उत्तराखंड में सख्त भू-कानून को मिली मंजूरी, राज्य की संस्कृति और संसाधनों की रक्षा का बड़ा फैसला

उत्तराखंड में सख्त भू-कानून को मिली मंजूरी, राज्य की संस्कृति और संसाधनों की रक्षा का बड़ा फैसला

<p style=”text-align: justify;”><strong>Uttarakhand land law approved:</strong> उत्तराखंड की जनता की लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा करते हुए धामी सरकार ने आखिरकार सख्त भू-कानून को मंजूरी दे दी है. कैबिनेट के इस ऐतिहासिक फैसले से राज्य के प्राकृतिक संसाधनों, सांस्कृतिक धरोहर और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित होगी. यह कदम उत्तराखंड की मूल पहचान को बनाए रखने में भी अहम भूमिका निभाएगा. सीएम धामी ने कहा है कि “हमारी सरकार जनता के हितों के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और हम कभी भी उनके विश्वास को टूटने नहीं देंगे. इस निर्णय से यह स्पष्ट होता है कि हम अपने राज्य और संस्कृति की रक्षा के लिए हर संभव प्रयास करेंगे.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>उत्तराखंड में पिछले कई वर्षों से बाहरी व्यक्तियों द्वारा जमीन की अंधाधुंध खरीद एक बड़ी समस्या बन गई थी. इसका असर राज्य की पारंपरिक संस्कृति, पर्यावरण और स्थानीय लोगों के अधिकारों पर पड़ रहा था. राज्य में होटल, रिसॉर्ट और व्यवसायिक प्रतिष्ठानों के लिए बाहरी कंपनियां और अमीर लोग बड़े पैमाने पर जमीन खरीद रहे थे. इससे स्थानीय निवासियों को जमीन मिलना मुश्किल हो गया था. बाहरी लोगों के बढ़ते प्रभाव से स्थानीय संस्कृति और जनसंख्या संरचना में बदलाव आने लगा, जिससे कई गांवों में असंतुलन की स्थिति उत्पन्न हो गई. उत्तराखंड के संवेदनशील पहाड़ी इलाकों में अनियंत्रित भूमि खरीदारी से पर्यावरणीय असंतुलन और भू-स्खलन जैसी समस्याएं बढ़ रही थीं. राज्य के कई सामाजिक संगठनों, राजनीतिक दलों और नागरिकों ने मांग उठाई कि उत्तराखंड में भी जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश की तरह सख्त भू-कानून लागू किया जाए.</p>
<p style=”text-align: justify;”><iframe title=”YouTube video player” src=”https://www.youtube.com/embed/LPTcoBXtCTA?si=aQ9nFt-Sn_njyPPl” width=”560″ height=”315″ frameborder=”0″ allowfullscreen=”allowfullscreen”></iframe></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>सीएम धामी की अध्यक्षता में हुई बैठक में कानून को मिली मंजूरी</strong><br />इन सभी कारणों को देखते हुए उत्तराखंड में सख्त भू-कानून की मांग तेज होती गई और सरकार पर इस दिशा में ठोस कदम उठाने का दबाव बढ़ता गया. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में हुई कैबिनेट बैठक में सख्त भू-कानून को मंजूरी दी गई. यह कानून उत्तराखंड में बाहरी व्यक्तियों द्वारा असीमित भूमि खरीद को रोकने और राज्य की जमीन को स्थानीय लोगों के लिए संरक्षित करने का काम करेगा. कैबिनेट के इस फैसले का उत्तराखंड की जनता, सामाजिक संगठनों और बुद्धिजीवियों ने खुले दिल से स्वागत किया है. लोगों का मानना है कि यह कानून राज्य की पहचान, संस्कृति और प्राकृतिक संसाधनों को सुरक्षित रखने में एक मील का पत्थर साबित होगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”>मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, “हमारी सरकार ने जनता की भावनाओं का सम्मान करते हुए सख्त भू-कानून को मंजूरी दी है. यह कानून उत्तराखंड की सांस्कृतिक और भौगोलिक पहचान को बनाए रखने में मदद करेगा. हम राज्य के संसाधनों और लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं.” उत्तराखंड में सख्त भू-कानून लागू होने से राज्य की भूमि, संसाधनों और सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा होगी. लंबे समय से जनता की यह मांग अब पूरी हो गई है, जिससे राज्य की पारंपरिक संस्कृति, पर्यावरण और आर्थिक संरचना को मजबूती मिलेगी. यह कानून उत्तराखंड की पहचान को बनाए रखने और स्थानीय निवासियों के अधिकारों को संरक्षित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक निर्णय साबित होगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”>ये भी पढ़ें : <a href=”http://abplive.com/states/up-uk/maha-kumbh-2025-prayagraj-is-really-happening-after-144-years-know-about-fact-2887575″><strong>क्या महाकुंभ 2025 वाकई 144 वर्षों बाद हो रहा है? पहले भी हो चुके हैं ऐसे दावे, जानें क्या है सच</strong></a></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Uttarakhand land law approved:</strong> उत्तराखंड की जनता की लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा करते हुए धामी सरकार ने आखिरकार सख्त भू-कानून को मंजूरी दे दी है. कैबिनेट के इस ऐतिहासिक फैसले से राज्य के प्राकृतिक संसाधनों, सांस्कृतिक धरोहर और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित होगी. यह कदम उत्तराखंड की मूल पहचान को बनाए रखने में भी अहम भूमिका निभाएगा. सीएम धामी ने कहा है कि “हमारी सरकार जनता के हितों के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और हम कभी भी उनके विश्वास को टूटने नहीं देंगे. इस निर्णय से यह स्पष्ट होता है कि हम अपने राज्य और संस्कृति की रक्षा के लिए हर संभव प्रयास करेंगे.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>उत्तराखंड में पिछले कई वर्षों से बाहरी व्यक्तियों द्वारा जमीन की अंधाधुंध खरीद एक बड़ी समस्या बन गई थी. इसका असर राज्य की पारंपरिक संस्कृति, पर्यावरण और स्थानीय लोगों के अधिकारों पर पड़ रहा था. राज्य में होटल, रिसॉर्ट और व्यवसायिक प्रतिष्ठानों के लिए बाहरी कंपनियां और अमीर लोग बड़े पैमाने पर जमीन खरीद रहे थे. इससे स्थानीय निवासियों को जमीन मिलना मुश्किल हो गया था. बाहरी लोगों के बढ़ते प्रभाव से स्थानीय संस्कृति और जनसंख्या संरचना में बदलाव आने लगा, जिससे कई गांवों में असंतुलन की स्थिति उत्पन्न हो गई. उत्तराखंड के संवेदनशील पहाड़ी इलाकों में अनियंत्रित भूमि खरीदारी से पर्यावरणीय असंतुलन और भू-स्खलन जैसी समस्याएं बढ़ रही थीं. राज्य के कई सामाजिक संगठनों, राजनीतिक दलों और नागरिकों ने मांग उठाई कि उत्तराखंड में भी जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश की तरह सख्त भू-कानून लागू किया जाए.</p>
<p style=”text-align: justify;”><iframe title=”YouTube video player” src=”https://www.youtube.com/embed/LPTcoBXtCTA?si=aQ9nFt-Sn_njyPPl” width=”560″ height=”315″ frameborder=”0″ allowfullscreen=”allowfullscreen”></iframe></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>सीएम धामी की अध्यक्षता में हुई बैठक में कानून को मिली मंजूरी</strong><br />इन सभी कारणों को देखते हुए उत्तराखंड में सख्त भू-कानून की मांग तेज होती गई और सरकार पर इस दिशा में ठोस कदम उठाने का दबाव बढ़ता गया. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में हुई कैबिनेट बैठक में सख्त भू-कानून को मंजूरी दी गई. यह कानून उत्तराखंड में बाहरी व्यक्तियों द्वारा असीमित भूमि खरीद को रोकने और राज्य की जमीन को स्थानीय लोगों के लिए संरक्षित करने का काम करेगा. कैबिनेट के इस फैसले का उत्तराखंड की जनता, सामाजिक संगठनों और बुद्धिजीवियों ने खुले दिल से स्वागत किया है. लोगों का मानना है कि यह कानून राज्य की पहचान, संस्कृति और प्राकृतिक संसाधनों को सुरक्षित रखने में एक मील का पत्थर साबित होगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”>मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, “हमारी सरकार ने जनता की भावनाओं का सम्मान करते हुए सख्त भू-कानून को मंजूरी दी है. यह कानून उत्तराखंड की सांस्कृतिक और भौगोलिक पहचान को बनाए रखने में मदद करेगा. हम राज्य के संसाधनों और लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं.” उत्तराखंड में सख्त भू-कानून लागू होने से राज्य की भूमि, संसाधनों और सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा होगी. लंबे समय से जनता की यह मांग अब पूरी हो गई है, जिससे राज्य की पारंपरिक संस्कृति, पर्यावरण और आर्थिक संरचना को मजबूती मिलेगी. यह कानून उत्तराखंड की पहचान को बनाए रखने और स्थानीय निवासियों के अधिकारों को संरक्षित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक निर्णय साबित होगा.</p>
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