करनाल के युवक की अमेरिका में मौत:40 लाख देकर डंकी रूट से गया था, 2 दिन पहले कैंसर का पता चला

करनाल के युवक की अमेरिका में मौत:40 लाख देकर डंकी रूट से गया था, 2 दिन पहले कैंसर का पता चला

करनाल के नरूखेड़ी गांव के एक युवक की अमेरिका में इलाज के दौरान मौत हो गई। वह दो साल पहले 40 लाख रुपए लगाकर डंकी रूट से अमेरिका गया था। वहां पहुंचकर उसने पहले एक स्टोर पर काम किया, बाद में ट्रक चलाने लगा। अब पिछले दो महीने से वह अमेरिका में कैलिफोर्निया के फ्रिस्को शहर में कम्युनिटी रीजनल मेडिकल सेंटर में था। जहां इलाज के दौरान आज उसकी मौत हो गई। युवक की मौत की खबर के बाद परिवार में मातम छा गया। परिवार की जिम्मेदारी युवक पर थी। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, इसलिए परिजनों ने शव को भारत लाने के लिए सरकार से मदद मांगी है। दो साल पहले 40 लाख रुपए लगाकर गया था अमेरिका मृतक की पहचान नरूखेड़ी गांव निवासी पंकज (35) के रूप में हुई है। मृतक के भाई मोनू और रंकज ने बताया कि उसका भाई दो साल पहले डेढ़ एकड़ जमीन बेचकर 40 लाख रुपए लगाकर अमेरिका गया था। जो पैसे खर्च हुए थे, वह अभी तक वापस नहीं मिल पाए हैं। अमेरिका के अस्पताल में इलाज के दौरान 10 से 15 लाख रुपए और खर्च हो गए, लेकिन इसके बाद भी पंकज की जान नहीं बच सकी। दो माह पहले हुआ था अस्पताल में एडमिट मृतक के छोटे भाई रंकज ने बताया कि पंकज जब अमेरिका गया तो वहां पर सबसे पहले उसने 7 से 8 माह स्टोर पर काम किया। बाद में लाइसेंस बनवाने के बाद वह ट्रक पर चढ़ गया और ट्रक चलाने लगा। इस दौरान उसको कभी कभी कभार पेट में दर्द होता था। लेकिन वह पेंन किलर लेकर काम पर ही लगा रहा। दो माह पहले ट्रक चलाते समय अचानक उसके पेट में ज्यादा दर्द हुआ तो वह अस्पताल चला गया। जहां पर डॉक्टरों ने एडमिट कर लिया। तीन दिन पहले कैंसर का पता चला ​​​​​​​रंकज ने बताया कि तीन दिन पहले ही डॉक्टरों ने बताया था कि पंकज को लास्ट स्टेज की कैंसर है और आज सुबह उसने इलाज के दौरान ही अस्पताल में दम तोड़ दिया। अमेरिका के समय अनुसार 25 अप्रैल को दोपहर बाद उसकी मौत कम्युनिटी रिजनल मेडिकल सेंटर में हो गई। जो कमाया, इलाज में खर्च हो गया ​​​​​​​परिजनों जितेंद्र, रविंद्र व अन्य ने बताया कि पंकज जो भी अमेरिका में कमाया था, वह अब तक इलाज में ही खर्च हो गया। कैंसर का पता भी डॉक्टरों को तीन दिन पहले ही चला था, जब बीमारी अंतिम स्टेज में पहुंच चुकी थी। इलाज के दौरान उसकी हालत लगातार बिगड़ती चली गई और आखिरकार उसकी जान नहीं बच सकी। मां, पत्नी, भाई और तीन बच्चों का सहारा छिना ​​​​​​​पंकज के परिवार में उसकी मां विमला, पत्नी रितू, छोटा भाई रंकज और तीन बच्चे हैं। पिता राजबीर की 15 साल पहले ही मौत हो चुकी थी। छोटा भाई रंकज अविवाहित है और खेती करता है। परिवार की आर्थिक स्थिति पहले से कमजोर थी। अब पंकज के निधन से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। परिजनों ने बताया कि मृतक की दो बेटियां और एक बेटा है। बड़ी बेटी तन्नू 7वीं कक्षा में, छोटी बेटी मनवी 4वीं कक्षा में और बेटा अयान दूसरी कक्षा में पढ़ता है। अब बच्चों की पढ़ाई और भविष्य को लेकर परिवार गहरे संकट में आ गया है। शव लाने के लिए सरकार से मदद की गुहार ​​​​​​​परिजनों ने कहा कि परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी बेहतर नहीं है कि वे अपने स्तर पर अमेरिका से शव भारत ला सकें। उन्होंने सरकार से अपील की है कि शव को वापिस लाने में मदद की जाए ताकि छोटे छोटे बच्चे अपने पिता के एक बार अंतिम दर्शन कर सकें और भारत में ही उनके गांव में उसका अंतिम संस्कार कर सकें। करनाल के नरूखेड़ी गांव के एक युवक की अमेरिका में इलाज के दौरान मौत हो गई। वह दो साल पहले 40 लाख रुपए लगाकर डंकी रूट से अमेरिका गया था। वहां पहुंचकर उसने पहले एक स्टोर पर काम किया, बाद में ट्रक चलाने लगा। अब पिछले दो महीने से वह अमेरिका में कैलिफोर्निया के फ्रिस्को शहर में कम्युनिटी रीजनल मेडिकल सेंटर में था। जहां इलाज के दौरान आज उसकी मौत हो गई। युवक की मौत की खबर के बाद परिवार में मातम छा गया। परिवार की जिम्मेदारी युवक पर थी। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, इसलिए परिजनों ने शव को भारत लाने के लिए सरकार से मदद मांगी है। दो साल पहले 40 लाख रुपए लगाकर गया था अमेरिका मृतक की पहचान नरूखेड़ी गांव निवासी पंकज (35) के रूप में हुई है। मृतक के भाई मोनू और रंकज ने बताया कि उसका भाई दो साल पहले डेढ़ एकड़ जमीन बेचकर 40 लाख रुपए लगाकर अमेरिका गया था। जो पैसे खर्च हुए थे, वह अभी तक वापस नहीं मिल पाए हैं। अमेरिका के अस्पताल में इलाज के दौरान 10 से 15 लाख रुपए और खर्च हो गए, लेकिन इसके बाद भी पंकज की जान नहीं बच सकी। दो माह पहले हुआ था अस्पताल में एडमिट मृतक के छोटे भाई रंकज ने बताया कि पंकज जब अमेरिका गया तो वहां पर सबसे पहले उसने 7 से 8 माह स्टोर पर काम किया। बाद में लाइसेंस बनवाने के बाद वह ट्रक पर चढ़ गया और ट्रक चलाने लगा। इस दौरान उसको कभी कभी कभार पेट में दर्द होता था। लेकिन वह पेंन किलर लेकर काम पर ही लगा रहा। दो माह पहले ट्रक चलाते समय अचानक उसके पेट में ज्यादा दर्द हुआ तो वह अस्पताल चला गया। जहां पर डॉक्टरों ने एडमिट कर लिया। तीन दिन पहले कैंसर का पता चला ​​​​​​​रंकज ने बताया कि तीन दिन पहले ही डॉक्टरों ने बताया था कि पंकज को लास्ट स्टेज की कैंसर है और आज सुबह उसने इलाज के दौरान ही अस्पताल में दम तोड़ दिया। अमेरिका के समय अनुसार 25 अप्रैल को दोपहर बाद उसकी मौत कम्युनिटी रिजनल मेडिकल सेंटर में हो गई। जो कमाया, इलाज में खर्च हो गया ​​​​​​​परिजनों जितेंद्र, रविंद्र व अन्य ने बताया कि पंकज जो भी अमेरिका में कमाया था, वह अब तक इलाज में ही खर्च हो गया। कैंसर का पता भी डॉक्टरों को तीन दिन पहले ही चला था, जब बीमारी अंतिम स्टेज में पहुंच चुकी थी। इलाज के दौरान उसकी हालत लगातार बिगड़ती चली गई और आखिरकार उसकी जान नहीं बच सकी। मां, पत्नी, भाई और तीन बच्चों का सहारा छिना ​​​​​​​पंकज के परिवार में उसकी मां विमला, पत्नी रितू, छोटा भाई रंकज और तीन बच्चे हैं। पिता राजबीर की 15 साल पहले ही मौत हो चुकी थी। छोटा भाई रंकज अविवाहित है और खेती करता है। परिवार की आर्थिक स्थिति पहले से कमजोर थी। अब पंकज के निधन से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। परिजनों ने बताया कि मृतक की दो बेटियां और एक बेटा है। बड़ी बेटी तन्नू 7वीं कक्षा में, छोटी बेटी मनवी 4वीं कक्षा में और बेटा अयान दूसरी कक्षा में पढ़ता है। अब बच्चों की पढ़ाई और भविष्य को लेकर परिवार गहरे संकट में आ गया है। शव लाने के लिए सरकार से मदद की गुहार ​​​​​​​परिजनों ने कहा कि परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी बेहतर नहीं है कि वे अपने स्तर पर अमेरिका से शव भारत ला सकें। उन्होंने सरकार से अपील की है कि शव को वापिस लाने में मदद की जाए ताकि छोटे छोटे बच्चे अपने पिता के एक बार अंतिम दर्शन कर सकें और भारत में ही उनके गांव में उसका अंतिम संस्कार कर सकें।   हरियाणा | दैनिक भास्कर