कानपुर IIT स्टूडेंट का सुसाइड नोट-‘अपना भी दूर हो गया’:कैंपस प्रेशर पर लिखा- सबके बीच कम अपमानित करते तो सही रहता

कानपुर IIT स्टूडेंट का सुसाइड नोट-‘अपना भी दूर हो गया’:कैंपस प्रेशर पर लिखा- सबके बीच कम अपमानित करते तो सही रहता

कानपुर IIT में 26 साल की रिसर्च स्कॉलर प्रगति ने सुसाइड किया। उसका शव हॉस्टल में फंदे पर लटका मिला। तब न सिर्फ परिवार, बल्कि साथ पढ़ने वाले छात्र भी हैरान थे कि प्रगति ने अपनी जान क्यों दे दी? इस सवाल का जवाब एक दिन बाद मिला, जब प्रगति का 3 पन्नों वाला सुसाइड लेटर सामने आया। प्रगति के मन में खुद के भविष्य को लेकर कन्फ्यूजन था। वह किसी खास दोस्त के दूर जाने से परेशान भी थी। इसलिए बेहद तनाव में थी। सुसाइड नोट के आखिरी पन्ने में प्रगति ने अकेलेपन में साथ निभाने वाले दोस्तों के लिए काफी कुछ लिखा। IIT कैंपस के प्रेशर पर लिखा- वो लोग (डीन) सबके बीच कम अपमानित करें तो थोड़ा बेहतर होगा। पहले सुसाइड नोट पढ़िए… (प्रगति का सुसाइड नोट अंग्रेजी में है, जिसे हम आपको हिंदी में पढ़ा रहे हैं।) ‘मैं आईआईटी में एक PHd स्टूडेंट हूं। अब लोगों को लगेगा कि स्टडी का प्रेशर होगा। मगर वह तो सबको सहना होता है। माना कि कभी-कभी थोड़ी डांट पड़ जाती थी, मगर इतनी तो नहीं कि मैं ये सब कर लूं। अगर मैं साधारण मानसिक स्थिति में होती तो सब हो जाता। पढ़ाई में इतनी तो कमजोर नहीं थी, बस ज्यादा मेहनत करना छोड़ दिया था, तो ऐसे में कोई भी सर को तो ब्लेम मत करना। हां, अगर वो लोगों को सबके बीच कम अपमानित करें तो थोड़ा अच्छा होगा। बाकी समर्थ से भी कोई शिकायत नहीं थी, न घर वालों से और न फ्रेंड से। समर्थ के अलावा कोई इतना अपना लग ही नहीं रहा था। समर्थ को भी कितना बुलाऊं, वो मुझसे बहुत दूर रहता है। मुझे हमारी दूरी बिल्कुल पसंद नहीं थी। यहां मेरा दोस्त आदिल था। समर्थ और आदिल तो थक गए होंगे मेरा लेक्चर और टेंशन सुन-सुनकर। क्यों ही रोऊं मैं उनके सामने भी, वो थोड़ी न ठेका लेकर बैठे हैं, मुझे खुश रखने का। खुशी का तो मुझे खुद ही सोचना चाहिए था। कम शब्दों में कहूं तो इसके लिए किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। बस इतना कह सकती हूं मैं उन भावनाओं से थक गईं हूं, जिन्हें महसूस करके मुझे दुख होता है। बनना तो काफी कुछ था पर अब कुछ है ही नहीं…’ मुझे नहीं पता कि मैं ये सब कर पाऊंगी या नहीं, इतने सालों में कितनी बार ये सब सोचा होगा। पर कभी इतना कठोर कदम नहीं उठा सकी। मुझे लगता है कि इस बार भी ऐसा न हो कि अभी ये सब लिखकर कल मैं इसे फाड़कर फेंक दूं और फिर से सोचूं कि अब जिंदगी में आगे क्या करना है। अब बस जो होना था हो गया मेरा…मैं हर चीज से थक गई हूं, ये मेरी भावनाओं का अंत है। हंसती हूं तो हंसी नहीं आती। रोती हूं तो आंसू नहीं। आंसू आए तो ऐसा लगता है कि बस अगले ही पल सिर फट जाएगा। उस दिन सबके सामने ही कैसे हंसा मैंने, वो भी कोई बात थी हंसने की? मन तो हुआ कि बोल दूं कि मिलने तो गई थी, पर आसान है क्या? 27 सालों का हिसाब कुछ शब्दों में कह देना। कोई मुझे मेरे दुख के बारे में भी पूछे तो न बता पाऊंगी, क्या ही बताऊंगी, लाइफ में सब सामान्य ही तो है। कुछ काम अच्छा भी है, तो इतना तो बुरा नहीं कि ये सब करूं। मुझसे कुछ भी नहीं हो पा रहा था… हालांकि, मेरा परिवार बहुत सहयोगी रहा, लेकिन वह कभी भी मेरी खुशी का कारण नहीं रहा। मैं वाकई किसी को गलत नहीं ठहरा रही। अब हर चीज का अंत यही है जो करने जा रही। अब प्रगति के बारे में पढ़िए…
प्रो. ताज दारुल की देखरेख में करती थी रिसर्च
IIT कानपुर में भू-विज्ञान में PHd कर रही प्रगति ने 10 अक्टूबर को फांसी लगाकर सुसाइड कर लिया। उसने बुंदेलखंड विश्वविद्यालय से अप्लाइड जियोलॉजी में एमएससी किया। 2021 में IIT कानपुर में PHd में दाखिला लिया। वह प्रो. ताजदारुल हसन सैय्यद की देखरेख में रिसर्च कर रही थी। प्रगति के गाइड ताज दारुल हसन सैय्यद संस्थान के एसोशिएट डीन स्टूडेंट वेलफेयर भी हैं। चकेरी में रहता है परिवार
प्रगति का पूरा परिवार चकेरी के सनिगवां में रहता है। मूल रूप से उरई निवासी गोविंद खायरा चकेरी के सनिगवां में परिवार के साथ रहते हैं। वह कानपुर के एक प्रतिष्ठित ज्वेलरी शोरूम में मैनेजर हैं। उन्होंने बताया कि घर में पत्नी संगीता, तीन बेटे सत्यम, शिवम, सुंदरम और बेटी प्रगति थी। रोजाना परिवार से फोन पर और वीडियो कॉल पर बात हो रही थी, इसके बाद भी वह अकेलेपन का शिकार हो गई और डिप्रेशन में यह कदम उठा लिया। पुलिस बोली- परिवार जो कहेगा, उसके मुताबिक जांच होगी
इस पूरे मामले में DCP वेस्ट राजेश कुमार सिंह कहते हैं – छात्रा का शुक्रवार को अंतिम संस्कार हो गया है। परिवार के लोगों ने जांच की मांग की है, लेकिन अब तक मामले में कोई लिखित प्रार्थना पत्र नहीं मिला। सुसाइड नोट से साफ है कि छात्रा अवसाद में थी और यह सुसाइड केस है। अगर फिर भी परिवार के लोग कोई आरोप लगाते हैं या प्रार्थना पत्र देते हैं तो जरूर जांच की जाएगी। यह सुसाइड नोट का पहला पेज है… ————————————— यह भी पढ़ें ‘कानपुर IIT ने लावारिस की तरह भेजी बेटी की लाश’:PhD स्कॉलर प्रगति के ताऊ बोले- हमें जानना है कि बिटिया ने ऐसा क्यों किया? कानपुर IIT में PhD स्कॉलर प्रगति ने सुसाइड कर लिया। परिजनों ने आईआईटी प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाया है। घरवालों का कहना है- हमें देर से सूचना दी गई। बेटी की लाश को लावारिस की तरह लादकर घर भेज दिया। किसी ने उसे हाथ तक नहीं लगाया। ऐसा लग रहा था, जैसे वो आईआईटी की स्टूडेंट ही न हो। पढ़िए पूरी खबर… कानपुर IIT में 26 साल की रिसर्च स्कॉलर प्रगति ने सुसाइड किया। उसका शव हॉस्टल में फंदे पर लटका मिला। तब न सिर्फ परिवार, बल्कि साथ पढ़ने वाले छात्र भी हैरान थे कि प्रगति ने अपनी जान क्यों दे दी? इस सवाल का जवाब एक दिन बाद मिला, जब प्रगति का 3 पन्नों वाला सुसाइड लेटर सामने आया। प्रगति के मन में खुद के भविष्य को लेकर कन्फ्यूजन था। वह किसी खास दोस्त के दूर जाने से परेशान भी थी। इसलिए बेहद तनाव में थी। सुसाइड नोट के आखिरी पन्ने में प्रगति ने अकेलेपन में साथ निभाने वाले दोस्तों के लिए काफी कुछ लिखा। IIT कैंपस के प्रेशर पर लिखा- वो लोग (डीन) सबके बीच कम अपमानित करें तो थोड़ा बेहतर होगा। पहले सुसाइड नोट पढ़िए… (प्रगति का सुसाइड नोट अंग्रेजी में है, जिसे हम आपको हिंदी में पढ़ा रहे हैं।) ‘मैं आईआईटी में एक PHd स्टूडेंट हूं। अब लोगों को लगेगा कि स्टडी का प्रेशर होगा। मगर वह तो सबको सहना होता है। माना कि कभी-कभी थोड़ी डांट पड़ जाती थी, मगर इतनी तो नहीं कि मैं ये सब कर लूं। अगर मैं साधारण मानसिक स्थिति में होती तो सब हो जाता। पढ़ाई में इतनी तो कमजोर नहीं थी, बस ज्यादा मेहनत करना छोड़ दिया था, तो ऐसे में कोई भी सर को तो ब्लेम मत करना। हां, अगर वो लोगों को सबके बीच कम अपमानित करें तो थोड़ा अच्छा होगा। बाकी समर्थ से भी कोई शिकायत नहीं थी, न घर वालों से और न फ्रेंड से। समर्थ के अलावा कोई इतना अपना लग ही नहीं रहा था। समर्थ को भी कितना बुलाऊं, वो मुझसे बहुत दूर रहता है। मुझे हमारी दूरी बिल्कुल पसंद नहीं थी। यहां मेरा दोस्त आदिल था। समर्थ और आदिल तो थक गए होंगे मेरा लेक्चर और टेंशन सुन-सुनकर। क्यों ही रोऊं मैं उनके सामने भी, वो थोड़ी न ठेका लेकर बैठे हैं, मुझे खुश रखने का। खुशी का तो मुझे खुद ही सोचना चाहिए था। कम शब्दों में कहूं तो इसके लिए किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। बस इतना कह सकती हूं मैं उन भावनाओं से थक गईं हूं, जिन्हें महसूस करके मुझे दुख होता है। बनना तो काफी कुछ था पर अब कुछ है ही नहीं…’ मुझे नहीं पता कि मैं ये सब कर पाऊंगी या नहीं, इतने सालों में कितनी बार ये सब सोचा होगा। पर कभी इतना कठोर कदम नहीं उठा सकी। मुझे लगता है कि इस बार भी ऐसा न हो कि अभी ये सब लिखकर कल मैं इसे फाड़कर फेंक दूं और फिर से सोचूं कि अब जिंदगी में आगे क्या करना है। अब बस जो होना था हो गया मेरा…मैं हर चीज से थक गई हूं, ये मेरी भावनाओं का अंत है। हंसती हूं तो हंसी नहीं आती। रोती हूं तो आंसू नहीं। आंसू आए तो ऐसा लगता है कि बस अगले ही पल सिर फट जाएगा। उस दिन सबके सामने ही कैसे हंसा मैंने, वो भी कोई बात थी हंसने की? मन तो हुआ कि बोल दूं कि मिलने तो गई थी, पर आसान है क्या? 27 सालों का हिसाब कुछ शब्दों में कह देना। कोई मुझे मेरे दुख के बारे में भी पूछे तो न बता पाऊंगी, क्या ही बताऊंगी, लाइफ में सब सामान्य ही तो है। कुछ काम अच्छा भी है, तो इतना तो बुरा नहीं कि ये सब करूं। मुझसे कुछ भी नहीं हो पा रहा था… हालांकि, मेरा परिवार बहुत सहयोगी रहा, लेकिन वह कभी भी मेरी खुशी का कारण नहीं रहा। मैं वाकई किसी को गलत नहीं ठहरा रही। अब हर चीज का अंत यही है जो करने जा रही। अब प्रगति के बारे में पढ़िए…
प्रो. ताज दारुल की देखरेख में करती थी रिसर्च
IIT कानपुर में भू-विज्ञान में PHd कर रही प्रगति ने 10 अक्टूबर को फांसी लगाकर सुसाइड कर लिया। उसने बुंदेलखंड विश्वविद्यालय से अप्लाइड जियोलॉजी में एमएससी किया। 2021 में IIT कानपुर में PHd में दाखिला लिया। वह प्रो. ताजदारुल हसन सैय्यद की देखरेख में रिसर्च कर रही थी। प्रगति के गाइड ताज दारुल हसन सैय्यद संस्थान के एसोशिएट डीन स्टूडेंट वेलफेयर भी हैं। चकेरी में रहता है परिवार
प्रगति का पूरा परिवार चकेरी के सनिगवां में रहता है। मूल रूप से उरई निवासी गोविंद खायरा चकेरी के सनिगवां में परिवार के साथ रहते हैं। वह कानपुर के एक प्रतिष्ठित ज्वेलरी शोरूम में मैनेजर हैं। उन्होंने बताया कि घर में पत्नी संगीता, तीन बेटे सत्यम, शिवम, सुंदरम और बेटी प्रगति थी। रोजाना परिवार से फोन पर और वीडियो कॉल पर बात हो रही थी, इसके बाद भी वह अकेलेपन का शिकार हो गई और डिप्रेशन में यह कदम उठा लिया। पुलिस बोली- परिवार जो कहेगा, उसके मुताबिक जांच होगी
इस पूरे मामले में DCP वेस्ट राजेश कुमार सिंह कहते हैं – छात्रा का शुक्रवार को अंतिम संस्कार हो गया है। परिवार के लोगों ने जांच की मांग की है, लेकिन अब तक मामले में कोई लिखित प्रार्थना पत्र नहीं मिला। सुसाइड नोट से साफ है कि छात्रा अवसाद में थी और यह सुसाइड केस है। अगर फिर भी परिवार के लोग कोई आरोप लगाते हैं या प्रार्थना पत्र देते हैं तो जरूर जांच की जाएगी। यह सुसाइड नोट का पहला पेज है… ————————————— यह भी पढ़ें ‘कानपुर IIT ने लावारिस की तरह भेजी बेटी की लाश’:PhD स्कॉलर प्रगति के ताऊ बोले- हमें जानना है कि बिटिया ने ऐसा क्यों किया? कानपुर IIT में PhD स्कॉलर प्रगति ने सुसाइड कर लिया। परिजनों ने आईआईटी प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाया है। घरवालों का कहना है- हमें देर से सूचना दी गई। बेटी की लाश को लावारिस की तरह लादकर घर भेज दिया। किसी ने उसे हाथ तक नहीं लगाया। ऐसा लग रहा था, जैसे वो आईआईटी की स्टूडेंट ही न हो। पढ़िए पूरी खबर…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर