काशी की लाल पेड़ा मिठाई…CM-PM भी दीवाने:30 दिन तक नहीं खराब होती; UP कॉलेज में आजादी के पहले खुली थी दुकान

काशी की लाल पेड़ा मिठाई…CM-PM भी दीवाने:30 दिन तक नहीं खराब होती; UP कॉलेज में आजादी के पहले खुली थी दुकान

काशी का खान-पान और देसी जायका दुनियाभर में अपनी पहचान बना चुका है। दैनिक भास्कर की जायका सीरीज में आज हम आपको वाराणसी की एक ऐसी मिठाई के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका इतिहास 113 साल पुराना है। हम बात कर रहे हैं वाराणसी के मशहूर लाल पेड़ा की, जिसके दीवाने पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर से लेकर पीएम मोदी तक हैं। कई सीएम भी यहां की मिठाई खा चुके हैं। यह मिठाई वाराणसी आने वाले सैलानियों और श्रद्धालुओं को बहुत पसंद आती है। देश-दुनिया की कई नामचीन हस्तियों ने लाल पेड़ा का स्वाद चखा। सबने यही कहा- वाह क्या मिठाई है। आजादी के पहले से तैयार की जा रही लाल पेड़ा मिठाई
यूपी कॉलेज के कैंपस में राजर्षि मिष्ठान भंडार में बनने वाले लाल पेड़ा की मेकिंग देख कर शायद आप बेहतर तरीके से समझ सकते हैं। धीमी आंच पर खोया को भूनते हुए देखना, इसकी सोंधी खुशबू धीरे-धीरे पूरे माहौल में मिठास घोल देती है। दुकान चलाने वाले जय सिंह बताते हैं- छात्र जीवन में प्रसिद्ध कवि केदारनाथ सिंह लाल पेड़ा खाते हुए मौज में कहा करते थे कि ‘गुरु जवन मजा बनारस में,उ न पेरिस में न फारस में’। जय सिंह बताते हैं कि इस मिठाई की तैयारी में इस्तेमाल किया जाने वाला विशेष दानेदार खोया वास्तव में इसे देश भर में बनने वाले पेड़ों से अलग करता है। लाल पेड़ा को मिला है GI टैग
पीएम मोदी के कार्यकाल में इस लाल पेड़ा को GI टैग भी मिल गया है। पीएम नरेंद्र मोदी ने इसको बनारस की सरहद से निकालकर पूरी दुनिया तक पहुंचाने का काम किया। आज बनारस के अमूल प्लांट से तैयार लाल पेड़ा पूरी दुनिया में पहुंच रहा है। लाल पेड़ा सामाजिक और धार्मिक समारोहों, त्योहारों और शुभ अवसरों पर नियमित रूप से दिखाई देता है। यूपी कॉलेज में इसको पैक कराकर लोग देश-विदेश तक भेजते हैं। 90 साल के हरिराम यूपी कॉलेज के कैंपस में ही रहते हैं। उन्होंने बताया कि यह लाल पेड़ा हम लोगों के बचपन के पहले का है। पहले यह लाल पेड़ा इसी कॉलेज के हॉस्टल में जाया करता था। अब तो ये काफी फेमस हो गया है। लाल पेड़ा मिठाई का स्वाद चखने वालों का कहना है कि उन्हें बाहर राज्यों में रह रहे रिश्तेदार भी इसके लिए फोन करते रहते हैं। ——————— ये खबर भी पढ़ें… नेपाल से सटे जिलों में मदरसों पर क्यों चला बुलडोजर:यहां 50% तक बढ़ी मुस्लिम आबादी; यूपी पुलिस की रिपोर्ट में घुसपैठ की बात नेपाल सीमा से सटे यूपी के जिलों में 25 से 27 अप्रैल के बीच बिना मान्यता वाले मदरसों और अवैध कब्जों पर बुलडोजर चलाया गया। बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, लखीमपुर खीरी और महराजगंज में चले अभियान में सैकड़ों अवैध कब्जे हटवाए गए। बिना मान्यता के मदरसों पर ताला लगवाया गया। पढ़ें पूरी खबर काशी का खान-पान और देसी जायका दुनियाभर में अपनी पहचान बना चुका है। दैनिक भास्कर की जायका सीरीज में आज हम आपको वाराणसी की एक ऐसी मिठाई के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका इतिहास 113 साल पुराना है। हम बात कर रहे हैं वाराणसी के मशहूर लाल पेड़ा की, जिसके दीवाने पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर से लेकर पीएम मोदी तक हैं। कई सीएम भी यहां की मिठाई खा चुके हैं। यह मिठाई वाराणसी आने वाले सैलानियों और श्रद्धालुओं को बहुत पसंद आती है। देश-दुनिया की कई नामचीन हस्तियों ने लाल पेड़ा का स्वाद चखा। सबने यही कहा- वाह क्या मिठाई है। आजादी के पहले से तैयार की जा रही लाल पेड़ा मिठाई
यूपी कॉलेज के कैंपस में राजर्षि मिष्ठान भंडार में बनने वाले लाल पेड़ा की मेकिंग देख कर शायद आप बेहतर तरीके से समझ सकते हैं। धीमी आंच पर खोया को भूनते हुए देखना, इसकी सोंधी खुशबू धीरे-धीरे पूरे माहौल में मिठास घोल देती है। दुकान चलाने वाले जय सिंह बताते हैं- छात्र जीवन में प्रसिद्ध कवि केदारनाथ सिंह लाल पेड़ा खाते हुए मौज में कहा करते थे कि ‘गुरु जवन मजा बनारस में,उ न पेरिस में न फारस में’। जय सिंह बताते हैं कि इस मिठाई की तैयारी में इस्तेमाल किया जाने वाला विशेष दानेदार खोया वास्तव में इसे देश भर में बनने वाले पेड़ों से अलग करता है। लाल पेड़ा को मिला है GI टैग
पीएम मोदी के कार्यकाल में इस लाल पेड़ा को GI टैग भी मिल गया है। पीएम नरेंद्र मोदी ने इसको बनारस की सरहद से निकालकर पूरी दुनिया तक पहुंचाने का काम किया। आज बनारस के अमूल प्लांट से तैयार लाल पेड़ा पूरी दुनिया में पहुंच रहा है। लाल पेड़ा सामाजिक और धार्मिक समारोहों, त्योहारों और शुभ अवसरों पर नियमित रूप से दिखाई देता है। यूपी कॉलेज में इसको पैक कराकर लोग देश-विदेश तक भेजते हैं। 90 साल के हरिराम यूपी कॉलेज के कैंपस में ही रहते हैं। उन्होंने बताया कि यह लाल पेड़ा हम लोगों के बचपन के पहले का है। पहले यह लाल पेड़ा इसी कॉलेज के हॉस्टल में जाया करता था। अब तो ये काफी फेमस हो गया है। लाल पेड़ा मिठाई का स्वाद चखने वालों का कहना है कि उन्हें बाहर राज्यों में रह रहे रिश्तेदार भी इसके लिए फोन करते रहते हैं। ——————— ये खबर भी पढ़ें… नेपाल से सटे जिलों में मदरसों पर क्यों चला बुलडोजर:यहां 50% तक बढ़ी मुस्लिम आबादी; यूपी पुलिस की रिपोर्ट में घुसपैठ की बात नेपाल सीमा से सटे यूपी के जिलों में 25 से 27 अप्रैल के बीच बिना मान्यता वाले मदरसों और अवैध कब्जों पर बुलडोजर चलाया गया। बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, लखीमपुर खीरी और महराजगंज में चले अभियान में सैकड़ों अवैध कब्जे हटवाए गए। बिना मान्यता के मदरसों पर ताला लगवाया गया। पढ़ें पूरी खबर   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर