<p style=”text-align: justify;”><strong>Kanwar Yatra 2024:</strong> कांवड़ यात्रा मार्ग पर पड़ने वाली मस्जिदों और मजारों को पर्दों से ढके जाने से शुरू हुए विवाद के बाद हरिद्वार जिला प्रशासन ने कुछ घंटों के बाद ही उन्हें उतारना शुरू कर दिया. हालांकि, यात्रा मार्ग पर शराब की दुकानों के आगे लगाए गए पर्दों को नहीं हटाया गया है. शराब की दुकानों के बाहर भी इस बार पहली बार पर्दे लगाए गए हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>हिंदुओं की सबसे बड़ी धार्मिक यात्रा की इस वर्ष शुरुआत विवादों के साथ हुई जहां उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश सरकारों ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर होटल और ढाबा संचालकों को अपने नाम और पते वाले ‘साइनबोर्ड’ लगाने का आदेश दिया. इस पर विवाद के बीच मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा जहां इस आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी गयी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>अभी यह विवाद ठंडा भी नहीं पड़ा था कि हरिद्वार जिला प्रशासन ने यात्रा मार्ग पर पड़ने वाली मस्जिदों और मजारों को पर्दों से ढक दिया. प्रदेश के पर्यटन और धर्मस्व मंत्री सतपाल महाराज ने इस संबंध में पूछे जाने पर कहा कि कांवड़ यात्रा को व्यवस्थित रूप से संपन्न कराने के लिए मस्जिद और मजारों को ढका गया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने कहा, ‘‘कोई समस्या न हो, इसे देखते हुए ही कुछ बातो पर रोक लगाई जाती है. कांवड़ मार्ग पर किसी प्रकार की उत्तेजना न हो, इसलिए मस्जिद और मजारों को ढका गया है.’’ ज्वालापुर में आर्यनगर के पास इस्लामनगर की मस्जिद और ऊंचे पुल पर बनी मजार और मस्जिद को पर्दे से ढक दिया गया. लेकिन इस कदम पर तीखी प्रतिक्रिया आने के बाद प्रशासन ने कुछ ही घंटों में उन्हें उतारने का कार्य शुरू कर दिया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>प्रशासन के निर्देश पर मस्जिदों और मजारों के आगे लगे पर्दे हटाने पंहुचे कांवड़ मेले के एसपीओ (पुलिस की सहायता के लिए तैनात स्वयंसेवक) दानिश अली ने बताया कि पुलिस चौकी से उन्हें पर्दे हटाने का आदेश मिला है और इसलिए वह उन्हें हटाने आये हैं. इससे पहले, कांवड़ यात्रा के दौरान मस्जिदों और मजारों को कभी नहीं ढका नहीं जाता था.</p>
<p style=”text-align: justify;”>ज्वालापुर स्थित मजार कें प्रबंधक शकील अहमद ने कहा कि इस संबंध में उनसे कोई बात नहीं की गई. उन्होंने कहा कि कई दशकों से यहां से कांवड़िए गुजर रहे हैं, वे मजार के बाहर पेड़ की छाया में आराम करते हैं और चाय वगैरह पीते हैं. अहमद ने कहा कि पता नहीं इस बार ऐसा क्यों किया गया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>कांग्रेस नेता नईम कुरैशी ने कहा कि 65 साल की अपनी उम्र के दौरान उन्होंने ऐसा कभी नहीं देखा . उन्होंने कहा कि कांवड़ मेला शुरू होने से पहले प्रशासन ने बैठक की थी और हिंदु और मुसलमान दोनों समुदायों से ही एसपीओ बनाये गए थे. उन्होंने कहा कि कांवड़ यात्रा में हिंदु और मुसलमान सभी सहयोग करते हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/former-minister-professor-son-beat-e-rickshaw-driver-in-front-of-his-college-arrested-ann-2746728″>आगरा में पूर्व मंत्री के बेटे की खुलेआम गुंडागर्दी, ई-रिक्शा चालक को डंडे से पीटा</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Kanwar Yatra 2024:</strong> कांवड़ यात्रा मार्ग पर पड़ने वाली मस्जिदों और मजारों को पर्दों से ढके जाने से शुरू हुए विवाद के बाद हरिद्वार जिला प्रशासन ने कुछ घंटों के बाद ही उन्हें उतारना शुरू कर दिया. हालांकि, यात्रा मार्ग पर शराब की दुकानों के आगे लगाए गए पर्दों को नहीं हटाया गया है. शराब की दुकानों के बाहर भी इस बार पहली बार पर्दे लगाए गए हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>हिंदुओं की सबसे बड़ी धार्मिक यात्रा की इस वर्ष शुरुआत विवादों के साथ हुई जहां उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश सरकारों ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर होटल और ढाबा संचालकों को अपने नाम और पते वाले ‘साइनबोर्ड’ लगाने का आदेश दिया. इस पर विवाद के बीच मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा जहां इस आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी गयी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>अभी यह विवाद ठंडा भी नहीं पड़ा था कि हरिद्वार जिला प्रशासन ने यात्रा मार्ग पर पड़ने वाली मस्जिदों और मजारों को पर्दों से ढक दिया. प्रदेश के पर्यटन और धर्मस्व मंत्री सतपाल महाराज ने इस संबंध में पूछे जाने पर कहा कि कांवड़ यात्रा को व्यवस्थित रूप से संपन्न कराने के लिए मस्जिद और मजारों को ढका गया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने कहा, ‘‘कोई समस्या न हो, इसे देखते हुए ही कुछ बातो पर रोक लगाई जाती है. कांवड़ मार्ग पर किसी प्रकार की उत्तेजना न हो, इसलिए मस्जिद और मजारों को ढका गया है.’’ ज्वालापुर में आर्यनगर के पास इस्लामनगर की मस्जिद और ऊंचे पुल पर बनी मजार और मस्जिद को पर्दे से ढक दिया गया. लेकिन इस कदम पर तीखी प्रतिक्रिया आने के बाद प्रशासन ने कुछ ही घंटों में उन्हें उतारने का कार्य शुरू कर दिया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>प्रशासन के निर्देश पर मस्जिदों और मजारों के आगे लगे पर्दे हटाने पंहुचे कांवड़ मेले के एसपीओ (पुलिस की सहायता के लिए तैनात स्वयंसेवक) दानिश अली ने बताया कि पुलिस चौकी से उन्हें पर्दे हटाने का आदेश मिला है और इसलिए वह उन्हें हटाने आये हैं. इससे पहले, कांवड़ यात्रा के दौरान मस्जिदों और मजारों को कभी नहीं ढका नहीं जाता था.</p>
<p style=”text-align: justify;”>ज्वालापुर स्थित मजार कें प्रबंधक शकील अहमद ने कहा कि इस संबंध में उनसे कोई बात नहीं की गई. उन्होंने कहा कि कई दशकों से यहां से कांवड़िए गुजर रहे हैं, वे मजार के बाहर पेड़ की छाया में आराम करते हैं और चाय वगैरह पीते हैं. अहमद ने कहा कि पता नहीं इस बार ऐसा क्यों किया गया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>कांग्रेस नेता नईम कुरैशी ने कहा कि 65 साल की अपनी उम्र के दौरान उन्होंने ऐसा कभी नहीं देखा . उन्होंने कहा कि कांवड़ मेला शुरू होने से पहले प्रशासन ने बैठक की थी और हिंदु और मुसलमान दोनों समुदायों से ही एसपीओ बनाये गए थे. उन्होंने कहा कि कांवड़ यात्रा में हिंदु और मुसलमान सभी सहयोग करते हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/former-minister-professor-son-beat-e-rickshaw-driver-in-front-of-his-college-arrested-ann-2746728″>आगरा में पूर्व मंत्री के बेटे की खुलेआम गुंडागर्दी, ई-रिक्शा चालक को डंडे से पीटा</a></strong></p> उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड Samrat Choudhary: ‘हमारी…’, बिहार अध्यक्ष पद से हटने पर सम्राट चौधरी ने खुलकर कही BJP को लेकर दिल की बात