कानपुर में 4 दरोगा, 4 कॉन्स्टेबल सस्पेंड:जमीन विवाद में 50 हजार वसूले, फिर रंगदारी का केस लिखकर 8 बेगुनाह जेल भेजे

कानपुर में 4 दरोगा, 4 कॉन्स्टेबल सस्पेंड:जमीन विवाद में 50 हजार वसूले, फिर रंगदारी का केस लिखकर 8 बेगुनाह जेल भेजे

जमीन पर कब्जे के लिए कानपुर पुलिस ने दो पक्षों से 50 हजार रुपए वसूले। फिर एक पक्ष के 8 लोगों पर रंगदारी की FIR लिखकर जेल भेज दिया। ADCP की जांच में पुलिस की वसूली खुलकर सामने आ गई। इसके बाद चौकी इंचार्ज समेत 4 दरोगा और 4 कॉन्स्टेबल को सस्पेंड किया गया। ये मामला तब खुला, जब दोनों पक्षों ने पुलिस को अलग-अलग रिश्वत दी। मगर उनके मन मुताबिक कार्रवाई नहीं हुई। यह भी सामने आया कि प्लॉट कब्जे के लिए सादी वर्दी में पहुंचे चौकी इंचार्ज जयवीर के साथ एक पक्ष के लोगों ने हाथापाई की। CCTV में यह सब कैद हुआ। इसको छिपाने के लिए पुलिस DVR को साथ ही ले आई। इस पूरे मामले की शुरुआत 20 साल पहले हुई। जब ओम प्रकाश यादव ने बेरिया नाम के व्यक्ति से विवादित 2 बीघा जमीन पर 125 गज का एक प्लॉट खरीदा थी। इसकी कीमत करीब 12 लाख रुपए बताई जा रही है। जब ओम प्रकाश यादव ने प्लॉट पर निर्माण शुरू कराए। तब राम लखन तिवारी इस जमीन पर अपने मालिकाना हक बताने लगे। ये मामला कोर्ट गया। वहां से राम लखन तिवारी के पक्ष में फैसला हुआ। वह पुलिस से मिलकर जमीन खाली कराना चाहता था। इस जमीन पर अपना दावा ठोंकते हुए गांव के ही राम लखन यादव ने 24 जुलाई को घाटमपुर थाने में शिकायत दर्ज कराई कि उनकी जमीन पर अवैध निर्माण चल रहा था। रामलखन तिवारी की तहरीर पर पुलिस ने 8 नामजद और 20-25 अज्ञात के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की थी। चौकी इंचार्ज सादी वर्दी में गए, तो हाथापाई हो गई
यहां कानपुर पुलिस की भूमिका शुरू हुई। चौकी इंचार्ज जयवीर सिंह के पास राम लखन की शिकायत आ गई। प्लॉट खाली कराने के लिए जयवीर सिंह प्लॉट पर पहुंचे। सादी वर्दी में उनके साथ पुलिस वाले भी थे। ओम प्रकाश के पक्ष के लोगों से यहां गहमागहमी के बाद झगड़ा हुआ। यह भी सामने आया कि हाथापाई के बाद पुलिस को वापस लौटना पड़ा। यह पूरा मामला CCTV में कैद भी हो गया। इसलिए पुलिस अपने साथ DVR भी ले आई। आरोप है कि अपने साथ ही हाथापाई के बाद जयवीर ने ओम प्रकाश की तरफ के 8 लोगों को जेल भेजा। इनमें केवड़िया गांव के ओमप्रकाश यादव, उनका बेटा अजीत, चतुरीपुर गांव के सतीश यादव, कानपुर के शास्त्री नगर में रहने वाले राहुल सिंह, आवास विकास कल्याणपुर के पवन कुमार, रावतपुर के गणेशनगर में रहने वाले निखिल कुशवाहा, परशुराम और संजीव कुशवाहा शामिल थे। पुलिस FIR में इन धाराओं में कार्रवाई की एक पक्ष से 10 हजार, दूसरे से लिए 40 हजार
पुलिस की कार्रवाई के खिलाफ पूरे गांव में लोग आक्रोशित हो गए। शिकायत पुलिस कमिश्नर से की गई। इसके बाद मामले की जांच ADCP साउथ अंकिता शर्मा को सौंपी गई। उनकी रिपोर्ट में सामने आया कि चौकी इंचार्ज जयवीर सिंह ने 7 और पुलिस वालों के साथ मिलकर जेल भेजे गए ओम प्रकाश यादव के पक्ष से 10 हजार रुपए लिए थे। जबकि एफआईआर दर्ज कराने वाले रामलखन तिवारी से 40 हजार की घूस ली थी। इसके बाद मामले में निर्माण करा रहे ओम प्रकाश यादव और उनके नजदीकी 8 लोगों को 10 लाख की रंगदारी मांगने के आरोप में जेल भेज दिया। जांच में रंगदारी का आरोप निराधार पाया गया। सिर्फ दोनों पक्षों में जमीनी विवाद मिला, रंगदारी जैसा जांच में कुछ नहीं आया। इसी आधार पर पुलिस कर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया।
इन पुलिस कर्मियों पर हुई कार्रवाई विवाद के पीछे यह भी बड़ी वजह
इस पूरे मामले की जांच में एक बात यह भी सामने आई है कि पतारा पुलिस चौकी के पूर्व इंचार्ज निशांत कुमार राणा ने तैनाती के दौरान चौकी में एक कमरे का निर्माण करवाया था। सेन पश्चिम पारा थाने में ट्रांसफर होने के बाद भी उसी कमरे में निशांत कुमार राणा रहते हैं। इसके साथ ही गांव के हर एक मामले में दखल भी देते हैं। आरोप है कि पूरे मामले में चौकी इंचार्ज ने घूस लेकर मकान निर्माण करवाने का ठेका लिया था। जमीन पर कब्जे के लिए कानपुर पुलिस ने दो पक्षों से 50 हजार रुपए वसूले। फिर एक पक्ष के 8 लोगों पर रंगदारी की FIR लिखकर जेल भेज दिया। ADCP की जांच में पुलिस की वसूली खुलकर सामने आ गई। इसके बाद चौकी इंचार्ज समेत 4 दरोगा और 4 कॉन्स्टेबल को सस्पेंड किया गया। ये मामला तब खुला, जब दोनों पक्षों ने पुलिस को अलग-अलग रिश्वत दी। मगर उनके मन मुताबिक कार्रवाई नहीं हुई। यह भी सामने आया कि प्लॉट कब्जे के लिए सादी वर्दी में पहुंचे चौकी इंचार्ज जयवीर के साथ एक पक्ष के लोगों ने हाथापाई की। CCTV में यह सब कैद हुआ। इसको छिपाने के लिए पुलिस DVR को साथ ही ले आई। इस पूरे मामले की शुरुआत 20 साल पहले हुई। जब ओम प्रकाश यादव ने बेरिया नाम के व्यक्ति से विवादित 2 बीघा जमीन पर 125 गज का एक प्लॉट खरीदा थी। इसकी कीमत करीब 12 लाख रुपए बताई जा रही है। जब ओम प्रकाश यादव ने प्लॉट पर निर्माण शुरू कराए। तब राम लखन तिवारी इस जमीन पर अपने मालिकाना हक बताने लगे। ये मामला कोर्ट गया। वहां से राम लखन तिवारी के पक्ष में फैसला हुआ। वह पुलिस से मिलकर जमीन खाली कराना चाहता था। इस जमीन पर अपना दावा ठोंकते हुए गांव के ही राम लखन यादव ने 24 जुलाई को घाटमपुर थाने में शिकायत दर्ज कराई कि उनकी जमीन पर अवैध निर्माण चल रहा था। रामलखन तिवारी की तहरीर पर पुलिस ने 8 नामजद और 20-25 अज्ञात के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की थी। चौकी इंचार्ज सादी वर्दी में गए, तो हाथापाई हो गई
यहां कानपुर पुलिस की भूमिका शुरू हुई। चौकी इंचार्ज जयवीर सिंह के पास राम लखन की शिकायत आ गई। प्लॉट खाली कराने के लिए जयवीर सिंह प्लॉट पर पहुंचे। सादी वर्दी में उनके साथ पुलिस वाले भी थे। ओम प्रकाश के पक्ष के लोगों से यहां गहमागहमी के बाद झगड़ा हुआ। यह भी सामने आया कि हाथापाई के बाद पुलिस को वापस लौटना पड़ा। यह पूरा मामला CCTV में कैद भी हो गया। इसलिए पुलिस अपने साथ DVR भी ले आई। आरोप है कि अपने साथ ही हाथापाई के बाद जयवीर ने ओम प्रकाश की तरफ के 8 लोगों को जेल भेजा। इनमें केवड़िया गांव के ओमप्रकाश यादव, उनका बेटा अजीत, चतुरीपुर गांव के सतीश यादव, कानपुर के शास्त्री नगर में रहने वाले राहुल सिंह, आवास विकास कल्याणपुर के पवन कुमार, रावतपुर के गणेशनगर में रहने वाले निखिल कुशवाहा, परशुराम और संजीव कुशवाहा शामिल थे। पुलिस FIR में इन धाराओं में कार्रवाई की एक पक्ष से 10 हजार, दूसरे से लिए 40 हजार
पुलिस की कार्रवाई के खिलाफ पूरे गांव में लोग आक्रोशित हो गए। शिकायत पुलिस कमिश्नर से की गई। इसके बाद मामले की जांच ADCP साउथ अंकिता शर्मा को सौंपी गई। उनकी रिपोर्ट में सामने आया कि चौकी इंचार्ज जयवीर सिंह ने 7 और पुलिस वालों के साथ मिलकर जेल भेजे गए ओम प्रकाश यादव के पक्ष से 10 हजार रुपए लिए थे। जबकि एफआईआर दर्ज कराने वाले रामलखन तिवारी से 40 हजार की घूस ली थी। इसके बाद मामले में निर्माण करा रहे ओम प्रकाश यादव और उनके नजदीकी 8 लोगों को 10 लाख की रंगदारी मांगने के आरोप में जेल भेज दिया। जांच में रंगदारी का आरोप निराधार पाया गया। सिर्फ दोनों पक्षों में जमीनी विवाद मिला, रंगदारी जैसा जांच में कुछ नहीं आया। इसी आधार पर पुलिस कर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया।
इन पुलिस कर्मियों पर हुई कार्रवाई विवाद के पीछे यह भी बड़ी वजह
इस पूरे मामले की जांच में एक बात यह भी सामने आई है कि पतारा पुलिस चौकी के पूर्व इंचार्ज निशांत कुमार राणा ने तैनाती के दौरान चौकी में एक कमरे का निर्माण करवाया था। सेन पश्चिम पारा थाने में ट्रांसफर होने के बाद भी उसी कमरे में निशांत कुमार राणा रहते हैं। इसके साथ ही गांव के हर एक मामले में दखल भी देते हैं। आरोप है कि पूरे मामले में चौकी इंचार्ज ने घूस लेकर मकान निर्माण करवाने का ठेका लिया था।   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर