की-मैन चिल्लाता रहा- डेंजर है…गाड़ी पटरी से उतर सकती है:किसी ने नहीं सुनी; 30 की जगह 70 की स्पीड में दौड़ाई डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस

की-मैन चिल्लाता रहा- डेंजर है…गाड़ी पटरी से उतर सकती है:किसी ने नहीं सुनी; 30 की जगह 70 की स्पीड में दौड़ाई डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस

गोंडा में चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ ट्रेन हादसे में 4 लोग की मौत हो गई। जिस ट्रैक पर हादसा हुआ, वो डेंजर जोन में था। रेलवे के की-मैन ने एक दिन पहले अफसरों को अलर्ट किया था। फिर हादसे से आधे घंटे पहले भी चिल्लाता रहा- ट्रैक खराब है, लेकिन किसी ने नहीं सुनी। नतीजा, चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस डिरेल हो गई। दैनिक भास्कर ने मामले की पड़ताल की। रेलवे के की-मैन और अफसर की बातचीत का ऑडियो मिला। रेलवे के की-मैन को भी ढूंढ निकाला, जिसने अलर्ट किया था। पढ़िए ट्रेन हादसे से आधे घंटे पहले क्या हुआ था? की-मैन ने किस बात के लिए अलर्ट किया था? इस हादसे के लिए कौन जिम्मेदार है… सबसे पहले उन दोनों ऑडियो की बात, जिसमें की-मैन आसने और अफसरों की बात हुई थी… ऑडियो 1: हादसे से एक दिन पहले 17 जुलाई को की-मैन का अपने अधिकारी को कॉल की-मैन: हैलो…कह रहे हैं कि मिलान पर लाइन गड़बड़ लग रही है। जेई रंजन: मिलान पर? की-मैन: हां…मिलान पर बिल्डिंग से पश्चिम। जेई रंजन: बताए तो थे इंचार्ज को। हम देखे थे एक दिन जाकर के। गड़बड़ तो है ही। की-मैन: गड़बड़ नहीं…बहुत गड़बड़ लग रही है लाइन। वही बिल्डिंग से लेकर पश्चिम तरफ है। टेढ़ी-मेढ़ी हो गई है। जेई रंजन: आगे का फिटिंग-विटिंग देख लो। सब सही है ना? की-मैन: हां…सब ठोंक कर आए हैं। जेई रंजन: बढ़िया से सब तार-वार लगाकर बाहर एकदम चकाचक कर देना। की-मैन: हां…सब टाइट करके आए हैं। जेई रंजन: भले दूसरी तरफ मेहनत कम करना। लेकिन जिस एरिया में जहां पर लग रहा है, उस एरिया में जाकर बढ़िया से एकदम ठोक-ठाक देना। कुछ गिरा ना रहे। लाइनर के साथ। की-मैन: ठीक है। ऑडियो 2: हादसे से आधे घंटे पहले की-मैन का अधिकारी को कॉल की-मैन: कॉशन लगा है कि नहीं 38/5 में? जेई रंजन: कॉशन लगा है? की-मैन: पूछ रहे हैं आपसे…कॉशन लगा है कि नहीं जेई रंजन: कॉशन लगने वाला है। की-मैन: बहुत डेंजर इस समय हो गया है। जेई रंजन: कॉशन लगने वाला है। की-मैन: हां तो बहुत डेंजर हो गया है। बकलिंग (मुड़ने) होने की संभावना है। जेई रंजन: क्या बताए अब! (ढीली आवाज में) की-मैन: सर, बहुत डेंजर हो गया है। सुबह से देखे तभी से बहुत डेंजर लग रहा है। कहीं पहिया उतरने की संभावना ना हो जाए। कोई ठिकाना नहीं है। जेई रंजन: अभी इंचार्ज फुट प्लेट करके आए हैं। कॉशन लग रहा है। (ढीली आवाज में) की-मैन: हां…कॉशन लगवा दीजिए। कोई बात हो जाएगी तो दिक्कत हो जाएगी। जेई रंजन: कॉशन लग रहा है। वहां प्लेट-व्लेट लग चुका है। 30 (किमी प्रति घंटे की स्पीड) लगने वाला है। की-मैन: ठीक है सर जेई रंजन: 30 का लगेगा कॉशन। की-मैन: ठीक है सर दैनिक भास्कर से की-मैन बोला- मैंने घटना से आधे घंटे पहले पूछा था कॉशन लगा है कि नहीं की-मैन आसने गोंडा में 2008 से तैनात हैं। वह बताते हैं, हमें चार दिन से ट्रैक की निगरानी की जिम्मेदारी मिली थी। हम जिनकी जगह काम कर रहे थे, वह छुट्‌टी पर गए हुए थे। इसलिए मेरी ड्यूटी लगाई गई थी। गुरुवार को हादसे से एक दिन पहले जब मैं ट्रैक चेक कर रहा था, तब मुझे पटरियों के बीच गैप (बकलिंग यानी गर्मी में पटरियों का फैल जाना) दिखाई दिया। मैंने अपने सीनियर अधिकारियों को बताया। गुरुवार को दोपहर में भी मैं फिर ट्रैक को देखने गया तो मामला गंभीर लगा। हमारा मोबाइल स्विच ऑफ हो गया था, तो मैं तुरंत गेट पर पहुंचा। वहां से अपने अधिकारी को फोन किया और उन्हें स्थिति के बारे में बताते हुए कहा, कॉशन (सतर्कता बरतना) लगा है कि नहीं? दूसरी तरफ से अधिकारी बताते हैं कॉशन लगने वाला है। इस पर आसने कहते हैं कि बहुत डेंजर स्थिति है। बुधवार को यह जवाब मिला- अधिकारी को बताया है, देखते हैं क्या होगा
बुधवार को आसने ने जब अपने रिपोर्टिंग मैनेजर को बताया तो उनका जवाब था कि अब अधिकारी को बताया तो है। फिर की-मैन आसने से रिपोर्टिंग मैनेजर कहते हैं कि ठीक से देख लिए हो कि नहीं। इस पर आसने का जवाब आता है कि हां देख लिए हैं। बड़ा सवाल: सेक्शन इंजीनियर ने निरीक्षण किया, फिर एक्शन क्यों नहीं लिया
की-मैन के अलर्ट के बाद सेक्शन इंजीनियर पीके सिंह एक दिन पहले बुधवार को ट्रैक चेक करने भी गए थे, लेकिन सवाल यह उठता है कि उन्होंने कोई एक्शन क्यों नहीं लिया। आखिर क्या रही हादसे की वजह?
तेज गर्मी की वजह से पटरियों के बीच गैप आ गया था। बताया जाता है कि चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ ट्रेन 70 किमी प्रति घंटे की स्पीड से दौड़ रही थी, जबकि खराब ट्रैक को देखते हुए उसे डेंजर जोन से 10 से 15 किमी की रफ्तार से ही दौड़ना चाहिए था। अब जानिए चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ हादसे के लिए कौन-कौन जिम्मेदार रेलवे यूनियन का आरोप- कर्मचारियों की सेफ्टी से होता है खिलवाड़
एनई रेलवे मेंस कांग्रेस यूनियन के मंडल अध्यक्ष कुंवर विकास सिंह कहते हैं- बार-बार मनकापुर सेक्शन में ऐसी घटनाएं हो रही हैं। इसके बावजूद सीनियर अधिकारियों द्वारा कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई। जबकि यूनियन द्वारा भी अधिकारियों को सूचित किया गया, लेकिन कर्मचारियों का सेफ्टी से हमेशा ही खिलवाड़ होता रहा है। इससे पहले हमारे दो कर्मचारी ट्रेन हादसे में मर चुके हैं। अधिकारी यहां वरिष्ठता के आधार पर काम नहीं ले रहे हैं। यही वजह है कि मनकापुर सेक्शन में हादसे बढ़ते जा रहे हैं। ये भी पढ़ें: चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ ट्रेन हादसे के बाद खूब रोया ड्राइवर, AUDIO:बोला- साहब बड़ी दुर्घटना हो गई, गाड़ी डिरेल हो गई; कई लोग दबे हैं, मैं क्या करूं…? गोंडा में चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ ट्रेन हादसे के बाद ट्रेन ड्राइवर खूब रोया। इसका ऑडियो सामने आया है। इसमें लखनऊ रेलवे कंट्रोल रूम के कर्मचारी से कॉल पर कह रहा कि साहब, बड़ी दुर्घटना हो गई है। बहुत सी बोगियां उतर गई हैं। समझ नहीं आ रहा क्या करें? (पढ़ें पूरी खबर) ट्रेन हादसा- ट्रैक के पास भरा था पानी:पटरी 4 फीट खिसकी, मिट्‌टी के सैंपल लिए; कोच के नीचे मिली एक और लाश, अब तक 4 मौतें यूपी के गोंडा में गुरुवार दोपहर 2.37 बजे चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस की 21 बोगियां पटरी से उतर गईं। हादसे में 4 यात्रियों की मौत हो गई, 25 घायल हैं। हादसे की वजह जानने के लिए रेल संरक्षा आयुक्त (CRS) रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। रेलवे जांच टीमों को ट्रैक अपनी मौजूदा स्थिति से करीब 4 फीट खिसका हुआ मिला है…(पढ़ें पूरी खबर) गोंडा में चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ ट्रेन हादसे में 4 लोग की मौत हो गई। जिस ट्रैक पर हादसा हुआ, वो डेंजर जोन में था। रेलवे के की-मैन ने एक दिन पहले अफसरों को अलर्ट किया था। फिर हादसे से आधे घंटे पहले भी चिल्लाता रहा- ट्रैक खराब है, लेकिन किसी ने नहीं सुनी। नतीजा, चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस डिरेल हो गई। दैनिक भास्कर ने मामले की पड़ताल की। रेलवे के की-मैन और अफसर की बातचीत का ऑडियो मिला। रेलवे के की-मैन को भी ढूंढ निकाला, जिसने अलर्ट किया था। पढ़िए ट्रेन हादसे से आधे घंटे पहले क्या हुआ था? की-मैन ने किस बात के लिए अलर्ट किया था? इस हादसे के लिए कौन जिम्मेदार है… सबसे पहले उन दोनों ऑडियो की बात, जिसमें की-मैन आसने और अफसरों की बात हुई थी… ऑडियो 1: हादसे से एक दिन पहले 17 जुलाई को की-मैन का अपने अधिकारी को कॉल की-मैन: हैलो…कह रहे हैं कि मिलान पर लाइन गड़बड़ लग रही है। जेई रंजन: मिलान पर? की-मैन: हां…मिलान पर बिल्डिंग से पश्चिम। जेई रंजन: बताए तो थे इंचार्ज को। हम देखे थे एक दिन जाकर के। गड़बड़ तो है ही। की-मैन: गड़बड़ नहीं…बहुत गड़बड़ लग रही है लाइन। वही बिल्डिंग से लेकर पश्चिम तरफ है। टेढ़ी-मेढ़ी हो गई है। जेई रंजन: आगे का फिटिंग-विटिंग देख लो। सब सही है ना? की-मैन: हां…सब ठोंक कर आए हैं। जेई रंजन: बढ़िया से सब तार-वार लगाकर बाहर एकदम चकाचक कर देना। की-मैन: हां…सब टाइट करके आए हैं। जेई रंजन: भले दूसरी तरफ मेहनत कम करना। लेकिन जिस एरिया में जहां पर लग रहा है, उस एरिया में जाकर बढ़िया से एकदम ठोक-ठाक देना। कुछ गिरा ना रहे। लाइनर के साथ। की-मैन: ठीक है। ऑडियो 2: हादसे से आधे घंटे पहले की-मैन का अधिकारी को कॉल की-मैन: कॉशन लगा है कि नहीं 38/5 में? जेई रंजन: कॉशन लगा है? की-मैन: पूछ रहे हैं आपसे…कॉशन लगा है कि नहीं जेई रंजन: कॉशन लगने वाला है। की-मैन: बहुत डेंजर इस समय हो गया है। जेई रंजन: कॉशन लगने वाला है। की-मैन: हां तो बहुत डेंजर हो गया है। बकलिंग (मुड़ने) होने की संभावना है। जेई रंजन: क्या बताए अब! (ढीली आवाज में) की-मैन: सर, बहुत डेंजर हो गया है। सुबह से देखे तभी से बहुत डेंजर लग रहा है। कहीं पहिया उतरने की संभावना ना हो जाए। कोई ठिकाना नहीं है। जेई रंजन: अभी इंचार्ज फुट प्लेट करके आए हैं। कॉशन लग रहा है। (ढीली आवाज में) की-मैन: हां…कॉशन लगवा दीजिए। कोई बात हो जाएगी तो दिक्कत हो जाएगी। जेई रंजन: कॉशन लग रहा है। वहां प्लेट-व्लेट लग चुका है। 30 (किमी प्रति घंटे की स्पीड) लगने वाला है। की-मैन: ठीक है सर जेई रंजन: 30 का लगेगा कॉशन। की-मैन: ठीक है सर दैनिक भास्कर से की-मैन बोला- मैंने घटना से आधे घंटे पहले पूछा था कॉशन लगा है कि नहीं की-मैन आसने गोंडा में 2008 से तैनात हैं। वह बताते हैं, हमें चार दिन से ट्रैक की निगरानी की जिम्मेदारी मिली थी। हम जिनकी जगह काम कर रहे थे, वह छुट्‌टी पर गए हुए थे। इसलिए मेरी ड्यूटी लगाई गई थी। गुरुवार को हादसे से एक दिन पहले जब मैं ट्रैक चेक कर रहा था, तब मुझे पटरियों के बीच गैप (बकलिंग यानी गर्मी में पटरियों का फैल जाना) दिखाई दिया। मैंने अपने सीनियर अधिकारियों को बताया। गुरुवार को दोपहर में भी मैं फिर ट्रैक को देखने गया तो मामला गंभीर लगा। हमारा मोबाइल स्विच ऑफ हो गया था, तो मैं तुरंत गेट पर पहुंचा। वहां से अपने अधिकारी को फोन किया और उन्हें स्थिति के बारे में बताते हुए कहा, कॉशन (सतर्कता बरतना) लगा है कि नहीं? दूसरी तरफ से अधिकारी बताते हैं कॉशन लगने वाला है। इस पर आसने कहते हैं कि बहुत डेंजर स्थिति है। बुधवार को यह जवाब मिला- अधिकारी को बताया है, देखते हैं क्या होगा
बुधवार को आसने ने जब अपने रिपोर्टिंग मैनेजर को बताया तो उनका जवाब था कि अब अधिकारी को बताया तो है। फिर की-मैन आसने से रिपोर्टिंग मैनेजर कहते हैं कि ठीक से देख लिए हो कि नहीं। इस पर आसने का जवाब आता है कि हां देख लिए हैं। बड़ा सवाल: सेक्शन इंजीनियर ने निरीक्षण किया, फिर एक्शन क्यों नहीं लिया
की-मैन के अलर्ट के बाद सेक्शन इंजीनियर पीके सिंह एक दिन पहले बुधवार को ट्रैक चेक करने भी गए थे, लेकिन सवाल यह उठता है कि उन्होंने कोई एक्शन क्यों नहीं लिया। आखिर क्या रही हादसे की वजह?
तेज गर्मी की वजह से पटरियों के बीच गैप आ गया था। बताया जाता है कि चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ ट्रेन 70 किमी प्रति घंटे की स्पीड से दौड़ रही थी, जबकि खराब ट्रैक को देखते हुए उसे डेंजर जोन से 10 से 15 किमी की रफ्तार से ही दौड़ना चाहिए था। अब जानिए चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ हादसे के लिए कौन-कौन जिम्मेदार रेलवे यूनियन का आरोप- कर्मचारियों की सेफ्टी से होता है खिलवाड़
एनई रेलवे मेंस कांग्रेस यूनियन के मंडल अध्यक्ष कुंवर विकास सिंह कहते हैं- बार-बार मनकापुर सेक्शन में ऐसी घटनाएं हो रही हैं। इसके बावजूद सीनियर अधिकारियों द्वारा कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई। जबकि यूनियन द्वारा भी अधिकारियों को सूचित किया गया, लेकिन कर्मचारियों का सेफ्टी से हमेशा ही खिलवाड़ होता रहा है। इससे पहले हमारे दो कर्मचारी ट्रेन हादसे में मर चुके हैं। अधिकारी यहां वरिष्ठता के आधार पर काम नहीं ले रहे हैं। यही वजह है कि मनकापुर सेक्शन में हादसे बढ़ते जा रहे हैं। ये भी पढ़ें: चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ ट्रेन हादसे के बाद खूब रोया ड्राइवर, AUDIO:बोला- साहब बड़ी दुर्घटना हो गई, गाड़ी डिरेल हो गई; कई लोग दबे हैं, मैं क्या करूं…? गोंडा में चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ ट्रेन हादसे के बाद ट्रेन ड्राइवर खूब रोया। इसका ऑडियो सामने आया है। इसमें लखनऊ रेलवे कंट्रोल रूम के कर्मचारी से कॉल पर कह रहा कि साहब, बड़ी दुर्घटना हो गई है। बहुत सी बोगियां उतर गई हैं। समझ नहीं आ रहा क्या करें? (पढ़ें पूरी खबर) ट्रेन हादसा- ट्रैक के पास भरा था पानी:पटरी 4 फीट खिसकी, मिट्‌टी के सैंपल लिए; कोच के नीचे मिली एक और लाश, अब तक 4 मौतें यूपी के गोंडा में गुरुवार दोपहर 2.37 बजे चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस की 21 बोगियां पटरी से उतर गईं। हादसे में 4 यात्रियों की मौत हो गई, 25 घायल हैं। हादसे की वजह जानने के लिए रेल संरक्षा आयुक्त (CRS) रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। रेलवे जांच टीमों को ट्रैक अपनी मौजूदा स्थिति से करीब 4 फीट खिसका हुआ मिला है…(पढ़ें पूरी खबर)   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर