं चाहता। टकराव का असर क्या …
पहला- रामलला मंदिर हिंदुओं की श्रद्धा का सबसे बड़ा केंद्र है। मंदिर को सीधे मोदी और योगी सरकार से भी जोड़ा जाता है। पुजारियों और ट्रस्ट के बीच खड़े हो रहे विवाद की वजह से छवि खराब हो रही है।
दूसरा- पूजा और दर्शन की व्यवस्थाओं पर असर पड़ेगा। लोकसभा चुनाव में अयोध्या सीट हारने के बाद से इन विवादों को और तूल मिलने लगा है, जिससे सरकार की भी किरकिरी हो रही है। अब आगे क्या हो सकता है? ट्रस्ट में: राम मंदिर ट्रस्ट के कुछ सदस्यों को बदला जा सकता है। अभी 15 सदस्य हैं। इनमें 9 स्थायी सदस्य हैं। बाकी 6 सदस्यों में से महंत नृत्य गोपाल दास (अध्यक्ष), चंपत राय (महामंत्री), नृपेंद्र मिश्रा (निर्माण समिति के अध्यक्ष ) को ट्रस्ट के स्थायी सदस्यों ने चयनित किया है। तीन सदस्य केंद्र और राज्य सरकार के गृह सचिव और अयोध्या के डीएम हैं। ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास की उम्र 86 साल है। सबसे ज्यादा एक्टिव महामंत्री चंपत राय हैं। उनकी ही देखरेख में ट्रस्ट काम कर रहा है। ज्यादातर फैसलों में इनकी भूमिका अहम होती है। इसके अलावा सदस्य के. परासरन 97 साल और शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती की उम्र 82 साल की हो गई है। दोनों सदस्य मीटिंग में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से ही जुड़ते हैं। पुजारियों में: 22 नए पुजारियों की ट्रेनिंग करवाई जा रही है। ये सभी पुराने पुजारियों की जगह लेंगे। क्या कहते हैं रामलला के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास राम मंदिर ट्रस्ट कितना पावरफुल?
राम मंदिर से संबंधित जितने फैसले होते हैं, सभी ट्रस्ट ही लेता है। इसके लिए मीटिंग होती है। ट्रस्ट के पास लगभग साढ़े तीन हजार करोड़ का फंड है। राज्य और केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त दो अधिकारी, अयोध्या के जिला कलेक्टर और निर्मोही अखाड़े के प्रतिनिधि को ट्रस्ट की कार्यवाही में कोई वोटिंग का अधिकार नहीं है। वे सिर्फ सलाह दे सकते हैं। राममंदिर ट्रस्ट का काम क्या है? उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर