उत्तराखंड में ‘निर्माण कार्यों’ से बढ़ा आपदा का खतरा, इस मानसून 500 नए भूस्खलन जोन बने चुनौती

उत्तराखंड में ‘निर्माण कार्यों’ से बढ़ा आपदा का खतरा, इस मानसून 500 नए भूस्खलन जोन बने चुनौती

<p style=”text-align: justify;”><strong>Uttarakhand News Today:</strong> इस साल के मानसून सीजन में उत्तराखंड को कई गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ा. एसडीसी फाउंडेशन के जरिये जारी उत्तराखंड डिजास्टर एंड एक्सीडेंट एनालिसिस इनिशिएटिव (उदय) रिपोर्ट के अनुसार, मानसून के दौरान राज्य में 500 नए भूस्खलन जोन विकसित हुए हैं.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>यह भूस्खलन जोन राज्य के अलग-अलग हिस्सों में निर्माण कार्यों के कारण विकसित हुए हैं, जिससे आपदा का खतरा और बढ़ गया है. रिपोर्ट में उत्तराखंड के लिए ये नई चुनौतियां राज्य के आपदा प्रबंधन तंत्र के लिए चेतावनी है. हिमालय दिवस के मौके पर वाडिया हिमालयन इंस्टीट्यूट में जारी इस रिपोर्ट में मानसून के दौरान हुए नुकसान और नई समस्याओं को उजागर किया गया.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>एसडीसी फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल ने कहा कि राज्य में हर साल नए भूस्खलन जोन विकसित हो रहे हैं, जो स्थानीय निवासियों के लिए भारी खतरा बन चुके हैं. उन्होंने कहा कि राज्य को अपने आपदा प्रबंधन तंत्र और जलवायु परिवर्तन से निपटने की तैयारियों को मजबूत करना होगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>स्कूल की जर्जर हालत बड़ी चुनौती</strong><br />भूस्खलन के अलावा, इस मानसून सीजन में राज्य के स्कूल भवनों की जर्जर हालत ने भी बड़ी चुनौती पेश की है. रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्य के 60 फीसदी यानी 11 हजार 465 सरकारी स्कूल भवन असुरक्षित हैं.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>इन जर्जर स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की सुरक्षा पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है. बारिश के दौरान कई स्कूलों की छतें टपकने लगीं और कुछ भवन ढहने की कगार पर पहुंच गए. इससे राज्य के शिक्षा तंत्र पर भी बड़ा प्रश्नचिन्ह खड़ा हो गया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>भूस्खलन से आवागमन प्रभावित</strong><br />रिपोर्ट में मानसून सीजन के दौरान केदारनाथ और अन्य क्षेत्रों में आई तबाही का भी जिक्र किया गया है. लगातार हो रही बारिश और भूस्खलन के कारण कई सड़कों पर आवागमन ठप हो गया. जिससे स्थानीय लोगों और पर्यटकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा. सड़कों के बंद होने से राहत और बचाव कार्य बाधित हुए, जिससे आपदा प्रबंधन की चुनौतियां और बढ़ गईं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>जलवायु परिवर्तन से निपटने की जरुरत</strong><br />एसडीसी फाउंडेशन की रिपोर्ट ने राज्य के आपदा प्रबंधन तंत्र की कमजोरियों को उजागर किया है. अनूप नौटियाल ने कहा कि उत्तराखंड को जलवायु परिवर्तन के बढ़ते खतरों से निपटने के लिए तुरंत ठोस कदम उठाने की जरूरत है.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>अनूप नौटियाल ने कहा कि “उत्तराखंड उदय” मासिक रिपोर्ट राज्य के राजनेताओं, नीति निर्माताओं और अन्य हितधारकों के लिए बेहद उपयोगी साबित हो सकती है, ताकि वे बेहतर योजना और प्रबंधन के जरिये आपदाओं से निपटने के उपाय कर सकें.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>भविष्य के लिए चेतावनी</strong><br />रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि अगर राज्य में लगातार निर्माण कार्य बिना किसी योजना के चलते रहे, तो आने वाले समय में भूस्खलन और अन्य आपदाओं का खतरा और बढ़ सकता है. ऐसे में जरूरी है कि राज्य सरकार और संबंधित विभाग समय रहते उचित कदम उठाएं ताकि लोगों के जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें: <a title=”मोहन भागवत से CM योगी की मुलाकात के कई मायने, हार्ड हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के एजेंडे पर फोकस” href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/cm-yogi-adityanath-meets-mohan-bhagwat-emphasis-on-agenda-of-hard-hindutva-and-nationalism-ann-2808999″ target=”_blank” rel=”noopener”>मोहन भागवत से CM योगी की मुलाकात के कई मायने, हार्ड हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के एजेंडे पर फोकस</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Uttarakhand News Today:</strong> इस साल के मानसून सीजन में उत्तराखंड को कई गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ा. एसडीसी फाउंडेशन के जरिये जारी उत्तराखंड डिजास्टर एंड एक्सीडेंट एनालिसिस इनिशिएटिव (उदय) रिपोर्ट के अनुसार, मानसून के दौरान राज्य में 500 नए भूस्खलन जोन विकसित हुए हैं.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>यह भूस्खलन जोन राज्य के अलग-अलग हिस्सों में निर्माण कार्यों के कारण विकसित हुए हैं, जिससे आपदा का खतरा और बढ़ गया है. रिपोर्ट में उत्तराखंड के लिए ये नई चुनौतियां राज्य के आपदा प्रबंधन तंत्र के लिए चेतावनी है. हिमालय दिवस के मौके पर वाडिया हिमालयन इंस्टीट्यूट में जारी इस रिपोर्ट में मानसून के दौरान हुए नुकसान और नई समस्याओं को उजागर किया गया.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>एसडीसी फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल ने कहा कि राज्य में हर साल नए भूस्खलन जोन विकसित हो रहे हैं, जो स्थानीय निवासियों के लिए भारी खतरा बन चुके हैं. उन्होंने कहा कि राज्य को अपने आपदा प्रबंधन तंत्र और जलवायु परिवर्तन से निपटने की तैयारियों को मजबूत करना होगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>स्कूल की जर्जर हालत बड़ी चुनौती</strong><br />भूस्खलन के अलावा, इस मानसून सीजन में राज्य के स्कूल भवनों की जर्जर हालत ने भी बड़ी चुनौती पेश की है. रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्य के 60 फीसदी यानी 11 हजार 465 सरकारी स्कूल भवन असुरक्षित हैं.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>इन जर्जर स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की सुरक्षा पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है. बारिश के दौरान कई स्कूलों की छतें टपकने लगीं और कुछ भवन ढहने की कगार पर पहुंच गए. इससे राज्य के शिक्षा तंत्र पर भी बड़ा प्रश्नचिन्ह खड़ा हो गया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>भूस्खलन से आवागमन प्रभावित</strong><br />रिपोर्ट में मानसून सीजन के दौरान केदारनाथ और अन्य क्षेत्रों में आई तबाही का भी जिक्र किया गया है. लगातार हो रही बारिश और भूस्खलन के कारण कई सड़कों पर आवागमन ठप हो गया. जिससे स्थानीय लोगों और पर्यटकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा. सड़कों के बंद होने से राहत और बचाव कार्य बाधित हुए, जिससे आपदा प्रबंधन की चुनौतियां और बढ़ गईं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>जलवायु परिवर्तन से निपटने की जरुरत</strong><br />एसडीसी फाउंडेशन की रिपोर्ट ने राज्य के आपदा प्रबंधन तंत्र की कमजोरियों को उजागर किया है. अनूप नौटियाल ने कहा कि उत्तराखंड को जलवायु परिवर्तन के बढ़ते खतरों से निपटने के लिए तुरंत ठोस कदम उठाने की जरूरत है.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>अनूप नौटियाल ने कहा कि “उत्तराखंड उदय” मासिक रिपोर्ट राज्य के राजनेताओं, नीति निर्माताओं और अन्य हितधारकों के लिए बेहद उपयोगी साबित हो सकती है, ताकि वे बेहतर योजना और प्रबंधन के जरिये आपदाओं से निपटने के उपाय कर सकें.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>भविष्य के लिए चेतावनी</strong><br />रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि अगर राज्य में लगातार निर्माण कार्य बिना किसी योजना के चलते रहे, तो आने वाले समय में भूस्खलन और अन्य आपदाओं का खतरा और बढ़ सकता है. ऐसे में जरूरी है कि राज्य सरकार और संबंधित विभाग समय रहते उचित कदम उठाएं ताकि लोगों के जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके.</p>
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