अहंकार के रहते भक्ति का मार्ग कभी नहीं खुलता : यमुना पुरी

अहंकार के रहते भक्ति का मार्ग कभी नहीं खुलता : यमुना पुरी

भास्कर न्यूज | लुधियाना श्री दुर्गा माता मंदिर में वरिन्दर मित्तल की अध्यक्षता में चल रही श्रीमद् देवी भागवत कथा के छठे दिन कथा व्यास यमुना पुरी महाराज ने देवी सती के जीवन प्रसंगों को विस्तार से सुनाया। कथा की शुरुआत एसके गुप्ता, हेमंत अग्रवाल व पवन शर्मा द्वारा ज्योति प्रज्वलन व विधिवत पूजन के साथ हुई। यमुना पुरी ने सती के जन्म, नामकरण, नारद जी द्वारा दर्शन, सती को मंत्र प्रदान करना, भगवान शिव से अगस्त्य ऋषि की भेंट और सती के मन में उत्पन्न शंका जैसे प्रसंग सुनाए। उन्होंने बताया कि ब्रह्मा जी के पुत्र प्रजापति दक्ष की पत्नी का नाम प्रसूति था, जिनके गर्भ से देवी सती का जन्म हुआ। जन्म के समय आकाशवाणी हुई कि यह कन्या परमशक्ति का अवतार है। ब्रह्मा जी ने उसका नाम सती रखा। सती का लालन-पालन राजसी ठाठ में हुआ, लेकिन उनके मन में बचपन से ही वैराग्य भाव था। एक दिन नारद जी उनके दर्शन करने आए और उन्हें बताया कि उनका विवाह भगवान शिव से ही होगा। उन्होंने सती को भगवान शिव के जाप का पंचाक्षरी मंत्र प्रदान किया और उन्हें कठोर तपस्या करने का निर्देश दिया। सती ने वन में जाकर तपस्या आरंभ की। उधर, भगवान शिव से अगस्त्य ऋषि मिलने पहुंचे और उन्होंने सती की तपस्या की चर्चा की। इसी दौरान सती के मन में यह शंका उत्पन्न हुई कि क्या वे वाकई भगवान शिव के योग्य हैं? इस संशय के चलते सती ने अपनी तपस्या को और अधिक कठोर कर दिया। अंततः भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और उनका पावन मिलन हुआ। यह प्रसंग आत्मसमर्पण, श्रद्धा और शुद्ध भक्ति का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि मानव जीवन में शरीर, सुंदरता, बल, धन, पद और ज्ञान का अभिमान विनाश का कारण बनता है। उन्होंने श्रद्धालुओं को चेताया कि अहंकार के रहते भक्ति का मार्ग नहीं खुलता। यमुना पुरी ने कहा कि जो मन में है वही वाणी में और जो वाणी में है वही कर्म में होना चाहिए। उन्होंने पाखंडों और अंधविश्वासों पर प्रहार करते हुए कहा कि नौ ग्रहों और बारह राशियों के फेर में न पड़कर ईश्वर के नाम का जाप करना चाहिए, तभी जीवन का कल्याण संभव है। भजन मंडली द्वारा प्रस्तुत भजन मिट्टी दियां मूर्तां ने टूट फूट जाना है, चंगा कम्म किता सदा कम तेरे आना है ने श्रद्धालुओं को भक्ति भाव में सराबोर कर दिया। मंदिर प्रांगण में उपस्थित प्रमुख श्रद्धालुओं में सतीश अग्रवाल, वरिन्दर मित्तल, जगदीश शर्मा, आरडी खन्ना, सुभाष गुप्ता, राधिका गुप्ता, अर्चना बंसल, मंजू सग्गर, नीलम अग्रवाल, दर्शन बवेजा, विजय बवेजा, प्रदीप भाटिया, भूषण गोरा, कमल गुप्ता समेत अन्य श्रद्धालु उपस्थित रहे। वरिन्दर मित्तल व कृष्ण चंद गुप्ता ने बताया कि श्रीमद् देवी भागवत कथा का समापन रविवार, 4 मई को प्रातः 9 से दोपहर 12 बजे तक होगा, जिसके उपरांत ब्रह्म भोज व भंडारे का आयोजन किया जाएगा। भास्कर न्यूज | लुधियाना श्री दुर्गा माता मंदिर में वरिन्दर मित्तल की अध्यक्षता में चल रही श्रीमद् देवी भागवत कथा के छठे दिन कथा व्यास यमुना पुरी महाराज ने देवी सती के जीवन प्रसंगों को विस्तार से सुनाया। कथा की शुरुआत एसके गुप्ता, हेमंत अग्रवाल व पवन शर्मा द्वारा ज्योति प्रज्वलन व विधिवत पूजन के साथ हुई। यमुना पुरी ने सती के जन्म, नामकरण, नारद जी द्वारा दर्शन, सती को मंत्र प्रदान करना, भगवान शिव से अगस्त्य ऋषि की भेंट और सती के मन में उत्पन्न शंका जैसे प्रसंग सुनाए। उन्होंने बताया कि ब्रह्मा जी के पुत्र प्रजापति दक्ष की पत्नी का नाम प्रसूति था, जिनके गर्भ से देवी सती का जन्म हुआ। जन्म के समय आकाशवाणी हुई कि यह कन्या परमशक्ति का अवतार है। ब्रह्मा जी ने उसका नाम सती रखा। सती का लालन-पालन राजसी ठाठ में हुआ, लेकिन उनके मन में बचपन से ही वैराग्य भाव था। एक दिन नारद जी उनके दर्शन करने आए और उन्हें बताया कि उनका विवाह भगवान शिव से ही होगा। उन्होंने सती को भगवान शिव के जाप का पंचाक्षरी मंत्र प्रदान किया और उन्हें कठोर तपस्या करने का निर्देश दिया। सती ने वन में जाकर तपस्या आरंभ की। उधर, भगवान शिव से अगस्त्य ऋषि मिलने पहुंचे और उन्होंने सती की तपस्या की चर्चा की। इसी दौरान सती के मन में यह शंका उत्पन्न हुई कि क्या वे वाकई भगवान शिव के योग्य हैं? इस संशय के चलते सती ने अपनी तपस्या को और अधिक कठोर कर दिया। अंततः भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और उनका पावन मिलन हुआ। यह प्रसंग आत्मसमर्पण, श्रद्धा और शुद्ध भक्ति का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि मानव जीवन में शरीर, सुंदरता, बल, धन, पद और ज्ञान का अभिमान विनाश का कारण बनता है। उन्होंने श्रद्धालुओं को चेताया कि अहंकार के रहते भक्ति का मार्ग नहीं खुलता। यमुना पुरी ने कहा कि जो मन में है वही वाणी में और जो वाणी में है वही कर्म में होना चाहिए। उन्होंने पाखंडों और अंधविश्वासों पर प्रहार करते हुए कहा कि नौ ग्रहों और बारह राशियों के फेर में न पड़कर ईश्वर के नाम का जाप करना चाहिए, तभी जीवन का कल्याण संभव है। भजन मंडली द्वारा प्रस्तुत भजन मिट्टी दियां मूर्तां ने टूट फूट जाना है, चंगा कम्म किता सदा कम तेरे आना है ने श्रद्धालुओं को भक्ति भाव में सराबोर कर दिया। मंदिर प्रांगण में उपस्थित प्रमुख श्रद्धालुओं में सतीश अग्रवाल, वरिन्दर मित्तल, जगदीश शर्मा, आरडी खन्ना, सुभाष गुप्ता, राधिका गुप्ता, अर्चना बंसल, मंजू सग्गर, नीलम अग्रवाल, दर्शन बवेजा, विजय बवेजा, प्रदीप भाटिया, भूषण गोरा, कमल गुप्ता समेत अन्य श्रद्धालु उपस्थित रहे। वरिन्दर मित्तल व कृष्ण चंद गुप्ता ने बताया कि श्रीमद् देवी भागवत कथा का समापन रविवार, 4 मई को प्रातः 9 से दोपहर 12 बजे तक होगा, जिसके उपरांत ब्रह्म भोज व भंडारे का आयोजन किया जाएगा।   पंजाब | दैनिक भास्कर