<p style=”text-align: justify;”><strong>Kanpur Crime News:</strong> यूं तो लाखों मुकदमों कानपुर कोर्ट में विचाराधीन हैं. सालों से वादी और प्रतिवादी उन मुकदमों में तारीखें ले रहे हैं. किसी का जजमेंट हुआ या किसी को सजा हुई तो किसी को मिली रिहाई. इंसाफ भले ही देर से मिल रहा हो लेकिन मिलता जरूर है. इसकी बानगी कानपुर का वो मुकदमा जिसमें एक अधिवक्ता ने अपने ही साथी की गीली मारकर हत्या कर दी. 12 साल तक चले मुकदमे में न्यायालय ने वकील समेत 3 अन्य लोगों को दोषी पाते हुए उम्रकैद की सजा सुना दी. </p>
<p style=”text-align: justify;”>साल 2012 में एक युवक की हत्या उस वक्त की गई, जब वो घर से आटा खरीदने के लिए जा रहा था. बीच सड़क पर युवक की गोली मारकर हत्या कर दी गई. लेकिन न तो कोई गवाह था और न ही कोई सबूत. जांच और पुलिस की कार्यवाही ने आरोपियों को पकड़ लिया और कानून के दायरे में ले आई. अब जाकर 12 साल बाद हत्या पर न्यायालय ने इंसाफ कर फैसला सुनाया, जिसमें वकील और उसके दोस्तों को उम्रकैद की सजा हुई.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कानून के शिकंजे में फंसा वकील</strong><br />कानपुर न्यायालय में शुक्रवार को एडीजे की कोर्ट में एक ऐसा फैसला सुनाया गया जिसमें कानून की पढ़ाई कर कानूनी दांव-पेंच से लड़ने वाला ही कानून के शिकंजे में फंस गया. उसे उम्रकैद का कैदी हो गई. दरअसल, कानपुर के कल्याणपुर थान क्षेत्र में साल 2012 में अभिषेक नाम के एक युवक की गोली मारकर हत्या कर दी गया थी, जिसमें पुलिस ने जांच ओर अक्षय के आधार पर अभिषेक के ही दोस्तों को मुजरिम माना था.</p>
<p style=”text-align: justify;”>एफआईआर दर्ज कर मुकदमा कायम कर दिया था, जिसमें चार अभियुक्त शामिल थे. इसमें से अभिषेक यादव और सीटू नाम के दो दोस्त थे जो होने अभिषेक यादव को गोली मारी थी. लेकिन इस हत्याकांड में अन्य युवक भी शामिल थे जिसमें से एक अभियुक्त की मौत हो चुकी है. इस हत्याकांड में शामिल चारों युवकों में एक अधिवक्ता भी था. लेकिन कानून की जद में आने के बाद वकील साहब का कोई भी दांव न्यायालय या कानूनी प्रक्रिया पर नहीं चला सका. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/supreme-court-rejects-up-govt-committee-noida-illegal-compensation-case-sit-investigate-2869769″>नोएडा अवैध मुआवजा केस में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार की समिति को नकारा, अब SIT करेगी जांच</a><br /></strong></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>क्या बोले अधिकारी</strong><br />न्यायालय ने 12 साल बाद अभिषेक हत्याकांड में एक वकील समेत दो नए अभियुक्तों को उम्रकैद की सजा सुनाई है, जिसके बाद न्यायालय में इस बात का मुकदमे में जजमेंट को लेकर कौतूहल का माहौल बना था. वहीं इस प्रकरण में हुए जजमेंट होने के बाद शासकीय डीजीसी क्राइम दिलीप अवस्थी ने बताया कि किममल साल 2012 का था जिसमें मुकदमा विचाराधीन चल रहा था.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने बताया कि न्यायालय ने आज अपना फैसला सुनाया है. जिसमें चार लोगों को सजा सुनाई गई है. कोर्ट ने तीन अभियुक्त को उम्रकैद और एक अन्य अभियुक्त को अन्य धारा में सजा सुनाई गई है. इस सजा में एक अधिवक्ता है लेकिन ये फैसला किसी वर्ग या किसी समाज के लिए नहीं बल्कि इस फैसले ने स्पष्ट संदेश दिया है कि न्याय सबके लिए है और अपराध के लिए सजा एक प्रावधान भी सबके लिए है.</p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Kanpur Crime News:</strong> यूं तो लाखों मुकदमों कानपुर कोर्ट में विचाराधीन हैं. सालों से वादी और प्रतिवादी उन मुकदमों में तारीखें ले रहे हैं. किसी का जजमेंट हुआ या किसी को सजा हुई तो किसी को मिली रिहाई. इंसाफ भले ही देर से मिल रहा हो लेकिन मिलता जरूर है. इसकी बानगी कानपुर का वो मुकदमा जिसमें एक अधिवक्ता ने अपने ही साथी की गीली मारकर हत्या कर दी. 12 साल तक चले मुकदमे में न्यायालय ने वकील समेत 3 अन्य लोगों को दोषी पाते हुए उम्रकैद की सजा सुना दी. </p>
<p style=”text-align: justify;”>साल 2012 में एक युवक की हत्या उस वक्त की गई, जब वो घर से आटा खरीदने के लिए जा रहा था. बीच सड़क पर युवक की गोली मारकर हत्या कर दी गई. लेकिन न तो कोई गवाह था और न ही कोई सबूत. जांच और पुलिस की कार्यवाही ने आरोपियों को पकड़ लिया और कानून के दायरे में ले आई. अब जाकर 12 साल बाद हत्या पर न्यायालय ने इंसाफ कर फैसला सुनाया, जिसमें वकील और उसके दोस्तों को उम्रकैद की सजा हुई.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कानून के शिकंजे में फंसा वकील</strong><br />कानपुर न्यायालय में शुक्रवार को एडीजे की कोर्ट में एक ऐसा फैसला सुनाया गया जिसमें कानून की पढ़ाई कर कानूनी दांव-पेंच से लड़ने वाला ही कानून के शिकंजे में फंस गया. उसे उम्रकैद का कैदी हो गई. दरअसल, कानपुर के कल्याणपुर थान क्षेत्र में साल 2012 में अभिषेक नाम के एक युवक की गोली मारकर हत्या कर दी गया थी, जिसमें पुलिस ने जांच ओर अक्षय के आधार पर अभिषेक के ही दोस्तों को मुजरिम माना था.</p>
<p style=”text-align: justify;”>एफआईआर दर्ज कर मुकदमा कायम कर दिया था, जिसमें चार अभियुक्त शामिल थे. इसमें से अभिषेक यादव और सीटू नाम के दो दोस्त थे जो होने अभिषेक यादव को गोली मारी थी. लेकिन इस हत्याकांड में अन्य युवक भी शामिल थे जिसमें से एक अभियुक्त की मौत हो चुकी है. इस हत्याकांड में शामिल चारों युवकों में एक अधिवक्ता भी था. लेकिन कानून की जद में आने के बाद वकील साहब का कोई भी दांव न्यायालय या कानूनी प्रक्रिया पर नहीं चला सका. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/supreme-court-rejects-up-govt-committee-noida-illegal-compensation-case-sit-investigate-2869769″>नोएडा अवैध मुआवजा केस में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार की समिति को नकारा, अब SIT करेगी जांच</a><br /></strong></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>क्या बोले अधिकारी</strong><br />न्यायालय ने 12 साल बाद अभिषेक हत्याकांड में एक वकील समेत दो नए अभियुक्तों को उम्रकैद की सजा सुनाई है, जिसके बाद न्यायालय में इस बात का मुकदमे में जजमेंट को लेकर कौतूहल का माहौल बना था. वहीं इस प्रकरण में हुए जजमेंट होने के बाद शासकीय डीजीसी क्राइम दिलीप अवस्थी ने बताया कि किममल साल 2012 का था जिसमें मुकदमा विचाराधीन चल रहा था.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने बताया कि न्यायालय ने आज अपना फैसला सुनाया है. जिसमें चार लोगों को सजा सुनाई गई है. कोर्ट ने तीन अभियुक्त को उम्रकैद और एक अन्य अभियुक्त को अन्य धारा में सजा सुनाई गई है. इस सजा में एक अधिवक्ता है लेकिन ये फैसला किसी वर्ग या किसी समाज के लिए नहीं बल्कि इस फैसले ने स्पष्ट संदेश दिया है कि न्याय सबके लिए है और अपराध के लिए सजा एक प्रावधान भी सबके लिए है.</p> उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सैफ अली खान के फिट दिखने पर नितेश राणे ने उठाए सवाल तो मंत्री बोले, ‘जो भी अटकलें लगाई जा रही हैं, सब…’