ऐसा शिव मंदिर…जिसके सावन में भी नहीं खुलते कपाट:काशी में छोटे छिद्र से होता जलाभिषेक; 40 फीट नीचे विराजमान हैं महादेव के पिता

ऐसा शिव मंदिर…जिसके सावन में भी नहीं खुलते कपाट:काशी में छोटे छिद्र से होता जलाभिषेक; 40 फीट नीचे विराजमान हैं महादेव के पिता

काशी में भगवान शिव के पिता महेश्वर महादेव स्थापित हैं। इनका मंदिर जमीन से 30 फीट नीचे है। इस मंदिर को साल में बस एक बार शिवरात्रि के दिन आम श्रद्धालुओं के लिए खोला जाता है। अन्य दिनों में जमीन शिवलिंग के ऊपर बने एक छिद्र से ही जलाभिषेक किया जाता है। महादेव की नगरी काशी में सावन भर शिवभक्त विभिन्न मंदिरों में दर्शन पूजन करते हैं‌। लेकिन, काशी में एक ऐसा भी मंदिर है जिसका कपाट आम भक्तों के लिए सावन में भी नहीं खुलता हैं‌। यह मंदिर है भगवान शिव के पिता महेश्वर महादेव का मंदिर, इस मंदिर का रास्ता 3 फीट की पतली गली से होकर गुजरता है। मंदिर में विराजमान महादेव 40 फीट नीचे स्थापित है। छोटे से एक छिद्र से भक्त सावन भर करते हैं जलाभिषेक
मंदिर के पुजारी की मानें, तो यह मंदिर साल में बस एक बार शिवरात्रि के दिन आम श्रद्धालुओं के लिए खोला जाता है। अन्य दिनों में जमीन शिवलिंग के ऊपर बने एक छिद्र से ही जलाभिषेक किया जाता है। काशी विश्वनाथ मंदिर से करीब आधे किमी दूर चौक क्षेत्र के शीतला गली में इस मंदिर में स्थापित मन्दिर के बारे में ऐसा माना जाता है कि जब गंगा और काशी का कोई अस्तित्व नहीं था तभी से यह मन्दिर यहां स्थापित है। आइए अब तस्वीरों के माध्यम से देखते हैं मंदिर… जमीन में 40 फीट नीचे है शिवलिंग पुजारी अंकित मिश्रा ने बताया- इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग जमीन से करीब 30 फीट नीचे है। शिवलिंग के ऊपर एक बड़ा सा छेद है उसी से लोग दर्शन करते हैं। इस मंदिर के अंदर जाने के रास्ते को साल में बस शिवरात्रि के दिन एक बार खोला जाता है। उस दिन विधिवत रुद्राभिषेक भी किया जाता है। दर्शनार्थियों की सुरक्षा को लेकर यह मंदिर बन्द रहता है। क्योंकि, मन्दिर परिसर का रास्ता काफी पुराना और जर्जर है इसलिए इसे साल में बस एक बार ही खोला जाता है। बाकी पूरे साल शिवलिंग के ऊपर छेद से ही महेश्वर महादेव का जलाभिषेक किया जाता है। काशी खण्ड में कथा का है जिक्र पुजारी अंकित मिश्रा ने बताया-काशी में जब गंगा नहीं थी उसके पहले से यहां महेश्वर महादेव विराजमान है। भगवान शंकर के बाद जब सभी देवी देवता काशी आए तो शिव के पिता को न देख वो उदास हो गए। इसके बाद सभी देवी-देवताओं ने उनका आह्वान किया। जिसके बाद बाबा विश्वनाथ के पिता महेश्वर महादेव प्रकट हुए और शिवलिंग स्वरूप में यहां विराजमान हो गए। उन्होंने कहा कि काशी खण्ड में इस मंदिर का भी जिक्र है। मंदिर को खोजते-खोजते दूर दराज से आते हैं भक्त स्थानीय लोगों का कहना है कि यह मंदिर कभी प्रसिद्ध है। लोग यह जानने के लिए सबसे अधिक आते हैं कि छोटे से छिद्र से कैसे 40 फीट नीचे बाबा को जलाभिषेक और उनके दर्शन होते हैं। मंदिर के अंदर पिता महेश्वर महादेव और उनके ऊपर स्वर्ण सर्प विराजमान हैं। मिश्रा परिवार के सदस्य तीन पहर इस मंदिर में पूजा पाठ भोग लगाते हैं‌। इसके अलावा किसी को मंदिर में प्रवेश नहीं दिया जाता हैं। मंदिर के नीचे जानी के लिए एक पतली सी सीढ़ी हैं। जिससे होते हुए वह 40 फीट नीचे जाकर पूजा पाठ करते हैं। काशी में भगवान शिव के पिता महेश्वर महादेव स्थापित हैं। इनका मंदिर जमीन से 30 फीट नीचे है। इस मंदिर को साल में बस एक बार शिवरात्रि के दिन आम श्रद्धालुओं के लिए खोला जाता है। अन्य दिनों में जमीन शिवलिंग के ऊपर बने एक छिद्र से ही जलाभिषेक किया जाता है। महादेव की नगरी काशी में सावन भर शिवभक्त विभिन्न मंदिरों में दर्शन पूजन करते हैं‌। लेकिन, काशी में एक ऐसा भी मंदिर है जिसका कपाट आम भक्तों के लिए सावन में भी नहीं खुलता हैं‌। यह मंदिर है भगवान शिव के पिता महेश्वर महादेव का मंदिर, इस मंदिर का रास्ता 3 फीट की पतली गली से होकर गुजरता है। मंदिर में विराजमान महादेव 40 फीट नीचे स्थापित है। छोटे से एक छिद्र से भक्त सावन भर करते हैं जलाभिषेक
मंदिर के पुजारी की मानें, तो यह मंदिर साल में बस एक बार शिवरात्रि के दिन आम श्रद्धालुओं के लिए खोला जाता है। अन्य दिनों में जमीन शिवलिंग के ऊपर बने एक छिद्र से ही जलाभिषेक किया जाता है। काशी विश्वनाथ मंदिर से करीब आधे किमी दूर चौक क्षेत्र के शीतला गली में इस मंदिर में स्थापित मन्दिर के बारे में ऐसा माना जाता है कि जब गंगा और काशी का कोई अस्तित्व नहीं था तभी से यह मन्दिर यहां स्थापित है। आइए अब तस्वीरों के माध्यम से देखते हैं मंदिर… जमीन में 40 फीट नीचे है शिवलिंग पुजारी अंकित मिश्रा ने बताया- इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग जमीन से करीब 30 फीट नीचे है। शिवलिंग के ऊपर एक बड़ा सा छेद है उसी से लोग दर्शन करते हैं। इस मंदिर के अंदर जाने के रास्ते को साल में बस शिवरात्रि के दिन एक बार खोला जाता है। उस दिन विधिवत रुद्राभिषेक भी किया जाता है। दर्शनार्थियों की सुरक्षा को लेकर यह मंदिर बन्द रहता है। क्योंकि, मन्दिर परिसर का रास्ता काफी पुराना और जर्जर है इसलिए इसे साल में बस एक बार ही खोला जाता है। बाकी पूरे साल शिवलिंग के ऊपर छेद से ही महेश्वर महादेव का जलाभिषेक किया जाता है। काशी खण्ड में कथा का है जिक्र पुजारी अंकित मिश्रा ने बताया-काशी में जब गंगा नहीं थी उसके पहले से यहां महेश्वर महादेव विराजमान है। भगवान शंकर के बाद जब सभी देवी देवता काशी आए तो शिव के पिता को न देख वो उदास हो गए। इसके बाद सभी देवी-देवताओं ने उनका आह्वान किया। जिसके बाद बाबा विश्वनाथ के पिता महेश्वर महादेव प्रकट हुए और शिवलिंग स्वरूप में यहां विराजमान हो गए। उन्होंने कहा कि काशी खण्ड में इस मंदिर का भी जिक्र है। मंदिर को खोजते-खोजते दूर दराज से आते हैं भक्त स्थानीय लोगों का कहना है कि यह मंदिर कभी प्रसिद्ध है। लोग यह जानने के लिए सबसे अधिक आते हैं कि छोटे से छिद्र से कैसे 40 फीट नीचे बाबा को जलाभिषेक और उनके दर्शन होते हैं। मंदिर के अंदर पिता महेश्वर महादेव और उनके ऊपर स्वर्ण सर्प विराजमान हैं। मिश्रा परिवार के सदस्य तीन पहर इस मंदिर में पूजा पाठ भोग लगाते हैं‌। इसके अलावा किसी को मंदिर में प्रवेश नहीं दिया जाता हैं। मंदिर के नीचे जानी के लिए एक पतली सी सीढ़ी हैं। जिससे होते हुए वह 40 फीट नीचे जाकर पूजा पाठ करते हैं।   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर