<p style=”text-align: justify;”><strong>MP High Court Justice Farewell:</strong> मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के जस्टिस रवि मलिमठ के फेयरवेल पर एक एडवोकेट की स्पीच खूब वायरल हो रही है. चीफ जस्टिस के लिए लिखे गए विदाई भाषण में वकील ने कुछ ऐसी बातें कहीं, जो अब चर्चा का विषय बन गई हैं, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>मध्य प्रदेश हाई कोर्ट अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष ने अपने भाषण में कहा, “हमारे न्यायालय के कुछ माननीय न्यायाधीशगण अधिवक्तागण से गलत भाषा में बात करते हैं जरा-जरा सी बात पर केस डिसमिस कर दिया जाता है या POSH लगा दिया जाता है, ये जस्टिस की गरिमा के प्रतिकूल है. एक अधिवक्ता एक ही समय में एक से ज्यादा कोर्ट में उपस्थित नहीं हो सकता. ऐसे में केस को पासओवर करने के बजाय उसे डिसमिस कर दिया जाता है, यह आम बात हो गई है.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>”जनता की मदद से ज्यादा केस कम करने पर कोर्ट का फोकस”</strong><br />एडवोकेट ने कहा, “फायलिंग सेक्शन में घंटों इंतजार के बाद भी नंबर नहीं आता है. अगर केस में कोई फॉल्ट आ जाए तो फॉल्ट के सुधार के बाद दोबरा कब सुनवाई होगी, इसकी कोई गारंटी नहीं है. अगर किसी वजह से 7 दिन के अंदर डिफॉल्ट दूर न हो तो एक साथ कई केस डिसमिस कर दिए जाते हैं. जबकि हजारों ऐसे पुराने केस कोर्ट में सुनवाई के लिए लंबित हैं और उनका नंबर ही नहीं आ रहा. ऐसे में क्या यह नियम उचित है? इस पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने आगे कहा, “इससे प्रतीत होता है कि माननीय कोर्ट को आम लोगों की मदद करने के बजाय केसेस का बोझ कम करने में ज्यादा रुचि है.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कोर्ट की छुट्टियों पर भी वकील की टिप्पणी</strong><br />अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष ने आगे कहा, “इस बार हाई कोर्ट ने गर्मी की छुट्टियां 5-10 दिन आगे बढ़ा दी गई हैं. जब छुट्टियां मिलेंगी, तब तक बच्चों के स्कूल खुल जाएंगे. अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष ने जस्टिस से कहा कि उन्हें मालूम है न्यायाधीश ने ऐसा अपने मन से नहीं किया होगा. मुझे भरोसा है कि आप वकीलों की पीड़ा सुनेंगे. आप हर समस्या को मिनटों में सुलझाने का सामर्थ्य रखते हैं.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>यह भी पढ़ें: <a title=”MP में कहां सबसे ज्यादा वोटिंग? नकुलनाथ की सीट ने चौंकाया, जानें शिवराज-दिग्विजय-सिंधिया की सीट का हाल” href=”https://www.abplive.com/states/madhya-pradesh/mp-lok-sabha-elections-voting-percentage-nakul-nath-chhindwara-digvijaya-singh-rajgarh-jyotiraditya-scindia-guna-2701423″ target=”_blank” rel=”noopener”>MP में कहां सबसे ज्यादा वोटिंग? नकुलनाथ की सीट ने चौंकाया, जानें शिवराज-दिग्विजय-सिंधिया की सीट का हाल</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>MP High Court Justice Farewell:</strong> मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के जस्टिस रवि मलिमठ के फेयरवेल पर एक एडवोकेट की स्पीच खूब वायरल हो रही है. चीफ जस्टिस के लिए लिखे गए विदाई भाषण में वकील ने कुछ ऐसी बातें कहीं, जो अब चर्चा का विषय बन गई हैं, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>मध्य प्रदेश हाई कोर्ट अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष ने अपने भाषण में कहा, “हमारे न्यायालय के कुछ माननीय न्यायाधीशगण अधिवक्तागण से गलत भाषा में बात करते हैं जरा-जरा सी बात पर केस डिसमिस कर दिया जाता है या POSH लगा दिया जाता है, ये जस्टिस की गरिमा के प्रतिकूल है. एक अधिवक्ता एक ही समय में एक से ज्यादा कोर्ट में उपस्थित नहीं हो सकता. ऐसे में केस को पासओवर करने के बजाय उसे डिसमिस कर दिया जाता है, यह आम बात हो गई है.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>”जनता की मदद से ज्यादा केस कम करने पर कोर्ट का फोकस”</strong><br />एडवोकेट ने कहा, “फायलिंग सेक्शन में घंटों इंतजार के बाद भी नंबर नहीं आता है. अगर केस में कोई फॉल्ट आ जाए तो फॉल्ट के सुधार के बाद दोबरा कब सुनवाई होगी, इसकी कोई गारंटी नहीं है. अगर किसी वजह से 7 दिन के अंदर डिफॉल्ट दूर न हो तो एक साथ कई केस डिसमिस कर दिए जाते हैं. जबकि हजारों ऐसे पुराने केस कोर्ट में सुनवाई के लिए लंबित हैं और उनका नंबर ही नहीं आ रहा. ऐसे में क्या यह नियम उचित है? इस पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने आगे कहा, “इससे प्रतीत होता है कि माननीय कोर्ट को आम लोगों की मदद करने के बजाय केसेस का बोझ कम करने में ज्यादा रुचि है.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कोर्ट की छुट्टियों पर भी वकील की टिप्पणी</strong><br />अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष ने आगे कहा, “इस बार हाई कोर्ट ने गर्मी की छुट्टियां 5-10 दिन आगे बढ़ा दी गई हैं. जब छुट्टियां मिलेंगी, तब तक बच्चों के स्कूल खुल जाएंगे. अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष ने जस्टिस से कहा कि उन्हें मालूम है न्यायाधीश ने ऐसा अपने मन से नहीं किया होगा. मुझे भरोसा है कि आप वकीलों की पीड़ा सुनेंगे. आप हर समस्या को मिनटों में सुलझाने का सामर्थ्य रखते हैं.”</p>
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