कपूरथला के गांव झल्ल ठीकरीवाल में देर शाम एक किसान के सिर पर गोली मारकर उसकी हत्या कर दी गई। मिली जानकारी के अनुसार हत्या जमीनी विवाद को लेकर की गई है। मृतक के शव को पोस्टमार्टम के लिए कपूरथला के सिविल अस्पताल में भेज दिया गया है। इस मामले में कपूरथला पुलिस ने गांव बल्टोहा के रहने वाले रतन सिंह पुत्र आत्मा सिंह, मोगा के तरसेम सिंह पुत्र बिंदर, बग्गा सिंह और उसका भाई पुत्र नाहर सिंह वासी गांव झल ठीकरीवाल के खिलाफ हत्या, आर्म्स एक्ट सहित विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज कर लिया है। इसकी पुष्टि डीएसपी सब-डिवीजन दीपकरण सिंह ने की है। उन्होंने बताया कि आज डॉक्टरों के पैनल मृतक के शव का पोस्टमार्टम करवाया जाएगा। 60 साल के किसान के सिर में लगी गोली थाना कोतवाली के जांच अधिकारी सब इंस्पेक्टर बलवीर कुमार कहा- मंगलवार देर शाम गांव झल्ल ठीकरीवाल में दो पक्षों में चल रहे जमीनी विवाद को लेकर दोनो पक्षों में झगड़ा हो गया था। मामला इतना बढ़ गया कि एक पक्ष ने दूसरे पक्ष पर गोलियां चलानी शुरू कर दी। जिसमें 60 साल के किसान जसपाल सिंह को गोली लगी। जसपाल को इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। 25 एकड़ जमीन को लेकर है विवाद गांव सुखिया नंगल के रहने वाले मृतक के बेटे गुरमुख सिंह ने पुलिस को बताया कि उन्होंने पिछले 8-9 वर्ष से गांव की टिकरी वालों में 25 एकड़ भूमि ठेके पर ली हुई है। जिसमें वह खेती करते हैं। 22 अक्टूबर को दोपहर बाद वह अपने पिता जसपाल सिंह के साथ अपनी वॉक्सवेगन गाड़ी (PB-08-DU-8818) पर सवार हो कर झल ठीकरीवाल में खेतो को देखने गए थे। तभी वहां जमीन पर कब्जा करने की नीयत से पहुंचे हुए रतन सिंह, तरसेम सिंह, बग्गा सिंह, उसका भाई तथा एक अज्ञात खड़े थे। अज्ञात ने उनकी गाड़ी के नजदीक आकर उसके पिता को गोली मार दी। और सभी मोके से फरार हो गए। गोली लगने से घायल हुए किसान जसपाल सिंह को तुरंत सिविल अस्पताल में उपचार के लिए लाया गया। जहां डयूटी डाक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया। कपूरथला पुलिस मामले में हत्यारोपियों की तलाश कर रही है। कपूरथला के गांव झल्ल ठीकरीवाल में देर शाम एक किसान के सिर पर गोली मारकर उसकी हत्या कर दी गई। मिली जानकारी के अनुसार हत्या जमीनी विवाद को लेकर की गई है। मृतक के शव को पोस्टमार्टम के लिए कपूरथला के सिविल अस्पताल में भेज दिया गया है। इस मामले में कपूरथला पुलिस ने गांव बल्टोहा के रहने वाले रतन सिंह पुत्र आत्मा सिंह, मोगा के तरसेम सिंह पुत्र बिंदर, बग्गा सिंह और उसका भाई पुत्र नाहर सिंह वासी गांव झल ठीकरीवाल के खिलाफ हत्या, आर्म्स एक्ट सहित विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज कर लिया है। इसकी पुष्टि डीएसपी सब-डिवीजन दीपकरण सिंह ने की है। उन्होंने बताया कि आज डॉक्टरों के पैनल मृतक के शव का पोस्टमार्टम करवाया जाएगा। 60 साल के किसान के सिर में लगी गोली थाना कोतवाली के जांच अधिकारी सब इंस्पेक्टर बलवीर कुमार कहा- मंगलवार देर शाम गांव झल्ल ठीकरीवाल में दो पक्षों में चल रहे जमीनी विवाद को लेकर दोनो पक्षों में झगड़ा हो गया था। मामला इतना बढ़ गया कि एक पक्ष ने दूसरे पक्ष पर गोलियां चलानी शुरू कर दी। जिसमें 60 साल के किसान जसपाल सिंह को गोली लगी। जसपाल को इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। 25 एकड़ जमीन को लेकर है विवाद गांव सुखिया नंगल के रहने वाले मृतक के बेटे गुरमुख सिंह ने पुलिस को बताया कि उन्होंने पिछले 8-9 वर्ष से गांव की टिकरी वालों में 25 एकड़ भूमि ठेके पर ली हुई है। जिसमें वह खेती करते हैं। 22 अक्टूबर को दोपहर बाद वह अपने पिता जसपाल सिंह के साथ अपनी वॉक्सवेगन गाड़ी (PB-08-DU-8818) पर सवार हो कर झल ठीकरीवाल में खेतो को देखने गए थे। तभी वहां जमीन पर कब्जा करने की नीयत से पहुंचे हुए रतन सिंह, तरसेम सिंह, बग्गा सिंह, उसका भाई तथा एक अज्ञात खड़े थे। अज्ञात ने उनकी गाड़ी के नजदीक आकर उसके पिता को गोली मार दी। और सभी मोके से फरार हो गए। गोली लगने से घायल हुए किसान जसपाल सिंह को तुरंत सिविल अस्पताल में उपचार के लिए लाया गया। जहां डयूटी डाक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया। कपूरथला पुलिस मामले में हत्यारोपियों की तलाश कर रही है। पंजाब | दैनिक भास्कर
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लुधियाना में रिटायर्ड DSP ने खुद को गोली मारी:मानसिक रूप से थे बीमार, पत्नी और बच्चे रहते हैं विदेश में पंजाब के लुधियाना में मंग शाम रिटायर्ड डीएसपी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत का मामला सामने आया है। रिटायर्ड डीएसपी ने खुद को सिर में गोली मार ली। वह करीब 1 साल पहले रिटायर हुए थे। वह मानसिक रूप से बीमार थे। मृतक रिटायर्ड डीएसपी का नाम बरजिंदर सिंह भुल्लर है। भुल्लर काफी दिनों से मानसिक रूप से बीमार चल रहा था। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर जांच शुरू कर दी है। जानकारी के मुताबिक, सराभा नगर के ग्रीन एवेन्यू स्थित अपने घर में भुल्लर ने अपनी लाइसेंसी रिवॉल्वर से खुद को गोली मार ली। वह यहां अपने माता-पिता के साथ रह रहे थे, जबकि उनकी पत्नी और बच्चे विदेश में रहते हैं। गोली की आवाज से घटना का पता चला गोली की आवाज सुनकर जैसे ही माता-पिता उसके कमरे में पहुंचे तो सभी दंग रह गए। खून से लथपथ बरजिंदर सिंह भुल्लर का शव कुर्सी के पास पड़ा था। परिजनों की चीख-पुकार सुनकर आसपास के लोग एकत्र हो गए। लोगों ने तुरंत उसके परिजनों को संभाला और पुलिस को सूचना दी। सूचना मिलने पर सराभा नगर पुलिस मौके पर पहुंची और जांच शुरू की। पुलिस ने शव को पोस्टमॉर्टम के लिए सिविल अस्पताल भिजवाया। कुर्सी पर बैठकर खुद को गोली मारी सराभा नगर थाने के एसएचओ इंस्पेक्टर परमवीर सिंह ने बताया कि भुल्लर मानसिक रूप से बीमार था। एसएचओ के मुताबिक भुल्लर ने अपने कमरे में कुर्सी पर बैठकर खुद को गोली मारी। गोली की आवाज सुनकर उसके माता-पिता कमरे में गए तो कुर्सी पर उसका बेजान शव पड़ा देख दंग रह गए। उसने खुद को सिर में गोली मारी है। भुल्लर 3री इंडियन रिजर्व बटालियन (आईआरबी) से 2023 में रिटायर हुए थे। वह लुधियाना में एसएचओ के पद पर भी काम कर चुके हैं। विदेश में रह रहे उनकी पत्नी और बच्चों को सूचना दे दी गई है। उनके पहुंचने के बाद पोस्टमॉर्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया जाएगा।
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पंजाब में AAP के दिग्गज धराशायी:4 मंत्री व 3 विधायक चुनाव हारे, CM और केजरीवाल की कैंपेन भी नहीं बचा पाई हार पंजाब के लोकसभा चुनाव में राज्य की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी (AAP) को लोगों ने ढाई साल में ही आइना दिखा दिया है। चुनाव लड़ रहे पांच मंत्रियों से 4 चुनाव हार गए हैं, जबकि तीन विधायकों को भी हार का मुंह देखना पड़ा है। कई जगह तो पार्टी के उम्मीदवार तीसरे स्थान पर रहे हैं। जबकि चुनावी मुहिम को कामयाब बनाने में पार्टी के प्रधान व सीएम भगवंत मान करीब मार्च महीने से डटे हुए थे। पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने खुद रोड शो और जनसभाएं की। हालांकि जनवरी माह से ही सरकार चुनावी मोड में चल रही थी। कई बड़े फैसले भी लिए गए, लेकिन पार्टी चुनाव में इन्हें कैश नहीं कर पाई। साथ ही मन मुताबिक नतीजे नहीं मिले हैं। इन मंत्रियों और विधायकों को मिली हार चुनाव हारने वालों में पटियाला लोकसभा हलके से सेहत मंत्री बलबीर सिंह, खडूर साहिब से लालजीत सिंह भुल्लर, अमृतसर से कैबिनेट मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल और बठिंडा लोकसभा में पूर्व मुख्यमंत्री स्व. प्रकाश सिंह बादल को चुनाव जीतने वाले गुरमीत सिंह खुडि्डयां शामिल थे। इसके अलावा तीन विधायक अमनदीप सिंह शेयरी कलसी, अशोक पराशर व जगदीप सिंह काका बराड़ भी चुनाव हारे हैं। मंत्रियों और विधायकों की फौज के हारने की वजह जानते है। आप के विधायकों से लोग नाराज पटियाला लोकसभा सीट से सेहत मंत्री बलबीर सिंह चुनाव हारने की कई वजह हैं। इस एरिया के अधीन आने वाली विधानसभाओं के आप विधायकों के मंत्रियों से लोग खुश नहीं थे। इस वजह से पार्टी को नुकसान झेलना पड़ा है। महिलाओं को हजार रुपये न देने वाली गारंटी का असर भी दिखा है। इसके अलावा इलाके में उस हिसाब से विकास नहीं हुआ। वहीं, कांग्रेस के दिग्गज नेता राहुल व प्रियंका गांधी और प्रधानमंत्री मोदी की रैलियों से भी आप का कुछ वोट खिसका है। मुआवजे में देरी पड़ी भारी बठिंडा लोकसभा सीट से उम्मीदवार गुरमीत सिंह खुडियां राज्य सरकार में कृषि मंत्री हैं। लेकिन चुनाव में उन्हें किसानों के विरोध का सामना करना पड़ा था। क्योंकि किसानों की फसलों काे हुए नुकसान का उचित मुआवजा नहीं मिला था। इस वजह से किसान नाराज चल रहे थे। इस इलाके में भी उचित तरीके से विकास नहीं हुआ। वहीं, सरकार की गारंटियां पूरी न होने का असर भी दिखा। हालांकि ढाई साल में ही सत्ता विरोधी लहर दिखी। विधायकों से नाराज, नशा व बेरोजगारी अमृतसर लोकसभा हलके से पार्टी ने तेज तर्रार नेता व मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल को चुनावी मैदान में थे। उनकी चुनावी कैंपेन के लिए खुद पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल अमृतसर आए थे। साथ ही रोड शो से लेकर जनसभा तक की थी। लेकिन लोगों ने उन्हें नकार दिया। उसकी वजह यह है एक तो उनका वर्चस्व अपने हलके तक सीमित रहा। दूसरा इस लोकसभा हलके के आप के विधायकों की कारगुजारी भी बढ़िया नहीं थी। कई विधायक तो विधानसभा चुनाव के बाद हलकों में सक्रिय नहीं थे। आखिरी समय में पार्टी ने दूसरी पार्टियों के कई दिग्गज नेता जॉइन भी करवाए। लेकिन उसका कोई फायदा पार्टी को नहीं मिला है। नशा और बेरोजगारी से लोग काफी आहत थे। पंथक मुद्दे रहे भारी खडूर साहिब में लोकसभा हलके में आप के परिवहन मंत्री लालजीत सिंह भुल्लर चुनावी मैदान में थे। यहां पर पर पार्टी तीसरे नंबर पर रही। हलके में पार्टी की हार की वजह है कि पार्टी के उम्मीदवारों को विधायकों का साथ नहीं मिला। वहीं, पंथक मुद्दे भी भारी रहे हैं। ढाई साल में पार्टी इन मुद्दों पर कुछ नहीं कर पाई। जबकि लोगों ने बड़े विश्वास से इस पार्टी को मौका दिया था। इस वजह से भी पार्टी को नुकसान हुआ है। कांग्रेस और भाजपा ने बिगाड़ा गणित गुरदासपुर लोकसभा सीट से AAP ने बटाला के विधायक अमन शेर सिंह कलसी को आखिरी में जाकर उम्मीदवार बनाया था। यहां पर पार्टी के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर थी। दूसरा कांग्रेस ने दिग्गज व पूर्व उप मुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा और भाजपा ने दिनेश बब्बू को चुनावी मैदान में उतारा था। ऐसे में वह शुरू से ही गिर गए। इस लोकसभा हलके में कांग्रेस काफी मजबूत है। पांच विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है। वहीं, आप के इस हलके से मंत्री भी विवादों में रहे हैं। पार्टी से नाराजगी का असर फिरोजपुर लोकसभा हलके से आप ने मुक्तसर के विधायक को जगदीप सिंह काका बराड़ को चुनाव मैदान में उतारा था। यहां पर राय सिख बिरादरी का फायदा कांग्रेस को मिला। पार्टी के खिलाफ नाराजगी का भी काका बराड़ को नुकसान हुआ है। इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी की सुरक्षा में हुई चूक व राम मंदिर का अंडर करंट भी लोगों में देखने को मिला। विधायकों का नहीं मिला साथ लुधियाना से आप ने विधायक अशोक पराशर पप्पी को चुनावी मैदान में उतारा था। उन्हें आखिरी समय में टिकट दी गई थी। लेकिन यहां पर पार्टी में बिखराव था। सभी विधायकों का समर्थन उस हिसाब से नहीं मिला है। विरोधियों ने पार्टी की नीतियों व कमजोरियों पर जबरदस्त हमला बोला। इसके अलावा कांग्रेस के राहुल गांधी और भाजपा नेता अमित शाह की रैली से काफी समीकरण बदले। यहां कुछ स्थानीय मुद्दे भी हावी रहे हैं।
पंजाब का 31 साल पुराना फर्जी एनकाउंटर मामला:CBI कोर्ट आज सुनाएगी पूर्व DIG और DSP को सजा, कल ठहराए गए दोषी
पंजाब का 31 साल पुराना फर्जी एनकाउंटर मामला:CBI कोर्ट आज सुनाएगी पूर्व DIG और DSP को सजा, कल ठहराए गए दोषी तरनतारन से जुड़े 31 साल पुराने फर्जी एनकाउंटर मामले में मोहाली की सीबीआई स्पेशल कोर्ट आज सजा सुनाएगी। इससे पहले गुरुवार को इस मामले में पूर्व डीआईजी दिलबाग सिंह और रिटायर्ड डीएसपी गुरबचन सिंह को दोषी करार दिया गया था। इस बीच, मामले में शिकायतकर्ता की मौत हो गई है। घर से उठाकर ले गए, फिर किया एनकाउंटर मृतक के परिवार ने इस मामले में न्याय के लिए लंबी लड़ाई लड़ी है। तरनतारन के जंडाला रोड निवासी गुलशन कुमार फल विक्रेता थे। यह मामला गुलशन कुमार के पिता चमन लाल की शिकायत पर 1996 में दर्ज किया गया था। उन्होंने शिकायत में कहा था कि 22 जून 1993 को डीएसपी दिलबाग सिंह (जो डीआईजी के पद से सेवानिवृत्त हुए) के नेतृत्व में तरनतारन पुलिस की एक टीम उनके बेटे को जबरन उठा ले गई। वे उनके दो बेटों परवीन कुमार और बॉबी कुमार को भी अपने साथ ले गए। लेकिन कुछ दिनों बाद सभी को छोड़ दिया गया। हालांकि गुलशन को रिहा नहीं किया गया। एक महीने बाद 22 जुलाई 1993 को फर्जी एनकाउंटर में उनकी हत्या कर दी गई। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने उन्हें बताए बिना उनके बेटे के शव का अंतिम संस्कार कर दिया। मामले में 32 लोगों की गवाही हुई सीबीआई की जांच रिपोर्ट यह बात साफ हो चुकी है कि गुरबचन सिंह, जो उस समय सब-इंस्पेक्टर थे और वह तरनतारन (शहर) पुलिस स्टेशन में एसएचओ के रूप में तैनात थे। उन्होंने गुलशन कुमार को अवैध हिरासत में रखा था। इस मामले में सुनवाई के दौरान अर्जुन सिंह, दविंदर सिंह और बलबीर सिंह की मृत्यु हो गई है। इसके अलावा इस मामले में 32 गवाहों का हवाला दिया गया था। लेकिन मामले में 15 लोगों की गवाही हुई। मामले के शिकायतकर्ता चमन लाल की भी मौत हो गई है।