भास्कर न्यूज| यमुनानगर बूड़िया निवासी रमेश सैनी नंबरदार की बेटी डॉ. शिखा सैनी का जिला बागवानी अधिकारी (डीएचओ) के पद पर चयन हुआ है। डॉ. शिखा गोल्ड मेडलिस्ट हैं। किसान परिवार की बेटी हैं। वे जल्द ही जिला कुरुक्षेत्र में कार्यभार संभालेंगी। इनके चयन पर परिवार में खुशी का माहौल है। आसपास के लोग परिवार को बधाई देने के लिए घर पर पहुंच रहे हैं। इनके भाई कर्ण सिंह कृषि विभाग में एग्रीकल्चर डिवेलपमेंट ऑफिसर (एडीओ) के पद पर सेवाएं दे रहे हैं। शिखा सैनीने इंडियन काउंसिल एग्रीकल्चर रिसर्च में पहले प्रयास में क्वालीफाई करते हुए 5वां रैंक हासिल किया। जिला बागवानी अधिकारी में चयनित हुई हैं। इनका परिणाम गत माह जारी हुआ था। उन्होंने इस पद तक पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत की है। अपनी हर क्लास अव्वल दर्ज में पास की। मेडिकल से 12वीं कक्षा सरस्वती पब्लिक स्कूल जगाधरी से पास की है। इसके बाद बीएससी हॉर्टिकल्चर की डिग्री नवसारी गुजरात से की है। एमएससी की डिग्री पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी लुधियाना से की है। इस समय पीएचडी की डिग्री भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली से कर रही है। शिखा दिल्ली में हैं। फोन पर हुई बातचीत में बताया कि उन्होंने इंडियन काउंसिल एग्रीकल्चर रिसर्च में पहले प्रयास में क्वालीफाई करते हुए 5वां रैंक हासिल किया है। जिला बागवानी अधिकारी में चयनित हुई हैं। शिखा के बीएससी हॉर्टिकल्चर में यूनिवर्सिटी में टॉप करने पर दो गोल्ड मेडल देकर वाइस चांसलर ने सम्मानित किया। ये एनईटी का एग्जाम क्वालीफाई कर चुकी हैं। साधारण परिवार से ताल्लुक रखती हैं। ये दो भाई-बहन हैं। शिखा का कहना है कि बचपन ही लक्ष्य तय किया हुआ था कि प्रशासनिक सेवाओं में जाना है। इसके लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की है। उन्होंने पढ़ाई के दौरान ही अपने लक्ष्य का साधने की तैयारी शुरू कर दी थी। उन्होंने युवाआंे को संदेश दिया कि सफलता के लिए मेहनत जरूरी है। इसके लिए कोई शॉर्टकट नहीं है, जिसे अपनाकर सफलता हासिल की जा सके। जॉइनिंग को लेकर बताया कि चयनित होने का लेटर तो मिल गया है। अभी वह पीएचडी कर रहीं है। यह भी जल्द पूरी होने वाली है। फिर भी परमिशन के बाद वे जॉइन करेंगी। उन्हें कुरुक्षेत्र में जॉइन करना है। जिला बागवानी का पद संभालने को उत्साहित हैं। बचपन में देखा सपना कड़ी मेहनत करने के बाद पूरा हुआ है। शिखा सैनी के पिता रमेश सैनी का कहना है कि उनको अपने दोनों बच्चों पर गर्व है। दोनों ने गर्व से उनका सिर ऊंचा कर दिया है। उनके दोनों बच्चों की मेहनत का परिणाम है कि आज वे इस मुकाम पर पहुंचे हैं। शिखा का भाई कर्ण सिंह सैनीकृषि विभाग में एडीओ के पद पर कार्यरत हैं। दोनों भाई-बहन आफिसर हैं। एक घर मंे दो ऑफिसर बने हैं। भास्कर न्यूज| यमुनानगर बूड़िया निवासी रमेश सैनी नंबरदार की बेटी डॉ. शिखा सैनी का जिला बागवानी अधिकारी (डीएचओ) के पद पर चयन हुआ है। डॉ. शिखा गोल्ड मेडलिस्ट हैं। किसान परिवार की बेटी हैं। वे जल्द ही जिला कुरुक्षेत्र में कार्यभार संभालेंगी। इनके चयन पर परिवार में खुशी का माहौल है। आसपास के लोग परिवार को बधाई देने के लिए घर पर पहुंच रहे हैं। इनके भाई कर्ण सिंह कृषि विभाग में एग्रीकल्चर डिवेलपमेंट ऑफिसर (एडीओ) के पद पर सेवाएं दे रहे हैं। शिखा सैनीने इंडियन काउंसिल एग्रीकल्चर रिसर्च में पहले प्रयास में क्वालीफाई करते हुए 5वां रैंक हासिल किया। जिला बागवानी अधिकारी में चयनित हुई हैं। इनका परिणाम गत माह जारी हुआ था। उन्होंने इस पद तक पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत की है। अपनी हर क्लास अव्वल दर्ज में पास की। मेडिकल से 12वीं कक्षा सरस्वती पब्लिक स्कूल जगाधरी से पास की है। इसके बाद बीएससी हॉर्टिकल्चर की डिग्री नवसारी गुजरात से की है। एमएससी की डिग्री पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी लुधियाना से की है। इस समय पीएचडी की डिग्री भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली से कर रही है। शिखा दिल्ली में हैं। फोन पर हुई बातचीत में बताया कि उन्होंने इंडियन काउंसिल एग्रीकल्चर रिसर्च में पहले प्रयास में क्वालीफाई करते हुए 5वां रैंक हासिल किया है। जिला बागवानी अधिकारी में चयनित हुई हैं। शिखा के बीएससी हॉर्टिकल्चर में यूनिवर्सिटी में टॉप करने पर दो गोल्ड मेडल देकर वाइस चांसलर ने सम्मानित किया। ये एनईटी का एग्जाम क्वालीफाई कर चुकी हैं। साधारण परिवार से ताल्लुक रखती हैं। ये दो भाई-बहन हैं। शिखा का कहना है कि बचपन ही लक्ष्य तय किया हुआ था कि प्रशासनिक सेवाओं में जाना है। इसके लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की है। उन्होंने पढ़ाई के दौरान ही अपने लक्ष्य का साधने की तैयारी शुरू कर दी थी। उन्होंने युवाआंे को संदेश दिया कि सफलता के लिए मेहनत जरूरी है। इसके लिए कोई शॉर्टकट नहीं है, जिसे अपनाकर सफलता हासिल की जा सके। जॉइनिंग को लेकर बताया कि चयनित होने का लेटर तो मिल गया है। अभी वह पीएचडी कर रहीं है। यह भी जल्द पूरी होने वाली है। फिर भी परमिशन के बाद वे जॉइन करेंगी। उन्हें कुरुक्षेत्र में जॉइन करना है। जिला बागवानी का पद संभालने को उत्साहित हैं। बचपन में देखा सपना कड़ी मेहनत करने के बाद पूरा हुआ है। शिखा सैनी के पिता रमेश सैनी का कहना है कि उनको अपने दोनों बच्चों पर गर्व है। दोनों ने गर्व से उनका सिर ऊंचा कर दिया है। उनके दोनों बच्चों की मेहनत का परिणाम है कि आज वे इस मुकाम पर पहुंचे हैं। शिखा का भाई कर्ण सिंह सैनीकृषि विभाग में एडीओ के पद पर कार्यरत हैं। दोनों भाई-बहन आफिसर हैं। एक घर मंे दो ऑफिसर बने हैं। हरियाणा | दैनिक भास्कर
Related Posts
हरियाणा के पूर्व मंत्री ने गिनाए कांग्रेस हार के कारण:बत्रा बोले- संगठन की कमी, सिटिंग-गैटिंग फार्मूला व ओवर कांफिडेंस से हारी
हरियाणा के पूर्व मंत्री ने गिनाए कांग्रेस हार के कारण:बत्रा बोले- संगठन की कमी, सिटिंग-गैटिंग फार्मूला व ओवर कांफिडेंस से हारी हरियाणा के पूर्व मंत्री एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुभाष बत्रा ने मंगलवार को अपने आवास पर पत्रकारों से बातचीत की। इस दौरान उन्होंने विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के हार के कारण गिनवाए। वहीं कहा कि जनवरी के लास्ट या फरवरी की शुरूआत में हरियाणा में नगर निकाय चुनाव होने जा रहे हैं। अगर संगठन नहीं होगा तो कांग्रेस की यही दशा होने जा रही है। पूर्व मंत्री सुभाष बत्रा ने कांग्रेस द्वारा विपक्ष का नेता नहीं चुने जाने पर कहा कि यह पार्टी का अंदरुनी मामला है। भाजपा अपनी सरकार कैसे चलानी है, किसानों को कोई सुविधा कैसे देनी है, प्रदेश की विकास की गति में तेजी को लाया जाए, उस पर तो विचार कम कर रहे हैं और कांग्रेस द्वारा सीएलपी का लीडर नहीं चुनने पर ज्यादा टिप्पणी देते हैं। चुन लिया जाएगा। पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा काम तो कर रहे हैं, विधायकों का बहुमत उनके साथ है। सीएलपी का लीडर वही होता है, जिसके पास बहुमत के एमएलए होते हैं। पहले टिकटें उनके हिसाब से दी गई। जो कुछ भी सिस्टम कांग्रेस के अंदर है, वह भूपेंद्र हुड्डा के हिसाब से है। सुभाष बत्रा ने कहा कि “मेरे हिसाब से भूपेंद्र हुड्डा ही सीएलपी के लीडर दोबारा बनेंगे”। कोई ऐसा इश्यू नहीं है। संगठन की कमी का खामियाजा सीएलपी लीडर चुनने में देरी
सुभाष बत्रा ने सीएलपी लीडर चुनने में देरी होने के सवाल पर कहा कि “देरी का कारण यह नहीं हैं, देरी का कारण कुछ और है। जो मैं समझ पा रहा हूं। जैसा मैं समझ पा रहा हूं कि संगठन है ही नहीं। पीसीसी प्रेसिडेंट जिसकी लीडरशिप में चुनाव हुआ है, वह आज बादस्तुर कंटिन्यू कर रहा है।” उन्होंने कहा कि सबसे पहले तो प्राथमिकता यह है कि संगठन बनाया जाए, जो पिछले 16 साल से संगठन है ही नहीं। बूथ व ब्लॉक लेवल की कोई कमेटी नहीं है। कांग्रेस हार के यह बताए कारण
पूर्व मंत्री सुभाष बत्रा ने कहा कि वे पिछले वे 17 साल से जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे हैं। कांग्रेस की हार का सबसे बड़ा कारण यही है कि संगठन ही नहीं है। दूसरा कारण यह भी है कि 16 साल से ज्यादा एक दलित लीडरशिप की रहनुमाई में चुनाव करवाया है। सबकुछ करके ट्राई कर लिया, लेकिन इस दौरान कभी भी पार्टी पावर (सत्ता) में नहीं आई। इस पर मंथन की जरूरत है। सिटिंग-गैटिंग फार्मूला किसने लागू करवाया, इस पर मंथन की जरूरत है। कुछ एमएलए ऐसे थे, जो भगोड़े घोषित हो रखे थे और कुछ के खिलाफ ईडी-सीबीआई के मुकदमें थे। उनको भी सिटिंग-गैटिंग के फार्मूले से टिकट देनी पड़ी। कांग्रेस की हार के मुख्य कारण ये हैं। कुछ ओवर कांफिडेंस भी कांग्रेस को ले डूबा। कांग्रेस तो यह सोच रही थी कि हम तो 70 पार है और सरकार बनाने वाले हैं। सरकार बनाने के लिए बैंड-बाजे भी आ गए। बीजेपी अपनी सीटें 30 से ऊपर नहीं मान रही थी। इसलिए कांग्रेस व भाजपा दोनों पार्टियां सकते में हैं। इसलिए भाजपा के राज्यसभा सांसद रामचंद्र जांगड़ा इस तरह के किसानों को लेकर उल्टे बयान दे रहे हैं।
हरियाणा में BJP को इंटरनल रिपोर्ट ने चौंकाया:2 सीटों पर हालत खराब, 4 पर टफ फाइट; जीत का मार्जिन भी घटने की संभावना
हरियाणा में BJP को इंटरनल रिपोर्ट ने चौंकाया:2 सीटों पर हालत खराब, 4 पर टफ फाइट; जीत का मार्जिन भी घटने की संभावना हरियाणा में लोकसभा चुनाव की वोटिंग के बाद अब राजनीतिक दलों ने समीक्षा शुरू कर दी है। 27 मई को पंचकूला में भाजपा की रिव्यू मीटिंग हुई, जिसमें इंटरनल रिपोर्ट पेश की गई। रिपोर्ट के मुताबिक, 2 सीटें सिरसा और रोहतक की रिपोर्ट खराब मिली है। वहीं, 4 सीटें सोनीपत, अंबाला, कुरुक्षेत्र और भिवानी-महेंद्रगढ़ पर टफ फाइट निकलकर सामने आई है। हालांकि, समीक्षकों ने यह भी कहा है कि जीत पार्टी उम्मीदवार की ही होगी, लेकिन जीत का मार्जिन कम हो जाएगा। करनाल, गुरुग्राम, हिसार और फरीदाबाद की समीक्षा में रिपोर्ट सही मिली है। इसमें करनाल के समीक्षकों ने दावा किया है कि इस सीट को बड़े मार्जिन से भाजपा जीतेगी। इस लोकसभा सीट पर हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को भाजपा ने उम्मीदवार बनाया है। वहीं, कांग्रेस ने उनके खिलाफ दिव्यांशु बुद्धिराजा को टिकट दी है। रोहतक और सिरसा की खराब रिपोर्ट की ये वजहें रोहतक : पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र हुड्डा के बेटे दीपेंद्र हुड्डा को रोहतक से कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया है। वहीं, भाजपा ने डॉ. अरविंद शर्मा को टिकट दिया। इस लोकसभा चुनाव में यहां 65.68 प्रतिशत मतदान हुआ, जो 2019 के मुकाबले 4.83% कम है। चूंकि 2019 में ही भाजपा का इस सीट पर मार्जिन मात्र 7500 वोटों का था, अब इस मार्जिन को कवर करना बड़ी चुनौती है। इसके अलावा इस सीट पर जाटों और किसानों के विरोध ने भाजपा का चुनावी गणित बिगाड़ दिया। रोहतक से दीपेंद्र हुड्डा 3 बार सांसद रह चुके हैं। 2014 में मोदी लहर के बाद भी दीपेंद्र यहां से चुनाव जीत गए थे। इस बार अन्य सीटों की अपेक्षा कांग्रेस इस सीट को लेकर ज्यादा एक्टिव रही। सिरसा : सिरसा में कांग्रेस ने कुमारी सैलजा को मैदान में उतारा है। कुमारी सैलजा सिरसा लोकसभा सीट से पहले भी 2 बार सांसद रह चुकी हैं। इस सीट से उनके मजबूत होने की एक वजह यह भी रही कि उनके पिता चौधरी दलबीर सिंह सिरसा में कांग्रेस के बड़े नेता थे। वहीं, भाजपा के अशोक तंवर यहां से मैदान में हैं। अशोक तंवर कांग्रेस पृष्ठभूमि के ही हैं। 2019 में सिरसा लोकसभा सीट से अशोक तंवर ने कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ा था। पार्टी बदलने को लेकर यहां के लोग तंवर से नाराज चल रहे हैं। इसके अलावा किसानों का विरोध भी उन्हें झेलना पड़ा। अन्य सीटों की तरह इस सीट पर 2019 के मुकाबले 6.21% कम वोटिंग हुई। जानिए, 4 सीटों पर क्यों है फाइट सोनीपत : सोनीपत में कांग्रेस ने सतपाल ब्रह्मचारी को टिकट दिया, जबकि भाजपा ने सीटिंग MP रमेश चंद्र कौशिक का टिकट काटकर विधायक मोहन लाल बड़ौली को उम्मीदवार बनाया। सतपाल ब्रह्मचारी सन्यासी हैं और हरिद्वार में उनके आश्रम हैं। मूलतः वह जींद के गांगोली गांव के रहने वाले हैं। कांग्रेस ने जींद जिले की जो 3 विधानसभाएं आती हैं, उनमें से लोकसभा का उम्मीदवार बनाकर कड़ी चुनौती दी है। भाजपा की रिपोर्ट में इसका जिक्र किया गया है। यह सीट जाट बाहुल्य है और जाट पहले से ही भाजपा का विरोध कर रहे थे। चूंकि इस सीट पर ब्राह्मण डिसाइडिंग फैक्टर है, इसलिए दोनों ब्राह्मणों में कड़ी टक्कर भी है। अंबाला : अंबाला लोकसभा से BJP के सांसद रहे रतनलाल कटारिया की धर्मपत्नी बंतो कटारिया इस बार मैदान में हैं। उनके खिलाफ कांग्रेस ने मुलाना से MLA वरुण चौधरी को टिकट दी है। बंतो कटारिया को टिकट देने की वजह रतनलाल कटारिया के देहांत के बाद भावनात्मक लहर से जीतने की उम्मीद थी। इसके अलावा भाजपा ने यहां मोदी मैजिक को लेकर चुनाव लड़ा। उनके मुकाबले में वरुण मुलाना युवा चेहरे के तौर पर जाने जाते हैं। वह विधानसभा में बेस्ट विधायक का खिताब जीत चुके हैं। वरुण मुलाना के पिता फूलचंद मुलाना कांग्रेस के बड़े नेता रहे और प्रदेश कांग्रेस के लंबे समय तक अध्यक्ष भी रहे हैं। यह उनके फेवर के लिए बड़ा फैक्टर है। कुरुक्षेत्र : भाजपा की रिव्यू मीटिंग में कुरुक्षेत्र में कड़ा मुकाबला दिखाया गया है। इसकी वजह कांग्रेस और AAP गठबंधन के उम्मीदवार डॉ. सुशील गुप्ता रहे। इसके साथ ही यहां से INLD उम्मीदवार अभय सिंह चौटाला और उन्हें किसान नेता गुरनाम सिंह चढृूनी के समर्थन रहा है। हालांकि, शहरी क्षेत्रों में पार्टी को अच्छे वोट पड़े हैं, लेकिन गांवों में वोटिंग प्रतिशत अधिक होने से भाजपा चिंतित है। BJP ने उद्योगपति नवीन जिंदल पर दांव खेला है। कुरुक्षेत्र में मुकाबला त्रिकोणीय है। भिवानी-महेंद्रगढ़ : इस सीट पर भाजपा की टिकट से 2 बार MP बन चुके धर्मबीर सिंह को मैदान उतारा है। वहीं, कांग्रेस ने महेंद्रगढ़ से विधायक राव दान सिंह पर भरोसा जताया है। राव दान सिंह जहां अहीरवाल बेल्ट से आते हैं तो वहीं धर्मबीर जाट जाति से संबंध रखते हैं। ऐसे में चुनाव जाट बनाम यादव में बंटा रहा। यही वजह है कि भाजपा इस सीट को लेकर कांटे का मुकाबला मान रही है। करनाल, गुरुग्राम, हिसार और फरीदाबाद में जीत तय मान रहे
हरियाणा लोकसभा चुनाव में भाजपा की रिव्यू मीटिंग में करनाल, गुरुग्राम, हिसार और फरीदाबाद पर जीत तय मानी जा रही है। करनाल तो इस चुनाव की सबसे हॉट सीट रही। यहां से पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर चुनाव मैदान में हैं। उनके जीतने की सबसे बड़ी वजह यह भी बताई जा रही है कि वह सूबे के करीब 10 साल मुख्यमंत्री रह चुके हैं। इसके अलावा कांग्रेस ने उनके मुकाबले कोई बड़ा चेहरा मैदान में नहीं उतारा। वहीं, गुरुग्राम लोकसभा सीट में राव इंद्रजीत सिंह का अच्छा प्रभाव है। साथ ही भाजपा का भी शहरी क्षेत्रों में कैडर अच्छा है। हिसार में भाजपा की समीक्षा में रणजीत सिंह चौटाला और फरीदाबाद से पूर्व केंद्रीय मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर की रिपोर्ट अच्छी बताई है।
हरियाणा में स्कूल ड्रेस बदलवाने को लेकर पत्नी का कत्ल:दबाव डाला तो नशे में पति ने ब्लेड से गला काटा, फिर सुसाइड किया
हरियाणा में स्कूल ड्रेस बदलवाने को लेकर पत्नी का कत्ल:दबाव डाला तो नशे में पति ने ब्लेड से गला काटा, फिर सुसाइड किया हरियाणा के रेवाड़ी में पति-पत्नी की गला कटी लाश मिलने के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। दंपती के बीच शनिवार सुबह बच्चों की स्कूल ड्रेस बदलवाने को लेकर झगड़ा हुआ था। जिसके बाद पति ने शराब के नशे में पत्नी का गला काटा और फिर खुद का भी ब्लेड से गला काटकर खुदकुशी कर ली। दोनों के शव चारपाई पर खून से लथपथ बरामद हुए थे। खोल थाना पुलिस रविवार को दोनों के शव का पोस्टमॉर्टम कराने की कार्रवाई में जुटी है। दोनों के शव चारपाई पर पड़े मिले
शनिवार दोपहर करीब 3 बजकर 15 मिनट कर सिकंदर की 15 साल की बेटी और 10 साल का बेटा स्कूल से घर पहुंचने के बाद कमरे में घुसे तो उसके माता-पिता दोनों घर में चारपाई पर खून से लथपथ पड़े हुए थे। ये देख दोनों बच्चों ने पहले शोर मचाया और फिर बेहोश हो गए। दादा मामूद्दीन के अलावा अन्य परिवार के लोग तुरंत कमरे में पहुंचे। वहां देखा तो सिकंदर और उसकी पत्नी मंजू दोनों के गला कटे हुए थे। पास में ही एक सेविंग ब्लेड पड़ा हुआ था। शराब पीने का आदी था सिकंदर गांव बलवाड़ी के पूर्व सरपंच बिरेंद्र सिंह ने बताया कि सिकंदर (35) शराब पीने का आदी था। अक्सर उसका पत्नी मंजू के साथ झगड़ा होता रहता था। झगड़े के चलते ही मंजू अपने मायके चली जाती थी। कुछ दिन पहले ही सिकंदर मंजू को मायके से लेकर आया था। शनिवार को सिकंदर दोनों बच्चों की स्कूल ड्रेस लेने के लिए बाजार गया था। बेटी की ड्रेस छोटी होने के कारण मंजू ने उसे बदलवाने के लिए सिकंदर को वापस दुकान पर भेजा, लेकिन उसने मना कर दिया। इसी बात पर दोनों के बीच झगड़ा हुआ। सिकंदर शराब पीने का तो आदी था, लेकिन कल उसने शराब पी हुई थी या नहीं? ये हमे भी मालूम नहीं है। सिकंदर के पिता मामूद्दीन ने हमें भी इतनी ही जानकारी दी है। पिता सेना से रिटायर, सिकंदर कुछ नहीं करता था सिकंदर के पिता 72 वर्षीय मामूद्दीन सेना में सूबेदार के पद से रिटायर्ड हैं। सिकंदर कोई नौकरी-पेशा नहीं करता था। उसका परिवार पिता मामूद्दीन की सेना से मिलने वाली पेंशन पर निर्भर था। परिवार के मुताबिक, कुछ महीने तक सिकंदर रेवाड़ी शहर में किराए पर भी रहा, लेकिन 5 महीने पहले वापस गांव में अपने पैतृक घर में आकर रहने लग गया था। जांच अधिकारी सब इंस्पेक्टर राजेंद्र सिंह ने बताया कि कल दोपहर 3 बजे हमें पूर्व सरपंच ने फोन पर सूचना दी थी। सूचना के बाद हम तुरंत बलवाड़ी गांव पहुंचे तो वहां पत्नी के और पति के दोनों के गला कटा हुआ था। महिला के हाथ पर भी वार किया हुआ था। शक है की मृतक ने पहले पत्नी का कत्ल किया और फिर खुद का गला काटकर आत्महत्या कर ली। इसी आधार पर सिकंदर के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया गया है।