आगरा का चर्चित पनवारी कांड,आज आएगा फैसला:34 साल बाद 36 लोगों को कोर्ट सुनाएगी सजा; 15 लोग हो चुके हैं बरी

आगरा का चर्चित पनवारी कांड,आज आएगा फैसला:34 साल बाद 36 लोगों को कोर्ट सुनाएगी सजा; 15 लोग हो चुके हैं बरी

आगरा के चर्चित पनवारी कांड में कोर्ट आज यानी शुक्रवार को दोषियों को सजा सुनाएगी। थाना कागारौल में दर्ज मुकदमे में 34 साल बाद 28 मई को एससी-एसटी कोर्ट ने 36 लोगों को दोषी माना था। इसमें 15 आरोपियों को बेनिफिट ऑफ डाउट देते हुए बरी कर दिया गया। अब पूरा मामला पढ़िए… पूरा मामला साल 1990 का है। आगरा के पनवारी गांव के रहने वाले चोखेलाल जाटव की बेटी मुंद्रा की 21 जून को शादी थी। उसकी बारात आने वाली थी लेकिन जाट समाज के लोगों ने बारात चढ़ने का विरोध किया। इसी को लेकर गांव में तनातनी हुई। इसने दंगे का रूप ले लिया। दूसरे दिन यानी 22 जून को पुलिस ने अपनी मौजूदगी में बारात चढ़वाई, लेकिन 5-6 हजार लोगों की भीड़ ने बारात को घेर लिया था और चढ़ने से रोका था। इस दौरान पुलिस ने बल का प्रयोग किया था। फायरिंग की थी, जिसमे सोनी राम जाट की मौत हो गई थी। इस वजह से तनाव फैल गया और 24 जून को दंगा भड़क गया। इसके बाद जाट और जाटव समाज के लोग आमने-सामने आ गए। इसमें एक महिला की मौत हो गई जबकि 150 से अधिक लोग घायल हो गए। करीब 10 दिन के लिए कर्फ्यू लगा रहा। पुलिस के साथ सेना भी लगाई गई थी। सिकंदरा थाने में भी दर्ज हुआ था मुकदमा
इस मामले में 22 जून 1990 को सिकंदरा थाने में तत्कालीन थाना प्रभारी ने 6 हजार अज्ञात लोगों के खिलाफ बलवा, जानलेवा हमला, एसएसी-एसटी एक्ट, लोक व्यवस्था भंग करने व अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था। मगर, घटनास्थल से किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई थी। इस मामले में विधायक चौधरी बाबूलाल भी आरोपी थे। जो 2022 में बरी हो गए थे। 80 लोगों के खिलाफ दाखिल की गई थी चार्जशीट
डीजीसी हेमंत दीक्षित ने बताया- पनवारी कांड मामले में थाना कागारौल में भी मुकदमा दर्ज हुआ था। उस समय के तत्कालीन एसओ ओमवीर सिंह राणा ने एक राहगीर की सूचना पर मौखिक मुकदमा दर्ज किया था। 1994 में मुकदमा ट्रायल पर आया था। 2017 में एससीएसटी कोर्ट बनी थी, तब यहां मुकदमा आया। इस मामले में 80 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल हुई थी। हालांकि मुकदमा इतना लंबा चला कि उसमें से अब तक 27 लोगों की मौत हो चुकी है। अभी 53 लोग जीवित हैं। 28 मई 2025 को एससीएसटी कोर्ट ने एवीडेंस सुनने के बाद 36 लोगों को दोषी माना था। दोषियों के खिलाफ धारा 147, 148, 149 और 310 में मुकदमा दर्ज हुआ है। वकील ने बताया कि कोर्ट में घटना में चुटैल लोगों की गवाही मुख्य आधार बनी। इस मामले में अब तक 35 लोगों के बयान हुए हैं। 2010 में हुई थी अंतिम गवाही
22 फरवरी 2010 को अंतिम गवाह के रूप में नूर मोहम्मद की गवाही हुई थी। इसमें सपा नेता रामजीलाल सुमन, एडवोकेट करतार सिंह भारतीय और सुभाष भिलावली की भी गवाही हुई थी। विचारण के दौरान इन तीनों गवाहों ने अपनी गवाही में कहा कि घटना उनके सामने की नहीं है। इसके बाद 25 मार्च 2015 में आरोपियों को तलब करके उनके बयान भी हो गए। आठ आरोपियों में विधायक चौ. बाबूलाल, मुन्नालाल, रामवीर, रूप सिंह, देवी सिंह, शिवराम सिंह, श्याम वीर सिंह, सत्यवीर का विचारण हुआ। अगस्त 2022 में विशेष न्यायाधीश एमपी-एमएलए कोर्ट ने साक्ष्यों के अभाव में आठों आरोपियों को दोषमुक्त करने का आदेश दिया था। घटना के बाद पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी भी पहुंचे
इस घटना की राजनीतिक प्रतिक्रिया हुई थी। उस समय प्रदेश में मुलायम सिंह यादव की सरकार थी। उस समय पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और सोनिया गांधी इस मामले में आगरा आए थे। भरतपुर से भी जाट आगरा पहुंचे थे। वर्तमान में फतेहपुरसीकरी से विधायक चौधरी बाबूलाल का नाम सबसे पहले इसी मामले में चर्चा में आया था। दंगा भड़कने से तत्कालीन जिलाधिकारी आगरा अमल कुमार वर्मा और एसएसपी कर्मवीर सिंह ने गांव में बैठकें की थीं। उस समय रामजीलाल सुमन केंद्रीय मंत्री थे। उन्होंने भी दलित बेटी की बारात चढ़वाने के लिए कोशिश की थी, लेकिन सभी लोग नाकाम साबित हुए थे। ……………
यह भी पढ़ें : गोतस्करी के विरोध पर ट्रक ड्राइवर की हत्या: कानपुर में तस्करों ने पीट-पीट कर मार डाला, मवेशियों से भरी गाड़ी ले जाने से किया था मना कानपुर में ट्रक ड्राइवर को गोतस्करों ने पीट-पीट कर मार डाला। ट्रक ड्राइवर ने गो-तस्करी का विरोध कर दिया था। इसी बात को लेकर उनका झगड़ा हुआ। जिसके बाद तस्करों ने ट्रक ड्राइवर को लोहे की रॉड और डंडों से बेरहमी से पीट-पीट कर हत्या कर दी। जाजमऊ थाने की पुलिस ने जांच के बाद शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भिजवा दिया। पढ़िए पूरी खबर… आगरा के चर्चित पनवारी कांड में कोर्ट आज यानी शुक्रवार को दोषियों को सजा सुनाएगी। थाना कागारौल में दर्ज मुकदमे में 34 साल बाद 28 मई को एससी-एसटी कोर्ट ने 36 लोगों को दोषी माना था। इसमें 15 आरोपियों को बेनिफिट ऑफ डाउट देते हुए बरी कर दिया गया। अब पूरा मामला पढ़िए… पूरा मामला साल 1990 का है। आगरा के पनवारी गांव के रहने वाले चोखेलाल जाटव की बेटी मुंद्रा की 21 जून को शादी थी। उसकी बारात आने वाली थी लेकिन जाट समाज के लोगों ने बारात चढ़ने का विरोध किया। इसी को लेकर गांव में तनातनी हुई। इसने दंगे का रूप ले लिया। दूसरे दिन यानी 22 जून को पुलिस ने अपनी मौजूदगी में बारात चढ़वाई, लेकिन 5-6 हजार लोगों की भीड़ ने बारात को घेर लिया था और चढ़ने से रोका था। इस दौरान पुलिस ने बल का प्रयोग किया था। फायरिंग की थी, जिसमे सोनी राम जाट की मौत हो गई थी। इस वजह से तनाव फैल गया और 24 जून को दंगा भड़क गया। इसके बाद जाट और जाटव समाज के लोग आमने-सामने आ गए। इसमें एक महिला की मौत हो गई जबकि 150 से अधिक लोग घायल हो गए। करीब 10 दिन के लिए कर्फ्यू लगा रहा। पुलिस के साथ सेना भी लगाई गई थी। सिकंदरा थाने में भी दर्ज हुआ था मुकदमा
इस मामले में 22 जून 1990 को सिकंदरा थाने में तत्कालीन थाना प्रभारी ने 6 हजार अज्ञात लोगों के खिलाफ बलवा, जानलेवा हमला, एसएसी-एसटी एक्ट, लोक व्यवस्था भंग करने व अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था। मगर, घटनास्थल से किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई थी। इस मामले में विधायक चौधरी बाबूलाल भी आरोपी थे। जो 2022 में बरी हो गए थे। 80 लोगों के खिलाफ दाखिल की गई थी चार्जशीट
डीजीसी हेमंत दीक्षित ने बताया- पनवारी कांड मामले में थाना कागारौल में भी मुकदमा दर्ज हुआ था। उस समय के तत्कालीन एसओ ओमवीर सिंह राणा ने एक राहगीर की सूचना पर मौखिक मुकदमा दर्ज किया था। 1994 में मुकदमा ट्रायल पर आया था। 2017 में एससीएसटी कोर्ट बनी थी, तब यहां मुकदमा आया। इस मामले में 80 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल हुई थी। हालांकि मुकदमा इतना लंबा चला कि उसमें से अब तक 27 लोगों की मौत हो चुकी है। अभी 53 लोग जीवित हैं। 28 मई 2025 को एससीएसटी कोर्ट ने एवीडेंस सुनने के बाद 36 लोगों को दोषी माना था। दोषियों के खिलाफ धारा 147, 148, 149 और 310 में मुकदमा दर्ज हुआ है। वकील ने बताया कि कोर्ट में घटना में चुटैल लोगों की गवाही मुख्य आधार बनी। इस मामले में अब तक 35 लोगों के बयान हुए हैं। 2010 में हुई थी अंतिम गवाही
22 फरवरी 2010 को अंतिम गवाह के रूप में नूर मोहम्मद की गवाही हुई थी। इसमें सपा नेता रामजीलाल सुमन, एडवोकेट करतार सिंह भारतीय और सुभाष भिलावली की भी गवाही हुई थी। विचारण के दौरान इन तीनों गवाहों ने अपनी गवाही में कहा कि घटना उनके सामने की नहीं है। इसके बाद 25 मार्च 2015 में आरोपियों को तलब करके उनके बयान भी हो गए। आठ आरोपियों में विधायक चौ. बाबूलाल, मुन्नालाल, रामवीर, रूप सिंह, देवी सिंह, शिवराम सिंह, श्याम वीर सिंह, सत्यवीर का विचारण हुआ। अगस्त 2022 में विशेष न्यायाधीश एमपी-एमएलए कोर्ट ने साक्ष्यों के अभाव में आठों आरोपियों को दोषमुक्त करने का आदेश दिया था। घटना के बाद पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी भी पहुंचे
इस घटना की राजनीतिक प्रतिक्रिया हुई थी। उस समय प्रदेश में मुलायम सिंह यादव की सरकार थी। उस समय पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और सोनिया गांधी इस मामले में आगरा आए थे। भरतपुर से भी जाट आगरा पहुंचे थे। वर्तमान में फतेहपुरसीकरी से विधायक चौधरी बाबूलाल का नाम सबसे पहले इसी मामले में चर्चा में आया था। दंगा भड़कने से तत्कालीन जिलाधिकारी आगरा अमल कुमार वर्मा और एसएसपी कर्मवीर सिंह ने गांव में बैठकें की थीं। उस समय रामजीलाल सुमन केंद्रीय मंत्री थे। उन्होंने भी दलित बेटी की बारात चढ़वाने के लिए कोशिश की थी, लेकिन सभी लोग नाकाम साबित हुए थे। ……………
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