हरियाणा सरकार के बजट के आंकड़ों ने अगर आपका दिमाग चकरा दिया है और ये आंकड़े समझ से बाहर हो रहे हैं तो हम आपको इन्हें आसान भाषा में समझा देते हैं। सरकार कमाई कैसे करती है, खर्च कैसे करती है, बजट कैसे बनाती है, आपके लिए बजट में क्या है और पैसा जाता कहां है…इसमें ये सब आप आसानी से समझ जाएंगे। वित्त मंत्री के रूप में CM नायब सैनी ने 2 लाख 5 हजार 17.29 करोड़ का बतौर वित्तमंत्री अपना पहला बजट पेश किया। यह पैसा शिक्षा, एग्रीकल्चर, खेल, इंडस्ट्री जैसे 17 मुख्य सेक्टरों के अलावा शहरी व ग्रामीण विकास पर खर्च के लिए रखा गया है। मगर, बजट में सबसे ज्यादा खर्च वेतन, पेंशन और कर्ज का ब्याज चुकाने पर हो रहा है। इसे ऐसे समझिए कि सरकार ने बजट में 1 रुपए रखा है तो उसमें से 31 पैसे वेतन, पेंशन और कर्ज चुकाने में खर्च हो रहे हैं। 69 पैसे अन्य कामों और क्षेत्रों में खर्च हो रहे हैं। सरकार खर्च करने के लिए पैसे का भी इंतजाम करती है। ये पैसा स्टेट जीएसटी (SGST), वैट, शुल्क और शराब बेचने से मिलने वाले टैक्स से आता है। सबसे ज्यादा पैसा स्टेट जीएसटी से मिलता है। ये बजट का 20.54% यानी लगभग ₹49,509.6 करोड़ बनता है। इसी तरह शराब ठेकों की नीलामी से सरकार को 12,975 करोड़ रुपए मिलते हैं। कुल बजट का 6.33% पैसा यहां से आता है। केंद्र से मदद फिक्स, राज्य सरकार की कमाई कहां से
प्रदेश को केंद्र से मिलने वाला टैक्स और मदद का हिस्सा फिक्स होता है। पहले राज्य सरकारें अपने स्तर पर कई अप्रत्यक्ष कर वसूलती थीं, लेकिन GST आने के बाद अप्रत्यक्ष कर के कलेक्शन में भी केंद्र की हिस्सेदारी बढ़ी है। हालांकि, राज्यों को राजस्व में नुकसान के मुआवजे के तौर पर केंद्र टैक्स देता है। किसी राज्य को केंद्रीय करों में से कितना हिस्सा मिलेगा, इसकी सिफारिश वित्त आयोग करता है। संविधान के अनुच्छेद-280 में वित्त आयोग बनाने का प्रावधान है। राज्यों को केंद्रीय करों में हिस्सा डेमोग्राफिक परफॉर्मेंस, इनकम, आबादी, जंगल, इकोलॉजी और कर जुटाने के साथ-साथ घाटा कम करने के लिए किए गए प्रयासों को देखकर दिया जाता है। वहीं, केंद्र से राज्य सरकार को मिलने वाली मदद भी फिक्स है। फिर राज्य की अपनी कमाई कहां से होती है? इसे नीचे दी गई स्लाइड से समझिए… अब समझते हैं कि पैसा कहां खर्च करती है सरकार
सरकार कमाई का पैसा इन्फ्रास्ट्रक्चर, विभागों की योजनाओं, कर्ज का ब्याज चुकाने, वेतन-भत्तों पर खर्च करती है। इस बार सरकार सबसे ज्यादा 32.84% खर्च सामाजिक सेवाओं पर कर रही है। सामाजिक सेवाओं में एजुकेशन पर 10.39%, समाज कल्याण पर 9.67%, हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर पर 4.72% और पब्लिक हेल्थ पर 2.40% खर्च किया जा रहा है। आर्थिक सेवाओं पर सरकार 21.53% खर्च किया जा रहा है जिसमें सबसे ज्यादा एग्रीकल्चर पर 10.67% रकम खर्च की जा रही है। ग्रामीण विकास और ट्रांसपोर्ट, एयर कनेक्टिविटी और सड़कों-पुल पर सरकार लगभग बराबर पैसा खर्च कर रही है। यानि सरकार ग्रामीण विकास और शहरी इन्फ्रास्ट्रक्चर में बराबर पैसा लगा रही है। ट्रांसपोर्ट, एयर कनेक्टिविटी, सड़कें-पुल पर 3.70% और ग्रामीण विकास पर 3.61% खर्च किए जा रहे हैं। एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस पर सरकार 4.78% और पेंशन पर बजट का 8.22% रुपए खर्च हो रहा है। बजट में खुशहाल हरियाणा, प्रति व्यक्ति आय तेजी से बढ़ रही
हरियाणा सरकार के बजट के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में प्रति व्यक्ति आय में 2014 की तुलना में 166.78% की बढ़ोतरी हुई है। सैनी सरकार के एक साल के कार्यकाल में भी प्रति व्यक्ति आय में बढ़ोतरी हुई है पिछले बजट में प्रति व्यक्ति आय 3 लाख 14 हजार रुपए थी जो 2025-26 के बजट में बढ़कर 3 लाख 93 हजार रुपए हो गई है। इससे पहले 2014 में जब भाजपा सत्ता में आई उस समय प्रति व्यक्ति आय करीब डेढ़ लाख रुपए थी जो अब बढ़कर 3 लाख 93 हजार रुपए हो गई है। बजट के आंकड़ों को देखें तो प्रति व्यक्ति आय के हिसाब से हरियाणा खुशहाल और समृद्ध हो रहा है। बजट की खुशखबरी, हरियाणवियों पर कम हो गया कर्ज CM सैनी ने बजट पेश करते हुए बताया कि हरियाणा सरकार ने बीते कुछ वर्षों में बहुत सा कर्ज चुकाया है, जो भाजपा की सरकार की गुड मैनेजमेंट का हिस्सा है। उन्होंने हुड्डा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार पर सीधा हमला न करते हुआ कहा कि कुछ लोग कर्ज को लेकर गुमराह करते हैं। मैं आपको कर्ज की स्थिति के बारे में बता देता हूं। हमारे 28 सार्वजनिक उपक्रमों (पब्लिक सेक्टर कंपनीज) ने 68,295 करोड़ रुपए कमाई की। इसकी बदौलत 10,627 करोड़ रुपए कर्ज कम हुआ। केंद्र की मोदी सरकार ने भी उदय स्कीम के जरिए 25,950 करोड़ के कर्ज अपने खाते में लिए। हरियाणा की GDP के अनुसार पहले प्रत्येक हरियाणवी पर 1 लाख रुपए कर्ज था, जो अब 77 हजार 898 रुपए घट गया है। इन 7 क्षेत्रों में सरकार को होती है सबसे ज्यादा कमाई
क्या आप जानते हैं कि सरकार और घर के बजट में क्या अंतर होता है। हम आपको इसे आसान तरीके से समझा देते हैं। जब आप घर का बजट बनाते हैं तो आय यानी इनकम के हिसाब से बनाते हैं जबकि सरकार जब बजट बनाती है तो खर्च के हिसाब से बनाती है। फिर इन खर्चों को पूरा करने के लिए अलग-अलग टैक्स और शुल्क के माध्यम से पैसा जुटाती है। हरियाणा सरकार ने 2025-26 में जो 2 लाख करोड़ रुपए का बजट बनाया है उसका मतलब है कि सरकार अगले साल के बजट तक विभिन्न क्षेत्रों में इतना खर्च करेगी और इसे टैक्स सहित अन्य सोर्सेस से जुटाएगी। अगर पैसा कम पड़ेगा तो उसके लिए कर्ज लेगी। सरकार इस तरह से स्टेट वेल्फेयर और लोगों के विकास के कामों को ध्यान में रखते हुए बजट में पैसे का प्रावधान करती है। अब सवाल उठता है कि हरियाणा सरकार को कमाई करवाने वाले क्षेत्र कौन से हैं, तो सरकार के 7 ऐसे क्षेत्र हैं जिनसे उसे सबसे ज्यादा पैसा मिलता है। इनमें से पैसे का सबसे बड़ा सोर्स SGST है। चिंता की बात..सरकार का राजकोषीय घाटा बढ़ रहा
हरियाणा सरकार का राजकोषीय घाटा लगातार बढ़ रहा है जो चिंता का विषय है। सरकार का राजकोषीय घाटा यानी फिस्कल डेफिसिट 15,874.6 करोड़ बढ़ा है। 2025-26 में यह घाटा 49,509.6 करोड़ (जीडीपी का 3.0%) है, जबकि पिछले बजट 2024-25 में यह 33,635 करोड़ रुपए (जीडीपी का 2.8%) था। पिछले साल की तुलना में ये 0.2 फीसदी (15,874.6 करोड़) बढ़ा है। राजकोषीय घाटा बढ़ने का मतलब है कि सरकार योजनाओं पर अधिक खर्च कर रही है। टैक्स कलेक्शन में कमी हो रही है और कर्ज का ब्याज चुकाने में बढ़ोतरी हो रही है। प्राकृतिक आपदा जैसी स्थिति में राहत पैकेज देने के कारण भी कई बार राजकोषीय घाटा बढ़ता है। अगर घाटा धीरे-धीरे बढ़ रहा है तो इसका मतलब है कि आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए सरकार इन्फ्रास्ट्रक्चर, शिक्षा, हेल्थ और कृषि क्षेत्र में निवेश बढ़ा रही है। सरकार का राजस्व घाटा घटा
हरियाणा सरकार का राजस्व घाटा घटकर 9.9 प्रतिशत हो गया है। 2014 में राजस्व घाटा 13.4 प्रतिशत था। 10 साल में राजस्व घाटा 3.5 प्रतिशत घटा है। हरियाणा सरकार के बजट के आंकड़ों ने अगर आपका दिमाग चकरा दिया है और ये आंकड़े समझ से बाहर हो रहे हैं तो हम आपको इन्हें आसान भाषा में समझा देते हैं। सरकार कमाई कैसे करती है, खर्च कैसे करती है, बजट कैसे बनाती है, आपके लिए बजट में क्या है और पैसा जाता कहां है…इसमें ये सब आप आसानी से समझ जाएंगे। वित्त मंत्री के रूप में CM नायब सैनी ने 2 लाख 5 हजार 17.29 करोड़ का बतौर वित्तमंत्री अपना पहला बजट पेश किया। यह पैसा शिक्षा, एग्रीकल्चर, खेल, इंडस्ट्री जैसे 17 मुख्य सेक्टरों के अलावा शहरी व ग्रामीण विकास पर खर्च के लिए रखा गया है। मगर, बजट में सबसे ज्यादा खर्च वेतन, पेंशन और कर्ज का ब्याज चुकाने पर हो रहा है। इसे ऐसे समझिए कि सरकार ने बजट में 1 रुपए रखा है तो उसमें से 31 पैसे वेतन, पेंशन और कर्ज चुकाने में खर्च हो रहे हैं। 69 पैसे अन्य कामों और क्षेत्रों में खर्च हो रहे हैं। सरकार खर्च करने के लिए पैसे का भी इंतजाम करती है। ये पैसा स्टेट जीएसटी (SGST), वैट, शुल्क और शराब बेचने से मिलने वाले टैक्स से आता है। सबसे ज्यादा पैसा स्टेट जीएसटी से मिलता है। ये बजट का 20.54% यानी लगभग ₹49,509.6 करोड़ बनता है। इसी तरह शराब ठेकों की नीलामी से सरकार को 12,975 करोड़ रुपए मिलते हैं। कुल बजट का 6.33% पैसा यहां से आता है। केंद्र से मदद फिक्स, राज्य सरकार की कमाई कहां से
प्रदेश को केंद्र से मिलने वाला टैक्स और मदद का हिस्सा फिक्स होता है। पहले राज्य सरकारें अपने स्तर पर कई अप्रत्यक्ष कर वसूलती थीं, लेकिन GST आने के बाद अप्रत्यक्ष कर के कलेक्शन में भी केंद्र की हिस्सेदारी बढ़ी है। हालांकि, राज्यों को राजस्व में नुकसान के मुआवजे के तौर पर केंद्र टैक्स देता है। किसी राज्य को केंद्रीय करों में से कितना हिस्सा मिलेगा, इसकी सिफारिश वित्त आयोग करता है। संविधान के अनुच्छेद-280 में वित्त आयोग बनाने का प्रावधान है। राज्यों को केंद्रीय करों में हिस्सा डेमोग्राफिक परफॉर्मेंस, इनकम, आबादी, जंगल, इकोलॉजी और कर जुटाने के साथ-साथ घाटा कम करने के लिए किए गए प्रयासों को देखकर दिया जाता है। वहीं, केंद्र से राज्य सरकार को मिलने वाली मदद भी फिक्स है। फिर राज्य की अपनी कमाई कहां से होती है? इसे नीचे दी गई स्लाइड से समझिए… अब समझते हैं कि पैसा कहां खर्च करती है सरकार
सरकार कमाई का पैसा इन्फ्रास्ट्रक्चर, विभागों की योजनाओं, कर्ज का ब्याज चुकाने, वेतन-भत्तों पर खर्च करती है। इस बार सरकार सबसे ज्यादा 32.84% खर्च सामाजिक सेवाओं पर कर रही है। सामाजिक सेवाओं में एजुकेशन पर 10.39%, समाज कल्याण पर 9.67%, हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर पर 4.72% और पब्लिक हेल्थ पर 2.40% खर्च किया जा रहा है। आर्थिक सेवाओं पर सरकार 21.53% खर्च किया जा रहा है जिसमें सबसे ज्यादा एग्रीकल्चर पर 10.67% रकम खर्च की जा रही है। ग्रामीण विकास और ट्रांसपोर्ट, एयर कनेक्टिविटी और सड़कों-पुल पर सरकार लगभग बराबर पैसा खर्च कर रही है। यानि सरकार ग्रामीण विकास और शहरी इन्फ्रास्ट्रक्चर में बराबर पैसा लगा रही है। ट्रांसपोर्ट, एयर कनेक्टिविटी, सड़कें-पुल पर 3.70% और ग्रामीण विकास पर 3.61% खर्च किए जा रहे हैं। एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस पर सरकार 4.78% और पेंशन पर बजट का 8.22% रुपए खर्च हो रहा है। बजट में खुशहाल हरियाणा, प्रति व्यक्ति आय तेजी से बढ़ रही
हरियाणा सरकार के बजट के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में प्रति व्यक्ति आय में 2014 की तुलना में 166.78% की बढ़ोतरी हुई है। सैनी सरकार के एक साल के कार्यकाल में भी प्रति व्यक्ति आय में बढ़ोतरी हुई है पिछले बजट में प्रति व्यक्ति आय 3 लाख 14 हजार रुपए थी जो 2025-26 के बजट में बढ़कर 3 लाख 93 हजार रुपए हो गई है। इससे पहले 2014 में जब भाजपा सत्ता में आई उस समय प्रति व्यक्ति आय करीब डेढ़ लाख रुपए थी जो अब बढ़कर 3 लाख 93 हजार रुपए हो गई है। बजट के आंकड़ों को देखें तो प्रति व्यक्ति आय के हिसाब से हरियाणा खुशहाल और समृद्ध हो रहा है। बजट की खुशखबरी, हरियाणवियों पर कम हो गया कर्ज CM सैनी ने बजट पेश करते हुए बताया कि हरियाणा सरकार ने बीते कुछ वर्षों में बहुत सा कर्ज चुकाया है, जो भाजपा की सरकार की गुड मैनेजमेंट का हिस्सा है। उन्होंने हुड्डा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार पर सीधा हमला न करते हुआ कहा कि कुछ लोग कर्ज को लेकर गुमराह करते हैं। मैं आपको कर्ज की स्थिति के बारे में बता देता हूं। हमारे 28 सार्वजनिक उपक्रमों (पब्लिक सेक्टर कंपनीज) ने 68,295 करोड़ रुपए कमाई की। इसकी बदौलत 10,627 करोड़ रुपए कर्ज कम हुआ। केंद्र की मोदी सरकार ने भी उदय स्कीम के जरिए 25,950 करोड़ के कर्ज अपने खाते में लिए। हरियाणा की GDP के अनुसार पहले प्रत्येक हरियाणवी पर 1 लाख रुपए कर्ज था, जो अब 77 हजार 898 रुपए घट गया है। इन 7 क्षेत्रों में सरकार को होती है सबसे ज्यादा कमाई
क्या आप जानते हैं कि सरकार और घर के बजट में क्या अंतर होता है। हम आपको इसे आसान तरीके से समझा देते हैं। जब आप घर का बजट बनाते हैं तो आय यानी इनकम के हिसाब से बनाते हैं जबकि सरकार जब बजट बनाती है तो खर्च के हिसाब से बनाती है। फिर इन खर्चों को पूरा करने के लिए अलग-अलग टैक्स और शुल्क के माध्यम से पैसा जुटाती है। हरियाणा सरकार ने 2025-26 में जो 2 लाख करोड़ रुपए का बजट बनाया है उसका मतलब है कि सरकार अगले साल के बजट तक विभिन्न क्षेत्रों में इतना खर्च करेगी और इसे टैक्स सहित अन्य सोर्सेस से जुटाएगी। अगर पैसा कम पड़ेगा तो उसके लिए कर्ज लेगी। सरकार इस तरह से स्टेट वेल्फेयर और लोगों के विकास के कामों को ध्यान में रखते हुए बजट में पैसे का प्रावधान करती है। अब सवाल उठता है कि हरियाणा सरकार को कमाई करवाने वाले क्षेत्र कौन से हैं, तो सरकार के 7 ऐसे क्षेत्र हैं जिनसे उसे सबसे ज्यादा पैसा मिलता है। इनमें से पैसे का सबसे बड़ा सोर्स SGST है। चिंता की बात..सरकार का राजकोषीय घाटा बढ़ रहा
हरियाणा सरकार का राजकोषीय घाटा लगातार बढ़ रहा है जो चिंता का विषय है। सरकार का राजकोषीय घाटा यानी फिस्कल डेफिसिट 15,874.6 करोड़ बढ़ा है। 2025-26 में यह घाटा 49,509.6 करोड़ (जीडीपी का 3.0%) है, जबकि पिछले बजट 2024-25 में यह 33,635 करोड़ रुपए (जीडीपी का 2.8%) था। पिछले साल की तुलना में ये 0.2 फीसदी (15,874.6 करोड़) बढ़ा है। राजकोषीय घाटा बढ़ने का मतलब है कि सरकार योजनाओं पर अधिक खर्च कर रही है। टैक्स कलेक्शन में कमी हो रही है और कर्ज का ब्याज चुकाने में बढ़ोतरी हो रही है। प्राकृतिक आपदा जैसी स्थिति में राहत पैकेज देने के कारण भी कई बार राजकोषीय घाटा बढ़ता है। अगर घाटा धीरे-धीरे बढ़ रहा है तो इसका मतलब है कि आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए सरकार इन्फ्रास्ट्रक्चर, शिक्षा, हेल्थ और कृषि क्षेत्र में निवेश बढ़ा रही है। सरकार का राजस्व घाटा घटा
हरियाणा सरकार का राजस्व घाटा घटकर 9.9 प्रतिशत हो गया है। 2014 में राजस्व घाटा 13.4 प्रतिशत था। 10 साल में राजस्व घाटा 3.5 प्रतिशत घटा है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
