आगरा में सोमवार को सेना का एयरक्राफ्ट क्रैश हो गया। उड़ते वक्त ही विमान में आग लग गई। पलक झपकते ही आग का गोला बना विमान खेत में आ गिरा। शुक्र है कि हादसे के वक्त विमान में 2 पायलट थे। दोनों आग लगने से चंद सेकंड पहले ही विमान से बाहर निकल आए। दोनों पायलट इंजेक्ट हो गए। विमान कागारौल के सोंगा गांव के पास खाली खेतों में गिरा है। विमान के क्रैश होने की तस्वीरें… इस खबर को अपडेट किया जा रहा है…. आगरा में सोमवार को सेना का एयरक्राफ्ट क्रैश हो गया। उड़ते वक्त ही विमान में आग लग गई। पलक झपकते ही आग का गोला बना विमान खेत में आ गिरा। शुक्र है कि हादसे के वक्त विमान में 2 पायलट थे। दोनों आग लगने से चंद सेकंड पहले ही विमान से बाहर निकल आए। दोनों पायलट इंजेक्ट हो गए। विमान कागारौल के सोंगा गांव के पास खाली खेतों में गिरा है। विमान के क्रैश होने की तस्वीरें… इस खबर को अपडेट किया जा रहा है…. उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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यूपी उप-चुनाव में भाजपा की सबसे बड़ी चुनौती ‘अपने’:निषाद 2 सीटों पर अड़े, रालोद को 3 चाहिए; भगवा पार्टी की तैयारी सभी सीटों पर
यूपी उप-चुनाव में भाजपा की सबसे बड़ी चुनौती ‘अपने’:निषाद 2 सीटों पर अड़े, रालोद को 3 चाहिए; भगवा पार्टी की तैयारी सभी सीटों पर यूपी में 10 विधानसभा सीटों पर उप-चुनाव की डेट अभी फाइनल नहीं हुई है, लेकिन सीट बंटवारे को लेकर खींचतान मच गई है। सबसे ज्यादा चुनौती भाजपा के लिए अपने सहयोगियों से पार पाने की है। निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद दो सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं। वहीं, रालोद की निगाह तीन सीटों पर है। मिर्जापुर की मझवां सीट पर भी पेंच फंसा है। यहां से अपना दल की अनुप्रिया पटेल सांसद हैं। यह सीट निषाद पार्टी के खाते में थी। भाजपा ने उप-चुनाव को प्रतिष्ठा का सवाल बनाया हुआ है, क्योंकि इसे 2027 का सेमीफाइनल कहा जा रहा है। यही वजह है कि भाजपा सभी सीटों पर लड़ना चाहती है। इसके लिए सहयोगी दलों को मनाने की कोशिश भी की जा रही है। रालोद की पश्चिमी उत्तर प्रदेश पर अच्छी पकड़
उत्तर प्रदेश की जिन 10 सीटों पर चुनाव होने हैं- उनमें पश्चिमी यूपी की गाजियाबाद, अलीगढ़ की खैर (सुरक्षित), मुजफ्फरनगर की मीरापुर और मुरादाबाद की कुंदरकी सीट शामिल है। गाजियाबाद और खैर सीट पर 2022 में भाजपा की जीत हुई थी, जबकि रालोद और सपा गठबंधन ने मीरापुर और कुंदरकी सीट पर जीत दर्ज की थी। 2024 के लोकसभा चुनाव में रालोद और भाजपा के बीच समझौता हुआ। रालोद के हिस्से दो सीटें- बागपत और बिजनौर आईं और उसने दोनों सीटों पर जीत हासिल की। यानी यूपी में रालोद इकलौती पार्टी थी, जिसका स्ट्राइक रेट 100 प्रतिशत का था। मीरापुर की दावेदारी सबसे मजबूत
रालोद की सबसे बड़ी दावेदारी मीरापुर की है, जहां से वर्तमान में उसके विधायक थे। 2022 के चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ा था और पश्चिमी उत्तर प्रदेश की आठ सीटों पर जीत हासिल की थी। अब उसकी सहयोगी भाजपा है। मीरापुर सीट भी 2022 में भाजपा को हराकर रालोद ने हासिल की थी। खैर में 2017 से पहले रहा है रालोद का कब्जा
अलीगढ़ की खैर सुरक्षित सीट पर 2022 और 2017 से पहले रालोद का कब्जा था। 2022 के चुनाव में खैर में रालोद प्रत्याशी भगवती प्रसाद को 41 हजार से अधिक वोट हासिल हुए थे। हालांकि यहां से भाजपा के अनूप वाल्मीकि 1,39,643 वोट पाकर विधायक बने थे। रालोद का कहना है कि 2017 से पहले यह सीट रालोद की रही है, इस लिए रालोद को यह सीट मिलनी चाहिए। कुंदरकी क्यों चाहती है रालोद?
मुरादाबाद की कुंदरकी सीट पर भी रालोद की नजर है। इसके पीछे रालोद का तर्क है कि यहां बड़ी संख्या में अल्पसंख्यक मतदाता हैं। क्योंकि भाजपा किसी अल्पसंख्यक को टिकट नहीं देगी और अल्पसंख्यक भी उसे वोट नहीं देगा। ऐसे में अगर उसे यह सीट मिलती है तो वह सीट पर मजबूती से चुनाव लड़ेगी। रालोद के प्रदेश अध्यक्ष रामाशीष राय कहते हैं- रालोद एनडीए के साथ है। हमारी तैयारी सभी 10 सीटों पर कार्यकर्ताओं को सक्रिय कर एनडीए के पक्ष में वोट कराने की है। जहां तक सीट शेयरिंग का सवाल है, मीरापुर की सीट रालोद की मौजूदा सीट है और खैर 2017 से पहले रालोद के पास रही है। निषाद पार्टी की इन दो सीटों पर दावेदारी
निषाद पार्टी की दावेदारी दो सीटों पर है। पहली सीट मिर्जापुर की मझवां है, जो विनोद कुमार बिंद के सांसद चुने जाने के बाद खाली हुई है। दूसरी सीट कटेहरी की, जहां निषाद मतदाताओं का अच्छा प्रभाव माना जाता है। 2022 के विधानसभा चुनाव में निषाद पार्टी ने 10 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 6 सीटों पर जीत दर्ज की थी। कटेहरी सीट 2022 में निषाद पार्टी के पास थी, इस लिए वह उस पर दावेदारी कर रही है। इस सीट पर उसे 85 हजार से अधिक वोट हासिल हुए थे। निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय निषाद कहते हैं- हम मझवां और कटेहरी विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ेंगे। इन दोनों सीटों पर हम पहले भी चुनाव लड़ चुके हैं। संजय निषाद को मनाने की जिम्मेदारी पाठक को
निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने उप चुनाव में कटेहरी और मझवां में पार्टी के सिंबल पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है। जानकारों का मानना है कि यदि दोनों सीटों पर निषाद ने भाजपा के खिलाफ प्रत्याशी उतारा तो इससे भाजपा को नुकसान होगा। ऐसे में संजय निषाद को मनाने की जिम्मेदारी उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक को दी गई है। अब बात पॉलिटिकल एक्सपर्ट की…. भाजपा के सामने करो या मरो की स्थिति
सीनियर जर्नलिस्ट मनोज राजन त्रिपाठी कहते हैं- विधानसभा का उप चुनाव भाजपा के लिए दोहरी चुनौती वाला है। एक ओर उसकी आपसी संगठन और सरकार की लड़ाई है और दूसरी ओर सहयोगियों को लेकर चलने की मजबूरी। 2022 में यूपी में भाजपा मजबूत थी। लेकिन, 24 में हारने के बाद उसके लिए करो या मरो की स्थिति है। सहयोगी दलों के साथ मिलकर उसके पास 5 सीटें थीं, उसे वह बढ़ाकर कम से कम 7 सीट करना चाहेगी। क्यों होने हैं उप चुनाव
उत्तर प्रदेश की जिन 10 सीटों पर उपचुनाव होने हैं, उसमें से 9 सीटें गाजियाबाद, खैर, मीरापुर, कुंदरकी, मझवां, मिल्कीपुर, कटेहरी, करहल और फूलपुर के विधायकों के सांसद चुने जाने के कारण उप चुनाव हो रहा है। जबकि कानपुर नगर की सीसामऊ सीट से विधायक इरफान सोलंकी को दो साल से अधिक की सजा होने के बाद उनकी विधायकी रद्द हो गई। इस कारण उप चुनाव कराया जा रहा है। इन 10 सीटों में पांच सीट समाजवादी पार्टी के पास थी। तीन सीट भाजपा के पास और एक-एक सीट रालोद और निषाद पार्टी के पास थी। यह भी पढ़ें:- केशव के नरम पड़े तेवर, बोले-योगी जैसा कोई सीएम नहीं: मिर्जापुर में तारीफ करते नजर आए; अखिलेश का तंज-डिप्टी सीएम को डांट देते हैं सीएम यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के तेवर रविवार को नरम नजर आए। मिर्जापुर में उन्होंने पीएम मोदी और सीएम योगी की प्रशंसा की। कहा- हमारी डबल इंजन की सरकार देश और प्रदेश में सबसे अच्छा काम कर रही है। ये बात जनता भी मानती है। उन्होंने पूछा- दुनिया में मोदी जी जैसा कोई दूसरा नेता है क्या? प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी जी जैसा कोई मुख्यमंत्री है क्या? देश का हमारा नेता, दुनिया का शक्तिशाली नेता है। हमारे मुख्यमंत्री की तुलना जब देश के और मुख्यमंत्रियों से होती है तो हमें पीछे होना चाहिए कि सबसे आगे होना चाहिए? पढ़ें पूरी खबर…
हिमाचल प्रदेश: BJP ने बनाए 18 लाख से ज्यादा प्राइमरी मेंबर, अब बूथों पर भी 12 सदस्यीय कमेटी का गठन
हिमाचल प्रदेश: BJP ने बनाए 18 लाख से ज्यादा प्राइमरी मेंबर, अब बूथों पर भी 12 सदस्यीय कमेटी का गठन <p style=”text-align: justify;”><strong>Himachal Pradesh News:</strong> भारतीय जनता पार्टी ने इस बार अपनी संगठनात्मक रचना में बड़ा बदलाव किया है. सबसे पहले भारतीय जनता पार्टी ने हिमाचल प्रदेश में मंडलों की संख्या 74 से बढ़कर 171 कर दी. साथ ही अब बूथ पर भी तीन सदस्यों की जगह 12 सदस्यों की कमेटी का गठन किया जा रहा है. पहले बूथ पर भाजपा त्रिदेव के रूप में बूथ अध्यक्ष, बूथ पालक और बूथ लेवल एजेंट बनाती थी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>अब इनमें नौ नए सदस्यों को जोड़ा गया है. 12 सदस्यों वाली इस समिति में अब त्रिदेव के साथ मन की बात प्रमुख, लाभार्थी प्रमुख, वरिष्ठ जन प्रमुख, युवा प्रमुख, महिला प्रमुख, सेवा प्रमुख और कार्यक्रम प्रमुख को भी जोड़ा गया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>18 लाख से ज्यादा प्राइमरी मेंबरशिप</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>हिमाचल प्रदेश में कुल 7 हजार 990 पोलिंग बूथ हैं. इनमें 7 हजार 750 बूथ पर 12 सदस्यों वाली कमेटी का गठन किया जा चुका है. भारतीय जनता पार्टी ने हिमाचल प्रदेश में 18 लाख से ज्यादा प्राइमरी मेंबरशिप पूरी की है. इसके अलावा 27 हजार एक्टिव मेंबर भी बनाए गए हैं. इन दिनों भारतीय जनता पार्टी में जिला अध्यक्ष की नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है. जल्द ही हिमाचल प्रदेश भाजपा को नया अध्यक्ष भी मिलने वाला है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>16 संगठनात्मक जिलों का पुनर्गठन होगा पूरा</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>हिमाचल बीजेपी अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल ने बताया कि भारतीय जनता पार्टी के कुल 17 संगठनात्मक जिले हैं. इनमें 16 संगठनात्मक जिलों में गठन की प्रक्रिया चल रही है. सोमवार यानी 6 जनवरी तक 16 जिलों का गठन पूरा हो जाएगा. इस तरह 90 दिनों की अवधि में संगठन के राज्य की पुनर्रचना पूरी की गई है. डॉ. बिंदल ने कहा कि नई ऊर्जा और ताकत के साथ भाजपा संगठन का विस्तार कर रही है. उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी अपने सिद्धांतों और कार्यशाली के लिए अलग पहचान रखती है. यही वजह है कि राष्ट्र प्रथम के सिद्धांत पर पार्टी आगे बढ़ रही है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें: <a title=”बैजनाथ में मनाया जाएगा हिमाचल का 55वां पूर्ण राज्यत्व दिवस, CM सुक्खू करेंगे राज्यस्तरीय समारोह की अध्यक्षता” href=”https://www.abplive.com/states/himachal-pradesh/himachal-55th-full-statehood-day-celebrated-baijnath-cm-sukhvinder-singh-sukhu-will-preside-ann-2856209″ target=”_self”>बैजनाथ में मनाया जाएगा हिमाचल का 55वां पूर्ण राज्यत्व दिवस, CM सुक्खू करेंगे राज्यस्तरीय समारोह की अध्यक्षता</a></strong></p>
5 घंटे मौत के मुंह में रही वाराणसी की पूजा:बोली- मेरे ऊपर पूरा मकान गिर पड़ा, हाथ हिला तो लगा जिंदा हूं
5 घंटे मौत के मुंह में रही वाराणसी की पूजा:बोली- मेरे ऊपर पूरा मकान गिर पड़ा, हाथ हिला तो लगा जिंदा हूं ‘हम रात में सोए हुए थे। अचानक आंख खुली, लगा जैसे सब कुछ हिल रहा है। कुछ बोलने से पहले मेरे ऊपर की छत नीचे आ गई। सांसें थम सी गईं। सन्नाटा हो गया, कुछ सुनाई नहीं दे रहा था। मैंने हाथ हिलाए, तो लगा कि हड्डी टूट गई है, बहुत तेज दर्द हुआ। जब आंख ठीक से खुल सकी, तो समझ आया कि घर ढह गया है। मेरे ठीक आगे एक पत्थर आ गया, उसी के नीचे मैं बची हुई थी। वरना जान चली जाती।’ यह कहना है वाराणसी के पांचों पंडवा इलाके में मकान के मलबे में 5 घंटे दबी रही पूजा गुप्ता का। उन्हें सुरक्षित बाहर निकाला गया है। दैनिक भास्कर ने दहशत के उस वाकये के बारे में पूजा से जाना… मुझे लगा मर चुकी हूं, खुद की सांसें महसूस कीं
पूजा ने बताया- मेरे घर में कल 8 सदस्य थे, सभी गहरी नींद में सो रहे थे। मैं तीसरी मंजिल के एक कमरे में अकेली सोई थी। जब मलबा गिरने लगा, तब नींद खुली। कुछ समझ में ही नहीं आया। महज 5 सेकेंड में हम मलबे के नीचे दबे थे। पहले लगा, मैं मर चुकी हूं। खुद की सांसें महसूस करने की कोशिश की। हकीकत जानिए, मलबे को हाथ से हटाकर देखा, तब यकीन आया कि मैं जिंदा हूं। चिल्लाने की कोशिश की, लेकिन मैं कुछ नहीं बोल सकी। जैसे आवाज गले में घुट गई हो। पता नहीं कितनी देर तक ऐसे ही पड़ी रही। लगातार यही सोच रही थी कि परिवार के बाकी लोग अलग-अलग जगह पर सोए थे। वो कैसे हैं, कहीं चोट तो नहीं लगी? वो पता नहीं बच पाए या नहीं? फिर दिमाग में सवाल आने लगे कि आक्सीजन खत्म हो जाएगी, तो कैसे सांस लूंगी? क्या बच पाऊंगी? इतनी उम्मीद थी कि भोलेनाथ बचा लेंगे। कुछ देर में मुझे दूर पर मिट्टी हटती हुई महसूस हुई। एक आवाज सुनाई दी। जैसे कोई पुकार रहा हो। यह देखकर मुझे हिम्मत आ गई। पूरी ताकत से चिल्लाई, शायद किसी ने मेरी आवाज सुन ली थी। कुछ देर में पूछा- सांस ले पा रही हो? तुम्हें आक्सीजन भेज रहे हैं, कुछ देर में बाहर निकाल लेंगे। कुछ देर बाद ऊपर होल से एक पाइप अंदर आ गया। मैंने थोड़ा सरक कर उस पाइप को पकड़ लिया। उससे सांस लेने की कोशिश करने लगी। अब लगा कि मैं बच जाऊंगी। NDRF की 8 लोगों की डेडिकेटेड टीम ने पूजा को मलबा के नीचे से सुरक्षित बाहर निकाल लिया। उन्हें अस्पताल लाया गया। यहां उनके परिवार के लोग पहले से भर्ती थे। आंख खुली तो हर तरफ अंधेरा था
घायल रमेश चंद्र गुप्ता को 1 घंटे के अंदर ही बाहर निकाल लिया गया था। उन्होंने कहा- हम गहरी नींद में सोए हुए थे। आंख खुली तो हर तरफ अंधेरा था और हम मलबे के नीचे दबे थे। काफी कोशिश की कि इसके नीचे से निकल सके, मगर कामयाब नहीं हुए। कई जगह चोट आई थीं। ज्यादा हिल नहीं पा रहा था। मैं घर की चौथी मंजिल पर सो रहा था। साथ में मेरी बीवी कुसुमलता भी सोई थी। वह भी मलबा में दबी हुई थी। करीब 1 घंटे बाद मुझे NDRF की टीम ने बाहर निकाला। अब जानिए कि हादसे के वक्त कौन-कहां सोया हुआ था अब आपको बताते हैं, 4 मंजिला मकान में कौन कहां सो रहा था। हादसे के वक्त रमेश चंद्र गुप्ता और उनकी पत्नी कुसुमलता चौथी मंजिल पर सोए थे। उनके बेटा-बेटी ऋषभ और रितिका भी बगल के कमरे में सोए थे। रमेश के छोटे भाई मनीष चंद्र गुप्ता घर के छत पर सो रहे थे। उनकी पत्नी पूजा गुप्ता तीसरी मंजिल के कमरे में सो रही थी। उसी कमरे में उनका बेटा आर्यन भी था। उनके घर में रमेश की साली प्रेमलता भी पहुंची थी, वह दूसरी मंजिल पर सो रही थीं। हादसे में उनका निधन हो गया। 8 लोगों की डेडिकेटेड टीम ने बचाई पूजा की जिंदगी
वाराणसी के हादसे में NDRF ने रेस्क्यू ऑपरेशन में बड़ी भूमिका अदा की। मकान के पत्थर काटने के लिए 3 हैमर, 2 ड्रिल मशीन और 1 गैस कटर मंगवाया गया। DIG मनोज शर्मा ने कहा- पूजा नाम की महिला एक पत्थर के नीचे दबी थी। उस पत्थर को काटने में हमें थोड़ी मुश्किल हुई। इस दौरान यह भी देखना था कि पूजा को आक्सीजन मिलती रहे। 8 डेडिकेटेड लोग सिर्फ पूजा को बचाने में लगाए गए। 5 घंटे के लंबे रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद पूजा को बाहर निकाला जा सका। हमने एक मेडिकल टीम को अलर्ट रखा था कि पूजा को निकालते ही मेडिकल सर्विस देनी होगी। NDRF के ऑपरेशन की 2 तस्वीरें अब पढ़िए हादसे के बारे में…
वाराणसी के काशी विश्वनाथ धाम गेट नंबर- 4A से ठीक सटा हुए पांचों पंडवा इलाका है। यहां सोमवार-मंगलवार रात करीब 2.50 बजे हादसा हो गया। काशी विश्वनाथ मंदिर (यलो जोन) के पास पांच-पांच मंजिल की 2 मकान धराशायी हो गए। छत पर सो रहे दो लोगों ने दूसरे की छत पर कूद कर अपनी जान बचाई। घटना की जानकारी होते ही NDRF की टीम ने महज आधे घंटे में मोर्चा संभाला। टीम ने एक-एक कर घर के 7 सदस्यों को बाहर निकाला। एक महिला की मौत हो गई। बताया जा रहा है कि महिला के दाहिने गर्दन के पास हैवी चीज गिरी थी, जिससे उसकी जान गई। वहीं, इस घटना में एक महिला कॉन्स्टेबल के जबड़े में चोट लगी है। उसका इलाज BHU के ट्रामा सेंटर में चल रहा है। अब पढ़िए क्या थे घर गिरने का कारण… 100 साल पुराना स्ट्रक्चर, इसलिए ढहा
मकान नंबर 28/7 के मालिक मनीष गुप्ता ने कहा- मेरा मकान 100 साल पुराना है। इस हादसे में मेरा पूरा परिवार घायल हो गया है। हम लोगों ने मंदिर प्रशासन को कई बार शिकायती पत्र दिया था कि मकान गिरवा दिया जाए। इसके बावजूद प्रशासन ने हमारी एक न सुनी। करीब 10 साल से यह मकान जर्जर अवस्था में है। मकान संख्या 28/6 के मालिक अजीत कुमार ने कहा- हमने मकान किराए पर दिया था। मेरे मकान के पिछले हिस्से में कुल 5 किराएदार रहते थे। मकान का अगला हिस्सा गिरा तो वह पांचों भागकर पीछे के दरवाजे से निकल गए। सभी पूरी तरह से सुरक्षित है। उन्होंने बताया- मकान मालिक मनीष गुप्ता नगर निगम और मंदिर प्रशासन के पास काफी दिनों से दौड़ रहे थे। लेकिन उधर से कोई भी रिस्पॉन्स नहीं मिला। उन्होंने कहा कि दो ऑप्शन दिया गया था जिसमें पहले या तो हमें मकान बनवाने दिया जाए या फिर हमारे मकान को मंदिर प्रशासन खरीद ले। यह खबर भी पढ़िए… काशी विश्वनाथ मंदिर के पास दो मकान ढहे…1 की मौत:पीड़ित बोला-जर्जर घरों की मरम्मत के आवेदन मंजूर नहीं हुए; PM ने की कमिश्नर से बात वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर के पास मंगलवार सुबह 3 बजे 2 मकान ढह गए। इसमें ड्यूटी पर तैनात महिला पुलिसकर्मी समेत 9 लोग मलबे में दब गए। 8 को सुरक्षित बाहर निकाला गया। 43 साल की एक महिला की मौत हो गई। हादसे के वक्त लोग सो रहे थे।सूचना मिलते ही कई थानों की पुलिस मौके पर पहुंची। NDRF बुलाई गई। 6 घंटे रेस्क्यू ऑपरेशन चला। जिस गली में हादसा हुआ, उसकी चौड़ाई महज 8 फीट है। पूरी खबर पढ़िए…