‘इस कलंक को धोकर नई जिंदगी जीना चाहता हूं’:आगरा में 6 हत्याओं से बरी युवक बोला-भगवान पर भरोसा था, उसी ने मुझे बाहर निकाला

‘इस कलंक को धोकर नई जिंदगी जीना चाहता हूं’:आगरा में 6 हत्याओं से बरी युवक बोला-भगवान पर भरोसा था, उसी ने मुझे बाहर निकाला

‘मैं निर्दोष था, मुझे भगवान पर भरोसा था, भगवान ने न्याय किया है। अब बाहर आ गया हूं, कोई साथ नहीं है, लेकिन ऊपर वाला साथ है। उसके भरोसे ही जिंदगी चलेगी। जेल से बाहर आने के बाद मेरे पास 300 रुपए थे। जो बैरक में रहने वाले साथी बंदी राजवीर और विजय ने दी थी। अब भगवान की तय करेंगे कि वो कहां जाएगा। वो इस कलंक को धोकर नई जिंदगी जीना चाहता है। लेकिन, मुझे अपनी जान का डर भी है।’ ये कहना है गंभीर का। दरअसल, आगरा में भाई-भाभी और उनके चारों बच्चों की सामूहिक हत्या कर दी गई थी। इन हत्याओं का आरोप गंभीर पर लगा था, साक्ष्य के अभाव में वो जेल से बरी होकर बाहर आया। पहली बार कैमरे पर दैनिक भास्कर से बातचीत की। पहले जानिए पूरा मामला… 2012 में हुई थी छह लोगों की सामूहिक हत्या
गांव तुरकिया में 9 मई 2012 को सत्य प्रकाश उनकी पत्नी पुष्पा और चार बच्चों की सामूहिक की हत्या कर दी गई थी। पुलिस ने हत्याकांड सत्यप्रकाश के भाई गंभीर सिंह को जेल भेजा था। स्थानीय अदालत ने उसे मृत्यु की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट ने सजा को बरकरार रखा था। पुलिस द्वारा विवेचना में लापरवाही और ठोस साक्ष्य पेश नहीं कर पाने पर सुप्रीम कोर्ट ने 27 जनवरी को उसे बरी कर दिया था। 12 फरवरी को आगरा के केंद्रीय कारागार से गंभीर सिंह को रिहा कर दिया गया। भगवान जाने अब कहां जाऊंगा
बुधवार सुबह करीब 8 बजे गंभीर सिंह जेल से रिहा हुआ। रिहा होने पर गंभीर को जेल पर लेने कोई सगा संबंधी और रिश्तेदार नहीं आया था। गंभीर सिंह खंदौली में रहने वाले अपने जीजा को कॉल किया, लेकिन उन्होंने आने से मना कर दिया। जिस दिन ये घटना हुई थी, उस दिन वो गांव में नहीं था। वो तो जयपुर में काम करता था। भाई का झगड़ा हो गया था, उन्होंने उसे जयपुर से बुलाया था। 8 मई को जिस दिन घटना हुई, उस दिन भाई सत्यभान ने उसे एक हजार रुपए देकर बहन गायत्री को उसकी ससुराल छोड़ने के लिए भेजा था। पुलिस ने उसे 9 मई की रात को ईदगाह बस स्टैंड से पकड़ा था। पुलिस ने मुझे गाड़ी में जबरन बैठा दिया। मुझे कुछ पता ही नहीं था। जेल में मुझे बताया-तुमने 6 हत्याएं कीं गंभीर ने बताया-मैं पुलिस से पूछता रहा, लेकिन मुझे कुछ नहीं बताया। जब मैं जेल के गेट पर था तब मुझे बताया कि तुमने हत्या की है। मुझे निर्दोष फंसाया गया था, लेकिन मुझे भगवान पर भरोसा था कि उनके साथ अन्याय नहीं होने देगा। अब मिलूंगा रिहा कराने वाले वकील से
गंभीर ने बताया-सुप्रीम कोर्ट में उसकी ओर से सरकारी अधिवक्ता राकेश उपाध्याय ने पैरवी की थी। वो आज तक अपने अधिवक्ता से नहीं मिला है, लेकिन अब उनसे मिलकर धन्यवाद जरूर देना चाहता हूं। ——————— यह खबर भी पढ़ें मेरठ के एथलीट को अमेरिका में कार ने कुचला, मौत,: 10 हजार KM साइकिल चलाकर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने निकले थे मेरठ के रहने वाले बंदूक कारोबारी के बेटे की दक्षिण अमेरिका में सड़क हादसे में मौत हो गई। 36 साल के मोहित कोहली एथलीट थे। मोहित साइकिलिंग का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने निकले थे। बुधवार को चिली शहर में कार ने उन्हें कुचल दिया। आसपास मौजूद लोग उन्हें अस्पताल ले गए। जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। हादसे की सूचना मिलने पर परिवार में मातम है। दक्षिण अमेरिका से मोहित की बॉडी को भारत लाने के लिए शुक्रवार को उनके माता–पिता दिल्ली से फ्लाइट पकड़ेंगे। पढ़िए पूरी खबर… ‘मैं निर्दोष था, मुझे भगवान पर भरोसा था, भगवान ने न्याय किया है। अब बाहर आ गया हूं, कोई साथ नहीं है, लेकिन ऊपर वाला साथ है। उसके भरोसे ही जिंदगी चलेगी। जेल से बाहर आने के बाद मेरे पास 300 रुपए थे। जो बैरक में रहने वाले साथी बंदी राजवीर और विजय ने दी थी। अब भगवान की तय करेंगे कि वो कहां जाएगा। वो इस कलंक को धोकर नई जिंदगी जीना चाहता है। लेकिन, मुझे अपनी जान का डर भी है।’ ये कहना है गंभीर का। दरअसल, आगरा में भाई-भाभी और उनके चारों बच्चों की सामूहिक हत्या कर दी गई थी। इन हत्याओं का आरोप गंभीर पर लगा था, साक्ष्य के अभाव में वो जेल से बरी होकर बाहर आया। पहली बार कैमरे पर दैनिक भास्कर से बातचीत की। पहले जानिए पूरा मामला… 2012 में हुई थी छह लोगों की सामूहिक हत्या
गांव तुरकिया में 9 मई 2012 को सत्य प्रकाश उनकी पत्नी पुष्पा और चार बच्चों की सामूहिक की हत्या कर दी गई थी। पुलिस ने हत्याकांड सत्यप्रकाश के भाई गंभीर सिंह को जेल भेजा था। स्थानीय अदालत ने उसे मृत्यु की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट ने सजा को बरकरार रखा था। पुलिस द्वारा विवेचना में लापरवाही और ठोस साक्ष्य पेश नहीं कर पाने पर सुप्रीम कोर्ट ने 27 जनवरी को उसे बरी कर दिया था। 12 फरवरी को आगरा के केंद्रीय कारागार से गंभीर सिंह को रिहा कर दिया गया। भगवान जाने अब कहां जाऊंगा
बुधवार सुबह करीब 8 बजे गंभीर सिंह जेल से रिहा हुआ। रिहा होने पर गंभीर को जेल पर लेने कोई सगा संबंधी और रिश्तेदार नहीं आया था। गंभीर सिंह खंदौली में रहने वाले अपने जीजा को कॉल किया, लेकिन उन्होंने आने से मना कर दिया। जिस दिन ये घटना हुई थी, उस दिन वो गांव में नहीं था। वो तो जयपुर में काम करता था। भाई का झगड़ा हो गया था, उन्होंने उसे जयपुर से बुलाया था। 8 मई को जिस दिन घटना हुई, उस दिन भाई सत्यभान ने उसे एक हजार रुपए देकर बहन गायत्री को उसकी ससुराल छोड़ने के लिए भेजा था। पुलिस ने उसे 9 मई की रात को ईदगाह बस स्टैंड से पकड़ा था। पुलिस ने मुझे गाड़ी में जबरन बैठा दिया। मुझे कुछ पता ही नहीं था। जेल में मुझे बताया-तुमने 6 हत्याएं कीं गंभीर ने बताया-मैं पुलिस से पूछता रहा, लेकिन मुझे कुछ नहीं बताया। जब मैं जेल के गेट पर था तब मुझे बताया कि तुमने हत्या की है। मुझे निर्दोष फंसाया गया था, लेकिन मुझे भगवान पर भरोसा था कि उनके साथ अन्याय नहीं होने देगा। अब मिलूंगा रिहा कराने वाले वकील से
गंभीर ने बताया-सुप्रीम कोर्ट में उसकी ओर से सरकारी अधिवक्ता राकेश उपाध्याय ने पैरवी की थी। वो आज तक अपने अधिवक्ता से नहीं मिला है, लेकिन अब उनसे मिलकर धन्यवाद जरूर देना चाहता हूं। ——————— यह खबर भी पढ़ें मेरठ के एथलीट को अमेरिका में कार ने कुचला, मौत,: 10 हजार KM साइकिल चलाकर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने निकले थे मेरठ के रहने वाले बंदूक कारोबारी के बेटे की दक्षिण अमेरिका में सड़क हादसे में मौत हो गई। 36 साल के मोहित कोहली एथलीट थे। मोहित साइकिलिंग का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने निकले थे। बुधवार को चिली शहर में कार ने उन्हें कुचल दिया। आसपास मौजूद लोग उन्हें अस्पताल ले गए। जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। हादसे की सूचना मिलने पर परिवार में मातम है। दक्षिण अमेरिका से मोहित की बॉडी को भारत लाने के लिए शुक्रवार को उनके माता–पिता दिल्ली से फ्लाइट पकड़ेंगे। पढ़िए पूरी खबर…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर