<p style=”text-align: justify;”><strong>Naik Dilwar Khan:</strong> राष्ट्रपति <a title=”द्रौपदी मुर्मू” href=”https://www.abplive.com/topic/droupadi-murmu” data-type=”interlinkingkeywords”>द्रौपदी मुर्मू</a> ने 76वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर 11 मरणोपरांत समेत 93 सशस्त्र बलों और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के कर्मियों को वीरता पुरस्कारों को मंजूरी दी है. इनमें दो कीर्ति चक्र, जिनमें एक मरणोपरांत शामिल है. मरणोपरांत कीर्ति चक्र हिमाचल प्रदेश के दिलवर खान के नाम आया है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>इसके साथ ही 14 शौर्य चक्र, जिनमें तीन मरणोपरांत शामिल हैं. एक सेना पदक (वीरता) के लिए बार, सात मरणोपरांत सहित 66 सेना पदक, दो नौसेना पदक (वीरता) और आठ वायु सेना पदक (वीरता) शामिल हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>28 साल की उम्र में दिया सर्वोच्च बलिदान</strong><br />23 जुलाई, 2024 को श्रीनगर के नजदीक आतंकियों के साथ मुठभेड़ के दौरान भारतीय सेना के जवान नायक दिलवर खान बलिदान हो गए थे. आतंकियों के साथ मुठभेड़ के दौरान उन्होंने सर्वोच्च बलिदान दिया था. वे भारतीय थल सेना में गनर थे और मूल रूप से हिमाचल प्रदेश के जिला ऊना के रहने वाले थे. उनकी उम्र सिर्फ 28 साल थी. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>झपट्टा मारके आतंकी को पकड़ा</strong><br />नायक दिलवर खान 23 जुलाई 2024 को कुपवाड़ा जिले के लोलाब घाटी के घने जंगलों में घात लगाकर किए गए हमले में शामिल थे. उस रात करीब 12 बजे, उनकी टुकड़ी ने दो आतंकवादियों को देखा, जिनमें से एक बहुत ही करीब था. उनकी घात लगाने वाली टुकड़ी ने आतंकवादी पर गोली चलाई, जिसने बदले में उन पर हमला किया. अपनी टीम के लिए नज़दीकी आतंकवादी से गंभीर ख़तरा महसूस करते हुए, खुद की जान की परवाह किए बिना नायक दिलवर खान ने भारी गोलीबारी के बावजूद झपट्टा मारा और आतंकवादी को पकड़ लिया, उसके साथ हाथापाई की, जबकि दूसरा आतंकवादी दूर से अंधाधुंध गोलीबारी करता रहा. इस दिलेरी वाले काम के दौरान, नायक दिलवर खान गंभीर रूप से घायल हो गए. चोटिल होने के बावजूद उन्होंने आतंकवादी को जाने नहीं दिया और अपने घावों के कारण दम तोड़ने से पहले गोली चलाकर आतंकवादी को मार गिराया.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कौन थे दिलवर खान?</strong><br />दिलवर खान का जन्म मार्च 1996 में हुआ था. वे 20 जनवरी 2014 को मात्र 18 साल की उम्र में ही भारतीय सेना में भर्ती हो गए थे. उनके पिता का नाम करम दीन और मां का नाम भोलान बीबी है. उन्हें स्कूल के वक्त से ही भारतीय सेना में भर्ती होने का जुनून था. इसी जुनून ने उन्हें भारतीय सेना में शामिल करवाया. उन्होंने देश की सुरक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया और हमेशा के लिए अमर हो गए. हिमाचल प्रदेश के साथ पूरे देश को उन पर गर्व है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”> </p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Naik Dilwar Khan:</strong> राष्ट्रपति <a title=”द्रौपदी मुर्मू” href=”https://www.abplive.com/topic/droupadi-murmu” data-type=”interlinkingkeywords”>द्रौपदी मुर्मू</a> ने 76वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर 11 मरणोपरांत समेत 93 सशस्त्र बलों और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के कर्मियों को वीरता पुरस्कारों को मंजूरी दी है. इनमें दो कीर्ति चक्र, जिनमें एक मरणोपरांत शामिल है. मरणोपरांत कीर्ति चक्र हिमाचल प्रदेश के दिलवर खान के नाम आया है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>इसके साथ ही 14 शौर्य चक्र, जिनमें तीन मरणोपरांत शामिल हैं. एक सेना पदक (वीरता) के लिए बार, सात मरणोपरांत सहित 66 सेना पदक, दो नौसेना पदक (वीरता) और आठ वायु सेना पदक (वीरता) शामिल हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>28 साल की उम्र में दिया सर्वोच्च बलिदान</strong><br />23 जुलाई, 2024 को श्रीनगर के नजदीक आतंकियों के साथ मुठभेड़ के दौरान भारतीय सेना के जवान नायक दिलवर खान बलिदान हो गए थे. आतंकियों के साथ मुठभेड़ के दौरान उन्होंने सर्वोच्च बलिदान दिया था. वे भारतीय थल सेना में गनर थे और मूल रूप से हिमाचल प्रदेश के जिला ऊना के रहने वाले थे. उनकी उम्र सिर्फ 28 साल थी. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>झपट्टा मारके आतंकी को पकड़ा</strong><br />नायक दिलवर खान 23 जुलाई 2024 को कुपवाड़ा जिले के लोलाब घाटी के घने जंगलों में घात लगाकर किए गए हमले में शामिल थे. उस रात करीब 12 बजे, उनकी टुकड़ी ने दो आतंकवादियों को देखा, जिनमें से एक बहुत ही करीब था. उनकी घात लगाने वाली टुकड़ी ने आतंकवादी पर गोली चलाई, जिसने बदले में उन पर हमला किया. अपनी टीम के लिए नज़दीकी आतंकवादी से गंभीर ख़तरा महसूस करते हुए, खुद की जान की परवाह किए बिना नायक दिलवर खान ने भारी गोलीबारी के बावजूद झपट्टा मारा और आतंकवादी को पकड़ लिया, उसके साथ हाथापाई की, जबकि दूसरा आतंकवादी दूर से अंधाधुंध गोलीबारी करता रहा. इस दिलेरी वाले काम के दौरान, नायक दिलवर खान गंभीर रूप से घायल हो गए. चोटिल होने के बावजूद उन्होंने आतंकवादी को जाने नहीं दिया और अपने घावों के कारण दम तोड़ने से पहले गोली चलाकर आतंकवादी को मार गिराया.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कौन थे दिलवर खान?</strong><br />दिलवर खान का जन्म मार्च 1996 में हुआ था. वे 20 जनवरी 2014 को मात्र 18 साल की उम्र में ही भारतीय सेना में भर्ती हो गए थे. उनके पिता का नाम करम दीन और मां का नाम भोलान बीबी है. उन्हें स्कूल के वक्त से ही भारतीय सेना में भर्ती होने का जुनून था. इसी जुनून ने उन्हें भारतीय सेना में शामिल करवाया. उन्होंने देश की सुरक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया और हमेशा के लिए अमर हो गए. हिमाचल प्रदेश के साथ पूरे देश को उन पर गर्व है.</p>
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