<p style=”text-align: justify;”><strong>Uttar Pradesh News Today:</strong> उत्तराखंड में धामी सरकार ने बीते 27 जनवरी से समान नागरिक संहिता (UCC) लागू कर दिया. इसको लेकर जमीयत उलेमा ए हिन्द ने उत्तराखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. जमीयत उलेमा ए हिन्द के कानूनी सलाहकार मौलाना काब रशीदी ने कहा कि यह कानून संविधान के बुनियादी संरचना के खिलाफ है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>मौलाना काब रशीदी ने बताया कि जमीयत उलेमा ए हिन्द के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि यूसीसी भेदभाव पर आधारित कानून है, इसलिए हम इसको एक साथ स्टेट हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज करेंग. उन्होंने कहा कि जमीयत उलेमा ए हिन्द ने इसी क्रम में कल उत्तराखंड हाईकोर्ट का रुख किया है. हाईकोर्ट में इसे हमारी तरफ से कपिल सिब्बल कोर्ट में पेश हुए, जिसमें उन्होंने मांग की कि यूसीसी पर तत्काल प्रभाव से स्टे लगाया जाए, इसकी वजह यह है कि ये कानून संविधान के बुनियादी संरचनाओं के खिलाफ है. </p>
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<p><iframe title=”YouTube video player” src=”https://www.youtube.com/embed/TaD8MTY5oe4?si=DnBhp6Ubk_w6AkxU” width=”560″ height=”315″ frameborder=”0″ allowfullscreen=”allowfullscreen”></iframe></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>यूसीसी पर खड़े किए सवाल</strong><br />मौलाना काब रशीदी ने कहा कि जमीयत उलेमा ए हिन्द ने पहले ही कहा था कि ये समान नागरिक संहिता (UCC) नहीं है. उन्होंने कहा, “सरकार ने आर्टिकल 21 को बुनियाद बनाकर शेड्यूल कास्ट और अति पिछड़ा वर्ग को यूसीसी से बाहर कर दिया. सरकार इसके पीछे तर्क देती है कि भारत के संविधान के आर्टिकल 21 ने इनके अधिकारों की रक्षा की है. काब रशीदी ने कहा कि जब सरकार इस बुनियाद पर एससी और एसटी को बाहर कर सकते हैं, तो फिर आर्टिकल 25, 26 और 29 के बुनियाद पर मुसलमानों के धार्मिक अधिकारों की रक्षा क्यों नहीं कर सकते हैं?</p>
<p style=”text-align: justify;”>जमीयत उलेमा ए हिंद के कानूनी सलाहकार ने कहा, “समान नागरिक संहिता कानून भारत जैसे देश में आसान नहीं है.” उन्होंने कहा, “लॉ कमीशन के पुराने इतिहास पर नजर डाले तो 2018 में कहा गया कि भारत जैसे विभिन्नताओं वाले देश में यूसीसी जैसे किसी कानून की जरुरत नहीं है.” मौलाना काब रशीदी ने कहा कि जमीयत उलेमा ए हिंद की याचिका पर हाईकोर्ट में अगली सुनवाई 1 अप्रैल 2025 को होगी. हमें उम्मीद है कि हाईकोर्ट इस मामले में कुछ बड़ा और शानदार फैसला करेगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’UCC एकता को डिस्टर्ब करने का जरिया'</strong><br />मौलाना काब रशीदी ने कहा, “जमीयत की याचिका पर हाईकोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी किया है और उसका इस पक्ष मांगा है.” उन्होंने कहा, “हालांकि इस मामले में उत्तराखंड सरकार की तरफ से पेश वकीलों ने हाईकोर्ट की बेंच से जवाब देने के लिए समय मांगा है.” उन्होंने कहा कि सरकार कहती है कि आर्टिकल 44 में यूसीसी की मांग की गई है तो फिर इसी आर्टिकल में यह भी कहा गया है कि भारत में शराब में बंद होनी चाहिए, देश में आर्थिक रुप से असमानता नहीं होनी चाहिए. </p>
<p style=”text-align: justify;”>उत्तराखंड यूसीसी पर सवाल खड़े करते हुए मौलाना काब रशीदी ने कहा, “जिस देश में गौकशी पर कोई कानून नहीं है. सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के बावजूद रिजर्वेशन के लिए कोई एक पैरामीटर नहीं है, उस देश में आप यूसीसी कैसे लागू कर सकते हैं.” उन्होंने धामी सरकार की मंशा पर सवाल खड़े करते हुए कहा, “यूसीसी एकरुपता के जरिये एकता को डिस्टर्ब करने का एक माध्यम है. इसलिए मौलाना अरशद मदनी के नेतृत्व में जमीयत उलेमा ए हिंद इसके खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ेगी.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>वक्फ बिल को लेकर क्या कहा?</strong><br />इस मौके पर वक्फ संशोधन बिल पर जेपीसी की संसद में रिपोर्ट देने के सवाल पर भी जमीयत उलेमा ए हिन्द के कानूनी सलाहकार मौलाना काब रशीदी ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा,”जेपीसी कमेटी के सामने हमलोग लखनऊ में उपस्थित हुए थे, जिसमें हम लोगों ने कई सारे क्लॉज पर आपत्ति जताई है. इसको जब संसद में दोबारा लाया गया तो कई सदस्यों ने इस पर आपत्ति जताई है. इस पर स्पीकर की तरफ से कहा गया है कि हम इस पर और गहनता से अध्ययन करेंगे.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>मौलाना काब रशीदी ने कहा, “जमीयत उलेमा ए हिंद का कहना है कि भारत में इस तरह से नए वक्फ बिल की कोई जरुरत नहीं है.” उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा, “सरकार इस कानून के जरिये मुसलमानों की अपनी निजी धार्मिक संपत्ति पर कब्जा करना चाहती है. इसलिए इस कानून को हम लोग किसी भी रुप में स्वीकार नहीं कर सकते हैं.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें: <a title=”महाकुंभ में श्रद्धालुओं का आंकड़ा 51 करोड़ के पार, व्यवस्था देख लोगों ने लगाए CM योगी के जयकारे” href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/prayagraj-maha-kumbh-2025-devotees-snan-in-triveni-figure-crosses-51-crores-cm-yogi-ann-2885030″ target=”_blank” rel=”noopener”>महाकुंभ में श्रद्धालुओं का आंकड़ा 51 करोड़ के पार, व्यवस्था देख लोगों ने लगाए CM योगी के जयकारे</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Uttar Pradesh News Today:</strong> उत्तराखंड में धामी सरकार ने बीते 27 जनवरी से समान नागरिक संहिता (UCC) लागू कर दिया. इसको लेकर जमीयत उलेमा ए हिन्द ने उत्तराखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. जमीयत उलेमा ए हिन्द के कानूनी सलाहकार मौलाना काब रशीदी ने कहा कि यह कानून संविधान के बुनियादी संरचना के खिलाफ है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>मौलाना काब रशीदी ने बताया कि जमीयत उलेमा ए हिन्द के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि यूसीसी भेदभाव पर आधारित कानून है, इसलिए हम इसको एक साथ स्टेट हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज करेंग. उन्होंने कहा कि जमीयत उलेमा ए हिन्द ने इसी क्रम में कल उत्तराखंड हाईकोर्ट का रुख किया है. हाईकोर्ट में इसे हमारी तरफ से कपिल सिब्बल कोर्ट में पेश हुए, जिसमें उन्होंने मांग की कि यूसीसी पर तत्काल प्रभाव से स्टे लगाया जाए, इसकी वजह यह है कि ये कानून संविधान के बुनियादी संरचनाओं के खिलाफ है. </p>
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<p><iframe title=”YouTube video player” src=”https://www.youtube.com/embed/TaD8MTY5oe4?si=DnBhp6Ubk_w6AkxU” width=”560″ height=”315″ frameborder=”0″ allowfullscreen=”allowfullscreen”></iframe></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>यूसीसी पर खड़े किए सवाल</strong><br />मौलाना काब रशीदी ने कहा कि जमीयत उलेमा ए हिन्द ने पहले ही कहा था कि ये समान नागरिक संहिता (UCC) नहीं है. उन्होंने कहा, “सरकार ने आर्टिकल 21 को बुनियाद बनाकर शेड्यूल कास्ट और अति पिछड़ा वर्ग को यूसीसी से बाहर कर दिया. सरकार इसके पीछे तर्क देती है कि भारत के संविधान के आर्टिकल 21 ने इनके अधिकारों की रक्षा की है. काब रशीदी ने कहा कि जब सरकार इस बुनियाद पर एससी और एसटी को बाहर कर सकते हैं, तो फिर आर्टिकल 25, 26 और 29 के बुनियाद पर मुसलमानों के धार्मिक अधिकारों की रक्षा क्यों नहीं कर सकते हैं?</p>
<p style=”text-align: justify;”>जमीयत उलेमा ए हिंद के कानूनी सलाहकार ने कहा, “समान नागरिक संहिता कानून भारत जैसे देश में आसान नहीं है.” उन्होंने कहा, “लॉ कमीशन के पुराने इतिहास पर नजर डाले तो 2018 में कहा गया कि भारत जैसे विभिन्नताओं वाले देश में यूसीसी जैसे किसी कानून की जरुरत नहीं है.” मौलाना काब रशीदी ने कहा कि जमीयत उलेमा ए हिंद की याचिका पर हाईकोर्ट में अगली सुनवाई 1 अप्रैल 2025 को होगी. हमें उम्मीद है कि हाईकोर्ट इस मामले में कुछ बड़ा और शानदार फैसला करेगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’UCC एकता को डिस्टर्ब करने का जरिया'</strong><br />मौलाना काब रशीदी ने कहा, “जमीयत की याचिका पर हाईकोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी किया है और उसका इस पक्ष मांगा है.” उन्होंने कहा, “हालांकि इस मामले में उत्तराखंड सरकार की तरफ से पेश वकीलों ने हाईकोर्ट की बेंच से जवाब देने के लिए समय मांगा है.” उन्होंने कहा कि सरकार कहती है कि आर्टिकल 44 में यूसीसी की मांग की गई है तो फिर इसी आर्टिकल में यह भी कहा गया है कि भारत में शराब में बंद होनी चाहिए, देश में आर्थिक रुप से असमानता नहीं होनी चाहिए. </p>
<p style=”text-align: justify;”>उत्तराखंड यूसीसी पर सवाल खड़े करते हुए मौलाना काब रशीदी ने कहा, “जिस देश में गौकशी पर कोई कानून नहीं है. सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के बावजूद रिजर्वेशन के लिए कोई एक पैरामीटर नहीं है, उस देश में आप यूसीसी कैसे लागू कर सकते हैं.” उन्होंने धामी सरकार की मंशा पर सवाल खड़े करते हुए कहा, “यूसीसी एकरुपता के जरिये एकता को डिस्टर्ब करने का एक माध्यम है. इसलिए मौलाना अरशद मदनी के नेतृत्व में जमीयत उलेमा ए हिंद इसके खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ेगी.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>वक्फ बिल को लेकर क्या कहा?</strong><br />इस मौके पर वक्फ संशोधन बिल पर जेपीसी की संसद में रिपोर्ट देने के सवाल पर भी जमीयत उलेमा ए हिन्द के कानूनी सलाहकार मौलाना काब रशीदी ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा,”जेपीसी कमेटी के सामने हमलोग लखनऊ में उपस्थित हुए थे, जिसमें हम लोगों ने कई सारे क्लॉज पर आपत्ति जताई है. इसको जब संसद में दोबारा लाया गया तो कई सदस्यों ने इस पर आपत्ति जताई है. इस पर स्पीकर की तरफ से कहा गया है कि हम इस पर और गहनता से अध्ययन करेंगे.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>मौलाना काब रशीदी ने कहा, “जमीयत उलेमा ए हिंद का कहना है कि भारत में इस तरह से नए वक्फ बिल की कोई जरुरत नहीं है.” उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा, “सरकार इस कानून के जरिये मुसलमानों की अपनी निजी धार्मिक संपत्ति पर कब्जा करना चाहती है. इसलिए इस कानून को हम लोग किसी भी रुप में स्वीकार नहीं कर सकते हैं.”</p>
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‘एकता को डिस्टर्ब करने का जरिया’, उत्तराखंड UCC को जमीयत उलेमा ए हिंद ने दी चुनौती
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