शामली में बदमाश रुक-रुक कर फायरिंग कर रहे थे। STF के इंस्पेक्टर सुनील के पेट में 2 और हाथ में 1 गोली लग चुकी थी। मगर, वे पीछे नहीं हटे। मोर्चा लेते रहे। तभी अपने साथी को बचाने में उन्हें चौथी गोली लगी। और वे गिर गए। साथियों ने संभाला। अस्पताल लेकर भागे। तब इंस्पेक्टर सुनील होश में थे। साथियों से कहा- ‘पेट में बहुत दर्द हो रहा है, लगता है कि गोली ने अपना काम कर दिया….।’ यह सब बताते हुए सुनील के बड़े भाई अनिल कुमार रोने लगे। वह कहते हैं- सुनील को उनकी टीम और STF अफसर ‘दादू’ कहते थे। वही लोग बता रहे हैं कि अगर दादू एक साथी को धक्का न देते तो एनकाउंटर में 2 पुलिस वाले मरते। सुनील की मां अतरकली 90 साल की हैं। तिरंगे में लिपटा शव घर लाया गया तो बोलीं- मेरा शेर आ गया। बड़ा बहादुर था। गोली सीने पर खाई। पीठ नहीं दिखाई। मेरठ में शहीद इंस्पेक्टर सुनील का गुरुवार को अंतिम संस्कार हुआ। दैनिक भास्कर टीम उनके घर दर्द साझा करने पहुंची। इस दौरान कई कहानियां सामने आईं। सिलसिलेवार पढ़िए… भाई ने कहा- बहादुरी से लड़ा मेरा भाई
मेरठ से करीब 45 km दूर गांव मसूरी में भास्कर टीम पहुंची। इंस्पेक्टर सुनील का अंतिम संस्कार हो चुका था। हमारी मुलाकात उनके भाई अनिल कुमार से हुई। वह कहते हैं- भाई की शहादत पर पूरे गांव को फख्र है। वह बहादुर थे। जब भी गांव आते तो घर के कामों में लग जाते थे। बड़ी बहादुरी से लड़ा हमारा भाई। उन्होंने बताया कि अंतिम संस्कार के वक्त सभी STF साथी फफक रहे थे। वह कह रहे थे- दादू तुम ऐसे छोड़ जाओगे, ये पता नहीं था। तब मेरे मन में जिज्ञासा जागी कि ये लोग दादू किसे कह रहे हैं। मैंने पूछा, तब उन्होंने बताया कि टीम में सब उनको दादू कहकर बुलाते थे। उनका अनुभव इतना था कि अधिकारी भी उनको दादू बोलते थे। STF के साथी बोले- सबसे ज्यादा हंसाने वाले दादू रुलाकर चले गए
अंतिम संस्कार के वक्त ACP STF बृजेश कुमार सिंह समेत पूरी टीम की आंखें नम थीं। STF में इंस्पेक्टर सुनील कुमार के साथ काम करने वाले हेड कॉन्स्टेबल विकास चौधरी बताते हैं- दादू सबसे कहते थे कि काम तभी कर पाओगे, जब अच्छा खाओगे-पिओगे। दूध-छाछ पिया करो…। जब भी गांव जाते तो सभी के लिए छाछ लेकर आते थे। विकास चौधरी बताते हैं- दादू सभी को दबिश के दौरान खुद का ध्यान रखने को कहते थे। सभी को बहुत कुछ सिखाते थे। आज दादू के अंतिम सफर में पूरी एसटीएफ टीम यही कह रही थी कि सबसे ज्यादा यही हंसाते थे। आज सबसे ज्यादा रुलाकर भी चले गए। STF के साथी बताते हैं कि जब उन्हें हॉस्पिटल ले जाया जा रहा था। तब वह होश में थे। कहते रहे- भाई पेट में बहुत दर्द हो रहा है, लगता है…गोली ने अपना काम कर दिया है। शायद उन्हें आभास हो चुका था कि उनका बचना अब नामुमकिन है। 80 साल की मां बोलीं- मेरा शेर आ गया…पीछे से नहीं खाई गोली
सुनील कुमार का तिरंगे में लिपटा पार्थिव शरीर गांव पहुंचा तो आंसुओं का सैलाब आ गया। 80 साल की मां अतरकली रोते हुए कहती रहीं कि मेरा शेर बेटा आ गया…। पीछे से गोली नहीं खाई। पत्नी मुनेश देवी अंतिम दर्शन के बाद बेसुध हो गईं। बेटे मंजीत का रो-रोकर बुरा हाल था। बेटी नेहा बार-बार यही कहती रही कि पापा यह क्या हो गया। किसी की समझ में नहीं आ रहा था कि ढाढ़स बंधाएं तो कैसे? सुनील कुमार के अंतिम दर्शन करने के लिए पूरा गांव उमड़ पड़ा। चचेरे भाई बोले- जब फोन करो, कहता मिशन पर हूं
अंतिम संस्कार के बाद घर में मौजूद हरेंद्र ने कहा- सुनील हमारे चाचा के लड़के थे। मुझसे 5 साल छोटे थे। मेरे साथ पढ़े थे। सुनील के अंदर जुनून था। बदमाशों को ठिकाने लगाया। अवॉर्ड मिले तो खुशी होती थी। मैं फोन करता था, सुनील को बधाई देता। जब यहां आता या बाहर होता तो पूछने पर बस यही कहता था कि मिशन पर हूं। किसी ने भी मदद को फोन किया तो तत्काल मदद की। उनकी मदद उनकी शव यात्रा में दिखाई दे रही थी। अब तो उसकी यादें ही हैं। भतीजे ने कहा- हम लोग दरोगा कहकर उन्हें चिढ़ाते थे
नरेंद्र सिंह कहते हैं- रिश्ते में सुनील मेरे चाचा थे। वह बहादुर थे। उनके अंदर डर नहीं था। हम दोनों हम उम्र थे। एक बार जामुन तोड़ते हुए वह नीचे गिर गए, उनका हाथ टूट गया था। वह अपनी भलाई और ईमानदारी के मिसाल थे। वह पुलिस में है, कभी किसी को महसूस नहीं होने दिया। हम लोग तो सुनील को दरोगा कहकर चिढ़ाते थे, जबकि वह इंस्पेक्टर थे। कभी उन्होंने बुरा नहीं माना। सुबह चार बजे ही उठ जाते थे। घटना से चार दिन पहले घर से झाडू ले गए। मैं समझ गया, वही लेकर गए होंगे। देखा कि साफ सफाई में लगे हुए थे। शहीद होने की कहानी पढ़िए… इंस्पेक्टर सुनील कुमार ने बुधवार को गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में अंतिम सांस ली। सोमवार (20 जनवरी) की रात सुनील कुमार और उनकी टीम ने शामली में कग्गा गैंग के 4 बदमाशों अरशद, मंजीत उर्फ ढिल्ला, सतीश और मनवीर का एनकाउंटर किया था। मुठभेड़ में इंस्पेक्टर के पेट में दो गोली और दो गाली हाथ में लगी थीं। गोली से लिवर, गाल ब्लेडर और पेट में खून की बड़ी नस (IVC) में चोटें बहुत गंभीर थीं। लिवर डैमेज हो गया था। ब्लड प्रेशर भी काबू में नहीं आ रहा था। उनका 2030 में रिटायरमेंट था। गुरुवार सुबह उनके पार्थिव शरीर को पुलिस लाइन में अंतिम सलामी दी गई। गांव में बेहद गमगीन माहौल में उनका अंतिम संस्कार किया गया। ‘सुनील कुमार अमर रहे’ नारे लगे सुनील कुमार की अंतिम यात्रा गुरुवार को निकली तो इसमें हजारों लोगों की भीड़ जुटी। ‘भारत माता की जय’…’सुनील कुमार अमर रहे’ के जयकारे लगाए। सांसद अरुण गोविल ने उनकी अर्थी को कंधा दिया। राज्यमंत्री दिनेश खटीक, विधायक अतुल प्रधान, पूर्व विधायक सत्यवीर त्यागी, अजीत चौधरी ने परिजनों को सांत्वना दी। पुलिस-प्रशासनिक अधिकारियों में एडीजी मेरठ जोन डीके ठाकुर, डीआईजी कलानिधि नैथानी, डीएम वीके सिंह, एसएसपी मेरठ विपिन ताडा, एसएसपी एसटीएफ सुशील चंद्रभान, एसएसपी मुजफ्फरनगर अभिषेक सिंह, एएसपी एसटीएफ बृजेश कुमार सिंह, एसपी सिटी आयुष विक्रम सिंह, एसपी ट्रैफिक राघवेंद्र मिश्रा और सभी सीओ ने उनको अंतिम सलामी दी। मेरठ के रहने वाले थे इंस्पेक्टर सुनील इंस्पेक्टर सुनील के परिवार में पत्नी मुनेश, बेटा मंजीत उर्फ मोनू, और बेटी नेहा और 6 महीने का पोता है। दोनों बच्चों की शादी हो चुकी है। वे 1 सितंबर, 1990 को यूपी पुलिस में सिपाही पद पर भर्ती हुए थे। स्पेशल टास्क फोर्स (STF) का गठन होने के बाद उन्होंने 1997 में मानेसर, हरियाणा में कमांडो कोर्स किया। 1 जनवरी, 2009 को सुनील ने STF जॉइन किया। 16 साल से वह STF में ही थे।
सुनील कुमार 7 अगस्त, 2002 को हेड कॉन्स्टेबल के पद पर प्रमोट हुए। 13 मार्च, 2008 को फतेहपुर में हुई पुलिस मुठभेड़ में ओमप्रकाश उर्फ उमर केवट को मार गिराया था। इस मुठभेड़ में इंस्पेक्टर ने अपनी जान की बाजी लगा दी थी। इसके लिए उन्हें 16 सितंबर, 2011 को आउट आफ टर्न प्रमोशन देकर हेड कॉन्स्टेबल से PAC में प्लाटून कमांडर बना दिया गया। 22 अप्रैल, 2020 को दलनायक के पद पर प्रमोट हुए थे। कई बड़े एनकाउंटर किए इंस्पेक्टर सुनील से जुड़ी यह खबर भी पढ़िए… वेस्ट यूपी में कग्गा गैंग जिंदा करने की थी प्लानिंग:11 साल बाद जेल से छूटा अरशद, हरियाणा के शूटर जोड़े; 7 महीने में सब ढेर यूपी के शामली में 20 जनवरी की रात STF ने एनकाउंटर में 4 बदमाश मार गिराए। मुठभेड़ में गोली लगने से घायल एसटीएफ के इंस्पेक्टर सुनील कुमार बुधवार को शहीद हो गए। मारे गए सभी बदमाश कुख्यात मुस्तफा कग्गा और मुकीम काला के लिए काम करते थे। एक वक्त में इस गैंग का दिल्ली-एनसीआर, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और हरियाणा में वर्चस्व था। कग्गा का एनकाउंटर हो चुका है। मुकीम काला पूर्वांचल की जेल में मारा जा चुका है। इन दोनों के मरने के बाद गैंग की कमान अरशद ने संभाल रखी थी, जो इस एनकाउंटर में मारा गया। पढ़ें पूरी खबर… शामली में बदमाश रुक-रुक कर फायरिंग कर रहे थे। STF के इंस्पेक्टर सुनील के पेट में 2 और हाथ में 1 गोली लग चुकी थी। मगर, वे पीछे नहीं हटे। मोर्चा लेते रहे। तभी अपने साथी को बचाने में उन्हें चौथी गोली लगी। और वे गिर गए। साथियों ने संभाला। अस्पताल लेकर भागे। तब इंस्पेक्टर सुनील होश में थे। साथियों से कहा- ‘पेट में बहुत दर्द हो रहा है, लगता है कि गोली ने अपना काम कर दिया….।’ यह सब बताते हुए सुनील के बड़े भाई अनिल कुमार रोने लगे। वह कहते हैं- सुनील को उनकी टीम और STF अफसर ‘दादू’ कहते थे। वही लोग बता रहे हैं कि अगर दादू एक साथी को धक्का न देते तो एनकाउंटर में 2 पुलिस वाले मरते। सुनील की मां अतरकली 90 साल की हैं। तिरंगे में लिपटा शव घर लाया गया तो बोलीं- मेरा शेर आ गया। बड़ा बहादुर था। गोली सीने पर खाई। पीठ नहीं दिखाई। मेरठ में शहीद इंस्पेक्टर सुनील का गुरुवार को अंतिम संस्कार हुआ। दैनिक भास्कर टीम उनके घर दर्द साझा करने पहुंची। इस दौरान कई कहानियां सामने आईं। सिलसिलेवार पढ़िए… भाई ने कहा- बहादुरी से लड़ा मेरा भाई
मेरठ से करीब 45 km दूर गांव मसूरी में भास्कर टीम पहुंची। इंस्पेक्टर सुनील का अंतिम संस्कार हो चुका था। हमारी मुलाकात उनके भाई अनिल कुमार से हुई। वह कहते हैं- भाई की शहादत पर पूरे गांव को फख्र है। वह बहादुर थे। जब भी गांव आते तो घर के कामों में लग जाते थे। बड़ी बहादुरी से लड़ा हमारा भाई। उन्होंने बताया कि अंतिम संस्कार के वक्त सभी STF साथी फफक रहे थे। वह कह रहे थे- दादू तुम ऐसे छोड़ जाओगे, ये पता नहीं था। तब मेरे मन में जिज्ञासा जागी कि ये लोग दादू किसे कह रहे हैं। मैंने पूछा, तब उन्होंने बताया कि टीम में सब उनको दादू कहकर बुलाते थे। उनका अनुभव इतना था कि अधिकारी भी उनको दादू बोलते थे। STF के साथी बोले- सबसे ज्यादा हंसाने वाले दादू रुलाकर चले गए
अंतिम संस्कार के वक्त ACP STF बृजेश कुमार सिंह समेत पूरी टीम की आंखें नम थीं। STF में इंस्पेक्टर सुनील कुमार के साथ काम करने वाले हेड कॉन्स्टेबल विकास चौधरी बताते हैं- दादू सबसे कहते थे कि काम तभी कर पाओगे, जब अच्छा खाओगे-पिओगे। दूध-छाछ पिया करो…। जब भी गांव जाते तो सभी के लिए छाछ लेकर आते थे। विकास चौधरी बताते हैं- दादू सभी को दबिश के दौरान खुद का ध्यान रखने को कहते थे। सभी को बहुत कुछ सिखाते थे। आज दादू के अंतिम सफर में पूरी एसटीएफ टीम यही कह रही थी कि सबसे ज्यादा यही हंसाते थे। आज सबसे ज्यादा रुलाकर भी चले गए। STF के साथी बताते हैं कि जब उन्हें हॉस्पिटल ले जाया जा रहा था। तब वह होश में थे। कहते रहे- भाई पेट में बहुत दर्द हो रहा है, लगता है…गोली ने अपना काम कर दिया है। शायद उन्हें आभास हो चुका था कि उनका बचना अब नामुमकिन है। 80 साल की मां बोलीं- मेरा शेर आ गया…पीछे से नहीं खाई गोली
सुनील कुमार का तिरंगे में लिपटा पार्थिव शरीर गांव पहुंचा तो आंसुओं का सैलाब आ गया। 80 साल की मां अतरकली रोते हुए कहती रहीं कि मेरा शेर बेटा आ गया…। पीछे से गोली नहीं खाई। पत्नी मुनेश देवी अंतिम दर्शन के बाद बेसुध हो गईं। बेटे मंजीत का रो-रोकर बुरा हाल था। बेटी नेहा बार-बार यही कहती रही कि पापा यह क्या हो गया। किसी की समझ में नहीं आ रहा था कि ढाढ़स बंधाएं तो कैसे? सुनील कुमार के अंतिम दर्शन करने के लिए पूरा गांव उमड़ पड़ा। चचेरे भाई बोले- जब फोन करो, कहता मिशन पर हूं
अंतिम संस्कार के बाद घर में मौजूद हरेंद्र ने कहा- सुनील हमारे चाचा के लड़के थे। मुझसे 5 साल छोटे थे। मेरे साथ पढ़े थे। सुनील के अंदर जुनून था। बदमाशों को ठिकाने लगाया। अवॉर्ड मिले तो खुशी होती थी। मैं फोन करता था, सुनील को बधाई देता। जब यहां आता या बाहर होता तो पूछने पर बस यही कहता था कि मिशन पर हूं। किसी ने भी मदद को फोन किया तो तत्काल मदद की। उनकी मदद उनकी शव यात्रा में दिखाई दे रही थी। अब तो उसकी यादें ही हैं। भतीजे ने कहा- हम लोग दरोगा कहकर उन्हें चिढ़ाते थे
नरेंद्र सिंह कहते हैं- रिश्ते में सुनील मेरे चाचा थे। वह बहादुर थे। उनके अंदर डर नहीं था। हम दोनों हम उम्र थे। एक बार जामुन तोड़ते हुए वह नीचे गिर गए, उनका हाथ टूट गया था। वह अपनी भलाई और ईमानदारी के मिसाल थे। वह पुलिस में है, कभी किसी को महसूस नहीं होने दिया। हम लोग तो सुनील को दरोगा कहकर चिढ़ाते थे, जबकि वह इंस्पेक्टर थे। कभी उन्होंने बुरा नहीं माना। सुबह चार बजे ही उठ जाते थे। घटना से चार दिन पहले घर से झाडू ले गए। मैं समझ गया, वही लेकर गए होंगे। देखा कि साफ सफाई में लगे हुए थे। शहीद होने की कहानी पढ़िए… इंस्पेक्टर सुनील कुमार ने बुधवार को गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में अंतिम सांस ली। सोमवार (20 जनवरी) की रात सुनील कुमार और उनकी टीम ने शामली में कग्गा गैंग के 4 बदमाशों अरशद, मंजीत उर्फ ढिल्ला, सतीश और मनवीर का एनकाउंटर किया था। मुठभेड़ में इंस्पेक्टर के पेट में दो गोली और दो गाली हाथ में लगी थीं। गोली से लिवर, गाल ब्लेडर और पेट में खून की बड़ी नस (IVC) में चोटें बहुत गंभीर थीं। लिवर डैमेज हो गया था। ब्लड प्रेशर भी काबू में नहीं आ रहा था। उनका 2030 में रिटायरमेंट था। गुरुवार सुबह उनके पार्थिव शरीर को पुलिस लाइन में अंतिम सलामी दी गई। गांव में बेहद गमगीन माहौल में उनका अंतिम संस्कार किया गया। ‘सुनील कुमार अमर रहे’ नारे लगे सुनील कुमार की अंतिम यात्रा गुरुवार को निकली तो इसमें हजारों लोगों की भीड़ जुटी। ‘भारत माता की जय’…’सुनील कुमार अमर रहे’ के जयकारे लगाए। सांसद अरुण गोविल ने उनकी अर्थी को कंधा दिया। राज्यमंत्री दिनेश खटीक, विधायक अतुल प्रधान, पूर्व विधायक सत्यवीर त्यागी, अजीत चौधरी ने परिजनों को सांत्वना दी। पुलिस-प्रशासनिक अधिकारियों में एडीजी मेरठ जोन डीके ठाकुर, डीआईजी कलानिधि नैथानी, डीएम वीके सिंह, एसएसपी मेरठ विपिन ताडा, एसएसपी एसटीएफ सुशील चंद्रभान, एसएसपी मुजफ्फरनगर अभिषेक सिंह, एएसपी एसटीएफ बृजेश कुमार सिंह, एसपी सिटी आयुष विक्रम सिंह, एसपी ट्रैफिक राघवेंद्र मिश्रा और सभी सीओ ने उनको अंतिम सलामी दी। मेरठ के रहने वाले थे इंस्पेक्टर सुनील इंस्पेक्टर सुनील के परिवार में पत्नी मुनेश, बेटा मंजीत उर्फ मोनू, और बेटी नेहा और 6 महीने का पोता है। दोनों बच्चों की शादी हो चुकी है। वे 1 सितंबर, 1990 को यूपी पुलिस में सिपाही पद पर भर्ती हुए थे। स्पेशल टास्क फोर्स (STF) का गठन होने के बाद उन्होंने 1997 में मानेसर, हरियाणा में कमांडो कोर्स किया। 1 जनवरी, 2009 को सुनील ने STF जॉइन किया। 16 साल से वह STF में ही थे।
सुनील कुमार 7 अगस्त, 2002 को हेड कॉन्स्टेबल के पद पर प्रमोट हुए। 13 मार्च, 2008 को फतेहपुर में हुई पुलिस मुठभेड़ में ओमप्रकाश उर्फ उमर केवट को मार गिराया था। इस मुठभेड़ में इंस्पेक्टर ने अपनी जान की बाजी लगा दी थी। इसके लिए उन्हें 16 सितंबर, 2011 को आउट आफ टर्न प्रमोशन देकर हेड कॉन्स्टेबल से PAC में प्लाटून कमांडर बना दिया गया। 22 अप्रैल, 2020 को दलनायक के पद पर प्रमोट हुए थे। कई बड़े एनकाउंटर किए इंस्पेक्टर सुनील से जुड़ी यह खबर भी पढ़िए… वेस्ट यूपी में कग्गा गैंग जिंदा करने की थी प्लानिंग:11 साल बाद जेल से छूटा अरशद, हरियाणा के शूटर जोड़े; 7 महीने में सब ढेर यूपी के शामली में 20 जनवरी की रात STF ने एनकाउंटर में 4 बदमाश मार गिराए। मुठभेड़ में गोली लगने से घायल एसटीएफ के इंस्पेक्टर सुनील कुमार बुधवार को शहीद हो गए। मारे गए सभी बदमाश कुख्यात मुस्तफा कग्गा और मुकीम काला के लिए काम करते थे। एक वक्त में इस गैंग का दिल्ली-एनसीआर, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और हरियाणा में वर्चस्व था। कग्गा का एनकाउंटर हो चुका है। मुकीम काला पूर्वांचल की जेल में मारा जा चुका है। इन दोनों के मरने के बाद गैंग की कमान अरशद ने संभाल रखी थी, जो इस एनकाउंटर में मारा गया। पढ़ें पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर