हाथरस में गुरुवार को बंद कमरे में एक सिपाही का शव खून से लथपथ मिला। उसी कमरे में एक युवती भी घायल हालत में मिली। सूचना मिलते ही पुलिस भी मौके पर पहुंच गई। पुलिस ने दरवाजा कटवाकर सिपाही का शव बाहर निकलवाया। युवती को जिला अस्पताल भेजा गया है। पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंच गए हैं। मामला हाथरस कोतवाली सदर क्षेत्र का है। जलेसर रोड पर श्याम नगर में बृजमोहन के मकान में कॉन्स्टेबल कुलदीप भाटी किराए पर रहता था। गुरुवार दोपहर कुछ लोगों ने कुलदीप भाटी के कमरे के अंदर से फायरिंग की आवाज सुनी। लोगों ने इसकी सूचना पुलिस को दी। इस पर कोतवाली सदर के इंस्पेक्टर विजय सिंह पुलिस फोर्स के मौके पर पहुंचे। पुलिस ने कमरे तक पहुंचने के लिए दो दरवाजे तुड़वाए। वहां सिपाही कुलदीप भाटी की लाश फर्श पर पड़ी थी। पलंग पर एक लड़की घायल अवस्था में पड़ी थी। पुलिस ने मौके पर छानबीन और पूछताछ की। अपर पुलिस अधीक्षक और सीओ सिटी भी मौके पर पहुंच गए हैं। देखिए तीन फोटो… खबर अपडेट की जा रही है…. हाथरस में गुरुवार को बंद कमरे में एक सिपाही का शव खून से लथपथ मिला। उसी कमरे में एक युवती भी घायल हालत में मिली। सूचना मिलते ही पुलिस भी मौके पर पहुंच गई। पुलिस ने दरवाजा कटवाकर सिपाही का शव बाहर निकलवाया। युवती को जिला अस्पताल भेजा गया है। पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंच गए हैं। मामला हाथरस कोतवाली सदर क्षेत्र का है। जलेसर रोड पर श्याम नगर में बृजमोहन के मकान में कॉन्स्टेबल कुलदीप भाटी किराए पर रहता था। गुरुवार दोपहर कुछ लोगों ने कुलदीप भाटी के कमरे के अंदर से फायरिंग की आवाज सुनी। लोगों ने इसकी सूचना पुलिस को दी। इस पर कोतवाली सदर के इंस्पेक्टर विजय सिंह पुलिस फोर्स के मौके पर पहुंचे। पुलिस ने कमरे तक पहुंचने के लिए दो दरवाजे तुड़वाए। वहां सिपाही कुलदीप भाटी की लाश फर्श पर पड़ी थी। पलंग पर एक लड़की घायल अवस्था में पड़ी थी। पुलिस ने मौके पर छानबीन और पूछताछ की। अपर पुलिस अधीक्षक और सीओ सिटी भी मौके पर पहुंच गए हैं। देखिए तीन फोटो… खबर अपडेट की जा रही है…. उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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रायबरेली दौरे पर सांसद राहुल गांधी, अर्जुन पासी के परिवार से करेंगे मुलाकात
रायबरेली दौरे पर सांसद राहुल गांधी, अर्जुन पासी के परिवार से करेंगे मुलाकात <p style=”text-align: justify;”><strong>Rahul Gandhi Raebareli Visit:</strong> लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और रायबरेली से सांसद राहुल गांधी आज 20 अगस्त को अपने संसदीय क्षेत्र रायबरेली के दौरे पर रहेंगे. इस दौरान वो पिछवरियां गांव में मारे गए युवक अर्जुन पासी के परिजनों से मुलाकात करेंगे और उनके दर्द का साझा करेंगे. अर्जुन पासी की पिछले दिनों गोली मार कर हत्या कर दी गई थी. जिसके बाद से समाज में आक्रोश हैं. तो वहीं दूसरी तरफ सवर्ण आर्मी आरोपियों के बचाव में दिखाई दी. </p>
<p style=”text-align: justify;”>राहुल गांधी फुरसतगंज एयरपोर्ट से सीधा नसीराबाद थाना क्षेत्र स्थित पिथवरिया गांव जाएंगे. इसी गांव में युवक अर्जुन पासी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. राहुल गांधी पीड़ित परिवार से मिलेंगे और पूरी घटना की जानकारी भी लेंगे. कांग्रेस पार्टी ने पिछले दिनों इस घटना को लेकर विरोध प्रदर्शन भी किया था. राहुल गांधी के आने से इस मामले पर सियासत भी देखने को मिल सकती है. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>अर्जुन पासी के परिवार से करेंगे मुलाकात</strong><br />21 साल के अर्जुन पासी ने एक युवक को थप्पड़ मार दिया था, जिसके बाद दूसरे पक्ष ने 11 अगस्त को उसकी गोली मारकर हत्या कर दी थी. इस मामले को भीम आर्मी ने भी जोर-शोर से उठाया और कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने भी विरोध प्रदर्शन किया था. जिसके बाद इस मुद्दे पर जमकर राजनीति देखने को मिली. </p>
<p style=”text-align: justify;”>पीड़ित परिवार ने आरोपियों पर कार्रवाई नहीं होने का आरोप लगाया है. वहीं सवर्ण आर्मी की दलील है कि उनपर झूठे आरोप लगाकर फंसाने की कोशिश की जा रही है. राहुल गांधी के इस दौरे के भी कई मायने निकाले जा रहे हैं. पिछले कुछ दिनों में राहुल गांधी की सियासत में काफी बदलाव देखने को मिला है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>रायबरेली से चुनाव जीतने के बाद राहुल गांधी यूपी में लगातार एक्टिव दिखाई दे रहे हैं. पिछले दिनों उन्होंने सुल्तानपुर में चेतराम से भी मुलाकात की थी. उनकी इस कोशिश को भी दलितों को कांग्रेस के साथ जोड़ने की कवायद के तौर पर देखा जा रहा है. <a title=”लोकसभा चुनाव” href=”https://www.abplive.com/topic/lok-sabha-election-2024″ data-type=”interlinkingkeywords”>लोकसभा चुनाव</a> में जिस तरह से कांग्रेस की सीटें बढ़ी हैं और कांग्रेस एक सीट से छह सीटों तक पहुंची है उसके बाद पार्टी काफी उत्साहित है. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/om-prakash-rajbhar-is-preparing-subhaspa-national-convention-in-mumbai-blow-to-bjp-alliance-ann-2764770″>UP Politics: BJP को झटका देने की तैयारी में ओम प्रकाश राजभर! अब बना रहे नई रणनीति</a></strong><br /><br /></p>
हरियाणा के युवक ने EPFO परीक्षा में किया टॉप:नौकरी के साथ की पढ़ाई, साथ तैयारी करने वाली पूनम को 34वां रैंक
हरियाणा के युवक ने EPFO परीक्षा में किया टॉप:नौकरी के साथ की पढ़ाई, साथ तैयारी करने वाली पूनम को 34वां रैंक हरियाणा के युवक ने एम्प्लॉइज प्रोविडेंट फंड ऑर्गेनाइजेशन (EPFO) की असिस्टेंट प्रोविडेंट फंड कमिश्नर की परीक्षा में ऑल इंडिया में पहला रैंक हासिल किया। सचिव नेहरा हिसार के नारनौंद के रहने वाले हैं। अभी वह दिल्ली में इनकम टैक्स में इंस्पेक्टर के पद पर तैनात हैं। नौकरी के साथ उन्होंने परीक्षा की तैयारी की। इससे पहले सचिन ने HCS और UPSC के एग्जाम भी कई बार दिए। इन परीक्षाओं का उन्हें फायदा मिला। जिससे वह EPFO की परीक्षा पास कर पाए। उन्होंने इसका श्रेय अपने परिवार और दोस्तों को दिया है। सचिव ने कहा कि उन्होंने IT की तैयारी की है। जिसकी वजह से उनकी मैथ अच्छी थी। उनको बुक्स पढ़ने का काफी शोक है। जिसकी वजह से उनकी इंग्लिश में भी काफी अच्छी पकड़ है। इसके अलावा वह दो बार IAS की भी तैयारी कर चुके हैं। पिछले 15 साल की मेहनत उनकी अब काम आई है। उन्हें बहुत खुशी है वह टॉप आए हैं। सचिव बोले- इनकम टैक्स विभाग ने पूरा साथ दिया
उन्होंने कहा कि माता, बहन के साथ दोस्तों ने उन्हें बहुत सपोर्ट किया। उन्होंने बताया कि इनकम टैक्स विभाग ने भी उनका बहुत साथ दिया। जिन्होंने उनके वर्क लोड को काफी मैनेज कि। जिसकी वजह से उन्हें ये सफलता मिली है। अब वह देश की सेवा करना चाहते हैं।उन्होंने जींद से हिंदी मीडियम में 12वीं पास की। इसके बाद भिवानी से बीटेक की। बाद में सरकारी नौकरी के लिए तैयारी की झज्जर की पूनम ने 34वां रैंक हासिल किया
वहीं झज्जर जिले की रहने वाली पूनम ने 34वां रैंक हासिल किया है। फिलहाल वह पिछले 7 सालों से मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस में कार्यरत है। पूनम नांदल ने भी HCS और UPSC के एग्जाम दिए हैं। सचिव के दोस्त हैं पूनम के पति
पूनम नांदल ने अपने पति और एक बेटे के साथ इस परीक्षा की तैयारी की। जहां एक तरफ मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस का कार्यभार उनके कंधों पर था तो वहीं बच्चों को संभालना और घर की जिम्मेदारियां को भी उठाना था। इस परीक्षा के टॉपर सचिव पूनम के पति के दोस्त हैं। ऐसे में दोनों ने एक छत के नीचे 12 से 15 घंटे तक पढ़ाई की। पूरे देश भर से 9 लाख से ज्यादा परीक्षार्थियों ने EPFO की परीक्षा दी। इस परीक्षा में केवल डेढ़ सौ के आसपास ही परीक्षार्थी पास हो पाए। भिवानी की अपर्णा ने दूसरा रैंक हासिल किया
भिवानी के विद्या नगर में रहने वाली अपर्णा गिल ने भी EPFO परीक्षा पासी की है। उन्होंने दूसरा रैंक हासिल किया है। अपर्णा गिल मूल रूप से चरखी दादरी जिले के बाढ़ड़़ा क्षेत्र के गांव लाडावास की है। उनके दादा हुक्म चंद गांव के पूर्व सरपंच रह चुके हैं। उनकी माता का नाम सुनीता देवी व पिता महाबीर सिंह है। वे दो भाई-बहनों में छोटी है। 2022 में उनके पिता की मौत हो चुकी है। अपर्णा बोली- UPSC परीक्षा की तैयारी करती रहेंगी
अपर्णा ने बताया कि वह UPSC के IAS का इंटरव्यू देने के अलावा दो बार HCS मेन भी क्लियर कर चुकी है। असिस्टेंट कमांडेंट की परीक्षा भी पास कर चुकी है, परन्तु फिजिकल में रहने से इस पद पर नहीं जा पाई। 2017 से निरंतर सिविल सर्विस की तैयारी कर रही है। वह UPSC परीक्षा की तैयारी करती रहेंगी।
यूपी के IAS-IPS केंद्र के पैमाने पर खरे नहीं:कभी रहता था वर्चस्व, अब आधे भी नहीं; टॉप-4 पोस्ट पर एक भी नहीं
यूपी के IAS-IPS केंद्र के पैमाने पर खरे नहीं:कभी रहता था वर्चस्व, अब आधे भी नहीं; टॉप-4 पोस्ट पर एक भी नहीं एक समय था, जब यूपी की ब्यूरोक्रेसी पूरे देश में फैली रहती थी। केंद्र में भी बड़ी संख्या में IAS-IPS यूपी कैडर के ही रहते थे। लेकिन, अब स्थिति पलट चुकी है। केंद्र में यूपी के गिने-चुने अफसर ही नजर आ रहे हैं। IPS के मुकाबले IAS की स्थिति ज्यादा खराब है। केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर यूपी के कितने अफसर हो सकते हैं, लेकिन कितने हैं? पहले कितने रहे हैं? इस समय किन अहम पदों पर यूपी के अफसर तैनात हैं? संख्या घटने की वजह क्या है? दैनिक भास्कर ने इन सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश की। पढ़िए स्पेशल रिपोर्ट… पहले जानते हैं, केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर कितने आईएएस हैं?
यूपी में कुल IAS अफसरों की स्ट्रेंथ 652 है। इसमें केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए अधिकतम कोटा 141 का फिक्स है। दो दशक पहले तक केंद्र में यूपी के अफसरों का दबदबा रहता था। यह संख्या 70-75 होती थी। कैबिनेट सेक्रेटरी, होम सेक्रेटरी, फाइनेंस सेक्रेटरी, डिफेंस सेक्रेटरी जैसे बड़े पदों पर यूपी के अफसर तैनात रह चुके हैं। लेकिन, आज की तारीख में यूपी के अफसर इस तरह के महत्वपूर्ण पदों से दूर हैं। यूपी कॉडर के केवल 33 IAS केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं। इसमें सेक्रेटरी रैंक के अफसरों की संख्या मात्र 5 है। खास बात यह भी है कि यूपी के 6 IAS ऐसे हैं, जो किसी न किसी मंत्री के निजी सचिव हैं। यूपी के पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन बताते हैं- एक दौर था, जब यूपी के अफसरों का दिल्ली में दबदबा रहता था। कैबिनेट सेक्रेटरी, सेक्रेटरी होम, सेक्रेटरी फाइनेंस, सेक्रेटरी डिफेंस जैसे महत्वपूर्ण पदों में से कोई न कोई पद यूपी के अफसरों के पास रहता था। लेकिन, हाल के दिनों में यूपी से केंद्र जाने वाले अफसरों की संख्या काफी कम हुई है। इसकी कई वजह हैं। पहली वजह- डिप्टी सेक्रेटरी के पद पर कोई भी अफसर केंद्र में तैनाती नहीं चाहता। राज्य में रहने से वह किसी भी जिले का डीएम बन सकता है। या फिर सचिवालय में उसे अच्छी पोस्टिंग मिल सकती है। दूसरी वजह- अच्छे अफसरों को राज्य सरकार भी नहीं छोड़ती। केंद्र में जाने के लिए NOC की जरूरत होती है। तीसरी वजह- केंद्र सरकार का 360 डिग्री पैमाना है, जिसमें बड़ी संख्या में यूपी के अफसर फेल हो जाते हैं। जब यह व्यवस्था नहीं थी, उस समय निर्धारित कोटे के कम से कम आधे अफसर तो केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर रहते ही थे। क्या है 360 डिग्री फार्मूला आलोक रंजन बताते हैं- हर अफसर का हर साल परफॉर्मेंस इवैल्यूएशन होता है। पहले इसी इवैल्यूएशन के आधार पर केंद्र में तैनाती मिल जाती थी। लेकिन, कुछ साल पहले केंद्र सरकार ने एक स्क्रीनिंग कमेटी बना दी है। इसमें रिटायर्ड अफसरों को रखा गया है। इनका काम सिर्फ परफॉर्मेंस इवैल्यूएशन ही नहीं, आईएएस या आईपीएस के लिए पब्लिक से भी फीडबैक लेना भी है। जैसे संबंधित अधिकारी की इमेज कैसी है, सत्यनिष्ठा कितनी है? कर्तव्यों का कितना पालन करता है? इस तरह के फीडबैक लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) को भेजा जाता है। PMO भी फिर उसे अपने पैमाने पर परखता है। उसके बाद किसी अधिकारी को केंद्र में किसी पद के लिए सूचीबद्ध किया जाता है। यूपी के वे अफसर जो रहे सर्वोच्च पदों पर
यूपी कॉडर के कई IAS केंद्र में महत्वपूर्ण पदों पर तैनात रह चुके हैं। इनमें बतौर कैबिनेट सेक्रेटरी बीके चतुर्वेदी, पीके सिन्हा, अजीत सेठ, कमल पांडेय, प्रभात कुमार, सुरेंद्र सिंह जैसे अफसरों के नाम शामिल हैं। अब बात IPS अफसरों की
यूपी में IPS की कुल स्ट्रेंथ 541 है। इसमें केंद्रीय प्रतिनियुक्ति का कोटा 117 अफसरों का तय है। पहले केंद्र में नियुक्ति की यह संख्या 60-65 होती थी। लेकिन, मौजूदा स्थिति में यूपी के मात्र 31 अफसर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर तैनात हैं। इसके अलावा दो अन्य अफसरों संजय सिंघल और राजा श्रीवास्तव को केंद्र में तैनाती दी गई है। लेकिन, यूपी सरकार ने उन्हें अभी रिलीव नहीं किया है। मौजूदा समय में केंद्रीय अर्धसैनिक बल की दो अलग-अलग फोर्स के मुखिया यूपी के IPS अफसर हैं। इसमें NDRF के डीजी पीयूष आनंद और BSF के डीजी दलजीत चौधरी तैनात हैं। यूपी के पूर्व DGP ओम प्रकाश सिंह बताते हैं- केंद्र में इंपैनलमेंट के लिए जब से प्रक्रिया को थोड़ा कठिन बनाया गया, तभी से यूपी के अफसरों की दिल्ली में तैनाती कम हो गई। केंद्र में तैनाती के लिए अब सिर्फ परफॉर्मेंस रिपोर्ट ही मायने नहीं रखती। सीनियर रिटायर IAS-IPS की स्क्रीनिंग कमेटी संबंधित अधिकारी की ईमानदारी, एकाग्रता, काम करने की क्षमता के पैमाने पर आंकती है। अगर इसमें अधिकारी फिट बैठता है, तभी उसे केंद्र में तैनाती मिलती है। इसके अलावा किसी भी बैच से अधिकतम 20 फीसदी अफसर ही केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए चुने जाते हैं। पहले इसकी सीमा तय नहीं थी। ओम प्रकाश सिंह बताते हैं- 2 साल पहले स्थिति और भी खराब थी। उस समय यूपी का एक भी अफसर किसी भी फोर्स का मुखिया नहीं था। कम अफसर ऐसे रहे हैं, जिन्हें केंद्र में दो-दो फोर्स की जिम्मेदारी के साथ यूपी का डीजीपी बनने का मौका मिला हो। मैं उनमें से एक रहा हूं। पहले डीजी एनडीआरएफ और फिर डीजी सीआईएसएफ बना था। बाद में यूपी का डीजीपी भी रहा। ओम प्रकाश सिंह के अलावा प्रकाश सिंह बीएसएफ के डीजी, असम के डीजी और यूपी के डीजी रहे हैं। आईपीएस रैंक में सबसे अहम पद केंद्र में आईबी और सीबीआई चीफ का होता है। यूपी कॉडर के आखिरी आईबी डायरेक्टर 1972 बैच के आईपीएस राजीव माथुर थे। राजीव माथुर का कार्यकाल जनवरी, 2009 से दिसंबर, 2010 तक था। इंपैनलमेंट नहीं हुआ, तो निचले पद पर मिलती है तैनाती
ओम प्रकाश सिंह कहते हैं- किसी भी अफसर का अगर इंपैनलमेंट नहीं होता, तो उसे उस रैंक में काम करने का मौका नहीं मिलता। अगर कोई एडीजी रैंक का अफसर है और उसका केंद्र सरकार में इंपैनलमेंट नहीं हुआ है, तो वह जूनियर पोस्ट पर तैनात रहेगा। मसलन यूपी कॉडर के 1989 बैच के आईपीएस अदित्य मिश्रा का केंद्र में इंपैनलमेंट नहीं है। वह एडीजी की पोस्ट पर वहां काम देख रहे हैं। उनसे जूनियर 1990 बैच के दलजीत चौधरी और 1991 बैच के पीयूष आनंद के पास अलग-अलग फोर्स की कमान है। ओम प्रकाश सिंह के मुताबिक, केंद्र में आमतौर पर 50-60 आईपीएस की तैनाती पहले रही है। हाल के दिनों में यह संख्या कम होती चली गई है। यह हाल तब है, जब कई अफसर 10-10 साल से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं। अगर वे वापस आते हैं, तो स्थिति और दयनीय हो जाएगी। ————————- ये भी पढ़ें… योगी सरकार का प्रमोटी अफसरों पर भरोसा नहीं, प्रदेश में सिर्फ 13 प्रमोटी IPS कप्तान, 23 प्रमोटी IAS जिलाधिकारी उत्तर प्रदेश सरकार को प्रमोटी आईपीएस अफसरों पर भरोसा नहीं है। प्रमोट होकर आईपीएस बने अफसरों को जिला संभालने का मौका कम ही मिल रहा है। इस समय सिर्फ 13 जिले के कप्तान प्रमोटी आईपीएस अफसर हैं। यह आंकड़ा दूसरी सरकारों से कम है। हालांकि प्रमोट होकर आईएएस अफसर बनने वालों की स्थिति ज्यादा बेहतर है। इस समय 23 प्रमोटी आईएएस अफसर डीएम हैं। यूपी में कॉडर स्ट्रेंथ के हिसाब से कुल आईपीएस के पदों में 33 प्रतिशत पद प्रमोशन से भरे जाते हैं, जबकि बाकी के पद डायरेक्ट भरे जाते हैं। पढ़ें पूरी खबर….