<p style=”text-align: justify;”><strong>Uttarakhand High Court:</strong> उत्तराखंड हाई कोर्ट ने पिछले महीने प्रदेश में लागू हुई समान नागरिक संहिता (यूसीसी) में लिव-इन रिलेशन को लेकर अनिवार्य पंजीकरण के प्रावधान को चुनौती देने वाली एक अन्य याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई की. याचिकाकर्ता ने इसे संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन बताते उनका विवरण लिए जाने को व्यक्तियों की निजता के अधिकार के खिलाफ बताया है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>इस याचिका पर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंदर और न्यायमूर्ति आशीष नैथानी की खंडपीठ ने सुनवाई की. पीठ इस याचिका पर इसी प्रकार की अन्य याचिकाओं के साथ एक अप्रैल को सुनवाई करेगी. महाराष्ट्र और उत्तराखंड के रानीखेत के जोड़े द्वारा दायर की गई इस याचिका में यूसीसी की शर्तों के खिलाफ दायर की है. जिसमें सहवासी संबंध के अनिवार्य पंजीकरण को ‘असंवैधानिक’ बताया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>लिव इन रिलेशन मामले पर हाईकोर्ट में सुनवाई</strong><br />याचिकाकर्ता युगल की ओर से अदालत में पेश हुए उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता राजू रामचंद्रन ने इस मामले पर दलील देते हुए कहा कि सहवासी संबंध के पंजीकरण फार्म में युगल से अनेक विवरण मांगे जाते हैं, जो फॉर्म भरने वाले व्यक्तियों की निजता का उल्लंघन है. उन्होंने कहा कि सरकार को किसी व्यक्ति की निजता का उल्लंघन करने का कोई अधिकार नहीं है. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>[yt]https://www.youtube.com/watch?v=aQwin-VjV4w[/yt]</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि पंजीकरण फार्म के प्रावधान भेदभावपूर्ण हैं क्योंकि इनमें मांगी गयी जानकारियां विवाह पंजीकरण में भी नहीं मांगी जाती. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता भी वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए उच्च न्यायालय में पेश हुए और उन्होंने राज्य और केंद्र सरकार का पक्ष रखा. इस माह की शुरुआत में यूसीसी के विरूद्ध इसी प्रकार की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय की इसी पीठ ने केंद्र और राज्य सरकारों को इस संबंध में छह सप्ताह में अपना जवाब दाखिल करने को कहा था. </p>
<p style=”text-align: justify;”>वहीं दूसरी तरफ़ राज्य और केंद्र दोनों सरकारों का प्रतिनिधित्व सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने किया. उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंस के ज़रिए कोर्ट में अपनी बात रखी. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/jhandi-viral-video-bride-vidayi-with-dozen-bulldozers-lined-up-with-car-2889790″>झांसी में दुल्हन की अनोखी विदाई, घर के आगे लगी दर्जनभर बुलडोजर की लाइन, हर कोई हैरान</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Uttarakhand High Court:</strong> उत्तराखंड हाई कोर्ट ने पिछले महीने प्रदेश में लागू हुई समान नागरिक संहिता (यूसीसी) में लिव-इन रिलेशन को लेकर अनिवार्य पंजीकरण के प्रावधान को चुनौती देने वाली एक अन्य याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई की. याचिकाकर्ता ने इसे संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन बताते उनका विवरण लिए जाने को व्यक्तियों की निजता के अधिकार के खिलाफ बताया है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>इस याचिका पर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंदर और न्यायमूर्ति आशीष नैथानी की खंडपीठ ने सुनवाई की. पीठ इस याचिका पर इसी प्रकार की अन्य याचिकाओं के साथ एक अप्रैल को सुनवाई करेगी. महाराष्ट्र और उत्तराखंड के रानीखेत के जोड़े द्वारा दायर की गई इस याचिका में यूसीसी की शर्तों के खिलाफ दायर की है. जिसमें सहवासी संबंध के अनिवार्य पंजीकरण को ‘असंवैधानिक’ बताया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>लिव इन रिलेशन मामले पर हाईकोर्ट में सुनवाई</strong><br />याचिकाकर्ता युगल की ओर से अदालत में पेश हुए उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता राजू रामचंद्रन ने इस मामले पर दलील देते हुए कहा कि सहवासी संबंध के पंजीकरण फार्म में युगल से अनेक विवरण मांगे जाते हैं, जो फॉर्म भरने वाले व्यक्तियों की निजता का उल्लंघन है. उन्होंने कहा कि सरकार को किसी व्यक्ति की निजता का उल्लंघन करने का कोई अधिकार नहीं है. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>[yt]https://www.youtube.com/watch?v=aQwin-VjV4w[/yt]</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि पंजीकरण फार्म के प्रावधान भेदभावपूर्ण हैं क्योंकि इनमें मांगी गयी जानकारियां विवाह पंजीकरण में भी नहीं मांगी जाती. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता भी वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए उच्च न्यायालय में पेश हुए और उन्होंने राज्य और केंद्र सरकार का पक्ष रखा. इस माह की शुरुआत में यूसीसी के विरूद्ध इसी प्रकार की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय की इसी पीठ ने केंद्र और राज्य सरकारों को इस संबंध में छह सप्ताह में अपना जवाब दाखिल करने को कहा था. </p>
<p style=”text-align: justify;”>वहीं दूसरी तरफ़ राज्य और केंद्र दोनों सरकारों का प्रतिनिधित्व सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने किया. उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंस के ज़रिए कोर्ट में अपनी बात रखी. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/jhandi-viral-video-bride-vidayi-with-dozen-bulldozers-lined-up-with-car-2889790″>झांसी में दुल्हन की अनोखी विदाई, घर के आगे लगी दर्जनभर बुलडोजर की लाइन, हर कोई हैरान</a></strong></p> उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड Ideas of India 2025: क्या राजनीति में आएंगे खान सर? BPSC आंदोलन से लेकर तमाम सवालों पर दिए जवाब
उत्तराखंड में UCC के तहत ‘लिव-इन’ पंजीकरण के खिलाफ याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई, जानें- मामला?
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