‘मेरा बेटा बेगुनाह था। पुलिस के सामने गिड़गिड़ाती रही, हाथ-पैर जोड़ती रही। साहब…एक बार मामले की जांच कर लीजिए, मेरा बेटा निर्दोष है। उसे नाबालिग से झूठे रेप केस में फंसाया जा रहा है। रंजिश में बदला लेने के लिए यह सब साजिश रची गई। लेकिन, पुलिस ने एक नहीं सुनी। मेरे बेटे को जेल में डाल दिया।’ ऐसा कहते हुए मीना देवी का गला भर आता है। कानपुर की मायापुरम बस्ती साइट नंबर-2 में उनका घर है। मीना कहती है- साहब, भगवान के घर देर है, अंधेर नहीं। कोर्ट ने मेरे बेटे को बेगुनाह साबित कर दिया। लेकिन जो कलंक मेरे बेटे और परिवार के सिर पर लगा है, उसके दाग नहीं धुल सकते। अब हम इतना जानते हैं कि मेरा बेटा आ गया, यही काफी है। केस कानपुर के पनकी थाने का है। मीना देवी का बेटा गोविंद निषाद (22) अब उनके साथ है। उसे शनिवार देर शाम कानपुर सेंट्रल जेल से रिहा कर दिया गया। मीना बेटे को अब अपनी आंखों से दूर नहीं होने देतीं। पूरा केस समझने के लिए दैनिक भास्कर की टीम गोविंद निषाद के घर पहुंची। हम गोविंद और उसकी मां से मिले। गोविंद के हाथ में जेल से रिहाई की मुहर अभी भी लगी थी। पूरा मामला क्या था? आखिर क्यों गोविंद निषाद पर रेप का आरोप लगाया गया? कोर्ट में क्या सुनवाई हुई? जज ने क्या फैसला सुनाया? जेल से निकले गोविंद ने क्या कुछ कहा? पढ़िए पूरी रिपोर्ट… सबसे पहले एक नजर पूरे मामले पर… तारीख- 28 अक्टूबर 2023। पनकी थाने में एक 60 साल की महिला पहुंचती है। पुलिस वालों से कहती है- साहब मेरी नातिन के साथ रेप हुआ है। घर के पास रहने वाले गोविंद निषाद ने उसके साथ गलत काम किया। चीखने-चिल्लाने पर जब हम लोग पहुंचे, तो गोविंद हमें चाकू दिखाने लगा। उसने हमें जान से मारने की धमकी दी और भाग निकला। घटना 26 अक्टूबर की शाम को हुई। शिकायत मिलने के बाद पनकी पुलिस ने 29 अक्टूबर को FIR दर्ज की। फिर गोविंद की गिरफ्तारी के लिए दबिश दी गई। उसे उसके रिश्तेदार के यहां से 30 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने पीड़िता का मजिस्ट्रेट बयान करवाया। इसमें लड़की ने साफ कहा- मेरे साथ रेप हुआ है। पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की, पॉक्सो की धारा बढ़ाई गई
पुलिस ने पीड़िता के बयान के आधार पर गोविंद निषाद के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। बर्थ सर्टिफिकेट और आधार कार्ड के मुताबिक, लड़की नाबालिग थी। इसलिए पुलिस ने पॉक्सो की धारा बढ़ाई। गोविंद को जेल भेज दिया गया। इधर, उसके परिजन लगातार पुलिस से कहते रहे कि उनका बेटा निर्दोष है। 32 बार तारीख पर गए, 11 महीने 11 दिन बाद फैसला आया… घर वालों ने कर्ज लेकर बेटे के लिए केस लड़ा
गोविंद निषाद के घर वाले गरीब तबके से आते हैं। मायापुरम कच्ची बस्ती साइट नंबर-2 पनकी में नहर किनारे अस्थाई घर में रहते हैं। पिता बबलू निषाद पनकी इंडस्ट्रियल एरिया में ठेला लगाते हैं। घर में पत्नी मीना देवी, दो बेटे गोविंद, विष्णु और 4 बेटियां हैं। सबसे छोटी बेटी मूक-बधिर है। मीना देवी कहती हैं- जिस दिन बेटे गोविंद को पुलिस लेकर जा रही थी, वो रात मेरे लिए बहुत भारी थी। हमने तीन दिन तक सही से खाना नहीं खाया। खूब रोती थी। बेटे से जेल में मिलने से लेकर वकील और कोर्ट-कचहरी में हमने अनगिनत चक्कर काटे। हमारे पास जितनी जमा पूंजी थी, सब एक महीने में खर्च हो गई थी। इसके बाद भी हमने हार नहीं मानी, क्योंकि हम जानते थे कि हमारा बेटा निर्दोष है। हमने कर्ज लेकर केस लड़ा। हमारा गांव गोंडा जिले में पड़ता है। वहां पुश्तैनी जमीन और घर है, उसे बेच दिया। अब जानते हैं, कैसे साबित हुई गोविंद की बेगुनाही?
पूरे केस को समझने के लिए हमने गोविंद निषाद के वकील मोहम्मद सलीम से बात की। उन्होंने हमें जजमेंट कॉपी सौंपी। साथ ही बताया- एक साल में 32 बार कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट में कुल 6 गवाह पेश हुए। इनमें पीड़िता, उसकी नानी, बहन और पुलिस वाले थे। हमारी तरफ से आरोपी और उसकी मां गवाह थे। एविडेंस में कोर्ट में मेडिकल रिपोर्ट भी सब्मिट की गई। पॉक्सो का केस था, कोर्ट में ट्रायल शुरू हो चुका था। शनिवार 11 अक्टूबर, 2024 को अतिरिक्त विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट योगेश कुमार की कोर्ट गोविंद निषाद को लेकर फैसला सुनाने वाले थे। सभी गवाहों को बुलाया गया। मेडिकल रिपोर्ट में कुछ नहीं निकला, पीड़िता भी मुकर गई
मोहम्मद सलीम ने बताया- जो मेडिकल रिपोर्ट सब्मिट की गई थी। उसमें कुछ ऐसा नहीं निकला, जिससे यह प्रूफ हो सके कि लड़की से रेप हुआ है या आरोपी ने कुछ गलत किया है। यहीं से केस हमारे फेवर में आ गया। चूंकि छेड़खानी और धमकाने जैसी धाराएं भी लगी थीं, इसलिए पीड़िता का बयान मायने रखता था। गोविंद के वकील ने बताया- अतिरिक्त विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट योगेश कुमार ने एक-एक कर सभी गवाहों को बुलाया। पीड़िता ने अपनी गवाही में कहा कि उसके साथ किसी तरह की वारदात नहीं हुई। वह यह बयान किसी के दबाव में नहीं दे रही है। उस रात की घटना भी सही नहीं है। जो आरोप लगाए गए, झूठे हैं। पीड़िता ने जज से क्या कुछ कहा…
बकौल जजमेंट कॉपी, पीड़िता ने जज को बताया- मैंने मजिस्ट्रेट के सामने जो बयान दिए थे, वो झूठे थे। मैंने गोविंद निषाद से बदला लेने के लिए ऐसा पुलिस वालों के समझाने पर किया। उस रात न तो गोविंद मुझे मिला और न ही वो मुझे घसीटकर कहीं ले गया। मेरे साथ किसी तरह की कोई हरकत नहीं हुई। भाई का बदला लेने के लिए लगाए झूठे आरोप
पीड़िता ने जज को बताया- मेरे भाई ने गोविंद की बहन से लव मैरिज की है। दोनों घर से भाग गए थे। जब लौटे, तब गोविंद ने मेरे भाई को पीट दिया था। यहां तक कि मेरे भाई को जेल भी जाना पड़ा था। इसी बात से मैं नाराज हो गई थी। मेरे जेहन में था कि इसने मेरे भाई को कैसे मारा? इसी रंजिश के तहत मैंने उसे रेप केस में फंसा दिया। घटना की चश्मदीद पीड़िता की नानी बोली- मुझे नहीं पता पेपर में क्या लिखा था
घटना की रिपोर्ट दर्ज कराने वाली पीड़िता की नानी ने बयान में कहा- मैं पढ़ी-लिखी नहीं हूं। उस दिन थाने में बैठे आदमी से मैंने तहरीर लिखवाई। उस पर अपने साइन कर दिए। गोविंद ने मेरी नातिन के साथ कोई गलत काम नहीं किया था। गवाही देने पहुंची पीड़िता की बहन ने अपनी गवाही में कहा- मैंने उस रात कोई घटना नहीं देखी। न ही मेरी बहन ने मुझसे कोई बात बताई। गोविंद ने उसके साथ कुछ गलत किया, ये मैं नहीं जानती। जज का आदेश, झूठा केस कराने पर दर्ज हो मुकदमा
गोविंद के वकील मोहम्मद सलीम ने कहा- सभी की गवाही और साक्ष्य के आधार पर कोर्ट ने गोविंद निषाद को दोषमुक्त करते हुए रिहा करने के आदेश दिए। पीड़िता और उसकी नानी के खिलाफ झूठा केस दर्ज कराने के मामले में मुकदमा करने के आदेश दिए हैं। अब जानते हैं गोविंद ने क्या कुछ कहा… लड़की आरोप लगाए, तो पहले जांच की जाए
हमने रिहा हुए गोविंद से बात की। उसने कहा- मैं एक साल जेल में रहा हूं। लड़की ने मेरे ऊपर आरोप लगाए और पुलिस ने बिना जांच किए मुझे जेल भेज दिया। पहले जांच-पड़ताल की जानी चाहिए थी। निष्पक्षता बहुत जरूरी होती है। लेकिन, आरोप लगाते ही मेरे खिलाफ FIR दर्ज कर दी गई। मेरे मां-बाप ने 4 लाख रुपए खर्च कर दिए
गोविंद ने बताया- हम गरीब घर के लोग हैं। मेरे घर वालों ने सब कुछ दांव पर लगा दिया। 4 लाख रुपए खर्च कर दिए। मैं जितने दिन जेल में रहा, वो दिन कभी नहीं भूल पाऊंगा। एक-एक रात भारी थी। कानपुर सेंट्रल जेल में बंद था। वहां बड़े-बड़े अपराधी हैं। सोचिए, कितना मुश्किल होता है, जब आप ने कुछ नहीं किया हो और आप उनके बीच रहो। गोविंद ने कहा- मेरे जैसे तमाम लड़के, जो बेगुनाह हैं और सिर्फ आरोप के चलते जेल में हैं। आज मैं उनका दर्द समझ रहा हूं। बस इतना जानता हूं कि कानून का दुरुपयोग भी किया जा रहा है। अब मैं अपने घर आ गया हूं। अब मुझे कुछ नहीं चाहिए। मुझे किसी से कुछ नहीं कहना और कुछ नहीं करना। हमारी कोई मांग नहीं है, हम सिर्फ सुकून से रहना चाहते हैं। …………………………………… फर्जी रेप केस से जुड़ी यह खबर भी पढ़ें फर्जी रेप में 4.5 साल जेल काटने वाले का दर्द:कहा- मुझे फंसाया, जिंदगी बर्बाद कर दी; बरेली कोर्ट ने प्रेमिका को सुनाई उतनी ही सजा जज साहब ने जब कहा कि मैं जितने दिन जेल में रहा, उतने दिन उस लड़की को सजा होगी। तब लगा कि मैं उनके पैर छू लूं, लेकिन वकीलों ने मुझे पकड़ लिया।- ये दर्द उस युवक का है, जो साढ़े 4 साल यानी 1653 दिन झूठे रेप केस में बरेली जेल में रहा। जज का फैसला सुनते ही अजय उर्फ राघव रोने लगा। निशा को जो सजा मिली, उस पर उसने सिर्फ इतना कहा- सच कभी छिपता नहीं। पढ़ें पूरी खबर… ‘मेरा बेटा बेगुनाह था। पुलिस के सामने गिड़गिड़ाती रही, हाथ-पैर जोड़ती रही। साहब…एक बार मामले की जांच कर लीजिए, मेरा बेटा निर्दोष है। उसे नाबालिग से झूठे रेप केस में फंसाया जा रहा है। रंजिश में बदला लेने के लिए यह सब साजिश रची गई। लेकिन, पुलिस ने एक नहीं सुनी। मेरे बेटे को जेल में डाल दिया।’ ऐसा कहते हुए मीना देवी का गला भर आता है। कानपुर की मायापुरम बस्ती साइट नंबर-2 में उनका घर है। मीना कहती है- साहब, भगवान के घर देर है, अंधेर नहीं। कोर्ट ने मेरे बेटे को बेगुनाह साबित कर दिया। लेकिन जो कलंक मेरे बेटे और परिवार के सिर पर लगा है, उसके दाग नहीं धुल सकते। अब हम इतना जानते हैं कि मेरा बेटा आ गया, यही काफी है। केस कानपुर के पनकी थाने का है। मीना देवी का बेटा गोविंद निषाद (22) अब उनके साथ है। उसे शनिवार देर शाम कानपुर सेंट्रल जेल से रिहा कर दिया गया। मीना बेटे को अब अपनी आंखों से दूर नहीं होने देतीं। पूरा केस समझने के लिए दैनिक भास्कर की टीम गोविंद निषाद के घर पहुंची। हम गोविंद और उसकी मां से मिले। गोविंद के हाथ में जेल से रिहाई की मुहर अभी भी लगी थी। पूरा मामला क्या था? आखिर क्यों गोविंद निषाद पर रेप का आरोप लगाया गया? कोर्ट में क्या सुनवाई हुई? जज ने क्या फैसला सुनाया? जेल से निकले गोविंद ने क्या कुछ कहा? पढ़िए पूरी रिपोर्ट… सबसे पहले एक नजर पूरे मामले पर… तारीख- 28 अक्टूबर 2023। पनकी थाने में एक 60 साल की महिला पहुंचती है। पुलिस वालों से कहती है- साहब मेरी नातिन के साथ रेप हुआ है। घर के पास रहने वाले गोविंद निषाद ने उसके साथ गलत काम किया। चीखने-चिल्लाने पर जब हम लोग पहुंचे, तो गोविंद हमें चाकू दिखाने लगा। उसने हमें जान से मारने की धमकी दी और भाग निकला। घटना 26 अक्टूबर की शाम को हुई। शिकायत मिलने के बाद पनकी पुलिस ने 29 अक्टूबर को FIR दर्ज की। फिर गोविंद की गिरफ्तारी के लिए दबिश दी गई। उसे उसके रिश्तेदार के यहां से 30 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने पीड़िता का मजिस्ट्रेट बयान करवाया। इसमें लड़की ने साफ कहा- मेरे साथ रेप हुआ है। पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की, पॉक्सो की धारा बढ़ाई गई
पुलिस ने पीड़िता के बयान के आधार पर गोविंद निषाद के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। बर्थ सर्टिफिकेट और आधार कार्ड के मुताबिक, लड़की नाबालिग थी। इसलिए पुलिस ने पॉक्सो की धारा बढ़ाई। गोविंद को जेल भेज दिया गया। इधर, उसके परिजन लगातार पुलिस से कहते रहे कि उनका बेटा निर्दोष है। 32 बार तारीख पर गए, 11 महीने 11 दिन बाद फैसला आया… घर वालों ने कर्ज लेकर बेटे के लिए केस लड़ा
गोविंद निषाद के घर वाले गरीब तबके से आते हैं। मायापुरम कच्ची बस्ती साइट नंबर-2 पनकी में नहर किनारे अस्थाई घर में रहते हैं। पिता बबलू निषाद पनकी इंडस्ट्रियल एरिया में ठेला लगाते हैं। घर में पत्नी मीना देवी, दो बेटे गोविंद, विष्णु और 4 बेटियां हैं। सबसे छोटी बेटी मूक-बधिर है। मीना देवी कहती हैं- जिस दिन बेटे गोविंद को पुलिस लेकर जा रही थी, वो रात मेरे लिए बहुत भारी थी। हमने तीन दिन तक सही से खाना नहीं खाया। खूब रोती थी। बेटे से जेल में मिलने से लेकर वकील और कोर्ट-कचहरी में हमने अनगिनत चक्कर काटे। हमारे पास जितनी जमा पूंजी थी, सब एक महीने में खर्च हो गई थी। इसके बाद भी हमने हार नहीं मानी, क्योंकि हम जानते थे कि हमारा बेटा निर्दोष है। हमने कर्ज लेकर केस लड़ा। हमारा गांव गोंडा जिले में पड़ता है। वहां पुश्तैनी जमीन और घर है, उसे बेच दिया। अब जानते हैं, कैसे साबित हुई गोविंद की बेगुनाही?
पूरे केस को समझने के लिए हमने गोविंद निषाद के वकील मोहम्मद सलीम से बात की। उन्होंने हमें जजमेंट कॉपी सौंपी। साथ ही बताया- एक साल में 32 बार कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट में कुल 6 गवाह पेश हुए। इनमें पीड़िता, उसकी नानी, बहन और पुलिस वाले थे। हमारी तरफ से आरोपी और उसकी मां गवाह थे। एविडेंस में कोर्ट में मेडिकल रिपोर्ट भी सब्मिट की गई। पॉक्सो का केस था, कोर्ट में ट्रायल शुरू हो चुका था। शनिवार 11 अक्टूबर, 2024 को अतिरिक्त विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट योगेश कुमार की कोर्ट गोविंद निषाद को लेकर फैसला सुनाने वाले थे। सभी गवाहों को बुलाया गया। मेडिकल रिपोर्ट में कुछ नहीं निकला, पीड़िता भी मुकर गई
मोहम्मद सलीम ने बताया- जो मेडिकल रिपोर्ट सब्मिट की गई थी। उसमें कुछ ऐसा नहीं निकला, जिससे यह प्रूफ हो सके कि लड़की से रेप हुआ है या आरोपी ने कुछ गलत किया है। यहीं से केस हमारे फेवर में आ गया। चूंकि छेड़खानी और धमकाने जैसी धाराएं भी लगी थीं, इसलिए पीड़िता का बयान मायने रखता था। गोविंद के वकील ने बताया- अतिरिक्त विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट योगेश कुमार ने एक-एक कर सभी गवाहों को बुलाया। पीड़िता ने अपनी गवाही में कहा कि उसके साथ किसी तरह की वारदात नहीं हुई। वह यह बयान किसी के दबाव में नहीं दे रही है। उस रात की घटना भी सही नहीं है। जो आरोप लगाए गए, झूठे हैं। पीड़िता ने जज से क्या कुछ कहा…
बकौल जजमेंट कॉपी, पीड़िता ने जज को बताया- मैंने मजिस्ट्रेट के सामने जो बयान दिए थे, वो झूठे थे। मैंने गोविंद निषाद से बदला लेने के लिए ऐसा पुलिस वालों के समझाने पर किया। उस रात न तो गोविंद मुझे मिला और न ही वो मुझे घसीटकर कहीं ले गया। मेरे साथ किसी तरह की कोई हरकत नहीं हुई। भाई का बदला लेने के लिए लगाए झूठे आरोप
पीड़िता ने जज को बताया- मेरे भाई ने गोविंद की बहन से लव मैरिज की है। दोनों घर से भाग गए थे। जब लौटे, तब गोविंद ने मेरे भाई को पीट दिया था। यहां तक कि मेरे भाई को जेल भी जाना पड़ा था। इसी बात से मैं नाराज हो गई थी। मेरे जेहन में था कि इसने मेरे भाई को कैसे मारा? इसी रंजिश के तहत मैंने उसे रेप केस में फंसा दिया। घटना की चश्मदीद पीड़िता की नानी बोली- मुझे नहीं पता पेपर में क्या लिखा था
घटना की रिपोर्ट दर्ज कराने वाली पीड़िता की नानी ने बयान में कहा- मैं पढ़ी-लिखी नहीं हूं। उस दिन थाने में बैठे आदमी से मैंने तहरीर लिखवाई। उस पर अपने साइन कर दिए। गोविंद ने मेरी नातिन के साथ कोई गलत काम नहीं किया था। गवाही देने पहुंची पीड़िता की बहन ने अपनी गवाही में कहा- मैंने उस रात कोई घटना नहीं देखी। न ही मेरी बहन ने मुझसे कोई बात बताई। गोविंद ने उसके साथ कुछ गलत किया, ये मैं नहीं जानती। जज का आदेश, झूठा केस कराने पर दर्ज हो मुकदमा
गोविंद के वकील मोहम्मद सलीम ने कहा- सभी की गवाही और साक्ष्य के आधार पर कोर्ट ने गोविंद निषाद को दोषमुक्त करते हुए रिहा करने के आदेश दिए। पीड़िता और उसकी नानी के खिलाफ झूठा केस दर्ज कराने के मामले में मुकदमा करने के आदेश दिए हैं। अब जानते हैं गोविंद ने क्या कुछ कहा… लड़की आरोप लगाए, तो पहले जांच की जाए
हमने रिहा हुए गोविंद से बात की। उसने कहा- मैं एक साल जेल में रहा हूं। लड़की ने मेरे ऊपर आरोप लगाए और पुलिस ने बिना जांच किए मुझे जेल भेज दिया। पहले जांच-पड़ताल की जानी चाहिए थी। निष्पक्षता बहुत जरूरी होती है। लेकिन, आरोप लगाते ही मेरे खिलाफ FIR दर्ज कर दी गई। मेरे मां-बाप ने 4 लाख रुपए खर्च कर दिए
गोविंद ने बताया- हम गरीब घर के लोग हैं। मेरे घर वालों ने सब कुछ दांव पर लगा दिया। 4 लाख रुपए खर्च कर दिए। मैं जितने दिन जेल में रहा, वो दिन कभी नहीं भूल पाऊंगा। एक-एक रात भारी थी। कानपुर सेंट्रल जेल में बंद था। वहां बड़े-बड़े अपराधी हैं। सोचिए, कितना मुश्किल होता है, जब आप ने कुछ नहीं किया हो और आप उनके बीच रहो। गोविंद ने कहा- मेरे जैसे तमाम लड़के, जो बेगुनाह हैं और सिर्फ आरोप के चलते जेल में हैं। आज मैं उनका दर्द समझ रहा हूं। बस इतना जानता हूं कि कानून का दुरुपयोग भी किया जा रहा है। अब मैं अपने घर आ गया हूं। अब मुझे कुछ नहीं चाहिए। मुझे किसी से कुछ नहीं कहना और कुछ नहीं करना। हमारी कोई मांग नहीं है, हम सिर्फ सुकून से रहना चाहते हैं। …………………………………… फर्जी रेप केस से जुड़ी यह खबर भी पढ़ें फर्जी रेप में 4.5 साल जेल काटने वाले का दर्द:कहा- मुझे फंसाया, जिंदगी बर्बाद कर दी; बरेली कोर्ट ने प्रेमिका को सुनाई उतनी ही सजा जज साहब ने जब कहा कि मैं जितने दिन जेल में रहा, उतने दिन उस लड़की को सजा होगी। तब लगा कि मैं उनके पैर छू लूं, लेकिन वकीलों ने मुझे पकड़ लिया।- ये दर्द उस युवक का है, जो साढ़े 4 साल यानी 1653 दिन झूठे रेप केस में बरेली जेल में रहा। जज का फैसला सुनते ही अजय उर्फ राघव रोने लगा। निशा को जो सजा मिली, उस पर उसने सिर्फ इतना कहा- सच कभी छिपता नहीं। पढ़ें पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर