दूध पिलाती मां और बच्ची की मौत:मेरठ में पड़ोसी की दीवार ढहने से छत गिरी; पति बोले- 9 महीने पहले आई खुशी छिन गई पड़ोसी ने बिना सपोर्ट के ही दीवार बना दी। हादसे से 3 दिन पहले रुखसाना ने झगड़ा भी किया कि ये गिर जाएगी। हमें क्या पता था कि आंधी में उसी दीवार के ढहने से हमारे घर की छत भी गिर जाएगी। मेरी बीवी और फूल जैसी बेटी अल्लाह को प्यारी हो जाएंगी। यह कहते हुए इंतखाब थोड़ा रुकते हैं, वे कहते हैं- हम लोग अंदर वाले कमरे में बैठे थे। रुखसार की गोद में 9 महीने की अमायरा थी। अचानक बेटी को भूख लगी, वो रोने लगी। रुखसार बेटी को लेकर दूसरे कमरे में जाकर दूध पिलाने लगी। बाहर तेज हवा चल रही थी, मैं उसी कमरे में जाकर लेट गया। अचानक जोरदार धमाका हुआ। मेरे ऊपर कुछ गिरा और मैं बेहोश हो गया। मुझे जब होश आया, तब खुद को मिट्टी मलबे में दबा पाया। मैं बोलने की कोशिश कर रहा था, मगर आवाज नहीं निकल रही थी। कुछ लोग मुझे मलबे से निकाल रहे थे। मेरी आंखें अपनी बीवी और बेटी को ढूंढ रही थीं। तभी एक लड़के ने मुझे बताया कि चाचा उन्हें नहीं बचा सके। 30 मिनट के तूफान में सब तबाह हो गया। आंधी में 2 जिंदगियां कैसे खत्म हुईं? परिवार का दर्द बांटने के लिए दैनिक भास्कर ऐप की टीम मेरठ के लिसाड़ी गेट के अहमदनगर पहुंची। पढ़िए रिपोर्ट… अब माहौल समझिए… घर में 5 भाई, इंतखाब को छोड़ बाकी के घर पक्के
हम संकरी गली में इंतखाब के घर तक पहुंचे। 200 गज का मकान था। पड़ोसियों ने बताया कि इस मकान में 5 भाइयों का परिवार रहता है। करीब 19 लोग इस परिवार में थे, 4 भाइयों ने अपने हिस्से को पक्का बनवा लिया था। इंतखाब के हिस्से में जो मकान आया, उसकी छत कच्ची थी। इसलिए पड़ोस में लापरवाही से बनाई गई दीवार के गिरने का बोझ नहीं सह सकी। घर का एक हिस्सा ढहा हुआ था। मलबे के बीच जो सामान टूटने से बच गया था, उसे पड़ोसियों के घर में रखवाया जा रहा था। इंतखाब बोले- 9 महीने पहले ही तो खुशियां आईं
हमने इंतखाब से मुलाकात की। वह पेशे से कपड़ा बुनकर हैं। हमने पूछा- आपका कितना नुकसान हो गया? वह कहते हैं- 3 साल पहले मेरा और रुखसार का निकाह हुआ था। 9 महीने पहले हमारे घर में खुशियां आई। मेरी बेटी हुई, मगर हादसे में सब छिन गया। मेरे घर का सारा सामान मलबे में बदल गया है। पूरी गृहस्थी ही उजड़ गई। बीवी और बेटी दोनों को अल्लाह ने अपने पास बुला लिया। मैं कुछ समझ नहीं पा रहा। बड़े भाई बोले- धम्म से आवाज आई, भाई का घर ढह गया
इंतखाब के बड़े भाई जावेद ने कहा- इंतखाब हमारा चौथे नंबर का भाई है। शुक्रवार की रात में हम दोनों काम से लौटे, अचानक आंधी चलने लगी। मौसम पहले से खराब था, ये अंदाजा ही नहीं था कि हादसा हो सकता है। अचानक धम्म से आवाज हुई। पूरा मकान हिल गया। मैं अपने कमरे से बाहर आया, तो देखा कि हमारे ही घर का एक हिस्सा गिरा है। हमने पूछा- ये हादसा हुआ कैसे? वह कहते हैं- पड़ोसी के मकान की दीवार आंधी में हमारी छत पर गिरी। इसकी धमक से हमारा मकान ढह गया। मलबे में हमारे परिवार के लोग दब गए। बिना सपोर्ट की दीवार बनाने रुखसार का हुआ झगड़ा
इंतखाब के घर के बाहर ही पड़ोसी मोहम्मद शहजाद अली गुड्डू भाई मिले। शहजाद ने बताया- करीब रात 9 बजे आंधी आई थी। यहां अय्यूब के मकान में चिनाई का काम रुका हुआ था। लगभग 6 फीट की दीवार बिना सपोर्ट के खड़ी थी। इंतखाब का मकान भी कच्चा था, इसलिए दीवार गिरने का वजन नहीं सह सका। बिना सपोर्ट के इतनी बड़ी दीवार बनाने पर 3 दिन पहले रुखसार और पड़ोसी अय्यूब का झगड़ा भी हुआ था। रुखसार ने कहा था- ये दीवार गिर जाएगी और वही हुआ। 7 साल के भतीजे पर गिरा दरवाजा
इंतखाब के 7 साल के भतीजे अहतशुब के पैर पर दरवाजा गिर गया, जिससे वो घायल हो गया। अहतशुब ने बताया- इंतखाब मेरे चाचा हैं। मैं मकान में अंदर था, चाची (रुखसार) के घर दूध का पतीला देने जा रहा था। अचानक आंधी आई और मकान गिर पड़ा। मेरे ऊपर भी अचानक भारी दरवाजा गिर गया। चोट लगने से मैं हिल भी नहीं पा रहा था। मलबे में अपनों को तलाशते रहे
इंतखाब के बड़े भाई मो. सलीम ने बताया- जिस वक्त हादसा हुआ मैं इस्लामाबाद में अपने दोस्त की बहन की शादी में गया हुआ था। मैंने तो हादसे में अपना परिवार खो दिया। उस मंजर को याद नहीं करना चाहता। रुखसार बहुत अच्छी लड़की थी। उसे इस तरह की मौत नहीं मिलनी चाहिए थी। अल्लाह ने बहुत गलत किया। हाथों ने फावड़ों, जेसीबी का काम किया
इंतखाब के पड़ोसी अनस ने कहा कि आंधी के साथ टीन, टप्पर उड़ रहे थे। अचानक धम्म जैसी तेज आवाज आई, तभी हमें लगा कि कुछ हुआ है। फिर हम लोग तुरंत इस मकान की ओर भागे। आदमियों के हाथों ने फावड़े और जेसीबी का काम किया। हाथों से ही हम लोगों ने मिट्टी, बल्ली, ईंटें उठाकर मां-बेटी को मलबे से निकाला। महिला की उस वक्त सांस चल रही थी, लेकिन रास्ते में उसने दम तोड़ दिया। बच्ची पहले ही दबने से मर चुकी थी। मकान में कौन-कौन रहता है, ये जानिए यह मकान मास्टर साहब का है
यह मकान इंतखाब के पिता मरहूम मास्टर साहब इशाक का है। उनके 5 बेटे परिवार संग मकान में रहते हैं। आगे के हिस्से में चौथे नंबर का बेटा इंतखाब रहता है। वह कपड़े का बुनकर है। वह पत्नी रुखसार और 9 महीने की बेटी अमायरा के साथ रहता था। मकान का ये हिस्सा कच्चा है, इसी पर दीवार गिरी और मकान ढह गया। इसके अलावा मकान में मास्टर इशाक की पत्नी मोबीना रहती हैं। बेटे सलीम , जावेद, दिलशाद, इंतखाब, अविवाहित बेटा नावेद रहते हैं। घायल : ———————— अब आंधी-बारिश से हुए नुकसान की खबर पढ़िए… लखनऊ में तूफान, सैकड़ों पेड़ गिरे, पानी की टंकी उड़ी; संभल में बिजली गिरने से पेड़ जला; मेरठ में मां-बेटी की मौत लखनऊ में शनिवार सुबह 3 बजे तूफान आया। इससे सैकड़ों पेड़ और बिजली के पोल गिर गए। इसके चलते रास्ते बंद हो गए। जेसीबी और क्रेन बुलवाकर पेड़ों को हटवाया गया। हवा इतनी तेज थी कि मकानों पर रखे गमले, सोलर प्लेट और पानी की टंकी तक उड़ गई। कई कॉलोनियों में बिजली की सप्लाई ठप हो गई। पढ़िए पूरी खबर…