<p style=”text-align: justify;”><strong>UPSC Results 2024:</strong> यवतमाल की तंग गलियों से निकलकर UPSC की ऊंचाइयों तक का सफर आसान नहीं था. ‘इसको तो कुछ नहीं आता, बेटी है कितना पढ़ेगी, इसकी शादी कर दो’ जैसे तानों के बीच अदीबा अहमद ने वो कर दिखाया जो समाज को आईना दिखा सके. महाराष्ट्र के यवतमाल की रहने वाली अदीबा ने 2024 की सिविल सेवा परीक्षा में 142वीं रैंक हासिल कर न सिर्फ अपने परिवार का, बल्कि पूरे समाज का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>अदीबा के पिता अश्फाक अहमद एक ऑटो रिक्शा ड्राइवर हैं और मां एक गृहिणी. सीमित आय और सामाजिक दबावों के बीच भी उन्होंने कभी अपनी बेटी के सपनों को छोटा नहीं होने दिया. BBC से बातचीत में अदीबा बताती हैं कि उनके घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, लेकिन उनके माता-पिता ने कभी उन्हें पढ़ाई से दूर नहीं किया. मां ने उम्र के ढलते पड़ाव में भी घर का पूरा बोझ खुद उठाया ताकि बेटी सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान दे सके.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>मां ने कभी नहीं करने दिए घर के काम- अदीबा</strong><br />अदीबा बताती हैं, “मेरे इलाके में छोटी उम्र की लड़कियों से घर का पूरा काम करवा लिया जाता है, लेकिन मेरी मां ने कभी मुझे इन चीजों में नहीं डाला. जब भी कोई कहता था कि मुझे घर के काम नहीं आते या मुझे बाहर भेजना ठीक नहीं, तो बहुत बुरा लगता था.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>3 बार असफलता के बाद भी बनाए रखी हिम्मत- अदीबा</strong><br />कठिन राहों पर डगमगाए बिना, अदीबा ने तीन बार कोशिश की. पहली दो बार असफल रहने पर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. तीसरी बार में उन्होंने कमाल कर दिखाया. उनका कहना है, “कई बार लगा कि अब नहीं होगा, लेकिन परिवार के भरोसे और खुद की मेहनत ने मुझे हर बार आगे बढ़ाया.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने अबेदा इनामदार कॉलेज, पुणे से बी.ए. (उर्दू और गणित) किया और यहीं से <a title=”UPSC” href=”https://www.abplive.com/topic/upsc” data-type=”interlinkingkeywords”>UPSC</a> की तैयारी शुरू की. उन्हें प्रेरणा अपने मामा से मिली, जो एक NGO में सचिव हैं. उन्होंने अदीबा को यह रास्ता चुनने की सलाह दी और हमेशा मार्गदर्शन किया. आज अदीबा की सफलता पर उनके पिता भावुक होकर कहते हैं, “हमारी बेटी ने साबित कर दिया कि हालात कैसे भी हों, अगर हौसला हो तो कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>अदीबा अहमद की कहानी केवल एक रैंक की नहीं, यह जिद, संघर्ष और उम्मीद की वह मिसाल है, जो हर उस लड़की को हिम्मत देती है जिसे कभी कहा गया था – ‘इसको तो कुछ नहीं आता.’</p> <p style=”text-align: justify;”><strong>UPSC Results 2024:</strong> यवतमाल की तंग गलियों से निकलकर UPSC की ऊंचाइयों तक का सफर आसान नहीं था. ‘इसको तो कुछ नहीं आता, बेटी है कितना पढ़ेगी, इसकी शादी कर दो’ जैसे तानों के बीच अदीबा अहमद ने वो कर दिखाया जो समाज को आईना दिखा सके. महाराष्ट्र के यवतमाल की रहने वाली अदीबा ने 2024 की सिविल सेवा परीक्षा में 142वीं रैंक हासिल कर न सिर्फ अपने परिवार का, बल्कि पूरे समाज का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>अदीबा के पिता अश्फाक अहमद एक ऑटो रिक्शा ड्राइवर हैं और मां एक गृहिणी. सीमित आय और सामाजिक दबावों के बीच भी उन्होंने कभी अपनी बेटी के सपनों को छोटा नहीं होने दिया. BBC से बातचीत में अदीबा बताती हैं कि उनके घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, लेकिन उनके माता-पिता ने कभी उन्हें पढ़ाई से दूर नहीं किया. मां ने उम्र के ढलते पड़ाव में भी घर का पूरा बोझ खुद उठाया ताकि बेटी सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान दे सके.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>मां ने कभी नहीं करने दिए घर के काम- अदीबा</strong><br />अदीबा बताती हैं, “मेरे इलाके में छोटी उम्र की लड़कियों से घर का पूरा काम करवा लिया जाता है, लेकिन मेरी मां ने कभी मुझे इन चीजों में नहीं डाला. जब भी कोई कहता था कि मुझे घर के काम नहीं आते या मुझे बाहर भेजना ठीक नहीं, तो बहुत बुरा लगता था.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>3 बार असफलता के बाद भी बनाए रखी हिम्मत- अदीबा</strong><br />कठिन राहों पर डगमगाए बिना, अदीबा ने तीन बार कोशिश की. पहली दो बार असफल रहने पर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. तीसरी बार में उन्होंने कमाल कर दिखाया. उनका कहना है, “कई बार लगा कि अब नहीं होगा, लेकिन परिवार के भरोसे और खुद की मेहनत ने मुझे हर बार आगे बढ़ाया.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने अबेदा इनामदार कॉलेज, पुणे से बी.ए. (उर्दू और गणित) किया और यहीं से <a title=”UPSC” href=”https://www.abplive.com/topic/upsc” data-type=”interlinkingkeywords”>UPSC</a> की तैयारी शुरू की. उन्हें प्रेरणा अपने मामा से मिली, जो एक NGO में सचिव हैं. उन्होंने अदीबा को यह रास्ता चुनने की सलाह दी और हमेशा मार्गदर्शन किया. आज अदीबा की सफलता पर उनके पिता भावुक होकर कहते हैं, “हमारी बेटी ने साबित कर दिया कि हालात कैसे भी हों, अगर हौसला हो तो कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>अदीबा अहमद की कहानी केवल एक रैंक की नहीं, यह जिद, संघर्ष और उम्मीद की वह मिसाल है, जो हर उस लड़की को हिम्मत देती है जिसे कभी कहा गया था – ‘इसको तो कुछ नहीं आता.’</p> महाराष्ट्र नैनीताल में छात्रा के साथ दुष्कर्म पर हाई कोर्ट का बयान, कहा- ध्वस्तीकरण नोटिस से सांप्रदायिक तनाव बढ़ा
‘इसको तो कुछ नहीं आता, इसकी शादी कर दो’, तानों के बीच UPSC क्रैक कर अदीबा बनीं अफसर
