पंजाब से राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने आज महाराजा रणजीत सिंह के सिंहासन का मुद्दा राज्यसभा में उठाया। उन्होंने कहा कि महाराजा रणजीत सिंह का सोने का सिंहासन लंदन के विक्टोरिया एंड अल्बर्ट म्यूजियम में रखा गया है। इसे वापस अपने देश लाने के लिए भारत सरकार को कूटनीति का प्रयोग कर यूनाइटेड किंगडम सरकार से संपर्क करना चाहिए। साथ ही सिंहासन को भारत वापस लाया जाना चाहिए। साथ ही उसे आम लोगों के दर्शन के लिए रखा जाए। राघव चड्ढा ने यह भी मांग की कि महाराजा रणजीत सिंह जी का जीवन इतिहास स्कूली छात्रों को भी पढ़ाया जाना चाहिए। ऐसे सिंहासन बना था ब्रिटिश साम्राज्य का हिस्सा महाराजा रणजीत सिंह का सिंहासन लड़की और राल कोर से बनाया गया था। इसे सोने की चादरों से कवर किया गया था। यह सिंहासन उस समय की भव्यता को दर्शाता है। यह सिंहासन 1849 में ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा दूसरे एंग्लो सिख युद्व में पंजाब पर कब्जा करने के बाद राज्य की संपत्ति का हिस्सा था। जिसके बाद सिंहासन को लाहौर से लंदन ले जाया गया था। 1851 में ग्रेट एग्जीबिशन में ब्रिटिश साम्राज्य के अन्य खजानों के साथ प्रदर्शित किया गया। फिर इसे लंदन म्यूजियम में प्रदर्शित किया गया। वहीं, अब इसे म्यूजियम में रखा गया है। पंजाब से राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने आज महाराजा रणजीत सिंह के सिंहासन का मुद्दा राज्यसभा में उठाया। उन्होंने कहा कि महाराजा रणजीत सिंह का सोने का सिंहासन लंदन के विक्टोरिया एंड अल्बर्ट म्यूजियम में रखा गया है। इसे वापस अपने देश लाने के लिए भारत सरकार को कूटनीति का प्रयोग कर यूनाइटेड किंगडम सरकार से संपर्क करना चाहिए। साथ ही सिंहासन को भारत वापस लाया जाना चाहिए। साथ ही उसे आम लोगों के दर्शन के लिए रखा जाए। राघव चड्ढा ने यह भी मांग की कि महाराजा रणजीत सिंह जी का जीवन इतिहास स्कूली छात्रों को भी पढ़ाया जाना चाहिए। ऐसे सिंहासन बना था ब्रिटिश साम्राज्य का हिस्सा महाराजा रणजीत सिंह का सिंहासन लड़की और राल कोर से बनाया गया था। इसे सोने की चादरों से कवर किया गया था। यह सिंहासन उस समय की भव्यता को दर्शाता है। यह सिंहासन 1849 में ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा दूसरे एंग्लो सिख युद्व में पंजाब पर कब्जा करने के बाद राज्य की संपत्ति का हिस्सा था। जिसके बाद सिंहासन को लाहौर से लंदन ले जाया गया था। 1851 में ग्रेट एग्जीबिशन में ब्रिटिश साम्राज्य के अन्य खजानों के साथ प्रदर्शित किया गया। फिर इसे लंदन म्यूजियम में प्रदर्शित किया गया। वहीं, अब इसे म्यूजियम में रखा गया है। पंजाब | दैनिक भास्कर
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