<p style=”text-align: justify;”><strong>Arrah News:</strong> कहते हैं कि पढ़ने की कोई आयु नहीं होती. यह बात आरा के जगदीशपुर प्रखंड के यशमुद्दीन अंसारी पर सटीक बैठती है. मैट्रीक पास यशमुद्दीन अंसारी का उनके साथियों ने मजाक उड़ाया तो 56 वर्ष की आयु में बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के जरिए आयोजित 12वीं की परीक्षा दे डाली. रिजल्ट आया तो इन्होंने 71 प्रतिशत अंक प्राप्त करके सबको चौंका दिया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>यशमुद्दीन अंसारी ने जनवरी 2002 में नौसेना से स्टोर पेटी ऑफिसर से सेवानिवृत्त होने के बाद गुजरात में गुजरात इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड (बिजली विभाग) में सेवा दी. उसके बाद वो वर्ष 2018 में अपने घर जगदीशपुर प्रखंड के डिलिया गांव लौटे. शिक्षा विभाग अंतर्गत विद्यांजलि योजना के तहत मसूढ़ी स्थित दिलीप नारायण प्लस टू उच्च विद्यालय में संस्कृत शिक्षक के रूप में छह अप्रैल 2023 में जुड़े. तब विद्यालय के कई शिक्षकों ने उनकी योग्यता पर यह कहते हुए सवाल खड़े किए कि मैट्रिक पास व्यक्ति उच्च विद्यालय में कैसे पढ़ाएगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”>दरअसल शिक्षा विभाग ने विद्यांजलि कार्यक्रम में योग्यता निर्धारित नहीं थी. यशमुद्दीन अंसारी ने मैट्रिक परीक्षा 1985 में पास की थी. इसके बाद 1987 में नौसेना में नियुक्ति मैट्रिक के आधार पर हो गई. उस समय वो बारहवीं के रेगुलर छात्र थे, लेकिन नौसेना में भर्ती होने के जुनून ने जून 1986 में नौसेना में भर्ती होने के लिए विशाखापत्तनम चले गए. इसके बाद 10 जनवरी 1987 को नौसेना में ज्वाइन कर लिया. </p>
<p style=”text-align: justify;”>2018 में घर लौटने के बाद उन्होंने 2022 में बेटे समीर का गांव के स्कूल में नाइंथ क्लास में एडमिशन कराया और दोनों बेटी भी गांव के स्कूल दिलीप नारायण+2 हाइ स्कूल में पास आउट हो गई थीं. सवाल उठने के बाद यशमुद्दीन ने 23-25 सेशन में स्वतंत्रत छात्र के रूप में विद्यालय में एडमिशन लिया. जिसके बाद यशमुद्दीन अंसारी स्कूल में पढ़ाते भी थे और पढ़ते भी थे. इंटरमीडिएट रिजल्ट में 358 नंबर आया और उन्होंने गांव और समाज के लोगों के सामने अपना लोहा मनवाया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>दिलीप नारायण प्लस उच्च विद्यालय की प्रधान शिक्षिका कंचन कामनी कहती हैं कि यशमुद्दीन अंसारी समय से विद्यालय आते और जाते थे. सरकार की योजना के अनुसार निशुल्क सेवा दी. उनके प्रयास से विद्यालय में संस्कृत भाषा के प्रति छात्र-छात्राओं का रुझान बढ़ा और परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त किए. वह संस्कृत के व्याकरण में पारंगत हैं, उनकी भाषा और पढ़ाने की शैली अनुकरणीय है.</p>
<p><strong>ये भी पढ़ें: <a href=”https://www.abplive.com/states/bihar/ram-navami-2025-in-patna-mahavir-mandir-target-of-selling-naivedyam-worth-of-66-lakhs-ann-2913300″>Ram Navami 2025: रामनवमी पर पटना महावीर मंदिर में 66 लाख के नैवेद्यम बेचने का लक्ष्य, जानें क्या है विशेष तैयारी </a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Arrah News:</strong> कहते हैं कि पढ़ने की कोई आयु नहीं होती. यह बात आरा के जगदीशपुर प्रखंड के यशमुद्दीन अंसारी पर सटीक बैठती है. मैट्रीक पास यशमुद्दीन अंसारी का उनके साथियों ने मजाक उड़ाया तो 56 वर्ष की आयु में बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के जरिए आयोजित 12वीं की परीक्षा दे डाली. रिजल्ट आया तो इन्होंने 71 प्रतिशत अंक प्राप्त करके सबको चौंका दिया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>यशमुद्दीन अंसारी ने जनवरी 2002 में नौसेना से स्टोर पेटी ऑफिसर से सेवानिवृत्त होने के बाद गुजरात में गुजरात इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड (बिजली विभाग) में सेवा दी. उसके बाद वो वर्ष 2018 में अपने घर जगदीशपुर प्रखंड के डिलिया गांव लौटे. शिक्षा विभाग अंतर्गत विद्यांजलि योजना के तहत मसूढ़ी स्थित दिलीप नारायण प्लस टू उच्च विद्यालय में संस्कृत शिक्षक के रूप में छह अप्रैल 2023 में जुड़े. तब विद्यालय के कई शिक्षकों ने उनकी योग्यता पर यह कहते हुए सवाल खड़े किए कि मैट्रिक पास व्यक्ति उच्च विद्यालय में कैसे पढ़ाएगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”>दरअसल शिक्षा विभाग ने विद्यांजलि कार्यक्रम में योग्यता निर्धारित नहीं थी. यशमुद्दीन अंसारी ने मैट्रिक परीक्षा 1985 में पास की थी. इसके बाद 1987 में नौसेना में नियुक्ति मैट्रिक के आधार पर हो गई. उस समय वो बारहवीं के रेगुलर छात्र थे, लेकिन नौसेना में भर्ती होने के जुनून ने जून 1986 में नौसेना में भर्ती होने के लिए विशाखापत्तनम चले गए. इसके बाद 10 जनवरी 1987 को नौसेना में ज्वाइन कर लिया. </p>
<p style=”text-align: justify;”>2018 में घर लौटने के बाद उन्होंने 2022 में बेटे समीर का गांव के स्कूल में नाइंथ क्लास में एडमिशन कराया और दोनों बेटी भी गांव के स्कूल दिलीप नारायण+2 हाइ स्कूल में पास आउट हो गई थीं. सवाल उठने के बाद यशमुद्दीन ने 23-25 सेशन में स्वतंत्रत छात्र के रूप में विद्यालय में एडमिशन लिया. जिसके बाद यशमुद्दीन अंसारी स्कूल में पढ़ाते भी थे और पढ़ते भी थे. इंटरमीडिएट रिजल्ट में 358 नंबर आया और उन्होंने गांव और समाज के लोगों के सामने अपना लोहा मनवाया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>दिलीप नारायण प्लस उच्च विद्यालय की प्रधान शिक्षिका कंचन कामनी कहती हैं कि यशमुद्दीन अंसारी समय से विद्यालय आते और जाते थे. सरकार की योजना के अनुसार निशुल्क सेवा दी. उनके प्रयास से विद्यालय में संस्कृत भाषा के प्रति छात्र-छात्राओं का रुझान बढ़ा और परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त किए. वह संस्कृत के व्याकरण में पारंगत हैं, उनकी भाषा और पढ़ाने की शैली अनुकरणीय है.</p>
<p><strong>ये भी पढ़ें: <a href=”https://www.abplive.com/states/bihar/ram-navami-2025-in-patna-mahavir-mandir-target-of-selling-naivedyam-worth-of-66-lakhs-ann-2913300″>Ram Navami 2025: रामनवमी पर पटना महावीर मंदिर में 66 लाख के नैवेद्यम बेचने का लक्ष्य, जानें क्या है विशेष तैयारी </a></strong></p> बिहार हरियाणा की इस यूनिवर्सिटी में अफीम की खेती? शिकायत पर पहुंची पुलिस के उड़े होश
आरा के संस्कृत शिक्षक यशमुद्दीन अंसारी ने 56 साल की उम्र में पास की इंटर की परीक्षा, पूरी कहानी कर देगी हैरान
