उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में 23 दिसंबर को हुए एनकाउंटर में तीन खालिस्तानी आतंकी मारे गए। ये आतंकी मोबाइल पर बातचीत के लिए पश्चिमी एशिया के देश आर्मीनिया बेस्ड एप जांगी (ZANGI) का इस्तेमाल कर रहे थे। इसका डेटा सिर्फ 20 सेकेंड में सर्वर से ऑटोमेटिक डिलीट हो जाता है। ऐसे में आतंकी कहां हैं, किससे संपर्क कर रहे हैं, एक-दूसरे को क्या भेज रहे हैं? ये जानकारी सुरक्षा एजेंसियों को नहीं मिल पाती। देश के कुख्यात गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई, माओवादी सहित कई गैंग भी इसी जांगी एप का इस्तेमाल कर रहे हैं। जबकि केंद्र सरकार पिछले साल ही जांगी सहित 14 एप्लिकेशन पर भारत में पाबंदी लगा चुकी है। सुरक्षा एजेंसियों ने माना था कि इस एप का इस्तेमाल जम्मू कश्मीर से पाकिस्तान में कोडेड टेक्स्ट (TEXT) भेजने के लिए किया जाता है। पुलिस की अब तक की जांच में पता चला है कि ये आतंकी अमृतसर से बस में बैठे और बरेली आकर उतरे। फिर बस से ही पीलीभीत पहुंचे। नेपाल बॉर्डर से सटे जिला लखीमपुर खीरी में एक आतंकी की बुआ रहती हैं। माना जा रहा है कि इस वजह से ही आतंकियों ने जिला पीलीभीत को छिपने का ठिकाना बनाया। यहां से वो बिहार भागना चाहते थे। तीनों के मोबाइल में ZANGI एप
पीलीभीत के पुलिस अधीक्षक (SP) अविनाश पांडेय ने ‘दैनिक भास्कर’ को बताया- ये आतंकी जांगी मोबाइल एप्लिकेशन का इस्तेमाल बातचीत के लिए करते थे। तीनों आतंकियों के मोबाइल में ये एप डाउनलोड था। हालांकि बातचीत का डेटा कुछ नहीं मिला, क्योंकि ये सर्वर पर पहुंचने के कुछ सेकेंड बाद अपने आप नष्ट हो जाता है। हम तीनों मोबाइलों को जांच के लिए फोरेंसिक लैब भेज रहे हैं। उम्मीद है इन मोबाइलों से कुछ डेटा री-स्टोर हो पाए। केंद्र सरकार ने पिछले साल 14 एप्स पर लगाया था बैन, फिर भी गूगल प्ले स्टोर पर
केंद्र सरकार ने 01 मई 2023 को 14 मोबाइल एप्लिकेशन पर बैन लगाया था। इसमें जांगी सहित क्रीपवाइजर, एनिग्मा, सेफस्विस, विकरमे, मीडियाफायर, ब्रियर, बीचैट, नंदबॉक्स, कॉनियन, आईएमओ, एलिमेंट, सेकेंड लाइन और थ्रेमा शामिल हैं। खबर थी कि इन एप्स का इस्तेमाल जम्मू कश्मीर से पाकिस्तान में कोडेड टेक्स्ट (TEXT) भेजने के लिए आतंकी कर रहे थे। जून 2020 से अब तक केंद्र सरकार करीब 250 एप पर प्रतिबंध लगा चुकी है। इसमें ज्यादातर चाइनीज एप हैं। हालांकि गूगल प्ले स्टोर पर जांगी एप को नहीं हटाया गया है। दूसरा AKS फाइल से इसे डाउनलोड किया जा सकता है। गुरदासपुर टू पीलीभीत…आतंकियों का 760 किलोमीटर का रूट प्लान
पंजाब में भारत-पाकिस्तान बॉर्डर से सटे गुरदासपुर जिले की पुलिस चौकी पर 18 दिसंबर की रात हमला हुआ। पुलिस ने किसी मामले में एक ऑटो जब्त किया था, आतंकियों ने उसी पर ग्रेनेड फेंका। गुरदासपुर से पीलीभीत (उप्र) की दूरी करीब 760 किलोमीटर है, जिसे तय करने में करीब 13 घंटे लगते हैं। अमृतसर से बरेली के लिए सीधी बस सेवा चलती है। ग्रेनेड फेंकने के बाद आतंकी वहां से भागने के लिए बस में बैठ गए। वो 19 दिसंबर को बरेली उतरे। यहां से दूसरी बस में बैठकर पीलीभीत पहुंचे। पीलीभीत जिले के पूरनपुर इलाके में वो 20 दिसंबर की रात 8 बजे हरजी होटल पहुंचे। यहां तीनों कमरा नंबर-105 में ठहरे। करीब 25 घंटे बाद 21 दिसंबर की रात 9 बजकर 40 मिनट पर तीनों चेक आउट कर गए। हरजी होटल का मालिक हरविंदर सिंह भी पंजाब का रहने वाला है। फिलहाल इसकी देखरेख उसका भाई करता है, जो लखीमपुर खीरी (यूपी) के पलिया क्षेत्र में रहता है। पीलीभीत के SP अविनाश पांडेय ने बताया- तीनों आतंकियों ने होटल बुकिंग के लिए फर्जी आधार कार्ड इस्तेमाल किया। इसमें वीरेंद्र का नाम कुलदीप सिंह, प्रताप सिंह का नाम हीरा सिंह और गुरविंदर सिंह का नाम मंजीत सिंह लिखा था। तीनों का एड्रेस जिला बलिया (उत्तर प्रदेश) में सागर पाली गांव का था। मारे गए एक आतंकी गुरविंदर की बुआ लखीमपुर खीरी जिले में रहती हैं। ये जिला नेपाल बॉर्डर से सटा है। हो सकता है कि बुआ की वजह से ही तीनों आतंकी यहां छिपने आए हों। SP ने बताया- मारे गए तीनों आतंकियों का चौथा मददगार भी था। इसी मददगार ने होटल में तीनों के लिए कमरा बुक कराया था। उसी ने तीनों आतंकियों के आधार कार्ड वॉट्सएप के जरिए होटल के रिसेप्शन पर दिए थे। वो इन तीनों को होटल में चेक इन कराने के कुछ देर बाद निकल गया था। मददगार कौन है, इसकी तलाश जारी है। संभावना जताई जा रही है कि वो स्थानीय व्यक्ति हो सकता है। पुलिस को उस मददगार का मोबाइल नंबर भी मिल चुका है। सूत्रों ने बताया- पीलीभीत के बाद इन आतंकियों का प्लान पटना (बिहार) जाने का था। हालांकि अभी ये पता नहीं चल सका है कि पटना में उन्हें कहां और किसके पास ठहरना था या फिर क्या करना था? ट्रक चलाते-चलाते पाकिस्तानी तस्करों से बना कनेक्शन, ISI के लिए करने लगा काम इस एनकाउंटर के बाद पीलीभीत के SP अविनाश पांडेय ने पंजाब पुलिस के DGP गौरव यादव से बातचीत की। बातचीत में आतंकी संगठन खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स (KZF) के बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारियां सामने आईं। एनकाउंटर में मारे गए तीनों आतंकी पाकिस्तान से ऑपरेट हो रहे KZF के मेंबर थे। इनका सरगना रणजीत सिंह नीटा पाकिस्तान में है। नीटा जब जम्मू और पंजाब के बीच ट्रक चलाता था, तब उसका कनेक्शन पाकिस्तान के तस्करों से हो गया था। 1988 से 1999 के बीच जम्मू और पठानकोट के बीच चलने वाली ट्रेनों-बसों में बम धमाकों की घटनाओं में नीटा का नाम आया था। फिर वो ISI के लिए भी काम करने लगा। भारतीय कानून के फंदे से बचने के लिए नीटा पाकिस्तान भाग गया था। 65 साल का रणजीत सिंह नीटा भारत के टॉप-20 मोस्ट वांटेड क्रिमिनल में से एक है। साल-2019 में उस पर ड्रोन का इस्तेमाल करके हथियारों की पहली खेप भारत में लाने का आरोप लगा था। ब्रिटिश सेना में काम कर रहा मास्टरमाइंड जगजीत सिंह, घर पहुंची NIA
पंजाब पुलिस के DGP गौरव यादव ने मीडिया को बताया- इस पूरे मॉड्यूल को KZF चीफ रणजीत सिंह नीटा और ग्रीस में रहने वाला जसविंदर सिंह मन्नू ऑपरेट करता है। ये दोनों ब्रिटेन में बैठे जगजीत सिंह उर्फ फतेह सिंह बागी को ऑर्डर करते हैं। फिर जगजीत इन तीनों आतंकियों के मुखिया वीरेंद्र सिंह उर्फ रवि से बात करता और अपने काम को अंजाम दिलाता है। कहा जाता है कि जगजीत सिंह ब्रिटिश सेना में नाम बदलकर काम कर रहा है। वहां उसका नया नाम फतेह सिंह बागी है। NIA ने 25 दिसंबर को पंजाब में तरनतारन के गांव मिर्यापुर में दबिश भी दी थी, जहां पर जगजीत सिंह उर्फ फतेह सिंह बागी का परिवार रहता है। ये है पूरा मामला: पंजाब से भागे आतंकी, यूपी में पुलिस ने घेरे उत्तर प्रदेश के जिला पीलीभीत में 23 दिसंबर की तड़के 5 बजे के आसपास एक एनकाउंटर हुआ। इसमें खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स के तीन आतंकी गुरविंदर सिंह, वीरेंद्र सिंह उर्फ रवि और जसप्रीत सिंह उर्फ प्रताप सिंह मारे गए। इनसे 2 एके-47 राइफल, 2 ग्लॉक पिस्टल और भारी मात्रा में कारतूस रिकवर हुए। तीनों आतंकी पंजाब में गुरदासपुर के रहने वाले थे। पुलिस का दावा है कि ये तीनों आतंकी 18 दिसंबर की रात गुरदासपुर में पुलिस चौकी पर ग्रेनेड अटैक करके भागे थे। पंजाब पुलिस इनका लगातार पीछा कर रही थी। पीलीभीत के पूरनपुर क्षेत्र में पहुंचकर इनकी घेराबंदी कर ली गई। जहां दोनों तरफ से दर्जनों राउंड फायरिंग हुई। तीनों आतंकी मारे गए। बॉर्डर पर दिख सकता है एनकाउंटर का असर
पुलिस सूत्रों ने बताया- इस एनकाउंटर का असर अब भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर खासकर पंजाब और जम्मू कश्मीर में देखने को मिल सकता है। दरअसल, खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स (KZF) युवकों को सिर्फ स्मॉल टाइम के लिए यूज करता है। पंजाब पुलिस की अभी तक की जांच में पता चला है कि जो युवक KZF से जुड़ रहे हैं वो या तो नशे के आदी हैं या फिर पैसे की जरूरतों के लिए गलत काम कर रहे हैं। KZF अपने टारगेट पूरा करने के लिए छोटे-मोटे अपराध करने वालों या फिर पैसे की जरूरत के लिए काम करने वालों को भाड़े पर रखता है। अब एनकाउंटर में एकसाथ तीन आतंकियों के मारे जाने के बाद उन लोगों में दहशत पनप सकती है, जो सिर्फ पैसे के लिए KZF से जुड़ रहे थे। ————— ये भी पढ़ें… पीलीभीत के होटल हरजी में रुके थे तीनों खालिस्तानी आतंकी:खुद को बलिया का बताया, कमरा नंबर 105 में 25 घंटे ठहरे पीलीभीत में 3 खालिस्तानी आतंकियों के एनकाउंटर के बाद पुलिस टीम उस होटल तक पहुंच चुकी है, जहां तीनों रुके हुए थे। पूरनपुर कस्बे के होटल हर जी में तीनों आतंकी 25 घंटे रहे थे। होटल में एंट्री लेते वक्त का CCTV भी सामने आया है। तीनों आंतकवादियों के साथ और 2 युवक भी दिख रहे हैं। इन्हें होटल में ठहराने के लिए किसी व्यक्ति का मैनेजर को फोन भी आया था। उसी व्यक्ति ने तीनों की फेक आईडी होटल के नंबर पर वॉट्सऐप की थी। होटल का किराया भी कम कराया था। पढ़ें पूरी खबर… उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में 23 दिसंबर को हुए एनकाउंटर में तीन खालिस्तानी आतंकी मारे गए। ये आतंकी मोबाइल पर बातचीत के लिए पश्चिमी एशिया के देश आर्मीनिया बेस्ड एप जांगी (ZANGI) का इस्तेमाल कर रहे थे। इसका डेटा सिर्फ 20 सेकेंड में सर्वर से ऑटोमेटिक डिलीट हो जाता है। ऐसे में आतंकी कहां हैं, किससे संपर्क कर रहे हैं, एक-दूसरे को क्या भेज रहे हैं? ये जानकारी सुरक्षा एजेंसियों को नहीं मिल पाती। देश के कुख्यात गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई, माओवादी सहित कई गैंग भी इसी जांगी एप का इस्तेमाल कर रहे हैं। जबकि केंद्र सरकार पिछले साल ही जांगी सहित 14 एप्लिकेशन पर भारत में पाबंदी लगा चुकी है। सुरक्षा एजेंसियों ने माना था कि इस एप का इस्तेमाल जम्मू कश्मीर से पाकिस्तान में कोडेड टेक्स्ट (TEXT) भेजने के लिए किया जाता है। पुलिस की अब तक की जांच में पता चला है कि ये आतंकी अमृतसर से बस में बैठे और बरेली आकर उतरे। फिर बस से ही पीलीभीत पहुंचे। नेपाल बॉर्डर से सटे जिला लखीमपुर खीरी में एक आतंकी की बुआ रहती हैं। माना जा रहा है कि इस वजह से ही आतंकियों ने जिला पीलीभीत को छिपने का ठिकाना बनाया। यहां से वो बिहार भागना चाहते थे। तीनों के मोबाइल में ZANGI एप
पीलीभीत के पुलिस अधीक्षक (SP) अविनाश पांडेय ने ‘दैनिक भास्कर’ को बताया- ये आतंकी जांगी मोबाइल एप्लिकेशन का इस्तेमाल बातचीत के लिए करते थे। तीनों आतंकियों के मोबाइल में ये एप डाउनलोड था। हालांकि बातचीत का डेटा कुछ नहीं मिला, क्योंकि ये सर्वर पर पहुंचने के कुछ सेकेंड बाद अपने आप नष्ट हो जाता है। हम तीनों मोबाइलों को जांच के लिए फोरेंसिक लैब भेज रहे हैं। उम्मीद है इन मोबाइलों से कुछ डेटा री-स्टोर हो पाए। केंद्र सरकार ने पिछले साल 14 एप्स पर लगाया था बैन, फिर भी गूगल प्ले स्टोर पर
केंद्र सरकार ने 01 मई 2023 को 14 मोबाइल एप्लिकेशन पर बैन लगाया था। इसमें जांगी सहित क्रीपवाइजर, एनिग्मा, सेफस्विस, विकरमे, मीडियाफायर, ब्रियर, बीचैट, नंदबॉक्स, कॉनियन, आईएमओ, एलिमेंट, सेकेंड लाइन और थ्रेमा शामिल हैं। खबर थी कि इन एप्स का इस्तेमाल जम्मू कश्मीर से पाकिस्तान में कोडेड टेक्स्ट (TEXT) भेजने के लिए आतंकी कर रहे थे। जून 2020 से अब तक केंद्र सरकार करीब 250 एप पर प्रतिबंध लगा चुकी है। इसमें ज्यादातर चाइनीज एप हैं। हालांकि गूगल प्ले स्टोर पर जांगी एप को नहीं हटाया गया है। दूसरा AKS फाइल से इसे डाउनलोड किया जा सकता है। गुरदासपुर टू पीलीभीत…आतंकियों का 760 किलोमीटर का रूट प्लान
पंजाब में भारत-पाकिस्तान बॉर्डर से सटे गुरदासपुर जिले की पुलिस चौकी पर 18 दिसंबर की रात हमला हुआ। पुलिस ने किसी मामले में एक ऑटो जब्त किया था, आतंकियों ने उसी पर ग्रेनेड फेंका। गुरदासपुर से पीलीभीत (उप्र) की दूरी करीब 760 किलोमीटर है, जिसे तय करने में करीब 13 घंटे लगते हैं। अमृतसर से बरेली के लिए सीधी बस सेवा चलती है। ग्रेनेड फेंकने के बाद आतंकी वहां से भागने के लिए बस में बैठ गए। वो 19 दिसंबर को बरेली उतरे। यहां से दूसरी बस में बैठकर पीलीभीत पहुंचे। पीलीभीत जिले के पूरनपुर इलाके में वो 20 दिसंबर की रात 8 बजे हरजी होटल पहुंचे। यहां तीनों कमरा नंबर-105 में ठहरे। करीब 25 घंटे बाद 21 दिसंबर की रात 9 बजकर 40 मिनट पर तीनों चेक आउट कर गए। हरजी होटल का मालिक हरविंदर सिंह भी पंजाब का रहने वाला है। फिलहाल इसकी देखरेख उसका भाई करता है, जो लखीमपुर खीरी (यूपी) के पलिया क्षेत्र में रहता है। पीलीभीत के SP अविनाश पांडेय ने बताया- तीनों आतंकियों ने होटल बुकिंग के लिए फर्जी आधार कार्ड इस्तेमाल किया। इसमें वीरेंद्र का नाम कुलदीप सिंह, प्रताप सिंह का नाम हीरा सिंह और गुरविंदर सिंह का नाम मंजीत सिंह लिखा था। तीनों का एड्रेस जिला बलिया (उत्तर प्रदेश) में सागर पाली गांव का था। मारे गए एक आतंकी गुरविंदर की बुआ लखीमपुर खीरी जिले में रहती हैं। ये जिला नेपाल बॉर्डर से सटा है। हो सकता है कि बुआ की वजह से ही तीनों आतंकी यहां छिपने आए हों। SP ने बताया- मारे गए तीनों आतंकियों का चौथा मददगार भी था। इसी मददगार ने होटल में तीनों के लिए कमरा बुक कराया था। उसी ने तीनों आतंकियों के आधार कार्ड वॉट्सएप के जरिए होटल के रिसेप्शन पर दिए थे। वो इन तीनों को होटल में चेक इन कराने के कुछ देर बाद निकल गया था। मददगार कौन है, इसकी तलाश जारी है। संभावना जताई जा रही है कि वो स्थानीय व्यक्ति हो सकता है। पुलिस को उस मददगार का मोबाइल नंबर भी मिल चुका है। सूत्रों ने बताया- पीलीभीत के बाद इन आतंकियों का प्लान पटना (बिहार) जाने का था। हालांकि अभी ये पता नहीं चल सका है कि पटना में उन्हें कहां और किसके पास ठहरना था या फिर क्या करना था? ट्रक चलाते-चलाते पाकिस्तानी तस्करों से बना कनेक्शन, ISI के लिए करने लगा काम इस एनकाउंटर के बाद पीलीभीत के SP अविनाश पांडेय ने पंजाब पुलिस के DGP गौरव यादव से बातचीत की। बातचीत में आतंकी संगठन खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स (KZF) के बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारियां सामने आईं। एनकाउंटर में मारे गए तीनों आतंकी पाकिस्तान से ऑपरेट हो रहे KZF के मेंबर थे। इनका सरगना रणजीत सिंह नीटा पाकिस्तान में है। नीटा जब जम्मू और पंजाब के बीच ट्रक चलाता था, तब उसका कनेक्शन पाकिस्तान के तस्करों से हो गया था। 1988 से 1999 के बीच जम्मू और पठानकोट के बीच चलने वाली ट्रेनों-बसों में बम धमाकों की घटनाओं में नीटा का नाम आया था। फिर वो ISI के लिए भी काम करने लगा। भारतीय कानून के फंदे से बचने के लिए नीटा पाकिस्तान भाग गया था। 65 साल का रणजीत सिंह नीटा भारत के टॉप-20 मोस्ट वांटेड क्रिमिनल में से एक है। साल-2019 में उस पर ड्रोन का इस्तेमाल करके हथियारों की पहली खेप भारत में लाने का आरोप लगा था। ब्रिटिश सेना में काम कर रहा मास्टरमाइंड जगजीत सिंह, घर पहुंची NIA
पंजाब पुलिस के DGP गौरव यादव ने मीडिया को बताया- इस पूरे मॉड्यूल को KZF चीफ रणजीत सिंह नीटा और ग्रीस में रहने वाला जसविंदर सिंह मन्नू ऑपरेट करता है। ये दोनों ब्रिटेन में बैठे जगजीत सिंह उर्फ फतेह सिंह बागी को ऑर्डर करते हैं। फिर जगजीत इन तीनों आतंकियों के मुखिया वीरेंद्र सिंह उर्फ रवि से बात करता और अपने काम को अंजाम दिलाता है। कहा जाता है कि जगजीत सिंह ब्रिटिश सेना में नाम बदलकर काम कर रहा है। वहां उसका नया नाम फतेह सिंह बागी है। NIA ने 25 दिसंबर को पंजाब में तरनतारन के गांव मिर्यापुर में दबिश भी दी थी, जहां पर जगजीत सिंह उर्फ फतेह सिंह बागी का परिवार रहता है। ये है पूरा मामला: पंजाब से भागे आतंकी, यूपी में पुलिस ने घेरे उत्तर प्रदेश के जिला पीलीभीत में 23 दिसंबर की तड़के 5 बजे के आसपास एक एनकाउंटर हुआ। इसमें खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स के तीन आतंकी गुरविंदर सिंह, वीरेंद्र सिंह उर्फ रवि और जसप्रीत सिंह उर्फ प्रताप सिंह मारे गए। इनसे 2 एके-47 राइफल, 2 ग्लॉक पिस्टल और भारी मात्रा में कारतूस रिकवर हुए। तीनों आतंकी पंजाब में गुरदासपुर के रहने वाले थे। पुलिस का दावा है कि ये तीनों आतंकी 18 दिसंबर की रात गुरदासपुर में पुलिस चौकी पर ग्रेनेड अटैक करके भागे थे। पंजाब पुलिस इनका लगातार पीछा कर रही थी। पीलीभीत के पूरनपुर क्षेत्र में पहुंचकर इनकी घेराबंदी कर ली गई। जहां दोनों तरफ से दर्जनों राउंड फायरिंग हुई। तीनों आतंकी मारे गए। बॉर्डर पर दिख सकता है एनकाउंटर का असर
पुलिस सूत्रों ने बताया- इस एनकाउंटर का असर अब भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर खासकर पंजाब और जम्मू कश्मीर में देखने को मिल सकता है। दरअसल, खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स (KZF) युवकों को सिर्फ स्मॉल टाइम के लिए यूज करता है। पंजाब पुलिस की अभी तक की जांच में पता चला है कि जो युवक KZF से जुड़ रहे हैं वो या तो नशे के आदी हैं या फिर पैसे की जरूरतों के लिए गलत काम कर रहे हैं। KZF अपने टारगेट पूरा करने के लिए छोटे-मोटे अपराध करने वालों या फिर पैसे की जरूरत के लिए काम करने वालों को भाड़े पर रखता है। अब एनकाउंटर में एकसाथ तीन आतंकियों के मारे जाने के बाद उन लोगों में दहशत पनप सकती है, जो सिर्फ पैसे के लिए KZF से जुड़ रहे थे। ————— ये भी पढ़ें… पीलीभीत के होटल हरजी में रुके थे तीनों खालिस्तानी आतंकी:खुद को बलिया का बताया, कमरा नंबर 105 में 25 घंटे ठहरे पीलीभीत में 3 खालिस्तानी आतंकियों के एनकाउंटर के बाद पुलिस टीम उस होटल तक पहुंच चुकी है, जहां तीनों रुके हुए थे। पूरनपुर कस्बे के होटल हर जी में तीनों आतंकी 25 घंटे रहे थे। होटल में एंट्री लेते वक्त का CCTV भी सामने आया है। तीनों आंतकवादियों के साथ और 2 युवक भी दिख रहे हैं। इन्हें होटल में ठहराने के लिए किसी व्यक्ति का मैनेजर को फोन भी आया था। उसी व्यक्ति ने तीनों की फेक आईडी होटल के नंबर पर वॉट्सऐप की थी। होटल का किराया भी कम कराया था। पढ़ें पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर