BJP विधायक नंदकिशोर गुर्जर गाजियाबाद पुलिस कमिश्नर अजय कुमार मिश्र पर लगातार फायर होते जा रहे हैं। विधायक ने तीसरा लेटर अपर मुख्य सचिव (गृह) को 11 जून की शाम को भेजा है। इसमें उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि गाजियाबाद में भाजपा नेता सुरक्षित नहीं तो आम जनता की स्थिति क्या होगी? पुलिस की कार्यशैली से प्रतीत होता है पुलिस कमिश्नर भाजपा नेताओं की हत्या कराने पर तुले हुए हैं। BJP के प्रदेश मंत्री को मिली धमकी
लेटर में BJP विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने लिखा- भाजपा के प्रदेश मंत्री और गाजियाबाद जिला पंचायत अध्यक्ष के पति बसंत त्यागी को 22 फरवरी को फोन कॉल के माध्यम से जान से मारने की धमकी दी गई थी। पुलिस ने दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं की। इसके परिणाम स्वरूप 10 जून को बसंत त्यागी को फिर से जान से मारने की धमकी मिली है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जनपद में भाजपा नेता सुरक्षित नहीं हैं तो आम जनता की सुरक्षा की स्थिति क्या होगी? ’90 के दशक के कश्मीर जैसे हालात बने’
विधायक ने कहा- मैंने पुलिस कमिश्नर द्वारा प्रदान की गई सुरक्षा व्यवस्था की स्थिति से ACS (होम) को अवगत कराया। जनपद की स्थिति ये है कि यहां 90 के दशक के कश्मीर जैसे हालात बन चुके हैं। मुझे अपनी सुरक्षा की परवाह नहीं है, लेकिन जब तक हूं, नागरिकों-भाजपा नेताओं का अहित नहीं होने दूंगा।
इस लेटर में विधायक ने 11 जून को गाजियाबाद में सर्राफा व्यापारी दीपक वर्मा को गोली मारकर लूटने की घटना की तरफ भी अपर मुख्य सचिव का ध्यान दिलाया है। नंदकिशोर गुर्जर ने कहा है कि अखबारों के पन्ने गाजियाबाद में घटित अपराधों से भरे रहते हैं, जो चिंताजनक है। इस प्रकरण में तीन दिन में दोषियों को गिरफ्तार करने और भाजपा नेता बसंत त्यागी को सुरक्षा देने की मांग ACS (होम) से की गई है। पिछले दो लेटर में विधायक ने क्या-क्या लिखा
7 जून : विधायक ने अपर मुख्य सचिव गृह को एक पत्र भेजा। इसमें उन्होंने कहा कि मुझे पाकिस्तान से थ्रेट मिली हुई है। इसके बावजूद चुनावी माहौल के बीच मेरी सुरक्षा हटाई गई, ताकि मैं कहीं प्रचार करने न जा सकूं। पुलिस कमिश्नर मेरी हत्या का षड़यंत्र रच रहे हैं। ऐसे असुरक्षित माहौल में मैं यहां रहूं या अन्य राज्य में शरण लूं?
8 जून : पुलिस कमिश्नर ने मेरे आवास पर दो गनर भेज दिए और शाम को वापस बुलवा लिए। अगर यही प्रकरण सपा या बसपा कार्यकाल में होता तो क्या पुलिस कमिश्नर और ACS होम के खिलाफ सस्पेंशन या बर्खास्तगी की कार्रवाई नहीं होती? ये भाजपा की उदारवादी नीतियों का नतीजा है कि जनप्रतिनिधियों को इस तरह से पुलिस-प्रशासन अपमानित करता है। ऐसे में प्रदेश में आम जनता का क्या हाल होगा? BJP विधायक नंदकिशोर गुर्जर गाजियाबाद पुलिस कमिश्नर अजय कुमार मिश्र पर लगातार फायर होते जा रहे हैं। विधायक ने तीसरा लेटर अपर मुख्य सचिव (गृह) को 11 जून की शाम को भेजा है। इसमें उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि गाजियाबाद में भाजपा नेता सुरक्षित नहीं तो आम जनता की स्थिति क्या होगी? पुलिस की कार्यशैली से प्रतीत होता है पुलिस कमिश्नर भाजपा नेताओं की हत्या कराने पर तुले हुए हैं। BJP के प्रदेश मंत्री को मिली धमकी
लेटर में BJP विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने लिखा- भाजपा के प्रदेश मंत्री और गाजियाबाद जिला पंचायत अध्यक्ष के पति बसंत त्यागी को 22 फरवरी को फोन कॉल के माध्यम से जान से मारने की धमकी दी गई थी। पुलिस ने दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं की। इसके परिणाम स्वरूप 10 जून को बसंत त्यागी को फिर से जान से मारने की धमकी मिली है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जनपद में भाजपा नेता सुरक्षित नहीं हैं तो आम जनता की सुरक्षा की स्थिति क्या होगी? ’90 के दशक के कश्मीर जैसे हालात बने’
विधायक ने कहा- मैंने पुलिस कमिश्नर द्वारा प्रदान की गई सुरक्षा व्यवस्था की स्थिति से ACS (होम) को अवगत कराया। जनपद की स्थिति ये है कि यहां 90 के दशक के कश्मीर जैसे हालात बन चुके हैं। मुझे अपनी सुरक्षा की परवाह नहीं है, लेकिन जब तक हूं, नागरिकों-भाजपा नेताओं का अहित नहीं होने दूंगा।
इस लेटर में विधायक ने 11 जून को गाजियाबाद में सर्राफा व्यापारी दीपक वर्मा को गोली मारकर लूटने की घटना की तरफ भी अपर मुख्य सचिव का ध्यान दिलाया है। नंदकिशोर गुर्जर ने कहा है कि अखबारों के पन्ने गाजियाबाद में घटित अपराधों से भरे रहते हैं, जो चिंताजनक है। इस प्रकरण में तीन दिन में दोषियों को गिरफ्तार करने और भाजपा नेता बसंत त्यागी को सुरक्षा देने की मांग ACS (होम) से की गई है। पिछले दो लेटर में विधायक ने क्या-क्या लिखा
7 जून : विधायक ने अपर मुख्य सचिव गृह को एक पत्र भेजा। इसमें उन्होंने कहा कि मुझे पाकिस्तान से थ्रेट मिली हुई है। इसके बावजूद चुनावी माहौल के बीच मेरी सुरक्षा हटाई गई, ताकि मैं कहीं प्रचार करने न जा सकूं। पुलिस कमिश्नर मेरी हत्या का षड़यंत्र रच रहे हैं। ऐसे असुरक्षित माहौल में मैं यहां रहूं या अन्य राज्य में शरण लूं?
8 जून : पुलिस कमिश्नर ने मेरे आवास पर दो गनर भेज दिए और शाम को वापस बुलवा लिए। अगर यही प्रकरण सपा या बसपा कार्यकाल में होता तो क्या पुलिस कमिश्नर और ACS होम के खिलाफ सस्पेंशन या बर्खास्तगी की कार्रवाई नहीं होती? ये भाजपा की उदारवादी नीतियों का नतीजा है कि जनप्रतिनिधियों को इस तरह से पुलिस-प्रशासन अपमानित करता है। ऐसे में प्रदेश में आम जनता का क्या हाल होगा? उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर