हरियाणा और पंजाब के शंभू बॉर्डर पर रविवार को तनावपूर्ण हालात बन गए। किसानों की तरफ से शंभू बॉर्डर पर प्रदर्शन के लिए लगाए गए स्टेज पर अचानक करीब 100 युवक पहुंच गए। उन्होंने रास्ता खोलने की मांग की। किसानों का आरोप है कि ये हमला भाजपा नेताओं व लोकल AAP विधायकों के करीबियों ने माहौल खराब करने के लिए किया है। बॉर्डर पर पहुंचे लोगों का कहना है कि वे आसपास के गांवों के लोग हैं। शंभू बॉर्डर पर दोपहिया वाहनों की क्रॉसिंग को लेकर पहले भी मांग पत्र दिया था, जिस पर आज तक किसान नेताओं ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। इसलिए आज सभी गांवों के लोगों और व्यापारी एकजुट होकर शंभू बॉर्डर खोलने की मांग लेकर पहुंचे थे। स्टेज पर कब्जा करने का आरोप स्टेज पर मौजूद किसान नेता बलदेव सिंह जीरा, सविंदर संह चूताला, जसवीर सिंह सिद्धूपुर, जंग सिंह भटेड़ी, मान सिंह राजपुरा, करनैल सिंह लंग, गुरदेव सिंह गज्जू माजरा, गुरअमनीत सिंह मांगट, जसबीर सिंह पिंदी, सूरजभान फरीदकोट ने बताया कि दोपहर करीब एक बजे अंबाला के विशाल बत्रा, सोनू तपेला, मिंटू राजगढ़, जैगोपाल भिट्ठे वाला, दलबीर सिंह उर्फ बिट्टू बाबा राजगढ़ की अगुआई में 100 के करीब व्यक्तियों ने स्टेज पर कब्जा कर हमला करने की कोशिश की। उन ने किसानों पर रोड बंद करने का इल्जाम लगाया। ये सड़क 8 फरवरी से बंद है, जबकि किसान यहां 13 फरवरी को आए थे। हमला करने वालों पर माइनिंग का आरोप
किसानों ने आरोप लगाया कि शंभू बॉर्डर पर पहुंचे लोग माइनिंग का धंधा करते हैं। घग्गर से रेत निकाल उसकी कालाबाजारी करते हैं। मोर्चा लगने के कारण उनका कालाबजारी का धंधा बंद है, जबकि किसानों के आसपास के समर्थकों ने स्पष्ट किया कि यहां इकट्ठे हुए लोग विभिन्न पार्टियों के समर्थक हैं। 13 फरवरी से चल रहा प्रदर्शन
किसान 13 फरवरी से शंभू बॉर्डर पर बैठे हुए हैं। वह न्यूनतम समर्थन मूल्य समेत अन्य मांगों को लेकर दिल्ली कूच करना चाहते थे, लेकिन पुलिस ने बैरिकेडिंग लगाकर उन्हें रोक लिया। इस दौरान किसानों व हरियाणा पुलिस और पैरा-मिलिट्री फोर्सेस के बीच तनाव भी हुआ। खनौरी बॉर्डर पर 21 फरवरी को युवा किसान शुभकरण सिंह गोली लगने से मौत भी हुई। जिसके बाद किसानों ने शंभू बॉर्डर पर ही बैठ प्रदर्शन करने का फैसला किया। इस प्रोटेस्ट को शुरू हुए 131 दिन हो चुके हैं। इस दौरान लोकसभा चुनाव भी संपन्न हुए। लेकिन किसान अभी भी मांगें माने जाने तक प्रदर्शन जारी रखे हुए हैं। किसान आंदोलन 0.2 के शुरू होने के बाद से अभी तक तकरीबन 16 किसानों की मौत विभिन्न कारणों से हो चुकी है। जबकि पहले किसान आंदोलन में तकरीबन 700 किसानों की जान गई थी। हरियाणा और पंजाब के शंभू बॉर्डर पर रविवार को तनावपूर्ण हालात बन गए। किसानों की तरफ से शंभू बॉर्डर पर प्रदर्शन के लिए लगाए गए स्टेज पर अचानक करीब 100 युवक पहुंच गए। उन्होंने रास्ता खोलने की मांग की। किसानों का आरोप है कि ये हमला भाजपा नेताओं व लोकल AAP विधायकों के करीबियों ने माहौल खराब करने के लिए किया है। बॉर्डर पर पहुंचे लोगों का कहना है कि वे आसपास के गांवों के लोग हैं। शंभू बॉर्डर पर दोपहिया वाहनों की क्रॉसिंग को लेकर पहले भी मांग पत्र दिया था, जिस पर आज तक किसान नेताओं ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। इसलिए आज सभी गांवों के लोगों और व्यापारी एकजुट होकर शंभू बॉर्डर खोलने की मांग लेकर पहुंचे थे। स्टेज पर कब्जा करने का आरोप स्टेज पर मौजूद किसान नेता बलदेव सिंह जीरा, सविंदर संह चूताला, जसवीर सिंह सिद्धूपुर, जंग सिंह भटेड़ी, मान सिंह राजपुरा, करनैल सिंह लंग, गुरदेव सिंह गज्जू माजरा, गुरअमनीत सिंह मांगट, जसबीर सिंह पिंदी, सूरजभान फरीदकोट ने बताया कि दोपहर करीब एक बजे अंबाला के विशाल बत्रा, सोनू तपेला, मिंटू राजगढ़, जैगोपाल भिट्ठे वाला, दलबीर सिंह उर्फ बिट्टू बाबा राजगढ़ की अगुआई में 100 के करीब व्यक्तियों ने स्टेज पर कब्जा कर हमला करने की कोशिश की। उन ने किसानों पर रोड बंद करने का इल्जाम लगाया। ये सड़क 8 फरवरी से बंद है, जबकि किसान यहां 13 फरवरी को आए थे। हमला करने वालों पर माइनिंग का आरोप
किसानों ने आरोप लगाया कि शंभू बॉर्डर पर पहुंचे लोग माइनिंग का धंधा करते हैं। घग्गर से रेत निकाल उसकी कालाबाजारी करते हैं। मोर्चा लगने के कारण उनका कालाबजारी का धंधा बंद है, जबकि किसानों के आसपास के समर्थकों ने स्पष्ट किया कि यहां इकट्ठे हुए लोग विभिन्न पार्टियों के समर्थक हैं। 13 फरवरी से चल रहा प्रदर्शन
किसान 13 फरवरी से शंभू बॉर्डर पर बैठे हुए हैं। वह न्यूनतम समर्थन मूल्य समेत अन्य मांगों को लेकर दिल्ली कूच करना चाहते थे, लेकिन पुलिस ने बैरिकेडिंग लगाकर उन्हें रोक लिया। इस दौरान किसानों व हरियाणा पुलिस और पैरा-मिलिट्री फोर्सेस के बीच तनाव भी हुआ। खनौरी बॉर्डर पर 21 फरवरी को युवा किसान शुभकरण सिंह गोली लगने से मौत भी हुई। जिसके बाद किसानों ने शंभू बॉर्डर पर ही बैठ प्रदर्शन करने का फैसला किया। इस प्रोटेस्ट को शुरू हुए 131 दिन हो चुके हैं। इस दौरान लोकसभा चुनाव भी संपन्न हुए। लेकिन किसान अभी भी मांगें माने जाने तक प्रदर्शन जारी रखे हुए हैं। किसान आंदोलन 0.2 के शुरू होने के बाद से अभी तक तकरीबन 16 किसानों की मौत विभिन्न कारणों से हो चुकी है। जबकि पहले किसान आंदोलन में तकरीबन 700 किसानों की जान गई थी। पंजाब | दैनिक भास्कर