आगरा में मिलता है ड्राई फ्रूट डोसा:लोग 5 फीट के बाहुबली डोसे के भी दिवाने; सीक्रेट मसाले सांभर को बनाते हैं खास

आगरा में मिलता है ड्राई फ्रूट डोसा:लोग 5 फीट के बाहुबली डोसे के भी दिवाने; सीक्रेट मसाले सांभर को बनाते हैं खास

आमतौर पर जब कोई भी इंसान घर से बाहर खाना खाने जाता है, तो वो कुछ अलग ढूंढता है। ज्यादातर लोग साउथ इंडियन डिशेज को पसंद करते हैं। लेकिन अगर साउथ इंडियन में ही कुछ अलग खाने को मिल जाए तो कैसा हो। आज आपको ले चलते हैं आगरा के कारगिल चौराहा पर, जहां है डोसा फैक्ट्री। इस फैक्ट्री में तैयार होते हैं 56 तरह के डोसे, जिसे खाने दूर-दूर से लोग आते हैं। हर रोज इस फैक्ट्री में 300 से ज्यादा डोसे बिकते हैं। 1999 में खोला था पहला रेस्टोरेंट
डोसा फैक्ट्री के संचालक मनीष अग्रवाल बताते हैं कि परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। मां बीना अग्रवाल ने कदम बढ़ाए और बोदला में 1999 में पहला रेस्टोरेंट तिरुपति के नाम से खोला। मां खुद ही खाना बनाती थीं। रेस्टोरेंट में थाली, डोसा और गोलगप्पे मिलते थे। पिता राजकुमार अग्रवाल रेस्टोरेंट में सर्विस करते थे। छोटा भाई माधव अग्रवाल 16 साल का था, स्कूल से लौट कर बर्तन धोता था। मनीष खुद डोसा बनाते थे। किराए पर एक छोटा सा कमरा लिया था, जिसमें 4 लोहे की कुर्सियां रखी थीं। धीरे-धीरे लोगों को खाना पसंद आने लगा और रेस्टोरेंट फेमस होने लगा। दो साल पहले सेक्टर 4 आवास विकास कॉलोनी में तिरुपति रेस्टोरेंट की दूसरी ब्रांच खोली थी। 2017 में आया आइडिया
मनीष बताते हैं- नोटबंदी के बाद दिमाग में बहुत सारी चीजें चल रही थीं। उस समय सोचा कि लोगों को कुछ नया खिलाएंगे। रूटीन चीजों से लोग जल्दी बोर हो जाते हैं। इसी कशमकश में पहली बार घर पर पिज्जा डोसा बनाया। घरवालों को खिलाया। सबने बहुत तारीफ की। फिर अपने कुछ खास कस्टमर्स को भी ट्राई कराया। उन्होंने भी बहुत तारीफ की। लोगों की पसंद में डोसा शामिल हुआ और हमने डोसे को अपने मेन्यू में शामिल कर दिया। इसके बाद मेन्यू में स्प्रिंग रोल डोसा, ड्राई फ्रूट डोसा, पनीर मिक्स वेज डोसा, 22 तरह के मैसूर डोसे शामिल किए। मिलता है 5 फीट लंबा बाहुबली डोसा सीक्रेट है सांबर मसाला की रेसिपी एक ही शहर में 7 साल में खोली 3 ब्रांच
डोसा फैक्ट्री की शहर में 3 ब्रांच खुल चुकी हैं। मेन आउटलेट कारगिल चौराहा पर है। दूसरा चर्च रोड पर है। तीसरा आउटलेट कमलानगर में खोला गया। चर्च रोड वाले आउटलेट पर वर्तमान में काम चल रहा है, इसलिए वो बंद चल रहा है। इतनी वैरायटी कही और नहीं
सिकंदरा के कावेरी कौस्तुभ अपार्टमेंट के रहने वाले सौरभ अग्रवाल ने बताया- यहां के सांबर का टेस्ट सबसे अलग होता है। मजा आ जाता है। मेरे बेटे को भी यहां के डोसे पसंद हैं। लंबे समय से हम यहीं डोसा खाने आते हैं। इतनी वैरायटी कहीं नहीं मिलती है। ——————————————— ये भी पढ़ें: कानपुर का जायका:’पंडित जी की थाली’ का हर कोई दीवाना; पंडित रेस्टोरेंट में नहीं यूज होता प्याज-लहसुन, राजस्थानी थाली का स्वाद ही अलग है लोग अक्सर बाहर के खाने के प्रेमी होते है, लेकिन जब बाहर शुद्ध घर जैसा खाना मिल जाए तो उसका स्वाद दोगुना हो जाता है। कुछ ऐसा ही टेस्ट कानपुर के एक रेस्टोरेंट में भी मिलता है। जहां आपको शुद्ध देसी घी से बनी ‘पंडित जी की थाली’ मिलती है। खास बात यह कि यहां खाने में प्याज-लहसुन नहीं यूज किया जाता। आज की जायका सीरीज में आपको पंडित रेस्टोरेंट लिए चलते हैं…(पढ़ें पूरी खबर) आमतौर पर जब कोई भी इंसान घर से बाहर खाना खाने जाता है, तो वो कुछ अलग ढूंढता है। ज्यादातर लोग साउथ इंडियन डिशेज को पसंद करते हैं। लेकिन अगर साउथ इंडियन में ही कुछ अलग खाने को मिल जाए तो कैसा हो। आज आपको ले चलते हैं आगरा के कारगिल चौराहा पर, जहां है डोसा फैक्ट्री। इस फैक्ट्री में तैयार होते हैं 56 तरह के डोसे, जिसे खाने दूर-दूर से लोग आते हैं। हर रोज इस फैक्ट्री में 300 से ज्यादा डोसे बिकते हैं। 1999 में खोला था पहला रेस्टोरेंट
डोसा फैक्ट्री के संचालक मनीष अग्रवाल बताते हैं कि परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। मां बीना अग्रवाल ने कदम बढ़ाए और बोदला में 1999 में पहला रेस्टोरेंट तिरुपति के नाम से खोला। मां खुद ही खाना बनाती थीं। रेस्टोरेंट में थाली, डोसा और गोलगप्पे मिलते थे। पिता राजकुमार अग्रवाल रेस्टोरेंट में सर्विस करते थे। छोटा भाई माधव अग्रवाल 16 साल का था, स्कूल से लौट कर बर्तन धोता था। मनीष खुद डोसा बनाते थे। किराए पर एक छोटा सा कमरा लिया था, जिसमें 4 लोहे की कुर्सियां रखी थीं। धीरे-धीरे लोगों को खाना पसंद आने लगा और रेस्टोरेंट फेमस होने लगा। दो साल पहले सेक्टर 4 आवास विकास कॉलोनी में तिरुपति रेस्टोरेंट की दूसरी ब्रांच खोली थी। 2017 में आया आइडिया
मनीष बताते हैं- नोटबंदी के बाद दिमाग में बहुत सारी चीजें चल रही थीं। उस समय सोचा कि लोगों को कुछ नया खिलाएंगे। रूटीन चीजों से लोग जल्दी बोर हो जाते हैं। इसी कशमकश में पहली बार घर पर पिज्जा डोसा बनाया। घरवालों को खिलाया। सबने बहुत तारीफ की। फिर अपने कुछ खास कस्टमर्स को भी ट्राई कराया। उन्होंने भी बहुत तारीफ की। लोगों की पसंद में डोसा शामिल हुआ और हमने डोसे को अपने मेन्यू में शामिल कर दिया। इसके बाद मेन्यू में स्प्रिंग रोल डोसा, ड्राई फ्रूट डोसा, पनीर मिक्स वेज डोसा, 22 तरह के मैसूर डोसे शामिल किए। मिलता है 5 फीट लंबा बाहुबली डोसा सीक्रेट है सांबर मसाला की रेसिपी एक ही शहर में 7 साल में खोली 3 ब्रांच
डोसा फैक्ट्री की शहर में 3 ब्रांच खुल चुकी हैं। मेन आउटलेट कारगिल चौराहा पर है। दूसरा चर्च रोड पर है। तीसरा आउटलेट कमलानगर में खोला गया। चर्च रोड वाले आउटलेट पर वर्तमान में काम चल रहा है, इसलिए वो बंद चल रहा है। इतनी वैरायटी कही और नहीं
सिकंदरा के कावेरी कौस्तुभ अपार्टमेंट के रहने वाले सौरभ अग्रवाल ने बताया- यहां के सांबर का टेस्ट सबसे अलग होता है। मजा आ जाता है। मेरे बेटे को भी यहां के डोसे पसंद हैं। लंबे समय से हम यहीं डोसा खाने आते हैं। इतनी वैरायटी कहीं नहीं मिलती है। ——————————————— ये भी पढ़ें: कानपुर का जायका:’पंडित जी की थाली’ का हर कोई दीवाना; पंडित रेस्टोरेंट में नहीं यूज होता प्याज-लहसुन, राजस्थानी थाली का स्वाद ही अलग है लोग अक्सर बाहर के खाने के प्रेमी होते है, लेकिन जब बाहर शुद्ध घर जैसा खाना मिल जाए तो उसका स्वाद दोगुना हो जाता है। कुछ ऐसा ही टेस्ट कानपुर के एक रेस्टोरेंट में भी मिलता है। जहां आपको शुद्ध देसी घी से बनी ‘पंडित जी की थाली’ मिलती है। खास बात यह कि यहां खाने में प्याज-लहसुन नहीं यूज किया जाता। आज की जायका सीरीज में आपको पंडित रेस्टोरेंट लिए चलते हैं…(पढ़ें पूरी खबर)   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर