हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों में उम्मीदवारों के चयन को लेकर मंथन जारी है। भाजपा ने जहां करनाल, घरौंडा और इंद्री सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं, वहीं असंध सीट पर प्रत्याशी की घोषणा अभी बाकी है। दूसरी ओर, कांग्रेस ने सिर्फ असंध और नीलोखेड़ी सीटों पर अपने उम्मीदवार तय किए हैं, जबकि करनाल, घरौंडा और इंद्री सीटों पर अब तक फैसला नहीं हो पाया है। बता दें कि भाजपा ने अपने पहले लिस्ट में करनाल से जगमोहन आनंद, इंद्री से रामकुमार कश्यप, और घरौंडा से हरविंद्र कल्याण को उम्मीदवार घोषित किया है। इसके बावजूद असंध सीट पर अब तक किसी उम्मीदवार का नाम सामने नहीं आया है। पार्टी के आंतरिक सूत्रों के अनुसार, असंध सीट पर टिकट के लिए कई उम्मीदवारों के बीच प्रतिस्पर्धा होने के कारण यह सीट डिले हो रही है। कांग्रेस के लिए करनाल, घरौंडा और इंद्री सीटें बन रहीं चुनौती कांग्रेस ने अब तक असंध से विधायक शमशेर सिंह गोगी और नीलोखेड़ी से धर्मपाल गोंदर को टिकट दिया है, लेकिन करनाल, घरौंडा और इंद्री सीटों पर अभी तक पेंच फंसा हुआ है। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि इन सीटों पर टिकट को लेकर कई प्रमुख दावेदारों के बीच खींचतान है, जिससे बगावत की आशंका भी बनी हुई है। करनाल सीट: सुमिता सिंह, मनोज वाधवा और अशोक खुराना में कांटे की टक्कर करनाल विधानसभा सीट पर कांग्रेस के सामने टिकट को लेकर बड़ा संकट है। प्रमुख दावेदारों में पूर्व विधायक सुमिता सिंह, पूर्व डिप्टी मेयर मनोज वाधवा और अशोक खुराना का नाम शामिल है। मनोज वाधवा भाजपा से कांग्रेस में शामिल हुए हैं, जबकि सुमिता सिंह पार्टी में लंबे समय से जुड़ी हुई हैं। टिकट के बंटवारे के बाद संभावित बगावत पार्टी के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकती है। इंद्री सीट पर राकेश कंबोज और कर्णदेव कंबोज को माना जा रहा उम्मीदवार इंद्री सीट पर कांग्रेस के दावेदार राकेश कंबोज और कर्णदेव कंबोज के नाम चर्चा में हैं। क्योंकि कल होने वाली कार्यकर्ताओं की मीटिंग के बाद कर्णदेव कांबोज कांग्रेस में शामिल हो सकते है। दो दिन पहले दिल्ली में उनकी पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा और सासंद दीपेंद्र हुड्डा से भी मीटिंग की है। सूत्रों के मुताबिक, यदि कर्णदेव कंबोज को टिकट मिलता है और राकेश कंबोज बगावत करते हैं, तो यह कांग्रेस के लिए परेशानी का सबब बन सकता है। पार्टी किसी भी तरह की बगावत से बचने की कोशिश कर रही है। घरौंडा सीट पर ये प्रबल दावेदार घरौंडा सीट पर कांग्रेस में टिकट को लेकर वीरेंद्र राठौर, नरेंद्र सांगवान व भूपेंद्र लाठर के बीच जोरदार मुकाबला है। सांगवान ने इनेलो के टिकट पर पहली बार जीत दर्ज की थी, जबकि राठौर को कांग्रेस ने तीन बार टिकट दिया, लेकिन वे जीतने में नाकाम रहे। वहीं चर्चा ये भी है कि अगर भूपेंद्र लाठर को पार्टी टिकट नहीं देती तो वह भी आजाद चुनाव लड़ सकते है। ऐसें में घरौंडा सीट पर कांग्रेस की मुश्किले बढ़ सकती है। आम आदमी पार्टी ने असंध और घरौंडा से घोषित किए उम्मीदवार आम आदमी पार्टी ने अपनी पहली लिस्ट में करनाल जिले की असंध और घरौंडा विधानसभा सीटों से अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। पार्टी ने घरौंडा से जयपाल शर्मा और असंध से अमनदीप सिंह जुंडला को मैदान में उतारा है। वहीं जजपा गठबंधन ने नीलोखेड़ी कर्म सिंह को उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस और भाजपा की लिस्ट में हो रही देरी से बढ़ रही चर्चा भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों की लिस्ट जारी होने में हो रही देरी से राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का दौर गर्म हो गया है। जहां भाजपा को असंध सीट पर उम्मीदवार की घोषणा करनी है, वहीं कांग्रेस को करनाल, घरौंडा और इंद्री सीटों पर उम्मीदवार तय करने हैं। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि दोनों पार्टियां किस तरह से अपने-अपने पत्ते खोलती हैं। हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों में उम्मीदवारों के चयन को लेकर मंथन जारी है। भाजपा ने जहां करनाल, घरौंडा और इंद्री सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं, वहीं असंध सीट पर प्रत्याशी की घोषणा अभी बाकी है। दूसरी ओर, कांग्रेस ने सिर्फ असंध और नीलोखेड़ी सीटों पर अपने उम्मीदवार तय किए हैं, जबकि करनाल, घरौंडा और इंद्री सीटों पर अब तक फैसला नहीं हो पाया है। बता दें कि भाजपा ने अपने पहले लिस्ट में करनाल से जगमोहन आनंद, इंद्री से रामकुमार कश्यप, और घरौंडा से हरविंद्र कल्याण को उम्मीदवार घोषित किया है। इसके बावजूद असंध सीट पर अब तक किसी उम्मीदवार का नाम सामने नहीं आया है। पार्टी के आंतरिक सूत्रों के अनुसार, असंध सीट पर टिकट के लिए कई उम्मीदवारों के बीच प्रतिस्पर्धा होने के कारण यह सीट डिले हो रही है। कांग्रेस के लिए करनाल, घरौंडा और इंद्री सीटें बन रहीं चुनौती कांग्रेस ने अब तक असंध से विधायक शमशेर सिंह गोगी और नीलोखेड़ी से धर्मपाल गोंदर को टिकट दिया है, लेकिन करनाल, घरौंडा और इंद्री सीटों पर अभी तक पेंच फंसा हुआ है। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि इन सीटों पर टिकट को लेकर कई प्रमुख दावेदारों के बीच खींचतान है, जिससे बगावत की आशंका भी बनी हुई है। करनाल सीट: सुमिता सिंह, मनोज वाधवा और अशोक खुराना में कांटे की टक्कर करनाल विधानसभा सीट पर कांग्रेस के सामने टिकट को लेकर बड़ा संकट है। प्रमुख दावेदारों में पूर्व विधायक सुमिता सिंह, पूर्व डिप्टी मेयर मनोज वाधवा और अशोक खुराना का नाम शामिल है। मनोज वाधवा भाजपा से कांग्रेस में शामिल हुए हैं, जबकि सुमिता सिंह पार्टी में लंबे समय से जुड़ी हुई हैं। टिकट के बंटवारे के बाद संभावित बगावत पार्टी के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकती है। इंद्री सीट पर राकेश कंबोज और कर्णदेव कंबोज को माना जा रहा उम्मीदवार इंद्री सीट पर कांग्रेस के दावेदार राकेश कंबोज और कर्णदेव कंबोज के नाम चर्चा में हैं। क्योंकि कल होने वाली कार्यकर्ताओं की मीटिंग के बाद कर्णदेव कांबोज कांग्रेस में शामिल हो सकते है। दो दिन पहले दिल्ली में उनकी पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा और सासंद दीपेंद्र हुड्डा से भी मीटिंग की है। सूत्रों के मुताबिक, यदि कर्णदेव कंबोज को टिकट मिलता है और राकेश कंबोज बगावत करते हैं, तो यह कांग्रेस के लिए परेशानी का सबब बन सकता है। पार्टी किसी भी तरह की बगावत से बचने की कोशिश कर रही है। घरौंडा सीट पर ये प्रबल दावेदार घरौंडा सीट पर कांग्रेस में टिकट को लेकर वीरेंद्र राठौर, नरेंद्र सांगवान व भूपेंद्र लाठर के बीच जोरदार मुकाबला है। सांगवान ने इनेलो के टिकट पर पहली बार जीत दर्ज की थी, जबकि राठौर को कांग्रेस ने तीन बार टिकट दिया, लेकिन वे जीतने में नाकाम रहे। वहीं चर्चा ये भी है कि अगर भूपेंद्र लाठर को पार्टी टिकट नहीं देती तो वह भी आजाद चुनाव लड़ सकते है। ऐसें में घरौंडा सीट पर कांग्रेस की मुश्किले बढ़ सकती है। आम आदमी पार्टी ने असंध और घरौंडा से घोषित किए उम्मीदवार आम आदमी पार्टी ने अपनी पहली लिस्ट में करनाल जिले की असंध और घरौंडा विधानसभा सीटों से अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। पार्टी ने घरौंडा से जयपाल शर्मा और असंध से अमनदीप सिंह जुंडला को मैदान में उतारा है। वहीं जजपा गठबंधन ने नीलोखेड़ी कर्म सिंह को उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस और भाजपा की लिस्ट में हो रही देरी से बढ़ रही चर्चा भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों की लिस्ट जारी होने में हो रही देरी से राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का दौर गर्म हो गया है। जहां भाजपा को असंध सीट पर उम्मीदवार की घोषणा करनी है, वहीं कांग्रेस को करनाल, घरौंडा और इंद्री सीटों पर उम्मीदवार तय करने हैं। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि दोनों पार्टियां किस तरह से अपने-अपने पत्ते खोलती हैं। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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हरियाणा में भाजपा के लिए बढ़ी मुश्किलें:गुरविंद्र सिंह धमीजा ने थामा कांग्रेस का दामन, हुड्डा के सहपाठी भी रह चुके
हरियाणा में भाजपा के लिए बढ़ी मुश्किलें:गुरविंद्र सिंह धमीजा ने थामा कांग्रेस का दामन, हुड्डा के सहपाठी भी रह चुके हरियाणा विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा को एक और झटका लगा है। हरियाणा पंजाबी साहित्य अकादमी के पूर्व चेयरमैन गुरविंद्र सिंह धमीजा ने अपने साथियों के साथ कांग्रेस का दामन थाम लिया है। आज रोहतक में हुए एक समारोह में, धमीजा ने हरियाणा सिख गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमेटी के सदस्यों व प्रदेशभर के बंदा सिंह बहादुर सिख सम्प्रदाय के साथियों के साथ मिलकर कांग्रेस में शामिल होने का ऐलान किया। हरियाणा कांग्रेस में राज्यसभा मेंबर शादी लाल बत्रा व जिला संयोजक तरलोचन सिंह ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में धमीजा सहित हरियाणा भर के साथियों को कांग्रेस में शामिल करवाया। बता दें कि धमीजा सैनिक करनाल में पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के सहपाठी भी रह चुके है। विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा को यह बड़ा झटका मना जा रहा है। भाजपा से मोहभंग: धमीजा का 2014 में भाजपा से जुड़ाव गुरविंद्र सिंह धमीजा ने 2014 में पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में भाजपा ज्वाइन की थी। उनका कहना है कि उन्हें भाजपा में शामिल होने की प्रेरणा कुरुक्षेत्र में बाबा बंदा सिंह बहादुर की कर्सी स्थापित करने से मिली थी, जिसे भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अपने कार्यकाल में स्थापित किया था। 2014 में पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने इस पर रिसर्च शुरू की थी, जिससे धमीजा प्रभावित हुए और भाजपा में शामिल हो गए। हालांकि, अब धमीजा ने खुलासा किया है कि मनोहर लाल खट्टर के दिल्ली की राजनीति में चले जाने के बाद भाजपा की विचारधारा से उनका मोहभंग हो गया। उन्होंने कहा कि, “जिस तरह भाजपा ने अब सिख और पंजाबी समुदायों की उपेक्षा की है, उससे वे अब अपनी विचारधारा बदलने को मजबूर हो गए हैं।” धमीजा का यह बयान भाजपा के लिए एक बड़ा झटका है, खासकर तब जब भाजपा खुद पंजाबी और सिख समुदायों में अपनी पकड़ बनाने की कोशिश कर रहे थे। कांग्रेस के लिए बड़ी कामयाबी: धमीजा के शामिल होने से मजबूत हुई पंजाबी वोट बैंक की पकड़ कांग्रेस के लिए गुरविंद्र सिंह धमीजा का शामिल होना एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। इससे न केवल कांग्रेस का पंजाबी वोट बैंक मजबूत होगा, बल्कि भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती भी खड़ी होगी। पिछले कुछ महीनों से कांग्रेस राज्य में पंजाबी और बनिया समुदायों को अपनी ओर आकर्षित करने के प्रयास कर रही है। हाल ही में आयोजित राज्य-स्तरीय कार्यक्रमों में कांग्रेस ने इन समुदायों को सीधे संबोधित किया था।
हरियाणा में आग से झुलसी सास-बहू की मौत:रसोई में फटा फ्रिज का कंप्रेसर, युवक भी झुलसा; एक साल पहले हुई थी शादी
हरियाणा में आग से झुलसी सास-बहू की मौत:रसोई में फटा फ्रिज का कंप्रेसर, युवक भी झुलसा; एक साल पहले हुई थी शादी हरियाणा के जींद में आग से झुलसी सास-बहू की मौत हो गई। युवक को इलाज के बाद छुट्टी मिल गई है। घटना 6 जून (गुरुवार) की है। रसोई में सिलेंडर से गैस लीक होने के बाद आग लग गई थी। इसके बाद फ्रीज का कम्प्रेसर भी फट गया। तीनों का अस्पताल में इलाज चल रहा था। सास और बहू का अंतिम संस्कार कर दिया गया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है। दरअसल, कुम्हारन मोहल्ला में आरती अपने घर में रसोई में चाय बनाने पहुंची थी। इस दौरान सिलेंडर से गैस का रिसाव हो गया। जैसे ही उसने चूल्हा जलाने के लिए माचिस की तीली जलाई तो एक दम से रसोई में आग भड़क गई। चाय बनाने के दौरान भड़की आग
शोर मचाने पर उसका पति अमित व सास बबली मौके पर पहुंच गईं। दोनों आग में घिरी आरती को बचाने की कोशिश करने लगे। उसी दौरान रसोई में रखे फ्रिज का कंप्रेसर भी फट गया और उन्हें भी अपनी चपेट में ले लिया। धमाके की आवाज सुनकर परिवार के अन्य सदस्य तथा पड़ोसी मौके पर पहुंच गए। उन्होंने आग की लपटों से घिरे तीनों को बाहर निकालकर नागरिक अस्पताल पहुंचाया। यहां डॉक्टरों ने तीनों की गंभीर हालत देख PGI रोहतक रेफर कर दिया। आरती और बबली का पूरा शरीर आग से झुलस चुका था। अमित को रविवार को उपचार के बाद छुट्टी मिल गई थी। सोमवार को आरती और बबली की उपचार के दौरान मौत हो गई। एक साल पहले हुई थी अमित की शादी
अमित AC, RO समेत इलेक्ट्रिक उपकरण ठीक करने का काम करता है। उसकी करीब एक साल पहले आरती के साथ शादी हुई थी। उन्हें कोई बच्चा नहीं था। अमित का एक बड़ा भाई भी है, उसकी शादी हो चुकी है। जबकि अमित के पिता का कुछ समय पहले बीमारी के चलते निधन हो गया था।
हरियाणा CMO में पैठ पर खट्टर ने तोड़ी चुप्पी:बोले- हमारे यहां हैड्स चेंज होने पर कट नहीं मारते; 3 करीबियों की नियुक्ति हुई थी
हरियाणा CMO में पैठ पर खट्टर ने तोड़ी चुप्पी:बोले- हमारे यहां हैड्स चेंज होने पर कट नहीं मारते; 3 करीबियों की नियुक्ति हुई थी हरियाणा के मुख्यमंत्री ऑफिस (CMO) में अपनी पैठ पर केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने पहली बार चुप्पी तोड़ी है। शुक्रवार को करनाल पहुंचे खट्टर ने कहा कि भाजपा में हैड्स चेंज होने पर कट मारने का काम नहीं होता। यहां तालमेल बनाते हुए चीजों को आगे बढ़ाते हैं। बता दें कि 3 दिन पहले प्रवीण अत्रे को CM नायब सैनी का मीडिया सचिव, तरूण भंडारी को राजनीतिक सचिव और वीरेंद्र सिंह बढ़खालसा को CM का OSD लगाया गया था। अत्रे और भंडारी पहले भी खट्टर के CM रहते इन्हीं पदों पर काम कर रहे थे। वहीं बढ़खालसा भी CMO में ही नियुक्त थे। सीएमओ में इन तीन नेताओं की हुई थी नियुक्ति मुख्यमंत्री ऑफिस में पैठ पर केंद्रीय मंत्री की अहम बातें… 1. जिले से ऑल इंडिया लेवल तक तालमेल
हमारी पार्टी और कार्यकर्ताओं का काम कंटीन्युएशन में होता है। ये दूसरी पार्टियां हैं, जब भी कभी हैंड्स चेंज होते हैं तो कट मारकर एक इधर गया और दूसरा उधर गया। यहां ऐसा नहीं है। यहां पार्टी ने जब से काम करना शुरू किया, लगातार हम तालमेल बढ़ाते हुए चीजों को आगे बढ़ाते हैं। वह चाहे जिले, प्रदेश में या फिर ऑल इंडिया लेवल पर हो। 2. भाजपा में अनुशासित तरीका
भाजपा का काम करने का तरीका बहुत अनुशासित है। जो शायद देश की किसी पार्टी का नहीं है। मैं भाजपा के साथ जुड़कर काम करने में गौरवान्वित महसूस करता हूं। 3. कांग्रेस में संगठन नाम की चीज नहीं
यहां वह समस्याएं नहीं आती कि कांग्रेस की तरह कहीं संगठन नाम की चीज नहीं है। न जिले में, न मंडल और न ही प्रदेश में। कभी भी किसी की नियुक्ति करके ऊपर से चलाते रहते हैं, नीचे से खुलापन रहता है। 4. सब तालमेल से चलता है
भाजपा की चाहे प्राइमरी मेंबरशिप हो या सक्रिय सदस्यता या चुनाव हों, चाहे सरकार हो, सब तालमेल से चलती हैं। कभी किसी तरह का विरोधाभास नहीं हुआ। हमें तो एक सम्यक और स्मूथ ढंग से की जा सकती है, उसकी भरपूर कोशिश करते हैं, ताकि जनता को किसी तरह की तकलीफ न हो। साढ़े 9 साल CM रहे खट्टर, अब केंद्र में मंत्री
मनोहर लाल खट्टर को भाजपा ने 2014 में पूर्व बहुमत की सरकार आने पर मुख्यमंत्री बनाया था। तब वे पहली बार MLA चुने गए थे। इसके बाद 2019 का चुनाव भी उन्हीं की अगुआई में लड़ा। जिसमें भाजपा 90 में से 40 ही सीटें जीत पाई। बहुमत के लिए 46 सीटों की जरूरत थी। ऐसे में मनोहर लाल ने 10 सीटों वाली उसी जननायक जनता पार्टी (JJP) को साथ मिला लिया, जिन्हें भाजपा के विरोध में वोटें पड़ी थी। हालांकि दूसरे टर्म में साढ़े 4 साल बाद खट्टर ने इस्तीफा दे दिया और नायब सैनी नए सीएम बन गए। खट्टर ने पहली बार करनाल लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा। सांसद चुने जाने पर उन्हें केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री बना दिया गया। ****************** मनोहर लाल खट्टर की ये खबर भी पढ़ें :- कपड़े की दुकान चलाते थे खट्टर:बंसीलाल की सरकार गिराने के लिए दाढ़ी बढ़ाई, मोदी से दोस्ती; पहले ही चुनाव में CM बने 1999 की बात है। हरियाणा में BJP और हरियाणा विकास पार्टी के गठबंधन की सरकार थी। चौधरी बंसीलाल मुख्यमंत्री थे। एक दिन BJP के संगठन मंत्री मुख्यमंत्री बंसीलाल से मिलने गए। कुछ देर बाद CM ने मैसेज भिजवाया- ‘BJP के संगठन मंत्री हमारी पार्टी के संगठन मंत्री से मिल लें। मुझसे मिलने की जरूरत नहीं है।’ पढ़ें पूरी खबर