काशी में बाबा विश्वनाथ को ओढ़ाई मखमली रजाई:महंत बोले- भगवान को मानते हैं परिवार का सदस्य; मौसम के अनुसार पहनाते हैं वस्त्र

काशी में बाबा विश्वनाथ को ओढ़ाई मखमली रजाई:महंत बोले- भगवान को मानते हैं परिवार का सदस्य; मौसम के अनुसार पहनाते हैं वस्त्र

धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी में भगवान और भक्त का एक अनोखा रिश्ता है। जिसका जीता जागता उदाहरण इन दिनों देखने को मिल रहा है। पहाड़ों पर हो रही बर्फबारी का असर अब मैदानी इलाकों में देखने को मिल रहा है। यही कारण है कि जहां लोग ठंड से खुद का बचाव कर रहे हैं। यहां के प्रमुख मंदिरों में भगवान को भी गर्म कपड़े पहनाए जा रहे हैं। वाराणसी में बाबा विश्वनाथ को मखमली रजाई ओढ़ाइ जा रही है। यह तस्वीर बेहद खूबसूरत है और सोशल मीडिया पर खूब पसंद भी किया जा रहा है। बाबा विश्वनाथ को ओढ़ाई जाती हैं अलग-अलग रंग की रजाई काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व-भूषण मिश्र ने बताया कि भक्त अपने भाव के हिसाब से बाबा को हर चीज अर्पण करते है।.इसी के तहत ठंड में उन्हें भक्ति और श्रद्धा भाव से रात्रि में विश्राम के दौरान मखमली रजाई ओढ़ाते हैं। बैकुंठ चतुर्दशी तिथि से महा-शिवरात्रि तक हर रोज शयन आरती के पहले श्रृंगार में उन्हें अलग-अलग रंग की रजाई ओढ़ाई जाती है। इस रजाई को स्पेशल ऑर्डर पर तैयार कराया जाता है। भगवान को मानते हैं परिवार का सदस्य
राम-सीता मंदिर के महंत बलराम ने बताया कि यह एक सेवा का भाव है। जिस तरह लोगों को ठंड लगती है। उसी तरह हम लोग इस भाव से की भगवान को ठंडी न लगे, इसलिए गर्म कपड़े पहनाते हैं। बालक की तरह भगवान की सेवा करते हैं। जब मौसम बदलेगा, ज्यादा ठंडी पड़ेगी तो स्वेटर, चादर भगवान को पहनाया जाएगा। धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी में भगवान और भक्त का एक अनोखा रिश्ता है। जिसका जीता जागता उदाहरण इन दिनों देखने को मिल रहा है। पहाड़ों पर हो रही बर्फबारी का असर अब मैदानी इलाकों में देखने को मिल रहा है। यही कारण है कि जहां लोग ठंड से खुद का बचाव कर रहे हैं। यहां के प्रमुख मंदिरों में भगवान को भी गर्म कपड़े पहनाए जा रहे हैं। वाराणसी में बाबा विश्वनाथ को मखमली रजाई ओढ़ाइ जा रही है। यह तस्वीर बेहद खूबसूरत है और सोशल मीडिया पर खूब पसंद भी किया जा रहा है। बाबा विश्वनाथ को ओढ़ाई जाती हैं अलग-अलग रंग की रजाई काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व-भूषण मिश्र ने बताया कि भक्त अपने भाव के हिसाब से बाबा को हर चीज अर्पण करते है।.इसी के तहत ठंड में उन्हें भक्ति और श्रद्धा भाव से रात्रि में विश्राम के दौरान मखमली रजाई ओढ़ाते हैं। बैकुंठ चतुर्दशी तिथि से महा-शिवरात्रि तक हर रोज शयन आरती के पहले श्रृंगार में उन्हें अलग-अलग रंग की रजाई ओढ़ाई जाती है। इस रजाई को स्पेशल ऑर्डर पर तैयार कराया जाता है। भगवान को मानते हैं परिवार का सदस्य
राम-सीता मंदिर के महंत बलराम ने बताया कि यह एक सेवा का भाव है। जिस तरह लोगों को ठंड लगती है। उसी तरह हम लोग इस भाव से की भगवान को ठंडी न लगे, इसलिए गर्म कपड़े पहनाते हैं। बालक की तरह भगवान की सेवा करते हैं। जब मौसम बदलेगा, ज्यादा ठंडी पड़ेगी तो स्वेटर, चादर भगवान को पहनाया जाएगा।   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर