करनाल के सेक्टर 14 में एक दर्दनाक हादसे में एक स्कूल वैन डिवाइडर से टकराकर सड़क पर पलट गई। वैन में पांच बच्चे सवार थे, जिनमें से एक के सिर में गंभीर चोट आईं। हादसे के बाद मौके पर अफरा-तफरी मच गई। आसपास के लोग तुरंत मदद के लिए दौड़े और वैन को सीधा कर बच्चों को बाहर निकाला। गनीमत यह रही कि सड़क पर उस समय कोई अन्य व्यक्ति वैन की चपेट में नहीं आया। बाइक पर बैठकर ड्राइवर फरार जानकारी के अनुसार हादसे का शिकार हुई वैन केंद्रीय विद्यालय की थी और पीले रंग की वैन नहीं थी, जो स्कूल वाहनों के लिए अनिवार्य होता है। यह घरेलू वाहन कॉमर्शियल उपयोग में लाया जा रहा था, जो नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है। हादसे के बाद मीडिया ने ड्राइवर से बात करनी चाही तो वह वहां से बाइक पर बैठकर फरार हो गया। पलटने के बाद काफी दूर तक घसीटती रही वैन हादसे के बाद घायल बच्चों ने बताया कि वैन का ड्राइवर टर्न लेते समय भी गाड़ी को बेहद तेज रफ्तार में चला रहा था। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार वैन पलटने के बाद काफी दूर तक घसीटते हुए गई। वैन में सवार बच्चों और उनके परिजनों ने ड्राइवर पर लापरवाही का आरोप लगाया है। परिजनों का कहना है कि ड्राइवर गाड़ी को मानो रौकेट की तरह दौड़ाता है और बच्चों की सुरक्षा के प्रति उसकी कोई जिम्मेदारी नहीं है। ड्राइवर की तरफ से पूरी लापरवाही बरती गई है। प्रशासन की लापरवाही पर उठे सवाल हादसे के बाद परिजनों और स्थानीय लोगों ने प्रशासन पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि घरेलू वाहनों का स्कूल वैन के रूप में उपयोग हो रहा है, लेकिन प्रशासन इस पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा। सड़क पर बिखरे कांच और वैन की स्थिति ने हादसे की गंभीरता को और उजागर कर दिया है। महेंद्रगढ़ हादसे से सबक नहीं ले रहा प्रशासन लोगों का कहना है कि प्रशासन महेंद्रगढ़ में हुए स्कूल वैन हादसे से सबक नहीं ले रहा। ऐसी घटनाएं दोबारा न हों, इसके लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है। तेज रफ्तार और नियमों का उल्लंघन बच्चों की जान पर भारी पड़ रहा है। करनाल के सेक्टर 14 में एक दर्दनाक हादसे में एक स्कूल वैन डिवाइडर से टकराकर सड़क पर पलट गई। वैन में पांच बच्चे सवार थे, जिनमें से एक के सिर में गंभीर चोट आईं। हादसे के बाद मौके पर अफरा-तफरी मच गई। आसपास के लोग तुरंत मदद के लिए दौड़े और वैन को सीधा कर बच्चों को बाहर निकाला। गनीमत यह रही कि सड़क पर उस समय कोई अन्य व्यक्ति वैन की चपेट में नहीं आया। बाइक पर बैठकर ड्राइवर फरार जानकारी के अनुसार हादसे का शिकार हुई वैन केंद्रीय विद्यालय की थी और पीले रंग की वैन नहीं थी, जो स्कूल वाहनों के लिए अनिवार्य होता है। यह घरेलू वाहन कॉमर्शियल उपयोग में लाया जा रहा था, जो नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है। हादसे के बाद मीडिया ने ड्राइवर से बात करनी चाही तो वह वहां से बाइक पर बैठकर फरार हो गया। पलटने के बाद काफी दूर तक घसीटती रही वैन हादसे के बाद घायल बच्चों ने बताया कि वैन का ड्राइवर टर्न लेते समय भी गाड़ी को बेहद तेज रफ्तार में चला रहा था। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार वैन पलटने के बाद काफी दूर तक घसीटते हुए गई। वैन में सवार बच्चों और उनके परिजनों ने ड्राइवर पर लापरवाही का आरोप लगाया है। परिजनों का कहना है कि ड्राइवर गाड़ी को मानो रौकेट की तरह दौड़ाता है और बच्चों की सुरक्षा के प्रति उसकी कोई जिम्मेदारी नहीं है। ड्राइवर की तरफ से पूरी लापरवाही बरती गई है। प्रशासन की लापरवाही पर उठे सवाल हादसे के बाद परिजनों और स्थानीय लोगों ने प्रशासन पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि घरेलू वाहनों का स्कूल वैन के रूप में उपयोग हो रहा है, लेकिन प्रशासन इस पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा। सड़क पर बिखरे कांच और वैन की स्थिति ने हादसे की गंभीरता को और उजागर कर दिया है। महेंद्रगढ़ हादसे से सबक नहीं ले रहा प्रशासन लोगों का कहना है कि प्रशासन महेंद्रगढ़ में हुए स्कूल वैन हादसे से सबक नहीं ले रहा। ऐसी घटनाएं दोबारा न हों, इसके लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है। तेज रफ्तार और नियमों का उल्लंघन बच्चों की जान पर भारी पड़ रहा है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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कैथल में गुहला पंचायत समिति की चेयरपर्सन का चुनाव कल:भाजपा के पास बहुमत, ईवीएम से होगी वोटिंग, रिजल्ट अगले दिन
कैथल में गुहला पंचायत समिति की चेयरपर्सन का चुनाव कल:भाजपा के पास बहुमत, ईवीएम से होगी वोटिंग, रिजल्ट अगले दिन कैथल के गुहला पंचायत समिति की चेयरपर्सन पद के लिए चुनाव कल होगा। इस चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला है। जहां भाजपा अपने बहुमत का दावा कर रही है, वहीं कांग्रेस ने जोड़-तोड़ की राजनीति तेज कर दी है। यह चुनाव ईवीएम से कराया जाएगा, और नतीजे अगले दिन घोषित किए जाएंगे। गुहला पंचायत समिति गुहला में कुल 23 पार्षद है, इनमें से वार्ड नंबर 14 से पार्षद रही ज्योति रानी ने निजी कारणों के चलते अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इस्तीफा मंजूर हो जाने के बाद बाकी बचे 22 पार्षद मतदान में हिस्सा लेंगे। इससे पहले इन सदस्यों में से 19 पार्षदों ने तत्कालीन चेयरपर्सन के डिंपल के खिलाफ वोट कर उन्हें पद से हटाया था। जिसके बाद ये कुर्सी खाली हो गई थी, अब चेयरपर्सन का पद पाने के लिए दो तिहाई सदस्यों का बहुमत होना चाहिए, यानी भाजपा को अपनी चेयरपर्सन बनाने के लिए 15 सदस्यों के समर्थन की आवश्यकता रहेगी। इस समय भाजपा समर्थित 15 से अधिक सदस्य एक जुट हैं। भाजपा-कांग्रेस ने पूरी ताकत झोंकी
भाजपा के स्थानीय नेताओं का कहना है कि समिति में उनके पास स्पष्ट बहुमत है। उन्होंने दावा किया कि चेयरपर्सन पद पर उनका उम्मीदवार आसानी से जीत दर्ज करेगा। भाजपा ने कहा कि उनकी रणनीति मजबूत है और सभी सदस्य पार्टी के साथ खड़े हैं। कांग्रेस ने भी चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। पार्टी नेताओं ने समिति के निर्दलीय और अन्य सदस्यों से संपर्क कर समर्थन हासिल करने की कोशिशें तेज कर दी हैं। कांग्रेस का कहना है कि भाजपा का बहुमत केवल कागजों पर है और नतीजों में बड़ा उलटफेर हो सकता है। चुनाव अधिकारी ने बताया कि सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं, और निष्पक्ष व शांतिपूर्ण चुनाव सुनिश्चित किया जाएगा। गुहला पंचायत समिति का यह चुनाव स्थानीय राजनीति में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। भाजपा की जीत पार्टी की पकड़ को मजबूत करेगी, जबकि कांग्रेस की जीत इसे नया संबल दे सकती है। भाजपा की सुखविंदर कौर होगी चेयरपर्सन की दावेदार
भाजपा की तरफ से चेयरपर्सन पद के लिए वार्ड नंबर 6 से सदस्य सुखविंदर कौर को नॉमिनेट किया गया है, उनके द्वारा ही कल नॉमिनेशन फाइल किया जाएगा, सदस्यों का पूर्ण बहुमत होने के कारण उनका चेयर पर्सन बनना लगभग तय है, पूर्व विधायक कुलवंत बाजीगर 11 बजे सभी सदस्यों को लेकर बीडीपीओ कार्यालय पहुंचेंगे, इसके बाद चुनावी प्रक्रिया शुरू होगी।
माता-पिता जहां से विधायक बने, अब बेटे की तैयारी:उचाना से ताल ठोकेंगे पूर्व IAS बृजेंद्र सिंह, यहां चौटाला परिवार की स्थिति खराब
माता-पिता जहां से विधायक बने, अब बेटे की तैयारी:उचाना से ताल ठोकेंगे पूर्व IAS बृजेंद्र सिंह, यहां चौटाला परिवार की स्थिति खराब चौधरी बीरेंद्र सिंह के बेटे बृजेंद्र सिंह ने उचाना विधानसभा से अभी से तैयारियों में जुट गए हैं। दशकों से बीरेंद्र सिंह का परिवार उचाना से लड़ता आया है। इस बार बीरेंद्र सिंह अपनी अगली पीढ़ी को उचाना से लड़वाना चाहते हैं। उनके बेटे पूर्व IAS बृजेंद्र सिंह इस बार उचाना से ताल ठोकने को तैयार हैं। उन्होंने अभी से गांव-गांव जाकर जनसंपर्क शुरू कर दिया है। वह अपने पुराने समर्थकों से मिल रहे हैं और वहीं नए लोगों को भी अपने साथ जोड़ने में लगे हैं। उचाना में इस बार चौटाला परिवार की स्थिति सबसे खराब रही। यहां से विधायक दुष्यंत चौटाला अपनी मां नैना चौटाला को मात्र 4210 वोट ही दिलवा सके। इसके अलावा भाजपा से चुनाव लड़ने वाले रणजीत चौटाला को उचाना विधानसभा से 44885 वोट मिले। वहीं कांग्रेस के जयप्रकाश को 82204 वोट मिले थे। इन नतीजों से बीरेंद्र सिंह का परिवार उत्साहित है और उन्होंने बेटे बृजेंद्र सिंह को इस सेफ सीट से चुनाव लड़वाने के लिए अभी से तैयारी शुरू करवा दी है। बृजेंद्र सिंह हिसार से रह चुके सांसद
बीरेंद्र सिंह के बेटे बृजेंद्र सिंह ने 2019 में लोकसभा चुनाव हिसार से जीता था। राजनीति की शुरुआत उन्होंने भाजपा से की। हिसार से रिकॉर्ड वोटों से वह जीते मगर 2024 के लोकसभा चुनाव आते-आते उनका भाजपा से मोह भंग हो गया। किसान आंदोलन, अग्निवीर और महिला पहलवानों के यौन शोषण जैसे मुद्दों पर उनकी भाजपा से ठन गई। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उन्होंने पाला बदल लिया और कांग्रेस में शामिल हो गए। कांग्रेस से उनको लोकसभा का टिकट मिलने की उम्मीद थी मगर उनको टिकट नहीं मिला। अब वह पिता की पारंपरिक सीट रही उचाना से विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं। बीरेंद्र सिंह और पत्नी प्रेमलता पहली बार यहीं से लड़े
उचाना विधानसभा की हरियाणा की राजनीति में अलग ही पहचान है। यहां से चुने विधायकों ने हरियाणा की राजनीति को प्रभावित किया है। अब बृजेंद्र सिंह यहां से चुनाव जीतकर हरियाणा की राजनीति में बड़ा रोल अदा करना चाहते हैं। चौधरी बीरेंद्र सिंह और उनकी पत्नी प्रेमलता विधानसभा का पहला चुनाव यहीं से लड़े और राजनीति में मुकाम हासिल किया। बीरेंद्र सिंह 5 बार उचाना से जीतकर हरियाणा विधानसभा में विधायक बने (1977-82, 1982-84, 1991-96, 1996-2000 और 2005-09) और 3 बार हरियाणा में कैबिनेट मंत्री रहे। उन्होंने 3 बार सांसद का चुनाव जीता। बीरेंद्र सिंह ने अपना पहला चुनाव 1972 में लड़ा और 1972 से 1977 तक वे ब्लॉक समिति उचाना के चेयरमैन रहे। उन्होंने 1977 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के टिकट पर उचाना कलां निर्वाचन क्षेत्र से विधान सभा चुनाव लड़ा और देश में कांग्रेस विरोधी लहर के बावजूद, एक बड़े अंतर से सीट जीती। वहीं पत्नी प्रेमलता ने बीजेपी से 2014 में चुनाव लड़ा और दुष्यंत चौटाला को हराकर विधायक बनी। 2009 से 2014 तक रहा इनेलो का वर्चस्व
वर्ष 2009 से 2014 तक लोकसभा चुनावों में यहां इनेलो का वर्चस्व रहा। 2009 में इनेलो के संपत सिंह को 47 हजार से ज्यादा वोट मिले थे। इसके बाद 2014 में हिसार से इनेलो कैंडिडेट रहे दुष्यंत चौटाला को 87,243 वोट मिले थे। उस दौरान कांग्रेस, हजकां, बसपा समेत सभी उम्मीदवारों को मिले कुल वोटों की संख्या भी दुष्यंत के वोटों से कम थी। कुल मतदान के 57 प्रतिशत वोट दुष्यंत को मिले थे। मगर दुष्यंत द्वारा भाजपा सरकार को समर्थन के बाद से ही उनकी पकड़ हलके में कमजोर होती गई। वहीं बाकी कसर किसान आंदोलन और सत्ता विरोधी लहर ने पूरी कर दी। जानिए, इस चुनाव में उचाना में कैसे हुआ उलटफेर
1. नैना चौटाला को 77 बूथों पर मिले 10 से कम वोट
हिसार संसदीय क्षेत्र के उचाना विधानसभा क्षेत्र को पहले इनेलो, उसके बाद बीरेंद्र सिंह और अब तक दुष्यंत चौटाला का गढ़ माना जा रहा था, लेकिन अब दुष्यंत के इस गढ़ में जयप्रकाश उर्फ जेपी ने सेंधमारी कर डाली है। वर्तमान में विधायक दुष्यंत चौटाला की पार्टी से प्रत्याशी उनकी मां नैना चौटाला को 77 बूथों पर तो 10 वोट भी नहीं मिल पाए हैं। बूथ नंबर 83 और 181 पर तो जजपा का खाता भी नहीं खुला। 102 नंबर बूथ पर केवल एक वोट आया। विधानसभा के 66 गांवों में से 59 गांवों में जयप्रकाश और छह गांवों में रणजीत सिंह को बढ़त मिली। वहीं डूमरखां कलां में दोनों कैंडिडेट बराबरी पर रहे। हलके के गांव खांडा के बूथ नंबर 192 और 194 को छोड़ दें तो बाकी किसी भी बूथ पर जेपी के वोटों की संख्या 100 से नीचे नहीं आई। 2. खांडा समेत छह गांवों में ही रणजीत को मिली लीड, 59 में जेपी आगे
भाजपा उम्मीदवार रणजीत सिंह चौटाला को हलके के केवल छह गांवों खांडा, बिघाना, भगवानपुरा, उचाना मंडी, कसूहन और जीवनपुर में ही लीड मिली। बाकी 59 गांवों में जेपी को ज्यादा वोट मिले। वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह के गांव डूमरखां कलां में मुकाबला बराबरी पर रहा। जयप्रकाश की सबसे बड़ी जीत छात्तर गांव में 2700 से अधिक मतों से रही तो रणजीत चौटाला की सबसे अधिक जीत खांडा गांव में 1061 मतों की रही। 3. दुष्यंत चौटाला के लिए वोट रिकवरी बनेगी चुनौती
वर्ष 2019 में हुए विधानसभा चुनावों में दुष्यंत सिंह चौटाला ने 47 हजार वोटों की रिकॉर्ड जीत प्राप्त की थी। विधानसभा चुनाव में दुष्यंत चौटाला को 92 हजार वोट मिले थे। अब आगामी विधानसभा चुनावों में वोटों की रिकवरी करना दुष्यंत चौटाला के लिए बड़ी चुनौती रहेगी। क्योंकि इस बार भी दुष्यंत चौटाला का सामना बीरेंद्र सिंह के परिवार से ही होगा। अगर बीरेंद्र परिवार कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ता है तो फिर उनका खुद का वोट बैंक के अलावा कांग्रेस से जुड़े वोटों का साथ रहेगा।
राव बोले-मनोहर लाल खट्टर अध्यक्ष थोड़ी हैं:सैलजा को ऑफर देने के सवाल पर केंद्रीय मंत्री का जवाब, CM पद पर ठोक चुके हैं दावेदारी
राव बोले-मनोहर लाल खट्टर अध्यक्ष थोड़ी हैं:सैलजा को ऑफर देने के सवाल पर केंद्रीय मंत्री का जवाब, CM पद पर ठोक चुके हैं दावेदारी हरियाणा में नाराज कांग्रेस की सांसद कुमारी सैलजा पर सियासत तेज है। उनकी इस नाराजगी को BJP भुनाने की कोशिश में लगी हुई है। कुछ दिन पहले केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने सैलजा को भाजपा में आने का ऑफर दे डाला। जिस पर केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत ने कहा कि मनोहर लाल पार्टी के अध्यक्ष थोड़ी हैं। दरअसल, कुमारी सैलजा ने हरियाणा विधानसभा चुनाव के प्रचार से दूरी बना ली है। वह टिकट बंटवारे में तवज्जो न मिलने और पार्टी समर्थक के जातिगत टिप्पणी करने से नाराज बताई जा रही हैं। ऐसे में वह अपने आपको हरियाणा चुनाव से दूर रखे हुए हैं। जबकि उनका नाम पार्टी के स्टार प्रचारकों की सूची में भी शामिल है। अब पढ़िए मनोहर खट्टर और राव इंद्रजीत का पूरा बयान… 1. खट्टर बोले- सैलजा को साथ लाने के लिए तैयार
केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि कांग्रेस ने दलित नेता कुमारी सैलजा का अपमान किया है। सैलजा को गाली तक दी गई और अब वह घर पर बैठी हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा और गांधी परिवार को उनका अपमान करने के बाद भी शर्म नहीं आ रही है। दलित समुदाय की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि एक बड़ा वर्ग सोच रहा है कि क्या करें। हम अपने साथ कई नेताओं को लेकर आए हैं और हम उन्हें भी अपने साथ लाने के लिए तैयार हैं। 2. राव बोलीं- कांग्रेस छोड़कर हमारी पार्टी में नहीं आएंगी सैलजा
सैलजा के बीजेपी में आने की अटकलों पर केंद्रीय राव इंद्रजीत ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि वह कांग्रेस छोड़कर हमारी पार्टी में आएंगी। सैलजा पार्टी में आएंगी या नहीं आएंगी ये तो उनका ही फैसला होगा, लेकिन जिस तरह से सैलजा की कांग्रेस में अनदेखी हुई है, उसे देखकर मुझे लगता है कि लोकसभा चुनाव में जिस तरह एक वर्ग कांग्रेस के पक्ष में हुआ तो उसमें सेंध जरूर लगेगी और वो वोट बीजेपी को मिलेगा। दक्षिणी हरियाणा की सभी सीटें जीतेंगे
इसके साथ राव इंद्रजीत सिंह ने कहा कि पार्टी ने मेरे हिसाब से जिनको टिकट दी है उनके परिवार के लिए तो जरूर जाऊंगा ही, लेकिन अगर हरियाणा में किसी अन्य जगह पर भी मेरी जरूरत हुई तो वहां भी प्रचार करने के लिए जाएंगे। राव ने कहा कि अभी तक के माहौल के हिसाब से वह जहां भी गए हैं, उसे देखकर मुझे लगता है कि हम दक्षिणी हरियाणा की सभी सीटें जीतेंगे। क्योंकि दक्षिणी हरियाणा में बीजेपी का वर्चस्व है। सीएम पद पर ठोक रहे दावेदारी
राव इंद्रजीत सिंह 6 बार सांसद और 4 बार विधायक बन चुके हैं। 2014 के बाद से ही वह सीएम पद को लेकर दावेदारी करते आ रहे हैं, लेकिन लोकसभा चुनाव के बाद तो वह सीएम पद को लेकर मजबूत तरीके से दक्षिणी हरियाणा की वकालत कर रहे हैं। चुनावी प्रचार के दौरान 2 बार कह चुके है कि दक्षिणी हरियाणा की वजह से ही दो बार बीजेपी की हरियाणा में सरकार बनी। राव इंद्रजीत के पिता के बाद दक्षिणी हरियाणा से दूसरा CM नहीं बना
दक्षिणी हरियाणा में 14 सीटें आती है। इनमें 11 सीटें यादव बाहुल्य हैं। वहीं दक्षिणी हरियाणा ही सूबे की राजनीति का केंद्र रहा है। राव इंद्रजीत सिंह के पिता राव बीरेंद्र सिंह ऐसे पहले नेता थे, जो इस इलाके से मुख्यमंत्री बने। इसके बाद इस इलाके से कोई दूसरा नेता सीएम पद तक नहीं पहुंचा। राव इंद्रजीत सिंह अपने पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।