इस साल गर्मी में शिमला की 60 से ज्यादा बावड़ियां बुझाएंगी प्यास, जीर्णोद्धार का काम तेज

इस साल गर्मी में शिमला की 60 से ज्यादा बावड़ियां बुझाएंगी प्यास, जीर्णोद्धार का काम तेज

<p style=”text-align: justify;”><strong>Himachal Pradesh News</strong>: गर्मियों के मौसम में शिमला शहर में पानी की समस्या के समाधान के लिए नगर निगम शिमला ने हर वार्ड में प्राकृतिक जल स्रोतों को खोजने का अभियान शुरू कर दिया है. इस पहल में अमरूत प्रोजेक्ट के तहत एसजेपीएनएल (SJPNL) नगर निगम शिमला की मदद कर रहा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इससे शहर के जल स्रोतों का जीर्णोद्धार किया जा सकेगा. इस योजना के तहत 60 से ज्यादा बावड़ियों को फिर से शुरु करने का लक्ष्य रखा गया है, ताकि गर्मियों के दौरान शहर में आने वाली पानी की समस्या से लोगों को राहत मिल सकेगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>पानी की बावड़ियों का जीर्णोद्धार जारी&nbsp;</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>नगर निगम शिमला के मेयर सुरेंद्र चौहान के मुताबिक, टूटीकंडी में दो बावड़ियां और कच्चीघाटी वार्ड में एक बावड़ी मिली है, जिनका जीर्णोद्धार एसजेपीएनएल कर रहा है. वहीं, लक्कड़ बाजार क्षेत्र में भी दो जल स्रोतों का कार्य पूरा हो चुका है, जबकि दो अन्य स्रोतों पर काम जारी है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>वक्त के साथ लुप्त हो गई पानी की बावड़ियां</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>कच्चीघाटी वार्ड के निवासी वरिष्ठ नागरिक सुरेंद्र गौतम ने बताया कि वे पिछले 70 सालों से इस वार्ड में रह रहे हैं. पहले लोग अपने घरों में प्राकृतिक जल स्रोतों से ही पानी लाते थे और पीने के लिए भी इनका इस्तेमाल किया जाता था. उस समय क्षेत्र में करीब 17 पानी के नलके हुआ करते थे, लेकिन समय के साथ ये जल स्रोत लुप्त हो गए. अब पानी की कमी के कारण कभी-कभी निजी खर्च पर टैंकर मंगवाने पड़ते हैं. उन्होंने उम्मीद जताई कि अगर प्राकृतिक जल स्रोत फिर से शुरू हो जाते हैं, तो गर्मियों में पानी की किल्लत नहीं होगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>स्थानीय पार्षद ने किया SJPNL का धन्यवाद&nbsp;</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>कच्चीघाटी वॉर्ड की पार्षद किरण शर्मा ने बताया कि उनके क्षेत्र में तीन पानी की बावड़ियां हैं. इनमें से दो बावड़ियों के पानी काफी समय तक स्थानीय लोग करते रहे हैं. इनमें से एक बावड़ी तो ब्रिटिश शासनकाल की भी है. उन्होंने एसजेपीएनएल का धन्यवाद करते हुए खुशी जाहिर की है कि वे इस काम में मदद कर रहे हैं. उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले वक्त में क्षेत्र के लोगों को पानी की समस्या से राहत मिल सकेगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>इसे भी पढ़ें: <a href=”https://www.abplive.com/states/himachal-pradesh/himachal-pradesh-weather-rain-news-clouds-forget-84-percent-less-rain-in-month-of-january-ann-2876860″>Himachal Rain: हिमाचल का रास्ता भूले बादल! जनवरी महीने में 84 फीसदी तक कम बारिश</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Himachal Pradesh News</strong>: गर्मियों के मौसम में शिमला शहर में पानी की समस्या के समाधान के लिए नगर निगम शिमला ने हर वार्ड में प्राकृतिक जल स्रोतों को खोजने का अभियान शुरू कर दिया है. इस पहल में अमरूत प्रोजेक्ट के तहत एसजेपीएनएल (SJPNL) नगर निगम शिमला की मदद कर रहा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इससे शहर के जल स्रोतों का जीर्णोद्धार किया जा सकेगा. इस योजना के तहत 60 से ज्यादा बावड़ियों को फिर से शुरु करने का लक्ष्य रखा गया है, ताकि गर्मियों के दौरान शहर में आने वाली पानी की समस्या से लोगों को राहत मिल सकेगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>पानी की बावड़ियों का जीर्णोद्धार जारी&nbsp;</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>नगर निगम शिमला के मेयर सुरेंद्र चौहान के मुताबिक, टूटीकंडी में दो बावड़ियां और कच्चीघाटी वार्ड में एक बावड़ी मिली है, जिनका जीर्णोद्धार एसजेपीएनएल कर रहा है. वहीं, लक्कड़ बाजार क्षेत्र में भी दो जल स्रोतों का कार्य पूरा हो चुका है, जबकि दो अन्य स्रोतों पर काम जारी है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>वक्त के साथ लुप्त हो गई पानी की बावड़ियां</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>कच्चीघाटी वार्ड के निवासी वरिष्ठ नागरिक सुरेंद्र गौतम ने बताया कि वे पिछले 70 सालों से इस वार्ड में रह रहे हैं. पहले लोग अपने घरों में प्राकृतिक जल स्रोतों से ही पानी लाते थे और पीने के लिए भी इनका इस्तेमाल किया जाता था. उस समय क्षेत्र में करीब 17 पानी के नलके हुआ करते थे, लेकिन समय के साथ ये जल स्रोत लुप्त हो गए. अब पानी की कमी के कारण कभी-कभी निजी खर्च पर टैंकर मंगवाने पड़ते हैं. उन्होंने उम्मीद जताई कि अगर प्राकृतिक जल स्रोत फिर से शुरू हो जाते हैं, तो गर्मियों में पानी की किल्लत नहीं होगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>स्थानीय पार्षद ने किया SJPNL का धन्यवाद&nbsp;</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>कच्चीघाटी वॉर्ड की पार्षद किरण शर्मा ने बताया कि उनके क्षेत्र में तीन पानी की बावड़ियां हैं. इनमें से दो बावड़ियों के पानी काफी समय तक स्थानीय लोग करते रहे हैं. इनमें से एक बावड़ी तो ब्रिटिश शासनकाल की भी है. उन्होंने एसजेपीएनएल का धन्यवाद करते हुए खुशी जाहिर की है कि वे इस काम में मदद कर रहे हैं. उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले वक्त में क्षेत्र के लोगों को पानी की समस्या से राहत मिल सकेगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>इसे भी पढ़ें: <a href=”https://www.abplive.com/states/himachal-pradesh/himachal-pradesh-weather-rain-news-clouds-forget-84-percent-less-rain-in-month-of-january-ann-2876860″>Himachal Rain: हिमाचल का रास्ता भूले बादल! जनवरी महीने में 84 फीसदी तक कम बारिश</a></strong></p>  हिमाचल प्रदेश कौशांबी सांसद पुष्पेंद्र सरोज का दावा- चुनाव के समय मेरे हाथों से पर्चा नहीं लिया क्योंकि मैं दलित हूं