<p style=”text-align: justify;”>हरियाणा में चुनाव में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच गठबंधन की सुगबुगाहट तेज हो गई है. सूत्रों की मानें तो हरियाणा में गठबंधन को लेकर पिछले दिनों कांग्रेस और आप नेताओं की बैठक हो चुकी हैं. आप सांसद राघव चड्ढा और कांग्रेस के सीनियर नेता केसी वेणुगोपाल के बीच कई दौर की बैठक हो चुकी हैं. सूत्रों की मानें तो गठबंधन पर अंतिम फ़ैसले के लिए 5 सितंबर को सीएम अरविंद केजरीवाल की जमानत को लेकर आने वाले फैसले का आम आदमी पार्टी इंतजार कर रही है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>गौरतलब है कि सीएम केजरीवाल की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में 5 सितंबर को सुनवाई होनी है. सीएम केजरीवाल अभी जेल में हैं. ईडी के मामले में सुप्रीम कोर्ट से सीएम केजरीवाल को पहले ही जमानत मिल चुकी है. 5 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई के केस में उनकी याचिका पर सुनवाई होनी है. पार्टी को उम्मीद है कि ईडी की तरह सीबीआई के मामले में सीएम केजरीवाल को जमानत मिलेगी.</p> <p style=”text-align: justify;”>हरियाणा में चुनाव में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच गठबंधन की सुगबुगाहट तेज हो गई है. सूत्रों की मानें तो हरियाणा में गठबंधन को लेकर पिछले दिनों कांग्रेस और आप नेताओं की बैठक हो चुकी हैं. आप सांसद राघव चड्ढा और कांग्रेस के सीनियर नेता केसी वेणुगोपाल के बीच कई दौर की बैठक हो चुकी हैं. सूत्रों की मानें तो गठबंधन पर अंतिम फ़ैसले के लिए 5 सितंबर को सीएम अरविंद केजरीवाल की जमानत को लेकर आने वाले फैसले का आम आदमी पार्टी इंतजार कर रही है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>गौरतलब है कि सीएम केजरीवाल की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में 5 सितंबर को सुनवाई होनी है. सीएम केजरीवाल अभी जेल में हैं. ईडी के मामले में सुप्रीम कोर्ट से सीएम केजरीवाल को पहले ही जमानत मिल चुकी है. 5 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई के केस में उनकी याचिका पर सुनवाई होनी है. पार्टी को उम्मीद है कि ईडी की तरह सीबीआई के मामले में सीएम केजरीवाल को जमानत मिलेगी.</p> हरियाणा Bettiah Firing: बेतिया में महिला के घर पर फायरिंग मामले का खुलासा, शादी टूटने से नाराज युवक ने की थी गोलीबारी
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KGMU…120 साल के इतिहास में पहली बार एलुमनाई फंडिंग:OPD में सालभर में आते हैं 19 लाख मरीज; कुलपति बोलीं-पूरे देश में हैं जॉर्जियन
KGMU…120 साल के इतिहास में पहली बार एलुमनाई फंडिंग:OPD में सालभर में आते हैं 19 लाख मरीज; कुलपति बोलीं-पूरे देश में हैं जॉर्जियन 21 दिसंबर 1905 को जिस मेडिकल कॉलेज की नींव प्रिंस ऑफ वेल्स ने रखी थी, आज वो 120 साल बाद देश के सबसे बड़े राज्य का सबसे बड़ा चिकित्सा विश्वविद्यालय बन चुका है। देश दुनिया को मेडिकल साइंस के एक से बढ़ कर एक दिग्गज देने वाला ये मेडिकल संस्थान, सालाना सिर्फ OPD में 19 लाख मरीजों का इलाज कर रहा है। मेडिकल की UG, PG और सुपर स्पेशलिटी की पढ़ाई में भी इसका कोई सानी नहीं है। 120 साल के इस सफरनामे पर, KGMU की कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद से विशेष बातचीत की। पेश है बातचीत के प्रमुख अंश.. सवाल: KGMU के 120 साल के सफर पर और इसकी लिगेसी पर क्या कहेंगी?
जवाब: ये सही है कि KGMU की अपनी एक खास लिगेसी रही है। KGMU फेमस है अपने टीचिंग स्टैंडर्ड के लिए, यहां गरीब से गरीब मरीज को मेडिकल सुविधाएं मिलती हैं और अब रिसर्च की फील्ड में भी KGMU तेजी से आगे बढ़ रहा है। यहां से पढ़कर निकलने वाले सभी मेडिकल स्टूडेंट बहुत प्राउड से खुद को जॉर्जियन कहते हैं। पूरे देश में नहीं पूरी दुनिया में आपको जॉर्जियन मिलेंगे। यहां तक कि नॉर्थ अमेरिका में, कनाडा में, यूके में, ऑस्ट्रेलिया में हर जगह इसके एसोसिएशन हैं। सभी आपस में संपर्क में भी रहते हैं। निश्चित तौर पर सभी KGMU को लेकर बेहद गौरवान्वित भी महसूस करते हैं। सवाल: आप SGPGI की फैकल्टी रहीं, लोहिया संस्थान में निदेशक रहीं और अब KGMU की कुलपति हैं, तीनों संस्थान को कैसे देखती हैं?
जवाब: तीनों संस्थान की अपनी-अपनी खूबियां है। मैं खुद यहीं की पढ़ी हूं। ये मेरा अल्मा मैटर रहा है। इसलिए मेरे दिल में इसकी खास जगह है। जहां तक MBBS की पढ़ाई की बात है KGMU पूरे देश का वन ऑफ द बेस्ट इंस्टीट्यूशन है। इसके अलावा कई स्पेशियलिटी में PG कोर्स हो रहे है। कह सकते हैं की बहुत रोबस्ट सिस्टम है यहां का। कई सुपर स्पेशियलिटी के कोर्स चल रहे हैं। कुल मिलाकर यह एक कंप्रिहेंसिव संस्थान है, जहां बैचलर से लेकर पोस्ट ग्रेजुएट और सुपर स्पेशियलिटी की पढ़ाई हो रही है जो इसको बेहद खास बनाती है। मेरा मानना है कि KGMU की सबसे बड़ी स्ट्रैंथ ये है कि गरीब से गरीब मरीज का यहां इलाज होता है। मरीजों को यहां टॉप लेवल मेडिकल फैसिलिटी मिल जाती है। कुल मिलाकर ये कह सकते हैं कि यहां की 2 सबसे बड़ी स्ट्रैंथ यही है कि एक तो मेडिकल की टीचिंग यहां बेहतरीन होती है और दूसरी गरीब से गरीब मरीज को OPD में या इनडोर में बेस्ट मेडिकल एडवाइस या इलाज मिल जाता है। सवाल: KGMU के लिए सबसे बड़ा चैलेंज क्या है?
जवाब: स्थापना दिवस के अवसर पर मैंने इलाज से जुड़े स्टैटिक्स और डेटा को निकलवाया, तो ये सामने आया कि सालभर में OPD में कुल 19 लाख मरीजों को इलाज मिला। लगभग 10 हजार की रोजाना OPD होती है। कई बार ये संख्या 12 हजार तक पहुंच जाती है। डेढ़ सौ लोग रोजाना ट्रॉमा इमरजेंसी में इलाज पाते। इतने बड़े पैमाने पर आने वाले मरीजों की भीड़ को मैनेज करना एक चैलेंज हैं। KGMU का ट्रॉमा सेंटर अहम हिस्सा है। न केवल मेडिकल यूनिवर्सिटी के लिए बल्कि पूरे प्रदेश के लिए ये बेहद महत्वपूर्ण है। वहां लगभग हर मिनट पेशेंट आते। हर क्षण आने वाली मरीज और उनका इलाज मुहैया कराना अपने आप में एक चुनौती है। सवाल: IIT कानपुर से आपका क्या कॉलेब्रेशन है और साथ मिलकर क्या करना लक्ष्य है?
जवाब: IIT कानपुर की रूपरेखा KGMU से बिल्कुल अलग है। इसलिए दोनों में फर्क है। पर KGMU ने IIT कानपुर से MOU कर रखा है। दोनों संस्थान मिलकर मरीजों का हित में काम कर रहे हैं। क्लीनिकल गैप्स को इडेंटॉफी करके दोनों संस्थान मिलकर काम कर रहे, जिससे मरीज को ज्यादा से ज्यादा फायदा मिलता है। पहला प्रोग्राम हम शुरू कर चुके हैं। इसके अलावा दूसरी पहल, AI के फील्ड में साथ मिलकर काम करना चाहते हैं। हेल्थ सेक्टर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का बहुत बड़ा रोल है। जिस बड़े पैमाने पर KGMU में मरीज को देखा जाता है उस लिहाज से इसकी अहमियत और बढ़ जाती है। हम इस फील्ड में जरूर काम करना चाहेंगे। सवाल: एलुमनाई मीट और उससे जुड़ाव पर क्या कहेंगी?
जवाब: 120 साल के सफर में पहली बार KGMU में एलुमनाई फंडिंग शुरू होगी, यह एक बहुत बड़ी पहल साबित होने जा रही है। देश दुनिया में KGMU के एलुमनाई हैं। निश्चित तौर पर जो फंडिंग मिलेगी उसके जरिए KGMU नई ऊंचाइयों को छुएगा।
बहराइच हिंसा; उपद्रवी बोले- 2 घंटे पुलिसवाले हट गए थे:लोगों ने गद्दारी की, नहीं तो महराजगंज खत्म हो गया होता
बहराइच हिंसा; उपद्रवी बोले- 2 घंटे पुलिसवाले हट गए थे:लोगों ने गद्दारी की, नहीं तो महराजगंज खत्म हो गया होता कल तो हम लोग महराजगंज में थे। दो एजेंसी जल गईं। गाड़ियां जल गईं। दुकानें जल गईं। कई महंगी-महंगी गाड़ियां फूंक दी गईं। कई बंदे एकसाथ गए थे, जरूरी नहीं कि हम ही फूंकेंगे। जिसका नंबर आ आएगा, वही फूंक देगा। कुछ लोगों ने गद्दारी कर दी, नहीं तो पूरा महराजगंज खत्म हो जाता। पुलिस वालों ने टाइम दिया था 2 घंटे। सारे पुलिस वाले हट भी गए थे। दैनिक भास्कर के हिडन कैमरे पर यह कबूलनामा है बहराइच हिंसा में शामिल उपद्रवियों का। बहराइच के महराजगंज में हिंसा में कौन लोग शामिल थे? इसे रोकने में पुलिस क्यों फेल हुई? क्या यह सब कुछ पहले से प्लान्ड था? इसको लेकर दैनिक भास्कर ने 5 दिन तक महराजगंज और उसके आसपास के गांवों में इन्वेस्टिगेशन किया। हमने 3 उन महत्वपूर्ण किरदारों को ढूंढा। महराजगंज से 5 किलोमीटर दूर बेडवा गांव की सड़क पर हमें दो युवक मिले। हमने जानना चाहा कि क्या वे हिंसा में शामिल थे? शुरू में तो उन्होंने इनकार किया, लेकिन काफी देर बातचीत हुई तो उन्होंने उपद्रव को सिलसिलेवार तरीके से बताया। युवक सबूरी मिश्रा ने कहा- कल (14 अक्टूबर को) हम लोग महराजंगज में थे। रिपोर्टर ने सवाल किया कि तुम लोगों ने फूंका था। इस पर युवक कहता है- हां-हां और क्या? गाड़ियां जल गईं। दुकानें जल गईं। कई महंगी-महंगी गाड़ियां फूंक दी गईं। कई बंदे एक साथ गए थे, जरूरी नहीं कि हम ही फूंकेंगे, जिसका नंबर आ आएगा, वही फूंक देगा। दूसरे युवक प्रेम मिश्रा ने कहा कि कुछ लोगों ने गद्दारी कर दी, नहीं तो पूरा महराजगंज खत्म हो जाता। पुलिस वालों ने टाइम दिया था 2 घंटे। इस पर पहले युवक ने कहा कि तभी तो सारे पुलिस वाले हट भी गए थे। दोनों युवक जिस उपद्रव की बात बता रहे हैं, वो 14 अक्टूबर को हुआ था। उस दिन रामगोपाल मिश्रा की शव यात्रा निकाली गई। आसपास के गांवों से सैकड़ों की संख्या में लोग शामिल हुए थे। इस दौरान महराजगंज में विशेष वर्ग के घरों और दुकानों पर धावा बोल दिया। यहीं पर हीरो बाइक की एजेंसी में आग लगा दी गई। उसमें 25 से 30 गाड़ियां जलकर राख हो गईं। ये एजेंसी अरुण शुक्ला के नाम से है, लेकिन इसमें पैसा सिराज का लगा है। भीड़ में शामिल लोगों को यह बात पता थी। इसी के बगल में लखनऊ सेवा अस्पताल भी फूंक दिया गया। यह भी एक मुस्लिम का ही था। विधायक की इजाजत बिन पुलिस मामूली FIR भी दर्ज नहीं करती
एनकाउंटर के बाद जब घायल सरफराज और तालीम को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, तो वहां भारी फोर्स तैनात की गई। हमारी टीम की मुलाकात हरदी थाने में तैनात रहे एक पुलिस अफसर से हुई। इनकी हम पहचान उजागर नहीं कर रहे हैं। पुलिस अफसर ने विधायक को लेकर बड़ा खुलासा किया। बताया, विधायक से पूछे बिना आसपास के 4 थानों में 151 (मामूली केस) तक में FIR दर्ज नहीं होती। विधायक जी का पूरे जिले में होल्ड है। डीएम-एसपी उनकी ही बात सुनती हैं। पुलिस अफसर ने बताया- मुझे सूचना मिली है कि रामगोपाल मिश्रा की पहले से ही अब्दुल हमीद के परिवार से टशल थी। अब्दुल का बेटा, जिसने गोली मारी है, वह बदमाश है। अगर दोनों में विवाद नहीं होता, तो राम गोपाल सिर्फ अब्दुल के घर का ही झंडा नहीं उखाड़ता। वहां तमाम मुस्लिमों के घर हैं, जिन पर झंडे लगे हैं। एक आया, हाथ से इशारा किया, छत से तीन लोगों ने भी हाथ हिलाया
हमने इस हिंसा में लापरवाही पर हटाए गए तत्कालीन थाना प्रभारी एसके वर्मा से मोबाइल पर बात की। उन्होंने बताया- महराजगंज कस्बे में विसर्जन के लिए 15 से ज्यादा मूर्तियां मौजूद थीं। पूरी यात्रा साधारण चल रही थी। इस घटना (14 अक्टूबर) का पूरा विवाद हाथ हिलाकर इशारा करने के बाद शुरू हुआ। घटना वाली छत (जहां राम गोपाल की हत्या की गई) से भी 3 लोगों ने हाथ हिलाया था। इसके बाद विवाद शुरू हो गया। मैंने उसी समय कहा था, मुकदमा लिखवा दे रहा हूं। लेकिन, अब गाना बजाने की बात सामने आ रही है। मुझे नहीं पता, गाना बजाने की बात कहां से सामने आई है? जुलूस में बवाल होने से पहले एक व्यक्ति आए और निकल गए, इसके बाद में चीजें बढ़ने लगीं। यह घटना पहले से प्लांड लग रही है। अचानक से हुई कोई भी घटना इतने लंबे समय तक नहीं चलती। इससे पहले मैं कई बार देवीपाटन मेले का प्रभारी रह चुका हूं। अब विधायक ने क्या कहा-
हमने महसी से भाजपा विधायक सुरेश्वर सिंह से बात की। सवाल किया कि आपकी मर्जी से थानों में FIR तक दर्ज नहीं होती? क्या उपद्रव की जानकारी आपको नहीं थी? इस पर विधायक ने कहा कि महसी पुलिस चौकी की पूरी जिम्मेदारी है। वहीं सिपाही से हेड मोहर्रिर हो गए और फिर दरोगा हो गए। पूरी जिम्मेदारी थाना प्रभारी और सीओ की है।। थाने से 500 मीटर दूर हंगामा होता है, इन्हें पता ही नहीं चलता। हमने हटाने के लिए शिकायत भी की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। घटना शुरू हुई, जिसमें विसर्जन में आचार्य संदीप का गाना बज रहा था। उसमें पाकिस्तान मुर्दाबाद की बात कही जा रही थी। क्या पाकिस्तान मुर्दाबाद का नारा लगाना गलत है? पाकिस्तानियों को ही आपत्ति हो सकती है। डीजे की लीड निकाल ली गई थी। इंस्पेक्टर खड़े थे, चौकी इंचार्ज खड़े थे। उनको ले जाकर थाने बैठा लेते, तो बात ही आगे नहीं बढ़ती। पूर्व विधायक बोले- रात 12 बजे के बाद घटना की हुई प्लानिंग, दो-दो किमी पर लगाई आग हम इसी क्षेत्र के पूर्व विधायक और सपा नेता केके ओझा से मिलने पहुंचे। ओझा महसी विधानसभा से बसपा के विधायक रह चुके हैं। साल 2022 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं। उन्होंने बताया- लड़का उनकी (अब्दुल हमीद) छत पर चढ़ कर झंडा फाड़ रहा था, जिसके बाद उसकी हत्या हो गई। यह केवल एक घटना थी। रात 12 बजे डेडबॉडी जिला अस्पताल में थी और भीड़ इकट्ठी हो रही थी। इसी बीच जनता ने विधायक जी (सुरेश्वर सिंह) को खदेड़ दिया। जब उन्होंने देखा मेरा विरोध हो रहा है, तो वह दंगाइयों के साथ हो गए। उसके बाद कुछ गांवों में ऐसी घटनाओं को अंजाम दिया गया। दो-दो किमी पर आग लगाई गई। क्या पुलिस फोर्स कम थी?
हम थाना हरदी पहुंचे, जहां थाने में तैनात मुंशी मिले। मुंशी से हमने हिडन कैमरे पर बात की। उन्होंने कहा- इस विसर्जन के दौरान महराजगंज कस्बे में पुलिस बल की कमी थी। केवल हमारे एक थाने का पुलिस बल मौजूद था। उन्होंने कहा- हमारे क्षेत्र में कुल 4 जगह मूर्ति विसर्जन होता है। जिसमें महाराजगंज पहले से सेंसटिव रहता है। हम लोगों ने जिले से अतिरिक्त पुलिस बल मांगा था, लेकिन वह नहीं मिला। इससे पहले हम लोगों को अतिरिक्त पुलिस बल मिलता था। हम अपने थाने और चौकी की पुलिस के साथ पूरे कार्यक्रम को करवा रहे थे। चूंकि कस्बे में 15 से अधिक मूर्तियां थीं, उसी तरीके से पुलिस बल जगह-जगह पर मौजूद था। एसडीएम बोले- आरोपी के पास 4 लाइसेंसी हथियार, महराजगंज में कोई मजिस्ट्रेट नहीं तैनात था
अब हम महसी तहसील के एसडीएम अखिलेश सिंह (अब हटा दिए गए) से मिलने पहुंचे। वह भी इस घटना में चोटिल हुए थे। हमने उनसे इस कार्यक्रम में हुई तैयारियों के बारे में जानकारी ली। उन्होंने बताया- पुलिस की कमी थी या नहीं, यह हमारे विभाग की बात नहीं है। हमने अपनी तहसील क्षेत्र में दो मजिस्ट्रेट तैनात किए थे। महराजगंज में परंपरागत तरीके से मूर्तियां विसर्जन के लिए पहले से जाती हैं। इसमें कोई नई प्रथा नहीं है। हमने महराजगंज कस्बे में किसी मजिस्ट्रेट को तैनात नहीं किया था। इस घटना के आधे घंटे बाद हम खुद मौके पर पहुंचे थे। आरोपी अब्दुल हमीद के परिवार में 4 लाइसेंसी असलहे हैं। अगले दिन 14 अक्टूबर को जब हिंसा भड़की, तो हमने अपनी तरफ से पूरी तैयारियां करके रखी थीं। पोस्टमॉर्टम हाउस से एसडीएम सदर खुद डेडबॉडी लेकर मृतक के घर पहुंचे थे। तहसील पर एडीएम साहब फोर्स लेकर खुद मौजूद थे। स्पेशल इंटेलिजेंस का दावा- अधूरी थीं तैयारियां, लोकल इंटेलिजेंस हुआ फेल
प्रशासन स्तर से कहां चूक हुई, यह समझने के लिए हम स्पेशल इंटेलिजेंस यूनिट पहुंचे। यहां हमारी मुलाकात केंद्र प्रभारी से हुई। हमने इस हिंसा के बारे में छिपे हुए कैमरे पर कुछ सवाल पूछे। उन्होंने कहा कि 13 अक्टूबर को महराजगंज में हुई घटना को रोका जा सकता था। अगर मौके पर पर्याप्त पुलिस बल होता, लेकिन वह नहीं था। रामगोपाल मिश्रा की हत्या के बाद क्षेत्र में तनाव की स्थितियां बढ़ने लगीं। अगले दिन 14 अक्टूबर को उसकी डेडबॉडी गांव पहुंची। लोग उसको लेकर तहसील तक पहुंच गए थे। साफतौर पर पुलिस की लापरवाही नजर आती है और कहीं न कहीं लोकल इंटेलिजेंस का फेल्योर है। इस पूरे मामले को लेकर एसपी वृंदा शुक्ला से भी बात की गई। उन्होंने माना कि पर्याप्त पुलिस बल मौके पर मौजूद नहीं था। लेकिन इस बात से साफ इनकार किया कि पुलिसकर्मियों ने उपद्रवियों को किसी तरह की हिंसा करने की छूट दी थी। उन्होंने कहा कि हिंसा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई हुई है। अभी जांच चल रही है। जो भी घटना में शामिल पाया जाएगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। बहराइच हिंसा से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… बहराइच हिंसा- बीजेपी विधायक ने भाजपा नेता पर केस किया:कहा- मेरे ऊपर जानलेवा हमला किया, ASP ग्रामीण को हटाया बहराइच हिंसा का आज 9वां दिन है। महराजगंज में सन्नाटा पसरा है। सड़कों पर जगह-जगह फोर्स तैनात है। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने रविवार को बुलडोजर एक्शन पर 15 दिन की रोक लगा दी। वहीं, सरकार ने ASP ग्रामीण पवित्र मोहन त्रिपाठी को हटा दिया। उनकी जगह दुर्गा प्रसाद तिवारी को तैनाती दी गई है। पवित्र मोहन त्रिपाठी को DGP हेड हेडक्वार्टर से संबद्ध किया गया है। पूरी खबर पढ़ें…
रायपुर मॉब लिंचिंग केस में पुलिस ने दाखिल की चार्जशीट, ‘पुल से कूदने के कारण गई तीनों की जान, मारपीट…’
रायपुर मॉब लिंचिंग केस में पुलिस ने दाखिल की चार्जशीट, ‘पुल से कूदने के कारण गई तीनों की जान, मारपीट…’ <p style=”text-align: justify;”><strong>Chhattisgarh Mob Lynching Case:</strong> छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले में पिछले महीने ट्रक से मवेशी ले जा रहे तीन लोगों की मौत के मामले में पुलिस ने चार्जशीट दाखिल कर दी है. इसमें पुलिस ने दावा किया कि इन तीनों का कुछ लोगों ने करीब 53 किलोमीटर तक पीछा किया था जिसके बाद नदी के पुल से कूदने के कारण उनकी मौत हुई और उनके साथ कोई मारपीट नहीं हुई थी. </p>
<p style=”text-align: justify;”>पुलिस सूत्रों ने बुधवार को बताया कि आठ जुलाई को रायपुर की अदालत में चार्जशीट दाखिल किया गया. पुलिस ने पहले बताया था कि मवेशियों को ले जा रहे गुड्डू खान (35) और चांद मियां खान (23) की सात जून की सुबह जिले के आरंग थाना क्षेत्र में भीड़ ने पीछा किया था, इसके बाद संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी. उनका एक अन्य साथी सद्दाम कुरैशी भी इसी घटना में गंभीर रूप से घायल पाया गया था, जिसकी 18 जून को यहां एक अस्पताल में मौत हो गई थी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>किन धाराओं में दर्ज है मामला?</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>उत्तर प्रदेश के रहने वाले तीनों लोग आरंग क्षेत्र में महानदी पर बने पुल के नीचे पाए गए थे, जबकि भैंसों से लदा उनका ट्रक पुल पर खड़ा मिला था. आरंग पुलिस ने तब मामले के संबंध में अज्ञात आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं 304 (गैर इरादतन हत्या), 307 (हत्या का प्रयास) और 34 (साझा इरादा) के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी. कुरैशी की मौत के बाद पुलिस ने कहा था कि उसकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मारपीट के कारण प्राणघातक चोट लगने का जिक्र नहीं है, जिसके बाद हत्या के प्रयास का आरोप हटा दिया गया. पुलिस ने तब मामले की जांच के लिए रायपुर के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) कीर्तन राठौर के नेतृत्व में 14 सदस्यीय विशेष दल का गठन किया था. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>पांच आरोपी गिरफ्तार</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>बाद में पुलिस ने अलग-अलग जगहों से पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया और उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 304 के तहत आरोप पत्र दाखिल किया. पुलिस सूत्रों ने बताया कि आरोपपत्र में कहा गया है, ‘पांचों आरोपियों को संभवत: मवेशियों को ले जा रहे एक वाहन के बारे में जानकारी मिली थी. तीन कार में सवार आरोपियों ने ट्रक का पीछा किया और लोहे की कीलें लगी लकड़ी और कांच के टुकड़े फेंक कर वाहन को रोकने की कोशिश की. ट्रक चालक ने भागने के लिए करीब 14 किलोमीटर तक गलत दिशा में गाड़ी चलाई, लेकिन आरोपियों ने उनका पीछा करना जारी रखा. जब आरोपियों द्वारा फेंकी गईं लोहे की कीलों और पत्थरों के कारण ट्रक का एक टायर क्षतिग्रस्त हो गया तो ट्रक महानदी नदी पर बने पुल पर रुका.’ </p>
<p style=”text-align: justify;”>आरोप पत्र में कहा गया है कि ट्रक में सवार तीनों लोग डर के कारण वाहन से उतर गए और अपनी जान बचाने के लिए पुल से नदी में कूद गए. इसमें कहा गया है कि पूरी घटना में आरोपियों ने करीब 53 किलोमीटर तक तेज गति से ट्रक का पीछा किया और उसे अवैध रूप से रोकने की कोशिश की, जिससे पता चलता है कि आरोपियों को पता था कि उनके कृत्य से ट्रक में सवार लोगों की मौत हो सकती है या उन्हें ऐसी शारीरिक चोट लग सकती है जिससे उनकी मौत हो सकती है. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’भयभीत होकर नदी में कूदे'</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>आरोप पत्र के मुताबिक, आरोपियों के कृत्य से भयभीत होकर तीनों व्यक्ति ट्रक से उतर गए और पुल से नदी में कूद गए, जिससे तीनों में से एक चांद मियां की मौके पर ही मौत हो गई और गुड्डू खान ने अस्पताल ले जाते समय दम तोड़ दिया. </p>
<p style=”text-align: justify;”>इसमें कहा गया कि सद्दाम ने करीब 12 दिनों के इलाज के बाद दम तोड़ दिया. आरोप पत्र में कहा गया है कि पुल से कूदने के बाद उसे लगी गंभीर चोटों के कारण उसकी मौत हो गई. इसमें कहा गया है कि आरोपियों का कृत्य भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 304 में उल्लेखित आपराधिक कृत्य के अंतर्गत आता है. जांच के बाद आईपीसी की धारा 304 और 34 के तहत आरोप पत्र दाखिल किया गया. घटना के बाद चांद और सद्दाम के चचेरे भाई एवं शिकायतकर्ता शोहेब खान ने आरोप लगाया था कि तीनों लोग जब मवेशियों (भैंसों) से भरे ट्रक में महासमुंद (पड़ोसी जिला) से आरंग की ओर जा रहे थे तभी भीड़ ने उनका पीछा किया और उन पर हमला किया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>खान ने दावा किया था कि उन्हें चांद ने फोन किया था. उन्होंने कहा कि उनके दोस्त मोहसिन को सद्दाम ने तब फोन किया था जब उन पर हमला हो रहा था. शोहेब ने कहा था, ‘चांद ने मुझे बताया कि उन पर भीड़ द्वारा हमला किया जा रहा है लेकिन इससे पहले कि वह कोई जानकारी दे पाता, फोन कट गया.’ उसने कहा था कि मोहसिन को की गई फोन कॉल 47 मिनट तक चली थी जिसमें सद्दाम ने कहा था कि उसके हाथ-पैर टूट गए हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a title=”बीजापुर में नक्सलियों ने किया IED ब्लास्ट, STF के दो जवान शहीद, 4 घायल” href=”https://www.abplive.com/states/chhattisgarh/bijapur-naxalites-carried-out-ied-blast-two-stf-jawans-killed-chhattisgarh-ann-2739843″ target=”_self”>बीजापुर में नक्सलियों ने किया IED ब्लास्ट, STF के दो जवान शहीद, 4 घायल</a></strong></p>