उत्तराखंड वन विभाग ने तैयार किया एडवांस फॉरेस्ट फायर एप, आगजनी की घटनाओं पर लगेगी रोक

उत्तराखंड वन विभाग ने तैयार किया एडवांस फॉरेस्ट फायर एप, आगजनी की घटनाओं पर लगेगी रोक

<p style=”text-align: justify;”><strong>Uttarakhand News:</strong> हर साल गर्मियों के दौरान उत्तराखंड के जंगलों में आग लगने की घटनाएं बड़ी चुनौती बन जाती है. वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार, हर साल हजारों हेक्टेयर वन क्षेत्र आग की चपेट में आकर नष्ट हो जाते हैं, जिससे न केवल पर्यावरण को भारी नुकसान होता है, बल्कि वन्यजीवों और स्थानीय समुदायों के लिए भी खतरा उत्पन्न होता है. इस समस्या से प्रभावी रूप से निपटने के लिए उत्तराखंड वन विभाग ने एक अत्याधुनिक फॉरेस्ट फायर एप्लिकेशन विकसित किया है, जो जंगल की आग की घटनाओं का तुरंत पता लगाकर तेजी से प्रतिक्रिया सुनिश्चित करेगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”>वन विभाग द्वारा विकसित इस एप्लिकेशन में रीयल-टाइम मॉनिटरिंग और त्वरित अलर्ट सिस्टम जैसी कई अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग किया गया है. इससे वन विभाग की टीमों को आग लगने की सूचना तुरंत मिल सकेगी और वे समय पर वहां पहुंचकर आग बुझाने के काम कर सकेंगे.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>एप्लिकेशन में लगा है अलर्ट सिस्टम<br /></strong>इस एप्लिकेशन में एक अत्याधुनिक अलर्ट सिस्टम लगाया गया है, जो जंगल में आग लगते ही संबंधित वनकर्मियों को तुरंत सूचना भेजता है. आग की तीव्रता और स्थान के आधार पर यह सूचना वन विभाग के अधिकारियों और फील्ड टीमों को दी जाती है ताकि वे तत्काल प्रतिक्रिया दे सकें.</p>
<p style=”text-align: justify;”>एप्लिकेशन में रंग-आधारित संकेत प्रणाली का उपयोग किया गया है, जिससे आग की स्थिति को आसानी से समझा जा सकता है. इस सिस्टम की मदद से वन अधिकारियों को यह समझने में आसानी होगी कि किसी विशेष क्षेत्र में आग बुझाने की प्रक्रिया किस स्तर तक पहुंच चुकी है.</p>
<ul style=”text-align: justify;”>
<li>लाल रंग &ndash; आग लगी है और फैल रही है.</li>
<li>पीला रंग &ndash; वनकर्मी आग वाले स्थान पर पहुंच चुके हैं.</li>
<li>हरा रंग &ndash; आग को सफलतापूर्वक बुझा दिया गया है.</li>
</ul>
<p style=”text-align: justify;”><strong>इस एप्लिकेशन को अग्निशमन वाहनों से जोड़ा गया है<br /></strong>वन विभाग ने इस एप्लिकेशन को राज्यभर के 7,000 से अधिक वन कर्मचारियों और 40 से अधिक अग्निशमन वाहनों से जोड़ा है. इससे वन विभाग की टीमें तेजी से आग प्रभावित क्षेत्रों तक पहुंच सकेंगी और नुकसान को कम करने के लिए तत्काल कार्रवाई कर सकेंगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इस एप्लिकेशन को विकसित करने में भारतीय वन सेवा (IFS) के अधिकारी वैभव सिंह की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. उन्होंने कई वर्षों तक इस समस्या का अध्ययन किया और 2020 से 2022 के बीच रुद्रप्रयाग जिले में प्रायोगिक परीक्षण करके इसे अधिक प्रभावी बनाया. उनके इस प्रयास से अब उत्तराखंड के जंगलों में लगने वाली आग पर तेजी से काबू पाया जा सकेगा.</p>
<p><iframe title=”YouTube video player” src=”https://www.youtube.com/embed/Cz2ifwN9J_M?si=KNXZSX0lPnzBcjZm” width=”560″ height=”315″ frameborder=”0″ allowfullscreen=”allowfullscreen”></iframe></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>उत्तराखंड वन विभाग ने क्या कहा?<br /></strong>उत्तराखंड वन विभाग के अपर प्रमुख वन संरक्षक निशांत वर्मा ने बताया कि इस एप्लिकेशन को इंटीग्रेटेड कमांड सेंटर से जोड़ा गया है, जिससे पूरे राज्य के वन क्षेत्रों की निगरानी की जा सकेगी. यह सेंटर जंगलों में आग की घटनाओं पर 24×7 नजर रखेगा और आवश्यकता पड़ने पर संबंधित अधिकारियों को अलर्ट भेजेगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इस एप्लिकेशन की वजह से फायर फाइटिंग टीमों की प्रतिक्रिया समय में 5 से 6 घंटे की कमी आई है, जिससे आग को फैलने से पहले ही बुझाने में सफलता मिल रही है. हर साल जंगलों में आग लगने से वन्यजीवों के आवास क्षेत्र प्रभावित होते हैं, जिससे जैव विविधता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. इस एप्लिकेशन के उपयोग से वन्यजीवों और उनके प्राकृतिक आवासों की रक्षा की जा सकेगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>एप्लिकेशन का लाभ ग्रामीणों को मिलेगा<br /></strong>इसके अलावा, जंगल की आग से वायुमंडल में कार्बन उत्सर्जन बढ़ता है, जिससे जलवायु परिवर्तन की समस्या और गंभीर हो जाती है. इस तकनीकी पहल से जंगलों में आग लगने की घटनाओं को कम करके पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में भी मदद मिलेगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उत्तराखंड के जंगलों से लगे गांवों में रहने वाले स्थानीय लोगों को भी इस एप्लिकेशन का लाभ मिलेगा. जब जंगल में आग लगती है, तो कई बार यह रिहायशी इलाकों तक भी पहुंच जाती है, जिससे स्थानीय लोगों को जान-माल का खतरा रहता है. इस एप्लिकेशन से वन विभाग को समय रहते आग लगने की सूचना मिल जाएगी, जिससे ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने और संपत्ति को बचाने में मदद मिलेगी</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>एप्लिकेशन को ड्रोन तकनीक से जोड़ा जाएगा<br /></strong>उत्तराखंड वन विभाग इस एप्लिकेशन को और अधिक उन्नत बनाने की दिशा में कार्य कर रहा है. भविष्य में इसे ड्रोन तकनीक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से जोड़ने की योजना बनाई जा रही है, जिससे जंगल की आग की घटनाओं का अधिक सटीक विश्लेषण किया जा सके और आग लगने से पहले ही संभावित खतरों का अनुमान लगाया जा सके. उत्तराखंड में हर साल जंगल की आग से करोड़ों रुपए की वन संपदा नष्ट होती है और पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुंचता है. ऐसे में फॉरेस्ट फायर एप्लिकेशन एक महत्वपूर्ण पहल साबित हो.</p>
<p style=”text-align: justify;”>यह भी पढ़ें- <strong><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/uttarakhand-budget-session-congress-will-protest-assembly-against-provisions-of-live-in-in-ucc-2887483″>उत्तराखंड बजट सत्र: UCC में Live-in के प्रावधानों के खिलाफ कांग्रेस विधानसभा का करेगी घेराव</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Uttarakhand News:</strong> हर साल गर्मियों के दौरान उत्तराखंड के जंगलों में आग लगने की घटनाएं बड़ी चुनौती बन जाती है. वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार, हर साल हजारों हेक्टेयर वन क्षेत्र आग की चपेट में आकर नष्ट हो जाते हैं, जिससे न केवल पर्यावरण को भारी नुकसान होता है, बल्कि वन्यजीवों और स्थानीय समुदायों के लिए भी खतरा उत्पन्न होता है. इस समस्या से प्रभावी रूप से निपटने के लिए उत्तराखंड वन विभाग ने एक अत्याधुनिक फॉरेस्ट फायर एप्लिकेशन विकसित किया है, जो जंगल की आग की घटनाओं का तुरंत पता लगाकर तेजी से प्रतिक्रिया सुनिश्चित करेगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”>वन विभाग द्वारा विकसित इस एप्लिकेशन में रीयल-टाइम मॉनिटरिंग और त्वरित अलर्ट सिस्टम जैसी कई अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग किया गया है. इससे वन विभाग की टीमों को आग लगने की सूचना तुरंत मिल सकेगी और वे समय पर वहां पहुंचकर आग बुझाने के काम कर सकेंगे.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>एप्लिकेशन में लगा है अलर्ट सिस्टम<br /></strong>इस एप्लिकेशन में एक अत्याधुनिक अलर्ट सिस्टम लगाया गया है, जो जंगल में आग लगते ही संबंधित वनकर्मियों को तुरंत सूचना भेजता है. आग की तीव्रता और स्थान के आधार पर यह सूचना वन विभाग के अधिकारियों और फील्ड टीमों को दी जाती है ताकि वे तत्काल प्रतिक्रिया दे सकें.</p>
<p style=”text-align: justify;”>एप्लिकेशन में रंग-आधारित संकेत प्रणाली का उपयोग किया गया है, जिससे आग की स्थिति को आसानी से समझा जा सकता है. इस सिस्टम की मदद से वन अधिकारियों को यह समझने में आसानी होगी कि किसी विशेष क्षेत्र में आग बुझाने की प्रक्रिया किस स्तर तक पहुंच चुकी है.</p>
<ul style=”text-align: justify;”>
<li>लाल रंग &ndash; आग लगी है और फैल रही है.</li>
<li>पीला रंग &ndash; वनकर्मी आग वाले स्थान पर पहुंच चुके हैं.</li>
<li>हरा रंग &ndash; आग को सफलतापूर्वक बुझा दिया गया है.</li>
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<p style=”text-align: justify;”><strong>इस एप्लिकेशन को अग्निशमन वाहनों से जोड़ा गया है<br /></strong>वन विभाग ने इस एप्लिकेशन को राज्यभर के 7,000 से अधिक वन कर्मचारियों और 40 से अधिक अग्निशमन वाहनों से जोड़ा है. इससे वन विभाग की टीमें तेजी से आग प्रभावित क्षेत्रों तक पहुंच सकेंगी और नुकसान को कम करने के लिए तत्काल कार्रवाई कर सकेंगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इस एप्लिकेशन को विकसित करने में भारतीय वन सेवा (IFS) के अधिकारी वैभव सिंह की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. उन्होंने कई वर्षों तक इस समस्या का अध्ययन किया और 2020 से 2022 के बीच रुद्रप्रयाग जिले में प्रायोगिक परीक्षण करके इसे अधिक प्रभावी बनाया. उनके इस प्रयास से अब उत्तराखंड के जंगलों में लगने वाली आग पर तेजी से काबू पाया जा सकेगा.</p>
<p><iframe title=”YouTube video player” src=”https://www.youtube.com/embed/Cz2ifwN9J_M?si=KNXZSX0lPnzBcjZm” width=”560″ height=”315″ frameborder=”0″ allowfullscreen=”allowfullscreen”></iframe></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>उत्तराखंड वन विभाग ने क्या कहा?<br /></strong>उत्तराखंड वन विभाग के अपर प्रमुख वन संरक्षक निशांत वर्मा ने बताया कि इस एप्लिकेशन को इंटीग्रेटेड कमांड सेंटर से जोड़ा गया है, जिससे पूरे राज्य के वन क्षेत्रों की निगरानी की जा सकेगी. यह सेंटर जंगलों में आग की घटनाओं पर 24×7 नजर रखेगा और आवश्यकता पड़ने पर संबंधित अधिकारियों को अलर्ट भेजेगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इस एप्लिकेशन की वजह से फायर फाइटिंग टीमों की प्रतिक्रिया समय में 5 से 6 घंटे की कमी आई है, जिससे आग को फैलने से पहले ही बुझाने में सफलता मिल रही है. हर साल जंगलों में आग लगने से वन्यजीवों के आवास क्षेत्र प्रभावित होते हैं, जिससे जैव विविधता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. इस एप्लिकेशन के उपयोग से वन्यजीवों और उनके प्राकृतिक आवासों की रक्षा की जा सकेगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>एप्लिकेशन का लाभ ग्रामीणों को मिलेगा<br /></strong>इसके अलावा, जंगल की आग से वायुमंडल में कार्बन उत्सर्जन बढ़ता है, जिससे जलवायु परिवर्तन की समस्या और गंभीर हो जाती है. इस तकनीकी पहल से जंगलों में आग लगने की घटनाओं को कम करके पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में भी मदद मिलेगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उत्तराखंड के जंगलों से लगे गांवों में रहने वाले स्थानीय लोगों को भी इस एप्लिकेशन का लाभ मिलेगा. जब जंगल में आग लगती है, तो कई बार यह रिहायशी इलाकों तक भी पहुंच जाती है, जिससे स्थानीय लोगों को जान-माल का खतरा रहता है. इस एप्लिकेशन से वन विभाग को समय रहते आग लगने की सूचना मिल जाएगी, जिससे ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने और संपत्ति को बचाने में मदद मिलेगी</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>एप्लिकेशन को ड्रोन तकनीक से जोड़ा जाएगा<br /></strong>उत्तराखंड वन विभाग इस एप्लिकेशन को और अधिक उन्नत बनाने की दिशा में कार्य कर रहा है. भविष्य में इसे ड्रोन तकनीक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से जोड़ने की योजना बनाई जा रही है, जिससे जंगल की आग की घटनाओं का अधिक सटीक विश्लेषण किया जा सके और आग लगने से पहले ही संभावित खतरों का अनुमान लगाया जा सके. उत्तराखंड में हर साल जंगल की आग से करोड़ों रुपए की वन संपदा नष्ट होती है और पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुंचता है. ऐसे में फॉरेस्ट फायर एप्लिकेशन एक महत्वपूर्ण पहल साबित हो.</p>
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