<p style=”text-align: justify;”><strong>Mumbai News:</strong> बॉम्बे हाई कोर्ट ने एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में गिरफ्तार शोधकर्ता रोना विल्सन और कार्यकर्ता सुधीर धवले को बुधवार (8 जनवरी) को जमानत दे दी. इस दौरान कोर्ट ने कहा कि वे साल 2018 से जेल में हैं और मुकदमे की सुनवाई अभी शुरू नहीं हुई है. जस्टिस एएस गडकरी और जस्टिस कमल खाता की बेंच ने कहा कि दोनों ने विचाराधीन कैदियों के रूप में जेल में 6 साल से ज्यादा का समय बिताया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>हाई कोर्ट ने कहा, ”वे 2018 से जेल में हैं. मामले में आरोप भी अभी तय नहीं हुए हैं. अभियोजन पक्ष ने 300 से ज्यादा गवाहों का हवाला दिया है और इस ऐसे में भविष्य में मुकदमा खत्म होने की कोई संभावना नहीं है. आरोप तय होने के बाद केस की सुनवाई शुरू होती है.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>केस खत्म होने तक शहर नहीं छोड़ सकते धवले-विल्सन</strong><br />अभियोजन एजेंसी राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) ने हाई कोर्ट के आदेश पर स्थगन की मांग नहीं की. बचाव पक्ष के वकील मिहिर देसाई और सुदीप पासबोला ने दलील दी कि मामले में गिरफ्तारी के बाद से दोनों आरोपी जेल में बंद हैं. राहत प्रदान करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि वह इस स्तर पर मामले के गुण-दोष पर विचार नहीं कर रहा है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>सुधीर विल्सन और रोना धवले को एक-एक लाख रुपये की जमानत प्रदान करने और केस की सुनवाई के लिए स्पेशल एनआईए कोर्ट के सामने उपस्थित होने का निर्देश दिया गया है. हाई कोर्ट ने कहा कि वह अपना पासपोर्ट जमा करें और केस समाप्त होने तक शहर न छोड़ें.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>साल 2017 के भड़काऊ भाषण से जुड़ा है मामला</strong><br />जानकारी के लिए बता दें कि यह मामला 31 दिसंबर 2017 को पुणे में आयोजित एल्गार परिषद सम्मेलन में कथित रूप से भड़काऊ भाषण देने से संबंधित है, जिसके कारण अगले दिन पुणे जिले के कोरेगांव-भीमा में हिंसा भड़क गई थी. पुणे पुलिस ने दावा किया था कि इस सम्मेलन को माओवादियों का समर्थन प्राप्त था. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>2018 में अरेस्ट हुई थीं रोना विल्सन</strong><br />बाद में NIA ने जांच अपने हाथ में ले ली थी. इस मामले में गिरफ्तार किए गए 16 लोगों में से कई अब जमानत पर बाहर हैं. रोना विल्सन को जून 2018 में दिल्ली स्थित उसके घर से गिरफ्तार किया गया था. जांच एजेंसियों ने उन्हें शहरी माओवादियों के शीर्ष नेताओं में से एक बताया है. सुधीर धवले इस मामले में सबसे पहले गिरफ्तार किए गए लोगों में से एक थे, उन पर प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) का सक्रिय सदस्य होने का आरोप है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>धवले और विल्सन के अलावा इस मामले में 14 अन्य कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया था. इनमें से आठ- वरवर राव, सुधा भारद्वाज, आनंद तेलतुम्बडे, वर्नोन गोंजाल्विस, अरुण फरेरा, शोमा सेन, गौतम नवलखा और महेश राउत को अब तक जमानत मिल चुकी है. महेश राउत जेल में ही हैं, क्योंकि उनकी ज़मानत के खिलाफ एनआईए द्वारा दायर अपील सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, लेकिन मंगलवार (7 जनवरी) को स्पेशल एनआईए कोर्ट ने उन्हें एलएलबी एग्जाम में बैठने के लिए 18 दिनों की अंतरिम ज़मानत दे दी. मामले के एक आरोपी स्टेन स्वामी की 2021 में जेल में रहते हुए मृत्यु हो गई.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>यह भी पढ़ें: <a href=”https://www.abplive.com/states/maharashtra/bangladeshi-rohingya-fake-birth-certificate-in-malegaon-sit-investigation-after-cm-devendra-fadnavis-orders-2858948″>मालेगांव में बांग्लादेशी-रोहिंग्या को जन्म प्रमाण पत्र जारी किए जाने का मामला, CM फडणवीस के आदेश पर SIT करेगी जांच</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Mumbai News:</strong> बॉम्बे हाई कोर्ट ने एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में गिरफ्तार शोधकर्ता रोना विल्सन और कार्यकर्ता सुधीर धवले को बुधवार (8 जनवरी) को जमानत दे दी. इस दौरान कोर्ट ने कहा कि वे साल 2018 से जेल में हैं और मुकदमे की सुनवाई अभी शुरू नहीं हुई है. जस्टिस एएस गडकरी और जस्टिस कमल खाता की बेंच ने कहा कि दोनों ने विचाराधीन कैदियों के रूप में जेल में 6 साल से ज्यादा का समय बिताया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>हाई कोर्ट ने कहा, ”वे 2018 से जेल में हैं. मामले में आरोप भी अभी तय नहीं हुए हैं. अभियोजन पक्ष ने 300 से ज्यादा गवाहों का हवाला दिया है और इस ऐसे में भविष्य में मुकदमा खत्म होने की कोई संभावना नहीं है. आरोप तय होने के बाद केस की सुनवाई शुरू होती है.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>केस खत्म होने तक शहर नहीं छोड़ सकते धवले-विल्सन</strong><br />अभियोजन एजेंसी राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) ने हाई कोर्ट के आदेश पर स्थगन की मांग नहीं की. बचाव पक्ष के वकील मिहिर देसाई और सुदीप पासबोला ने दलील दी कि मामले में गिरफ्तारी के बाद से दोनों आरोपी जेल में बंद हैं. राहत प्रदान करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि वह इस स्तर पर मामले के गुण-दोष पर विचार नहीं कर रहा है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>सुधीर विल्सन और रोना धवले को एक-एक लाख रुपये की जमानत प्रदान करने और केस की सुनवाई के लिए स्पेशल एनआईए कोर्ट के सामने उपस्थित होने का निर्देश दिया गया है. हाई कोर्ट ने कहा कि वह अपना पासपोर्ट जमा करें और केस समाप्त होने तक शहर न छोड़ें.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>साल 2017 के भड़काऊ भाषण से जुड़ा है मामला</strong><br />जानकारी के लिए बता दें कि यह मामला 31 दिसंबर 2017 को पुणे में आयोजित एल्गार परिषद सम्मेलन में कथित रूप से भड़काऊ भाषण देने से संबंधित है, जिसके कारण अगले दिन पुणे जिले के कोरेगांव-भीमा में हिंसा भड़क गई थी. पुणे पुलिस ने दावा किया था कि इस सम्मेलन को माओवादियों का समर्थन प्राप्त था. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>2018 में अरेस्ट हुई थीं रोना विल्सन</strong><br />बाद में NIA ने जांच अपने हाथ में ले ली थी. इस मामले में गिरफ्तार किए गए 16 लोगों में से कई अब जमानत पर बाहर हैं. रोना विल्सन को जून 2018 में दिल्ली स्थित उसके घर से गिरफ्तार किया गया था. जांच एजेंसियों ने उन्हें शहरी माओवादियों के शीर्ष नेताओं में से एक बताया है. सुधीर धवले इस मामले में सबसे पहले गिरफ्तार किए गए लोगों में से एक थे, उन पर प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) का सक्रिय सदस्य होने का आरोप है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>धवले और विल्सन के अलावा इस मामले में 14 अन्य कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया था. इनमें से आठ- वरवर राव, सुधा भारद्वाज, आनंद तेलतुम्बडे, वर्नोन गोंजाल्विस, अरुण फरेरा, शोमा सेन, गौतम नवलखा और महेश राउत को अब तक जमानत मिल चुकी है. महेश राउत जेल में ही हैं, क्योंकि उनकी ज़मानत के खिलाफ एनआईए द्वारा दायर अपील सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, लेकिन मंगलवार (7 जनवरी) को स्पेशल एनआईए कोर्ट ने उन्हें एलएलबी एग्जाम में बैठने के लिए 18 दिनों की अंतरिम ज़मानत दे दी. मामले के एक आरोपी स्टेन स्वामी की 2021 में जेल में रहते हुए मृत्यु हो गई.</p>
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