<p style=”text-align: justify;”><strong>Maharashtra News:</strong> शिवसेना यूबीटी के नेता उद्धव ठाकरे और संजय राउत ने यहां एक विशेष अदालत का दरवाजा खटखटाया है. दरअसल, शिवसेना नेता राहुल शेवाले द्वारा ठाकरे के खिलाफ मानहानी का मामला दायर किया था, जिसमें मजिस्ट्रेट ने समन जारी किया था. वहीं अब इस यूबीटी के नेताओं ने इस समन को रद्द करने की मांग की है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उद्धव ठाकरे और संजय राउत ने कोर्ट का रुख मजिस्ट्रेट द्वारा उनके डिस्चार्ज एप्लीकेशन को खारिज करने के महीनों बाद आया है, जिसमें कहा गया था कि सारांश मामलों में प्रक्रिया जारी करने के आदेश के बाद, सीआरपीसी (आपराधिक प्रक्रिया संहिता) आरोपियों को डिस्चार्ज करने के लिए एक विशिष्ट प्रावधान प्रदान नहीं करता है. उद्धव ठाकरे और संजय राउत ने अपने वकील के माध्यम से एमपी एमएलए की विशेष अदालत के सामने एक रिव्यू पिटीशन दायर की है, जिसमें मजिस्ट्रेट के आदेश को पलटने की मांग की गई है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>मुख्यमंत्री <a title=”एकनाथ शिंदे” href=”https://www.abplive.com/topic/eknath-shinde” data-type=”interlinkingkeywords”>एकनाथ शिंदे</a> के नेतृत्व वाली शिवसेना से ताल्लुक रखने वाले शेवाले ने ठाकरे और राउत पर भारतीय दंड संहिता की धारा 500 (मानहानि की सजा) के तहत मानहानि का आरोप लगाया है. वहीं अब शिवसेना यूबीटी के नेताओं का दावा है कि शेवाले ने उन्हें चुन-चुनकर निशाना बनाया. याचिका में संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) का हवाला दिया गया है, जो प्रेस की स्वतंत्रता सहित भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी देता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>याचिका में कहा गया है कि शिकायत के तथ्य झूठे और मनगढ़ंत हैं और प्रथम दृष्टया आईपीसी की धारा 500 के तहत अपराध साबित नहीं करते हैं. यह तर्क दिया गया है कि मजिस्ट्रेट ने समन जारी करने में गलती की और इसे अलग नहीं रखने से याचिकाकर्ताओं को अपूरणीय क्षति और पूर्वाग्रह होगा, जिसकी किसी भी तरह से भरपाई नहीं की जा सकती है, जिससे न्याय की विफलता होगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>वहीं इसके अलावा उद्धव ठाकरे और संजय राउत ने देरी के लिए माफी के लिए आवेदन किया है, क्योंकि अपील जमा करने की समय सीमा समाप्त हो गई है. शेवाले का प्रतिनिधित्व करने वाली वकील चित्रा सालुंके ने इस याचिका पर कोई आपत्ति नहीं जताई और अदालत द्वारा 13 जून को इस पर फैसला सुनाए जाने की उम्मीद है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a title=”उद्धव ठाकरे गुट के अमोल कीर्तिकर ने चुनाव आयोग से की शिकायत, महज 48 वोटों से हारे चुनाव” href=”https://www.abplive.com/states/maharashtra/shivsena-ubt-leader-amol-kirtikar-lodged-complaints-with-election-commission-after-defeat-2713509″ target=”_blank” rel=”noopener”>उद्धव ठाकरे गुट के अमोल कीर्तिकर ने चुनाव आयोग से की शिकायत, महज 48 वोटों से हारे चुनाव</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Maharashtra News:</strong> शिवसेना यूबीटी के नेता उद्धव ठाकरे और संजय राउत ने यहां एक विशेष अदालत का दरवाजा खटखटाया है. दरअसल, शिवसेना नेता राहुल शेवाले द्वारा ठाकरे के खिलाफ मानहानी का मामला दायर किया था, जिसमें मजिस्ट्रेट ने समन जारी किया था. वहीं अब इस यूबीटी के नेताओं ने इस समन को रद्द करने की मांग की है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उद्धव ठाकरे और संजय राउत ने कोर्ट का रुख मजिस्ट्रेट द्वारा उनके डिस्चार्ज एप्लीकेशन को खारिज करने के महीनों बाद आया है, जिसमें कहा गया था कि सारांश मामलों में प्रक्रिया जारी करने के आदेश के बाद, सीआरपीसी (आपराधिक प्रक्रिया संहिता) आरोपियों को डिस्चार्ज करने के लिए एक विशिष्ट प्रावधान प्रदान नहीं करता है. उद्धव ठाकरे और संजय राउत ने अपने वकील के माध्यम से एमपी एमएलए की विशेष अदालत के सामने एक रिव्यू पिटीशन दायर की है, जिसमें मजिस्ट्रेट के आदेश को पलटने की मांग की गई है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>मुख्यमंत्री <a title=”एकनाथ शिंदे” href=”https://www.abplive.com/topic/eknath-shinde” data-type=”interlinkingkeywords”>एकनाथ शिंदे</a> के नेतृत्व वाली शिवसेना से ताल्लुक रखने वाले शेवाले ने ठाकरे और राउत पर भारतीय दंड संहिता की धारा 500 (मानहानि की सजा) के तहत मानहानि का आरोप लगाया है. वहीं अब शिवसेना यूबीटी के नेताओं का दावा है कि शेवाले ने उन्हें चुन-चुनकर निशाना बनाया. याचिका में संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) का हवाला दिया गया है, जो प्रेस की स्वतंत्रता सहित भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी देता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>याचिका में कहा गया है कि शिकायत के तथ्य झूठे और मनगढ़ंत हैं और प्रथम दृष्टया आईपीसी की धारा 500 के तहत अपराध साबित नहीं करते हैं. यह तर्क दिया गया है कि मजिस्ट्रेट ने समन जारी करने में गलती की और इसे अलग नहीं रखने से याचिकाकर्ताओं को अपूरणीय क्षति और पूर्वाग्रह होगा, जिसकी किसी भी तरह से भरपाई नहीं की जा सकती है, जिससे न्याय की विफलता होगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>वहीं इसके अलावा उद्धव ठाकरे और संजय राउत ने देरी के लिए माफी के लिए आवेदन किया है, क्योंकि अपील जमा करने की समय सीमा समाप्त हो गई है. शेवाले का प्रतिनिधित्व करने वाली वकील चित्रा सालुंके ने इस याचिका पर कोई आपत्ति नहीं जताई और अदालत द्वारा 13 जून को इस पर फैसला सुनाए जाने की उम्मीद है.</p>
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