अवधेश के आंसू फेल कर भाजपा ने मिल्कीपुर जीता:RSS घर-घर पहुंचा, अजित प्रसाद की इमेज परिवारवाद तक समेटी, जीत की ग्राउंड जीरो स्ट्रैटजी

अवधेश के आंसू फेल कर भाजपा ने मिल्कीपुर जीता:RSS घर-घर पहुंचा, अजित प्रसाद की इमेज परिवारवाद तक समेटी, जीत की ग्राउंड जीरो स्ट्रैटजी

मिल्कीपुर सीट BJP ने जीत ली। सपा से फैजाबाद सीट पर हुई हार का बदला सिर्फ 8 महीने में ले लिया। दरअसल, 5 फरवरी को हुई रिकॉर्ड वोटिंग ने ही BJP की जीत के संकेत दे दिए थे। चंद्रभानु पासवान मिल्कीपुर सीट से विधायक बन गए हैं। उन्होंने सपा कैंडिडेट अजीत प्रसाद को 61 हजार वोट के बड़े अंतर से हराया। सपा जिस सीट को अपना गढ़ बता रही थी, वहां के लोगों ने कमल को चुनकर सबको चौंका दिया। 2022 का विधानसभा चुनाव 41.83 फीसदी वोट शेयर के साथ हारने वाली भाजपा ने केवल 2 साल में 60.17 फीसदी वोटों पर कब्जा किया। वहीं, 2022 में सपा से अवधेश प्रसाद 47.99 फीसदी वोट शेयर के साथ जीते थे। इस बार सपा 34.81 फीसदी वोटरों को ही लुभा सकी। BJP ने इतनी मजबूत स्ट्रैटजी बनाई कि अजीत प्रसाद को लोगों ने कभी प्रभावशाली कैंडिडेट माना ही नहीं। RSS के स्वयंसेवक घर-घर पहुंचे। सपा सांसद अवधेश के आंसू फेल साबित कर दिए। उनके बेटे अजीत की इमेज परिवारवाद तक समेट कर रख दी। सबसे पहले 3 चौंकाने वाले फैक्ट… अब BJP की रिकॉर्ड जीत की राह आसान करने वाली 6 स्ट्रैटजी… 1. RSS का मैनेजमेंट, गली-मोहल्लों में 1 हजार बैठकें कीं
चुनाव में सबसे बड़ी मशीनरी के तौर पर RSS (स्वयंसेवक संघ) की भूमिका रही। पर्दे के पीछे स्वयं सेवक घर-घर पहुंचे। BJP को वोट देने के लिए कहा। बताया कि चंद्रभानु अगर विधायक बनते हैं, तो मिल्कीपुर में बदलाव की बयार बहेगी। इस तरह की करीब 1 हजार बैठकें स्वयंसेवकों ने लोगों के साथ कीं। इलेक्शन घोषित होने से पहले से RSS के स्वयंसेवक सक्रिय हो गए थे। जब वोटिंग-डे आया, तब भी लोगों को घर से निकालकर उन्हें बूथ तक लाए। इसका नतीजा हुआ कि रिकॉर्ड 65% वोटिंग हुई। 2. फैजाबाद की हार के बाद ‘अयोध्या बहिष्कार’ को भूलने नहीं दिया
लोकसभा चुनाव- 2024 में फैजाबाद सीट पर BJP की हार हुई, जबकि राम मंदिर बन चुका था। सपा और कांग्रेस के गठबंधन में अवधेश प्रसाद सांसद बने। इसके बाद पूरे यूपी से अचानक अयोध्या बहिष्कार की आवाज गूंजने लगी। लोग अयोध्या जाते तो प्रसाद बाहर से खरीदकर ले जाते। वहां की दुकानों से खरीदारी बंद कर दी। अयोध्या के लोगों को BJP की हार से बेइज्जती जैसा अनुभव होने लगा। BJP के कार्यकर्ता जब लोगों के बीच जाते, तब इसका जिक्र जरूर करते। ताकि लोग ये न भूले कि सपा को चुनने के बाद यूपी के लोगों ने कैसी प्रतिक्रिया दी? इसका फायदा BJP को मिला। 3. चंद्रशेखर के कैंडिडेट को वोट कटुवा साबित किया
मिल्कीपुर सीट पर फाइट सपा और भाजपा की मानी गई। दोनों पार्टियों ने दलित वोटर को देखते हुए पासवान कैंडिडेट उतारे। चंद्रशेखर ने भी दलित वोटर को ध्यान में रखते हुए संतोष कुमार को कैंडिडेट बनाया। बसपा चुनाव मैदान में नहीं थी। ऐसे में BJP ने लोगों के बीच चंद्रशेखर के कैंडिडेट को ‘वोट कटुवा’ साबित किया। कहा, ये वोट भी नहीं काट पाएंगे। यही वजह रही कि पूरे चुनाव में सूरज चौधरी कभी फाइट में नहीं आ सके। 4. सवर्ण वोटर को बूथ तक लाए
लोकसभा चुनाव 2024 में फैजाबाद सीट पर BJP की हार की बड़ी वजह इसलिए भी हुई, क्योंकि 36% जनरल वोटर में एक बड़ा हिस्सा ऐसा था, जो बूथ तक वोट देने नहीं आया। उसको BJP ने बूथ तक लाने का प्रयास भी नहीं किया। इस बार ऐसा नहीं हुआ। अपनी ही गलती से सीखते हुए BJP ने सवर्णों के बीच अपने नेता एक्टिव रखे। ताकि वह घर से निकलकर बूथ आएं और वोट करें। 5. कैंडिडेट चुनते वक्त पुराने चेहरों से दूरी बनाई
मिल्कीपुर में BJP ने कैंडिडेट चुनते वक्त आंतरिक सर्वे करवाया। पब्लिक फीडबैक लिया। सामने आया कि पुराने चेहरों से लोगों की नाराजगी है। इसके बाद जमीन खरीद में गड़बड़ी, फर्जी मुकदमे कराने और सत्ता का दुरुपयोग के आरोप वाले चेहरों से दूरी बनाई। चंद्रभानु BJP में किसी पद पर नहीं थे, फिर भी उन्हें कैंडिडेट बनाया। BJP की यह स्ट्रैटजी काम कर गई। लोगों को साफ छवि वाला नया चेहरा पसंद आया। 6. पुलिस के एक्शन ने अवधेश के आंसू फेल किए
ठीक मिल्कीपुर चुनाव के वक्त अयोध्या में एक दलित लड़की की निर्मम हत्या हुई। अवधेश प्रसाद से लेकर अखिलेश यादव ने अपनी जनसभा में BJP को घेरा, मंच से ही अखिलेश रोने लगे। ऐसा लगा कि दलित वोटर BJP से छिटक सकता है। ऐसे में पुलिस एक्शन बहुत तेज हुआ। रिकॉर्ड समय में पुलिस ने आरोपी को जेल भेजा। BJP लोगों में सुरक्षित माहौल का संदेश देने में सफल रही। अब मिल्कीपुर में सपा के हार के 3 कारण… 1. अखिलेश PDA फॉर्मूला से लोगों को नहीं जोड़ सके
मिल्कीपुर चुनाव में अखिलेश ने PDA फॉर्मूला अपनाया। लोकसभा चुनाव में उन्हें फायदा भी हुआ था। लोगों के बीच पिछड़ों की बात करते रहे। लेकिन, मुद्दों से लोगों को जोड़ने के लिए मिल्कीपुर सिर्फ 1 बार पहुंचे। अजीत के नामांकन तक में नहीं पहुंचे। डिंपल यादव ने रोड शो किया, लेकिन पब्लिक और सपा नेता की दूरियां सबको दिखती रहीं। 2. सपा अपने कोर वोटर को संभाल नहीं सकी
मुस्लिम-यादव को सपा अपना कोर वोटर मानती है। रेप के आरोपी मोईद खान का सपा फेवर भी करती रही। लेकिन एक चूक हो गई, अवधेश प्रसाद मुस्लिम कम्युनिटी के बीच कम एक्टिव रहे। इसका नुकसान सपा को उठाना पड़ा। मुस्लिम का पूरा वोट सपा को नहीं मिला। 3. अवधेश की छवि से बाहर नहीं निकल सके अजीत
सपा ने भले ही कैंडिडेट अजीत प्रसाद को बनाया, लेकिन वह अपने पिता अवधेश प्रसाद के प्रभाव से बाहर नहीं निकल सके। लोगों ने यहां तक कहा कि अजीत चुनाव में एक्टिव ही नहीं रहे, जबकि सारी रणनीति अवधेश प्रसाद बनाते रहे। वंशवाद का मुद्दा भी BJP ने खूब भुनाया। जिस डेंट सपा को लगा। ——————————— ये खबरें भी पढ़ें अवधेश प्रसाद ने काउंटिंग के बीच बेटे को जिताया, चुनावी मंच से रोए, योगी पर बोले- मुझे कुत्ता बनाया; सियासी मोमेंट VIDEO में मिल्कीपुर उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी की जीत हुई। लेकिन, सांसद अवधेश प्रसाद अपने बेटे अजीत प्रसाद की जीत को लेकर ओवर-कॉन्फिडेंट थे। इसी के चलते उन्होंने काउंटिंग के दौरान जब भाजपा प्रत्याशी सपा से 35 हजार वोटों से आगे हुआ, तो खुशी से चिल्लाने लगे कि सपा आगे हो गई है। देखें वीडियो भाजपा ने हार को सबसे बड़ी जीत में कैसे बदला, विधानसभा चुनाव तक मैसेज देगी; 8 महीने में सपा ने गंवाई अपनी बढ़त लोकसभा चुनाव में अयोध्या (फैजाबाद) सीट जीतने के महज 8 महीने 4 दिन बाद ही सपा को बड़ा झटका लगा है। इस सीट पर अब तक की सबसे बड़ी जीत भाजपा ने दर्ज की है। भाजपा प्रत्याशी चंद्रभानु ने सपा प्रत्याशी और सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को 61 हजार से अधिक वोटों से हराया। यहां पढ़ें पूरी खबर मिल्कीपुर सीट BJP ने जीत ली। सपा से फैजाबाद सीट पर हुई हार का बदला सिर्फ 8 महीने में ले लिया। दरअसल, 5 फरवरी को हुई रिकॉर्ड वोटिंग ने ही BJP की जीत के संकेत दे दिए थे। चंद्रभानु पासवान मिल्कीपुर सीट से विधायक बन गए हैं। उन्होंने सपा कैंडिडेट अजीत प्रसाद को 61 हजार वोट के बड़े अंतर से हराया। सपा जिस सीट को अपना गढ़ बता रही थी, वहां के लोगों ने कमल को चुनकर सबको चौंका दिया। 2022 का विधानसभा चुनाव 41.83 फीसदी वोट शेयर के साथ हारने वाली भाजपा ने केवल 2 साल में 60.17 फीसदी वोटों पर कब्जा किया। वहीं, 2022 में सपा से अवधेश प्रसाद 47.99 फीसदी वोट शेयर के साथ जीते थे। इस बार सपा 34.81 फीसदी वोटरों को ही लुभा सकी। BJP ने इतनी मजबूत स्ट्रैटजी बनाई कि अजीत प्रसाद को लोगों ने कभी प्रभावशाली कैंडिडेट माना ही नहीं। RSS के स्वयंसेवक घर-घर पहुंचे। सपा सांसद अवधेश के आंसू फेल साबित कर दिए। उनके बेटे अजीत की इमेज परिवारवाद तक समेट कर रख दी। सबसे पहले 3 चौंकाने वाले फैक्ट… अब BJP की रिकॉर्ड जीत की राह आसान करने वाली 6 स्ट्रैटजी… 1. RSS का मैनेजमेंट, गली-मोहल्लों में 1 हजार बैठकें कीं
चुनाव में सबसे बड़ी मशीनरी के तौर पर RSS (स्वयंसेवक संघ) की भूमिका रही। पर्दे के पीछे स्वयं सेवक घर-घर पहुंचे। BJP को वोट देने के लिए कहा। बताया कि चंद्रभानु अगर विधायक बनते हैं, तो मिल्कीपुर में बदलाव की बयार बहेगी। इस तरह की करीब 1 हजार बैठकें स्वयंसेवकों ने लोगों के साथ कीं। इलेक्शन घोषित होने से पहले से RSS के स्वयंसेवक सक्रिय हो गए थे। जब वोटिंग-डे आया, तब भी लोगों को घर से निकालकर उन्हें बूथ तक लाए। इसका नतीजा हुआ कि रिकॉर्ड 65% वोटिंग हुई। 2. फैजाबाद की हार के बाद ‘अयोध्या बहिष्कार’ को भूलने नहीं दिया
लोकसभा चुनाव- 2024 में फैजाबाद सीट पर BJP की हार हुई, जबकि राम मंदिर बन चुका था। सपा और कांग्रेस के गठबंधन में अवधेश प्रसाद सांसद बने। इसके बाद पूरे यूपी से अचानक अयोध्या बहिष्कार की आवाज गूंजने लगी। लोग अयोध्या जाते तो प्रसाद बाहर से खरीदकर ले जाते। वहां की दुकानों से खरीदारी बंद कर दी। अयोध्या के लोगों को BJP की हार से बेइज्जती जैसा अनुभव होने लगा। BJP के कार्यकर्ता जब लोगों के बीच जाते, तब इसका जिक्र जरूर करते। ताकि लोग ये न भूले कि सपा को चुनने के बाद यूपी के लोगों ने कैसी प्रतिक्रिया दी? इसका फायदा BJP को मिला। 3. चंद्रशेखर के कैंडिडेट को वोट कटुवा साबित किया
मिल्कीपुर सीट पर फाइट सपा और भाजपा की मानी गई। दोनों पार्टियों ने दलित वोटर को देखते हुए पासवान कैंडिडेट उतारे। चंद्रशेखर ने भी दलित वोटर को ध्यान में रखते हुए संतोष कुमार को कैंडिडेट बनाया। बसपा चुनाव मैदान में नहीं थी। ऐसे में BJP ने लोगों के बीच चंद्रशेखर के कैंडिडेट को ‘वोट कटुवा’ साबित किया। कहा, ये वोट भी नहीं काट पाएंगे। यही वजह रही कि पूरे चुनाव में सूरज चौधरी कभी फाइट में नहीं आ सके। 4. सवर्ण वोटर को बूथ तक लाए
लोकसभा चुनाव 2024 में फैजाबाद सीट पर BJP की हार की बड़ी वजह इसलिए भी हुई, क्योंकि 36% जनरल वोटर में एक बड़ा हिस्सा ऐसा था, जो बूथ तक वोट देने नहीं आया। उसको BJP ने बूथ तक लाने का प्रयास भी नहीं किया। इस बार ऐसा नहीं हुआ। अपनी ही गलती से सीखते हुए BJP ने सवर्णों के बीच अपने नेता एक्टिव रखे। ताकि वह घर से निकलकर बूथ आएं और वोट करें। 5. कैंडिडेट चुनते वक्त पुराने चेहरों से दूरी बनाई
मिल्कीपुर में BJP ने कैंडिडेट चुनते वक्त आंतरिक सर्वे करवाया। पब्लिक फीडबैक लिया। सामने आया कि पुराने चेहरों से लोगों की नाराजगी है। इसके बाद जमीन खरीद में गड़बड़ी, फर्जी मुकदमे कराने और सत्ता का दुरुपयोग के आरोप वाले चेहरों से दूरी बनाई। चंद्रभानु BJP में किसी पद पर नहीं थे, फिर भी उन्हें कैंडिडेट बनाया। BJP की यह स्ट्रैटजी काम कर गई। लोगों को साफ छवि वाला नया चेहरा पसंद आया। 6. पुलिस के एक्शन ने अवधेश के आंसू फेल किए
ठीक मिल्कीपुर चुनाव के वक्त अयोध्या में एक दलित लड़की की निर्मम हत्या हुई। अवधेश प्रसाद से लेकर अखिलेश यादव ने अपनी जनसभा में BJP को घेरा, मंच से ही अखिलेश रोने लगे। ऐसा लगा कि दलित वोटर BJP से छिटक सकता है। ऐसे में पुलिस एक्शन बहुत तेज हुआ। रिकॉर्ड समय में पुलिस ने आरोपी को जेल भेजा। BJP लोगों में सुरक्षित माहौल का संदेश देने में सफल रही। अब मिल्कीपुर में सपा के हार के 3 कारण… 1. अखिलेश PDA फॉर्मूला से लोगों को नहीं जोड़ सके
मिल्कीपुर चुनाव में अखिलेश ने PDA फॉर्मूला अपनाया। लोकसभा चुनाव में उन्हें फायदा भी हुआ था। लोगों के बीच पिछड़ों की बात करते रहे। लेकिन, मुद्दों से लोगों को जोड़ने के लिए मिल्कीपुर सिर्फ 1 बार पहुंचे। अजीत के नामांकन तक में नहीं पहुंचे। डिंपल यादव ने रोड शो किया, लेकिन पब्लिक और सपा नेता की दूरियां सबको दिखती रहीं। 2. सपा अपने कोर वोटर को संभाल नहीं सकी
मुस्लिम-यादव को सपा अपना कोर वोटर मानती है। रेप के आरोपी मोईद खान का सपा फेवर भी करती रही। लेकिन एक चूक हो गई, अवधेश प्रसाद मुस्लिम कम्युनिटी के बीच कम एक्टिव रहे। इसका नुकसान सपा को उठाना पड़ा। मुस्लिम का पूरा वोट सपा को नहीं मिला। 3. अवधेश की छवि से बाहर नहीं निकल सके अजीत
सपा ने भले ही कैंडिडेट अजीत प्रसाद को बनाया, लेकिन वह अपने पिता अवधेश प्रसाद के प्रभाव से बाहर नहीं निकल सके। लोगों ने यहां तक कहा कि अजीत चुनाव में एक्टिव ही नहीं रहे, जबकि सारी रणनीति अवधेश प्रसाद बनाते रहे। वंशवाद का मुद्दा भी BJP ने खूब भुनाया। जिस डेंट सपा को लगा। ——————————— ये खबरें भी पढ़ें अवधेश प्रसाद ने काउंटिंग के बीच बेटे को जिताया, चुनावी मंच से रोए, योगी पर बोले- मुझे कुत्ता बनाया; सियासी मोमेंट VIDEO में मिल्कीपुर उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी की जीत हुई। लेकिन, सांसद अवधेश प्रसाद अपने बेटे अजीत प्रसाद की जीत को लेकर ओवर-कॉन्फिडेंट थे। इसी के चलते उन्होंने काउंटिंग के दौरान जब भाजपा प्रत्याशी सपा से 35 हजार वोटों से आगे हुआ, तो खुशी से चिल्लाने लगे कि सपा आगे हो गई है। देखें वीडियो भाजपा ने हार को सबसे बड़ी जीत में कैसे बदला, विधानसभा चुनाव तक मैसेज देगी; 8 महीने में सपा ने गंवाई अपनी बढ़त लोकसभा चुनाव में अयोध्या (फैजाबाद) सीट जीतने के महज 8 महीने 4 दिन बाद ही सपा को बड़ा झटका लगा है। इस सीट पर अब तक की सबसे बड़ी जीत भाजपा ने दर्ज की है। भाजपा प्रत्याशी चंद्रभानु ने सपा प्रत्याशी और सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को 61 हजार से अधिक वोटों से हराया। यहां पढ़ें पूरी खबर   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर