<p style=”text-align: justify;”><strong>Uttarakhand News:</strong> उत्तराखंड में राजनीतिक हलचल एक बार फिर तेज हो गई है. प्रदेश में बदरी-केदार मंदिर समिति (बीकेटीसी), राज्य महिला आयोग और बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष पद जनवरी में समाप्त हो चुके हैं, जिससे इन महत्वपूर्ण पदों को भरने की चर्चाएं जोर पकड़ रही हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इस बीच, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के कई नेता, जो पिछले दो सालों से दायित्व की आस लगाए बैठे हैं, अब सरकार की ओर उम्मीद भरी निगाहों से देख रहे हैं. निकाय चुनाव, समान नागरिक संहिता (UCC) और राष्ट्रीय खेलों जैसे प्रमुख कार्यक्रमों के कारण यह मुद्दा अब तक टलता रहा, लेकिन अब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार पर दायित्व बंटवारे को लेकर दबाव बढ़ने लगा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>जनवरी महीने में 3 प्रमुख पद हुए खाली<br /></strong>उत्तराखंड में जनवरी महीने में तीन प्रमुख पद खाली हो गए हैं, जिनमें बदरी-केदार मंदिर समिति (बीकेटीसी), राज्य महिला आयोग और बाल अधिकार संरक्षण आयोग शामिल हैं. ये तीनों संस्थाएं प्रदेश में धार्मिक, सामाजिक और कानूनी दृष्टि से महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>1. बदरी-केदार मंदिर समिति (बीकेटीसी) का अध्यक्ष पद खाली</strong><br />उत्तराखंड सरकार ने साल 2022 में चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को भंग करने के बाद बदरी-केदार मंदिर समिति को पुनः अस्तित्व में लाया था. इसके बाद बीजेपी के वरिष्ठ नेता अजेंद्र अजय को समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था. अब जनवरी 2025 में उनका तीन साल का कार्यकाल समाप्त हो गया है. वर्तमान में शीतकालीन यात्रा चल रही है और अप्रैल-मई में चारधाम यात्रा 2025 शुरू हो जाएगी. ऐसे में, जल्द ही किसी नेता को यह जिम्मेदारी दी जा सकती है. राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि अजेंद्र अजय को दोबारा यह पद मिल सकता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>2. राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष कुर्सी खाली</strong><br />साल 2022 में विधानसभा चुनाव से पहले, 8 जनवरी को बीजेपी नेता कुसुम कंडवाल को उत्तराखंड राज्य महिला आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था. उनका कार्यकाल जनवरी 2025 में समाप्त हो चुका है. यह आयोग महिला अधिकारों और सुरक्षा से संबंधित मुद्दों को देखता है. ऐसे में, जल्द ही किसी महिला नेता को यह जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>3. बाल अधिकार संरक्षण आयोग का कार्यकाल समाप्त</strong><br />इसी तरह, 8 जनवरी 2022 को गीता खन्ना को बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष नियुक्त किया गया था. उनका भी कार्यकाल समाप्त हो चुका है.<br />यह आयोग बच्चों के अधिकारों की रक्षा, शोषण, बाल श्रम और शिक्षा से जुड़े मुद्दों पर काम करता है. इसलिए, इस पद को भी लंबे समय तक खाली नहीं रखा जा सकता.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>बीजेपी सरकार ने दायित्वधारियों की 2 सूची जारी की<br /></strong>उत्तराखंड में बीजेपी सरकार ने साल 2022 में विधानसभा चुनाव के बाद अब तक दायित्वधारियों की दो सूची जारी की है, लेकिन अभी भी कई नेता पद की आस लगाए बैठे हैं. 27 सितंबर 2023 को पहली सूची में 10 नेताओं को दायित्व सौंपा गया. 14 दिसंबर 2023 को दूसरी सूची में 11 नेताओं को जिम्मेदारी दी गई. अब जब निकाय चुनाव खत्म हो गए हैं और मुख्यमंत्री धामी दिल्ली चुनाव प्रचार से लौट आए हैं, तो दायित्वों की तीसरी सूची जल्द जारी होने की संभावना है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इस मुद्दे पर बीजेपी विधायक और पूर्व शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय का कहना है कि, दायित्व सिर्फ सम्मान देने के लिए नहीं होते, बल्कि सरकार की योजनाओं को जनता तक पहुंचाने का जरिया भी होते हैं. आयोगों और समितियों के खाली पदों को जल्द ही भरा जाना चाहिए. सरकार इस पर संज्ञान ले रही है और सही समय पर फैसला लिया जाएगा. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>सही व्यक्ति को सही पद मिले- जय सिंह रावत<br /></strong>वहीं, राजनीतिक जानकार जय सिंह रावत का कहना है कि मुख्यमंत्री के लिए दायित्व बांटना हमेशा चुनौतीपूर्ण रहता है. पार्टी के भीतर तमाम नेता इसको लेकर सिफारिशें करते हैं. जब तक कोई आधिकारिक सूची जारी नहीं होती, हर कोई यह सोचता रहता है कि शायद उसका नाम आ जाए. यदि किसी नेता को दायित्व नहीं मिलता, तो वे संगठन के खिलाफ असंतोष व्यक्त करने लगते हैं. इसलिए, सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि सही व्यक्ति को सही पद मिले.</p>
<p style=”text-align: justify;”>सूत्रों के अनुसार, कई बीजेपी नेता मुख्यमंत्री और संगठन से लगातार संपर्क बनाए हुए हैं. निकाय चुनाव में मिली सफलता के बाद अनेक नेता उम्मीद कर रहे हैं कि उन्हें भी कोई महत्वपूर्ण पद सौंपा जाए. उत्तराखंड में तीसरी सूची जारी करने की संभावनाएं लगातार बढ़ रही हैं. खासकर, जब प्रदेश सरकार पहले ही दो बार दायित्व बांट चुकी है.</p>
<ul style=”text-align: justify;”>
<li>बीकेटीसी के लिए- अजेंद्र अजय को फिर मौका मिल सकता है.</li>
<li>महिला आयोग के लिए- किसी वरिष्ठ महिला नेता का नाम आ सकता है.</li>
<li>बाल अधिकार आयोग के लिए- पार्टी संगठन से जुड़े किसी नेता को जिम्मेदारी मिल सकती है.</li>
</ul>
<p style=”text-align: justify;”>अब सवाल यह है कि सरकार इन पदों को भरने के लिए वरिष्ठता और अनुभव को प्राथमिकता देगी या राजनीतिक समीकरणों को ध्यान में रखेगी? उत्तराखंड में बदरी-केदार मंदिर समिति, राज्य महिला आयोग और बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष पद खाली होने के बाद राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. बीजेपी के कई नेता दायित्व पाने की दौड़ में हैं, और संभावना है कि निकट भविष्य में तीसरी सूची जारी हो सकती है. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी किसे दायित्व सौंपते हैं और किसे इंतजार करना पड़ता है?</p>
<p style=”text-align: justify;”>यह भी पढ़ें- <strong><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/samajwadi-party-leader-ameeque-jamei-said-pm-modi-will-influence-the-voters-of-delhi-2876986″>पीएम मोदी के महाकुंभ जाने पर सपा ने साधा निशाना, कहा- वो वोटर्स को करेंगे प्रभावित</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Uttarakhand News:</strong> उत्तराखंड में राजनीतिक हलचल एक बार फिर तेज हो गई है. प्रदेश में बदरी-केदार मंदिर समिति (बीकेटीसी), राज्य महिला आयोग और बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष पद जनवरी में समाप्त हो चुके हैं, जिससे इन महत्वपूर्ण पदों को भरने की चर्चाएं जोर पकड़ रही हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इस बीच, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के कई नेता, जो पिछले दो सालों से दायित्व की आस लगाए बैठे हैं, अब सरकार की ओर उम्मीद भरी निगाहों से देख रहे हैं. निकाय चुनाव, समान नागरिक संहिता (UCC) और राष्ट्रीय खेलों जैसे प्रमुख कार्यक्रमों के कारण यह मुद्दा अब तक टलता रहा, लेकिन अब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार पर दायित्व बंटवारे को लेकर दबाव बढ़ने लगा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>जनवरी महीने में 3 प्रमुख पद हुए खाली<br /></strong>उत्तराखंड में जनवरी महीने में तीन प्रमुख पद खाली हो गए हैं, जिनमें बदरी-केदार मंदिर समिति (बीकेटीसी), राज्य महिला आयोग और बाल अधिकार संरक्षण आयोग शामिल हैं. ये तीनों संस्थाएं प्रदेश में धार्मिक, सामाजिक और कानूनी दृष्टि से महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>1. बदरी-केदार मंदिर समिति (बीकेटीसी) का अध्यक्ष पद खाली</strong><br />उत्तराखंड सरकार ने साल 2022 में चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को भंग करने के बाद बदरी-केदार मंदिर समिति को पुनः अस्तित्व में लाया था. इसके बाद बीजेपी के वरिष्ठ नेता अजेंद्र अजय को समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था. अब जनवरी 2025 में उनका तीन साल का कार्यकाल समाप्त हो गया है. वर्तमान में शीतकालीन यात्रा चल रही है और अप्रैल-मई में चारधाम यात्रा 2025 शुरू हो जाएगी. ऐसे में, जल्द ही किसी नेता को यह जिम्मेदारी दी जा सकती है. राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि अजेंद्र अजय को दोबारा यह पद मिल सकता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>2. राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष कुर्सी खाली</strong><br />साल 2022 में विधानसभा चुनाव से पहले, 8 जनवरी को बीजेपी नेता कुसुम कंडवाल को उत्तराखंड राज्य महिला आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था. उनका कार्यकाल जनवरी 2025 में समाप्त हो चुका है. यह आयोग महिला अधिकारों और सुरक्षा से संबंधित मुद्दों को देखता है. ऐसे में, जल्द ही किसी महिला नेता को यह जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>3. बाल अधिकार संरक्षण आयोग का कार्यकाल समाप्त</strong><br />इसी तरह, 8 जनवरी 2022 को गीता खन्ना को बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष नियुक्त किया गया था. उनका भी कार्यकाल समाप्त हो चुका है.<br />यह आयोग बच्चों के अधिकारों की रक्षा, शोषण, बाल श्रम और शिक्षा से जुड़े मुद्दों पर काम करता है. इसलिए, इस पद को भी लंबे समय तक खाली नहीं रखा जा सकता.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>बीजेपी सरकार ने दायित्वधारियों की 2 सूची जारी की<br /></strong>उत्तराखंड में बीजेपी सरकार ने साल 2022 में विधानसभा चुनाव के बाद अब तक दायित्वधारियों की दो सूची जारी की है, लेकिन अभी भी कई नेता पद की आस लगाए बैठे हैं. 27 सितंबर 2023 को पहली सूची में 10 नेताओं को दायित्व सौंपा गया. 14 दिसंबर 2023 को दूसरी सूची में 11 नेताओं को जिम्मेदारी दी गई. अब जब निकाय चुनाव खत्म हो गए हैं और मुख्यमंत्री धामी दिल्ली चुनाव प्रचार से लौट आए हैं, तो दायित्वों की तीसरी सूची जल्द जारी होने की संभावना है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इस मुद्दे पर बीजेपी विधायक और पूर्व शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय का कहना है कि, दायित्व सिर्फ सम्मान देने के लिए नहीं होते, बल्कि सरकार की योजनाओं को जनता तक पहुंचाने का जरिया भी होते हैं. आयोगों और समितियों के खाली पदों को जल्द ही भरा जाना चाहिए. सरकार इस पर संज्ञान ले रही है और सही समय पर फैसला लिया जाएगा. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>सही व्यक्ति को सही पद मिले- जय सिंह रावत<br /></strong>वहीं, राजनीतिक जानकार जय सिंह रावत का कहना है कि मुख्यमंत्री के लिए दायित्व बांटना हमेशा चुनौतीपूर्ण रहता है. पार्टी के भीतर तमाम नेता इसको लेकर सिफारिशें करते हैं. जब तक कोई आधिकारिक सूची जारी नहीं होती, हर कोई यह सोचता रहता है कि शायद उसका नाम आ जाए. यदि किसी नेता को दायित्व नहीं मिलता, तो वे संगठन के खिलाफ असंतोष व्यक्त करने लगते हैं. इसलिए, सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि सही व्यक्ति को सही पद मिले.</p>
<p style=”text-align: justify;”>सूत्रों के अनुसार, कई बीजेपी नेता मुख्यमंत्री और संगठन से लगातार संपर्क बनाए हुए हैं. निकाय चुनाव में मिली सफलता के बाद अनेक नेता उम्मीद कर रहे हैं कि उन्हें भी कोई महत्वपूर्ण पद सौंपा जाए. उत्तराखंड में तीसरी सूची जारी करने की संभावनाएं लगातार बढ़ रही हैं. खासकर, जब प्रदेश सरकार पहले ही दो बार दायित्व बांट चुकी है.</p>
<ul style=”text-align: justify;”>
<li>बीकेटीसी के लिए- अजेंद्र अजय को फिर मौका मिल सकता है.</li>
<li>महिला आयोग के लिए- किसी वरिष्ठ महिला नेता का नाम आ सकता है.</li>
<li>बाल अधिकार आयोग के लिए- पार्टी संगठन से जुड़े किसी नेता को जिम्मेदारी मिल सकती है.</li>
</ul>
<p style=”text-align: justify;”>अब सवाल यह है कि सरकार इन पदों को भरने के लिए वरिष्ठता और अनुभव को प्राथमिकता देगी या राजनीतिक समीकरणों को ध्यान में रखेगी? उत्तराखंड में बदरी-केदार मंदिर समिति, राज्य महिला आयोग और बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष पद खाली होने के बाद राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. बीजेपी के कई नेता दायित्व पाने की दौड़ में हैं, और संभावना है कि निकट भविष्य में तीसरी सूची जारी हो सकती है. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी किसे दायित्व सौंपते हैं और किसे इंतजार करना पड़ता है?</p>
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