‘मेरी बिटिया लौटा दो। भगवान मुझसे क्या गलती हुई है, जो मेरे साथ ऐसा हो गया। अब हम क्या करेंगे। हाय मेरी फूल सी बेटी, मेरी लाडो…’ ये कहते हुए कार हादसे में मारी गई इंजीनियरिंग छात्र गरिमा त्रिपाठी की मां बेहोश हो गईं। कानपुर में सोमवार सुबह कार दो ट्रक के बीच में आ गई। हादसे में 4 स्टूडेंट्स आयुष पटेल, गरिमा त्रिपाठी, प्रतीक सिंह और सतीश की मौत हो गई। ड्राइवर विजय साहू की भी मौत हो गई। हादसे के बाद विजय ने सबसे पहले सतीश के घर पर फोन किया था। कहा था-एक्सीडेंट हो गया। चारों मर गए। 5 मिनट बाद सतीश की भी मौत हो गई। चारों छात्र कानपुर के PSIT कॉलेज से इंजीनियर कर रहे थे। सभी का घर एक ही कालोनी सनिगवां मे था। प्रतीक अपनी दो बहनों का इकलौता भाई था। प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो हादसे के 6 मिनट तक चीखें सुनाई दीं। फिर सभी की मौत हो गई। दर्दनाक हादसे के बाद पांचों के घर पर मातम पसरा हुआ है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट… गरिमा ने एक दिन पहले की थी दिवाली की शॉपिंग
सनिगवां में रहने वाले यूपी पुलिस में ट्रैफिक इंस्पेक्टर भरत त्रिपाठी और उनकी पत्नी रीता बेटी के मौत की खबर सुनते ही बदहवास हो गए। मां रीता को जैसे ही बेटी गरिमा के मौत की खबर मिली, वह बेहोश हो गईं। होश में आते ही पोस्टमॉर्टम हाउस पहुंचीं। गरिमा की लाश देखते ही अपना सिर जमीन पर पटकने लगीं। रोते-बिलखते गरिमा की मां ने कहा- बताओ, मेरी बेटी ने संडे को दो जोड़ी कपड़े खरीदे थे। बोली थी दिवाली में बहुत भीड़ होती है, अभी ही शॉपिंग कर ली है। नहीं पता था कि यह बेटी की आखिरी शॉपिंग है। वो सबसे बड़ी बेटी थी। परिवार में इंटर में पढ़ने वाली बहन महिमा, आठवीं में पढ़ने वाला भाई कुश भी बहन की मौत की खबर मिलने के बाद बदहवास हैं। पिता बार-बार रोते हुए यही कहते रहे कि मेरी बेटी तो पढ़ने में बहुत होनहार थी। वो कहते हैं- न जाने हमारी बेटी को किसकी नजर लग गई। इकलौते बेटे की मौत से बिखर गया परिवार, बहन की दो महीने बाद शादी चकेरी के सनिगवां में रहने वाले राजेश सिंह स्कूल संचालक हैं। घर में पत्नी माया देवी, दो बेटियां पारुल और काजल के साथ इकलौता बेटा प्रतीक उर्फ अनुज था। बेटे के मौत की खबर सुनते ही राजेश बदहवास से हो गए। पत्नी माया और बेटियां पारुल और काजल रो-रो कर बदहवास हो गईं। इकलौते बेटे की मौत के गम में राजेश सिंह पोस्टमॉर्टम हाउस में बार-बार रो-रो कर एक ही बात कह रहे थे कि मेरा तो सब कुछ उजड़ गया। अब किस के सहारे जिऊंगा। बेटा कहता था कि इंजीनियर बनने के बाद बड़ा घर और बड़ी गाड़ी खरीदूंगा। मम्मी-पापा और दीदी को दुनिया की हर खुशी दूंगा। बेटे की मौत के बाद पिता ही नहीं मां और बहने भी टूट सी गई हैं। परिवार में दो बहनें 25 वर्षीय की पारुल उर्फ शिखा और 27 वर्षीय साक्षी उर्फ काजल हैं। शिखा पीएचडी की तैयारी कर रही है, जबकि साक्षी गुड़गांव में जॉब कर रही है। दो महीने बाद शिखा की शादी होनी है। प्रतीक ने कहा था कि बहन की शादी को बड़ी धूमधाम से करना है, लेकिन शादी से पहले ही छोड़ कर चला गया। इस बात का भी परिवार और बहनों को सबसे बड़ा गम है। दरोगा भाई के साथ दशहरा मेला घूमने गया था सतीश हादसे में जान गंवाने वाले छात्र सतीश सिंह के पिता रमेश चंद्र छत्तीसगढ़ में CRPF में दरोगा है। 23 साल का दूसरा बेटा नीतीश चंदौली में CRPF में दरोगा है। सतीश कि जिद थी कि पापा और भइया को दिवाली पर छुट्टी नहीं मिलती है, दशहरा साथ में मनाना है। इसी के चलते दोनों लोग इन दिनों घर पर छुट्टी में आए थे। दशहरा पर घर में पकवान बने और दोनों भाई मेला देखने भी साथ गए थे। वादा किया था कि दिवाली में तुझे नए कपड़ों के साथ ब्रांडेड जूते भी दिलाऊंगा, बस तू अपनी पढ़ाई पर पूरा फोकस कर। नीतीश यही बात कहकर बार-बार रोता रहा कि अब दीवाली में नए कपड़े किसको दिलाऊंगा, मुझे अकेला छोड़कर क्यूं चला गया। मां भी बेटे को देखकर लिपटकर फूट-फूट कर रोई। बोली- बस मेरे सतीश को लौटा दो, मुझे और कुछ नहीं चाहिए। मुझे उठा लेते भगवान, मेरी बेटी के साथ ऐसा क्यों किया आयुषी की मां समता पोस्टमॉर्टम हाउस में एम्बुलेंस में रखा बेटी को देखते ही चीख-चीख कर रोने लगती हैं। वो कहती हैं-भगवान मुझसे क्या गलती हुई थी, जो इतनी बड़ी सजा दे दी। मेरी फूल सी बेटी को मुझसे छीन लिया। मुझे उठा लो भगवान, लेकिन मेरी बेटी को लौटा दो। एम्बुलेंस के पास बेटी का खून से लथपथ शव देखकर बदहवास हो गईं। आयुषी के फूफा जगरूप नारायण और रिश्तेदार शालिनी ने किसी तरह संभाला। समता कहती हैं- इनके पापा को तो अपनी बेटी आयुषी पर ही नाज था, हर बात पर मेरी बेटी इंजीनियर बनेगी तो ऐसा होगा। उसके टॉप करने पर हमेशा मिठाई बांटते। सबसे कहते आखिर बेटी किसकी है। मेरी बिटिया हमेशा यही कहती थी कि वो हमारे बुढ़ापे तक हमारे साथ रहेगी। लेकिन… सोमवार को दोपहर जब शिवशंकर हमीरपुर से लौटे, तो बेटी का शव देखते ही बिलख पड़े। परिवार के लोगों ने उन्हें किसी तरह संभाला। उनका बार-बार यही कहना था कि हे भगवान मुझे भी उठा लो, अब जीने का क्या फायदा। जीवन का क्या ही उद्देश्य बचा है। अब करवाचौथ पर किसके लिए रखूंगी व्रत, बच्चों के पटाखे कौन लाएगा? हादसे में कार चालक विजय साहू की भी मौत हो गई। बेटे शशांक से लिपटी हुई पत्नी सुमन साहू ने कहा- विश्वास ही नहीं हो रहा कि मेरे ईश्वर अब मेरे साथ नहीं हैं। हाय! रे…किसके सहारे जियूंगी। हे भगवान, ये क्या अनहोनी कर दी। बार-बार बेहोश हो जा रही सुमन होश में आते ही कहती है- करवाचौथ की तैयारी कर रही थी। सोचा था कि अबकी तुमने अच्छा गिफ्ट नहीं दिया, तो लड़ूंगी। अब क्या करूं… आ जाओ शशांक के पापा। कहां चले गए तुम। सुमन की चीत्कार जिस किसी ने सुनी। उसकी आंखों से आंसू छलक पड़े। सुमन बताती है- मेरे पति घर से खुशी खुशी निकले थे। हमारा सबकुछ छिन गया है। विजय साहू अपने घर- परिवार के मुखिया थे। अतिरिक्त इनकम के लिए वो अपनी ऑल्टो से बच्चों को छोड़ने जाते थे। उनके दो बेटे शशांक और हिमांशु हैं। शशांक एमसीए कर रहा है, जबकि हिमांशु 12 वीं का छात्र हैं। ……………….. कानपुर हादसे से जुड़ी यह खबर पढ़ें कानपुर हादसा; इतनी हड्डियां टूटीं..डॉक्टर भी नहीं गिन सके:दो ट्रकों के बीच फंसी कार, इंजीनियरिंग कॉलेज के 4 स्टूडेंट समेत 5 की मौत कानपुर में भीषण सड़क हादसे में इंजीनियरिंग कॉलेज के 4 छात्रों समेत 5 लोगों की मौत हो गई। हादसा दिल्ली-लखनऊ हाईवे पर सोमवार सुबह करीब 8.30 बजे हुआ। कॉलेज जा रहे छात्रों की कार को तेज रफ्तार ट्रक ने टक्कर मार दी। पढ़ें पूरी खबर… ‘मेरी बिटिया लौटा दो। भगवान मुझसे क्या गलती हुई है, जो मेरे साथ ऐसा हो गया। अब हम क्या करेंगे। हाय मेरी फूल सी बेटी, मेरी लाडो…’ ये कहते हुए कार हादसे में मारी गई इंजीनियरिंग छात्र गरिमा त्रिपाठी की मां बेहोश हो गईं। कानपुर में सोमवार सुबह कार दो ट्रक के बीच में आ गई। हादसे में 4 स्टूडेंट्स आयुष पटेल, गरिमा त्रिपाठी, प्रतीक सिंह और सतीश की मौत हो गई। ड्राइवर विजय साहू की भी मौत हो गई। हादसे के बाद विजय ने सबसे पहले सतीश के घर पर फोन किया था। कहा था-एक्सीडेंट हो गया। चारों मर गए। 5 मिनट बाद सतीश की भी मौत हो गई। चारों छात्र कानपुर के PSIT कॉलेज से इंजीनियर कर रहे थे। सभी का घर एक ही कालोनी सनिगवां मे था। प्रतीक अपनी दो बहनों का इकलौता भाई था। प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो हादसे के 6 मिनट तक चीखें सुनाई दीं। फिर सभी की मौत हो गई। दर्दनाक हादसे के बाद पांचों के घर पर मातम पसरा हुआ है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट… गरिमा ने एक दिन पहले की थी दिवाली की शॉपिंग
सनिगवां में रहने वाले यूपी पुलिस में ट्रैफिक इंस्पेक्टर भरत त्रिपाठी और उनकी पत्नी रीता बेटी के मौत की खबर सुनते ही बदहवास हो गए। मां रीता को जैसे ही बेटी गरिमा के मौत की खबर मिली, वह बेहोश हो गईं। होश में आते ही पोस्टमॉर्टम हाउस पहुंचीं। गरिमा की लाश देखते ही अपना सिर जमीन पर पटकने लगीं। रोते-बिलखते गरिमा की मां ने कहा- बताओ, मेरी बेटी ने संडे को दो जोड़ी कपड़े खरीदे थे। बोली थी दिवाली में बहुत भीड़ होती है, अभी ही शॉपिंग कर ली है। नहीं पता था कि यह बेटी की आखिरी शॉपिंग है। वो सबसे बड़ी बेटी थी। परिवार में इंटर में पढ़ने वाली बहन महिमा, आठवीं में पढ़ने वाला भाई कुश भी बहन की मौत की खबर मिलने के बाद बदहवास हैं। पिता बार-बार रोते हुए यही कहते रहे कि मेरी बेटी तो पढ़ने में बहुत होनहार थी। वो कहते हैं- न जाने हमारी बेटी को किसकी नजर लग गई। इकलौते बेटे की मौत से बिखर गया परिवार, बहन की दो महीने बाद शादी चकेरी के सनिगवां में रहने वाले राजेश सिंह स्कूल संचालक हैं। घर में पत्नी माया देवी, दो बेटियां पारुल और काजल के साथ इकलौता बेटा प्रतीक उर्फ अनुज था। बेटे के मौत की खबर सुनते ही राजेश बदहवास से हो गए। पत्नी माया और बेटियां पारुल और काजल रो-रो कर बदहवास हो गईं। इकलौते बेटे की मौत के गम में राजेश सिंह पोस्टमॉर्टम हाउस में बार-बार रो-रो कर एक ही बात कह रहे थे कि मेरा तो सब कुछ उजड़ गया। अब किस के सहारे जिऊंगा। बेटा कहता था कि इंजीनियर बनने के बाद बड़ा घर और बड़ी गाड़ी खरीदूंगा। मम्मी-पापा और दीदी को दुनिया की हर खुशी दूंगा। बेटे की मौत के बाद पिता ही नहीं मां और बहने भी टूट सी गई हैं। परिवार में दो बहनें 25 वर्षीय की पारुल उर्फ शिखा और 27 वर्षीय साक्षी उर्फ काजल हैं। शिखा पीएचडी की तैयारी कर रही है, जबकि साक्षी गुड़गांव में जॉब कर रही है। दो महीने बाद शिखा की शादी होनी है। प्रतीक ने कहा था कि बहन की शादी को बड़ी धूमधाम से करना है, लेकिन शादी से पहले ही छोड़ कर चला गया। इस बात का भी परिवार और बहनों को सबसे बड़ा गम है। दरोगा भाई के साथ दशहरा मेला घूमने गया था सतीश हादसे में जान गंवाने वाले छात्र सतीश सिंह के पिता रमेश चंद्र छत्तीसगढ़ में CRPF में दरोगा है। 23 साल का दूसरा बेटा नीतीश चंदौली में CRPF में दरोगा है। सतीश कि जिद थी कि पापा और भइया को दिवाली पर छुट्टी नहीं मिलती है, दशहरा साथ में मनाना है। इसी के चलते दोनों लोग इन दिनों घर पर छुट्टी में आए थे। दशहरा पर घर में पकवान बने और दोनों भाई मेला देखने भी साथ गए थे। वादा किया था कि दिवाली में तुझे नए कपड़ों के साथ ब्रांडेड जूते भी दिलाऊंगा, बस तू अपनी पढ़ाई पर पूरा फोकस कर। नीतीश यही बात कहकर बार-बार रोता रहा कि अब दीवाली में नए कपड़े किसको दिलाऊंगा, मुझे अकेला छोड़कर क्यूं चला गया। मां भी बेटे को देखकर लिपटकर फूट-फूट कर रोई। बोली- बस मेरे सतीश को लौटा दो, मुझे और कुछ नहीं चाहिए। मुझे उठा लेते भगवान, मेरी बेटी के साथ ऐसा क्यों किया आयुषी की मां समता पोस्टमॉर्टम हाउस में एम्बुलेंस में रखा बेटी को देखते ही चीख-चीख कर रोने लगती हैं। वो कहती हैं-भगवान मुझसे क्या गलती हुई थी, जो इतनी बड़ी सजा दे दी। मेरी फूल सी बेटी को मुझसे छीन लिया। मुझे उठा लो भगवान, लेकिन मेरी बेटी को लौटा दो। एम्बुलेंस के पास बेटी का खून से लथपथ शव देखकर बदहवास हो गईं। आयुषी के फूफा जगरूप नारायण और रिश्तेदार शालिनी ने किसी तरह संभाला। समता कहती हैं- इनके पापा को तो अपनी बेटी आयुषी पर ही नाज था, हर बात पर मेरी बेटी इंजीनियर बनेगी तो ऐसा होगा। उसके टॉप करने पर हमेशा मिठाई बांटते। सबसे कहते आखिर बेटी किसकी है। मेरी बिटिया हमेशा यही कहती थी कि वो हमारे बुढ़ापे तक हमारे साथ रहेगी। लेकिन… सोमवार को दोपहर जब शिवशंकर हमीरपुर से लौटे, तो बेटी का शव देखते ही बिलख पड़े। परिवार के लोगों ने उन्हें किसी तरह संभाला। उनका बार-बार यही कहना था कि हे भगवान मुझे भी उठा लो, अब जीने का क्या फायदा। जीवन का क्या ही उद्देश्य बचा है। अब करवाचौथ पर किसके लिए रखूंगी व्रत, बच्चों के पटाखे कौन लाएगा? हादसे में कार चालक विजय साहू की भी मौत हो गई। बेटे शशांक से लिपटी हुई पत्नी सुमन साहू ने कहा- विश्वास ही नहीं हो रहा कि मेरे ईश्वर अब मेरे साथ नहीं हैं। हाय! रे…किसके सहारे जियूंगी। हे भगवान, ये क्या अनहोनी कर दी। बार-बार बेहोश हो जा रही सुमन होश में आते ही कहती है- करवाचौथ की तैयारी कर रही थी। सोचा था कि अबकी तुमने अच्छा गिफ्ट नहीं दिया, तो लड़ूंगी। अब क्या करूं… आ जाओ शशांक के पापा। कहां चले गए तुम। सुमन की चीत्कार जिस किसी ने सुनी। उसकी आंखों से आंसू छलक पड़े। सुमन बताती है- मेरे पति घर से खुशी खुशी निकले थे। हमारा सबकुछ छिन गया है। विजय साहू अपने घर- परिवार के मुखिया थे। अतिरिक्त इनकम के लिए वो अपनी ऑल्टो से बच्चों को छोड़ने जाते थे। उनके दो बेटे शशांक और हिमांशु हैं। शशांक एमसीए कर रहा है, जबकि हिमांशु 12 वीं का छात्र हैं। ……………….. कानपुर हादसे से जुड़ी यह खबर पढ़ें कानपुर हादसा; इतनी हड्डियां टूटीं..डॉक्टर भी नहीं गिन सके:दो ट्रकों के बीच फंसी कार, इंजीनियरिंग कॉलेज के 4 स्टूडेंट समेत 5 की मौत कानपुर में भीषण सड़क हादसे में इंजीनियरिंग कॉलेज के 4 छात्रों समेत 5 लोगों की मौत हो गई। हादसा दिल्ली-लखनऊ हाईवे पर सोमवार सुबह करीब 8.30 बजे हुआ। कॉलेज जा रहे छात्रों की कार को तेज रफ्तार ट्रक ने टक्कर मार दी। पढ़ें पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर