कपूरथला की संपत्ति पर वक्फ बोर्ड का कब्जा रहेगा बरकरार:पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट का फैसला, कहा- ग्राम पंचायत की याचिका खारिज

कपूरथला की संपत्ति पर वक्फ बोर्ड का कब्जा रहेगा बरकरार:पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट का फैसला, कहा- ग्राम पंचायत की याचिका खारिज

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने कपूरथला के बुधो पुंधेर गांव में एक संपत्ति पर पंजाब वक्फ बोर्ड के दावे को बरकरार रखा है, जिसमें एक मस्जिद, कब्रिस्तान और तकिया शामिल है। कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा कि राजस्व अभिलेखों में भूमि को तकिया, कब्रिस्तान और मस्जिद के रूप में घोषित करने वाली किसी भी प्रविष्टि को संरक्षित किया जाना आवश्यक है। भले ही मुस्लिम समुदाय द्वारा लंबे समय से इसका उपयोग न किया गया हो। कोर्ट ने ग्राम पंचायत द्वारा दायर उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें वक्फ ट्रिब्यूनल के निर्णय को चुनौती दी गई थी। ट्रिब्यूनल ने भूमि को वक्फ संपत्ति घोषित किया था और ग्राम पंचायत को इसके कब्जे में दखल देने से रोक दिया था। 3 प्रविष्टि को माना जाता है निर्णायक : कोर्ट जस्टिस सुरेश्वर ठाकुर और जस्टिस सुदीप्ति शर्मा की खंडपीठ ने कहा कि, राजस्व अभिलेखों में भूमि को तकिया, कब्रिस्तान और मस्जिद के रूप में घोषित करने वाली 3 प्रविष्टि को निर्णायक माना जाता है। मुस्लिम समुदाय द्वारा लंबे समय से इसका उपयोग न करने के बावजूद, संबंधित स्थल की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा कि विवादित भूमि महाराजा कपूरथला द्वारा दान की गई थी और 1922 में इसे 14 कटक पर सूबे शाह के बेटों निक्के शा और स्लामत शा को तकिया, कब्रिस्तान और मस्जिद के रूप में घोषित किया गया था। विभाजन के बाद शा बंधु पाकिस्तान चले गए और भूमि का नाम ग्राम पंचायत के नाम पर दर्ज कर दिया गया। कोर्ट ने वक्फ ट्रिब्यूनल के निर्णय को सही ठहराते हुए ग्राम पंचायत को भूमि पर किसी भी प्रकार का कब्जा करने से रोकने के आदेश दिए। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने कपूरथला के बुधो पुंधेर गांव में एक संपत्ति पर पंजाब वक्फ बोर्ड के दावे को बरकरार रखा है, जिसमें एक मस्जिद, कब्रिस्तान और तकिया शामिल है। कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा कि राजस्व अभिलेखों में भूमि को तकिया, कब्रिस्तान और मस्जिद के रूप में घोषित करने वाली किसी भी प्रविष्टि को संरक्षित किया जाना आवश्यक है। भले ही मुस्लिम समुदाय द्वारा लंबे समय से इसका उपयोग न किया गया हो। कोर्ट ने ग्राम पंचायत द्वारा दायर उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें वक्फ ट्रिब्यूनल के निर्णय को चुनौती दी गई थी। ट्रिब्यूनल ने भूमि को वक्फ संपत्ति घोषित किया था और ग्राम पंचायत को इसके कब्जे में दखल देने से रोक दिया था। 3 प्रविष्टि को माना जाता है निर्णायक : कोर्ट जस्टिस सुरेश्वर ठाकुर और जस्टिस सुदीप्ति शर्मा की खंडपीठ ने कहा कि, राजस्व अभिलेखों में भूमि को तकिया, कब्रिस्तान और मस्जिद के रूप में घोषित करने वाली 3 प्रविष्टि को निर्णायक माना जाता है। मुस्लिम समुदाय द्वारा लंबे समय से इसका उपयोग न करने के बावजूद, संबंधित स्थल की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा कि विवादित भूमि महाराजा कपूरथला द्वारा दान की गई थी और 1922 में इसे 14 कटक पर सूबे शाह के बेटों निक्के शा और स्लामत शा को तकिया, कब्रिस्तान और मस्जिद के रूप में घोषित किया गया था। विभाजन के बाद शा बंधु पाकिस्तान चले गए और भूमि का नाम ग्राम पंचायत के नाम पर दर्ज कर दिया गया। कोर्ट ने वक्फ ट्रिब्यूनल के निर्णय को सही ठहराते हुए ग्राम पंचायत को भूमि पर किसी भी प्रकार का कब्जा करने से रोकने के आदेश दिए।   पंजाब | दैनिक भास्कर